Narender 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Narender 6 Oct 2019 · 1 min read चाँद से मुलाक़ात आज अचानक कई दिन बाद.. चाँद से मुलाक़ात हुई.. चाँद थोड़ी फुरसत से था.. थोड़ी गर्मजोशी.. थोड़ा तकल्लुफ.. मेरा हाथ पकड़ा... पकड़ा क्या.. लगभग खींचते हुए.. अपने घर ले गया..... Hindi · कविता 477 Share Narender 6 Oct 2019 · 1 min read समंदर लगता है समंदर भी है संघर्षशील.. जीवन की आपाधापी में.. समय नहीं है शायद अपने लिए.. जी रहा है उदासी में.. पथरीली चट्टानों से बार बार.. आकर टकराता है.. बंधन... Hindi · कविता 237 Share Narender 6 Oct 2019 · 1 min read दुविधा कोई मुझे भी अपने घर का.. रास्ता बता दे.. जाना कहाँ है, अनजान हूँ.. कोई तो मंजिल का पता दे.. हर मोड़ पर लगता है.. आ गया मंजिल का ठिकाना..... Hindi · कविता 520 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read ट्रेन का सफ़र दूर एक मकान.. खेत में मचान.. अनगिनत पेड़.. बिजली की खंबे.. मुँह चलाती गाय.. हवा की सांये सांये.. पतंग उड़ाते बच्चे.. नींद से जागते शहर.. शांत बहती नहर.. तेल की... Hindi · कविता 1 1 431 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read अंतर्विरोध अंतर्विरोध का दौर है, अपने आप से उलझना है.. जीवन की इस पहेली को, अपने अंदाज़ से समझना है.. उड़ने कि तैयारी में.. यूँ ही हाथ खोलने लगे.. परवाज़ इतनी... Hindi · कविता 1 1 405 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read उधेड़बुन अंतरदवंध है क्यों प्रबल.. मरीचिका है क्यों सबल.. खुद ही मैं रथी.. मैं ही आप,क्यों हूँ सारथी.. और उस पर समय की ये गति.. भीड़ के आगोश में.. अपने को... Hindi · कविता 1 1 451 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read जिंदगी से मुलाक़ात अभी कल ही.. गली के मोड़ पर.. अचानक मिली जिंदगी.. थोड़ी मुस्कान का आदान प्रदान.. हाय हैल्लो.. पुरानी परिचित सी.. लगी जिंदगी.. बोली मैं यही.. बगल वाले पार्क में.. जो... Hindi · कविता 1 263 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read मरीचिका गरम लू की तपिश.. हवा की तरंगों में कुछ. लिख जाती है.. ये लिखावट, कुछ जानी पहचानी लगती है.. कुछ बताना चाहती है.. शायद ये तपिश.. खोल रही है,नये द्वार..... Hindi · कविता 1 231 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read खिड़की एक दूर अकेले मकान में.. एक खिड़की है सुनसान में.. कई दिनों से खुली नहीं.. धूल जमी है किनारों पर.. कई सदियों से वो धुली नहीं.. मैं हर रोज देखता... Hindi · कविता 1 382 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read खिड़कियां कभी कभी लगता है.. एक ख्याल जगता है.. हम सब मग्न है... सीमित हैं.. अपनी अपनी खिड़कियों में.. इन्ही खिड़कियों से ही.. हम चुरा लेते हैं.. अपने हिस्से की हवा,... Hindi · कविता 1 502 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read मांझी अकेला भवनाओं के उथले सागर में.. भारी सी नाव लिए.. चाहत की टूटी गागर में.. राहतों का ख्याल लिए.. सागरमंथन की लालसा में.. कमजोर पतवार लिए.. अमृतसंधान की आकांक्षा में.. विष... Hindi · कविता 233 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read तलाश शब्दों के सितार कभी कभी.. अपने आप चल पड़ती हैं उंगलियां.. सुस्ताई सी. अलसाई सी. कोई धुन.. खोल देती है दिल की बंद खिड़किया. जिंदगी की जिस रफ़्तार से चल... Hindi · कविता 1 200 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read शाम अभी अभी शाम ढल गई.. तपिश की ये चादर.. अलसाई सी रात ने ओढ़ ली.. शाम जाते जाते.. थोड़ा अंधेरा भर गई.. शाम का यूँ चुपचाप.. अपने आप में सिमटना..... Hindi · कविता 1 483 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read सफ़र मंजिल का पता नहीं.. सफ़र कभी रुका नहीं.. रूह को सुकून मिले.. ढूंढे एक ऐसी ठौर.. बेवजह मुस्कान लिए.. बढ़ रहा उस और.. उबड़ खाबड़ रास्तों पर.. डगमगाती कदम ताल..... Hindi · कविता 1 211 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read चाँद से मुलाक़ात दिन भर की गर्मी के बाद.. सुखी धरती पर.. तेज हवाओं के साथ बरसात.. कुछ राहत दे गई.. पर.. बत्ती गुल कर गई.. बाहर बालकोनी में.. आधा चाँद झांक रहा... Hindi · कविता 1 210 Share Narender 23 Jun 2019 · 1 min read तलाश रेत का विस्तार.. और उस पर.. अनगिनत उलझी.. रेखाओं का श्रृंगार.. या ये नदी के पदचिन्ह.. जो गुजरी थी अनायास.. इस विस्तार से.. गायब छोड़ गई.. ये बदलती रेखाएं.. जो... Hindi · कविता 1 228 Share Narender 22 Jun 2019 · 2 min read सूरज से मुलाक़ात आज कई दिन बाद.. मैंने उगता सूरज देखा.. शायद हर रोज ऐसे ही.. कर्मठ सा, आता होगा.. पर मुझे नहीं पाता होगा.. पर मैं तो होता हूँ.... फिर क्यों मुझे..... Hindi · कविता 1 460 Share