Mahendra Narayan 104 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahendra Narayan 29 Apr 2024 · 1 min read गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14 ऊहापोह लिए मन मेरा शेयर का बाजार लगे उठापटक करती रहती हैं, . इच्छाएँ पलकों जैसी। आशंकाएँ घेरे रहती , सिर मेरा अलकों जैसी। कुछ ज्यादा करना चाहूँ तो, मंदी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 17 Share Mahendra Narayan 28 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल अब दे नही सकेगा कोई भी दगा मुझे सबने बनाके रख दिया है आईना मुझे नज़रों को लग गयी है नज़र उनकी अदा से नज़रों ने किया उन पे इस... Hindi 1 8 Share Mahendra Narayan 1 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल रस्ता, मंजिल बातें हुईं पुरानी अब, नये शब्द में लिक्खें नई कहानी अब । बीमारी से आज की पीढ़ी लड़ती है, खाद केमिकल खाकर पले जवानी अब । प्यास तिज़ारत... Hindi 2 27 Share Mahendra Narayan 4 Mar 2024 · 1 min read ग़ज़ल टीस मन से हमारे निकल जायेगी रंग मसले का फिर ये बदल जायेगी पेड़ पर जैसे पत्ते नये आतें हैं होके पतझड़ बहारों में ढ़ल जायेगी लोग कहतें हैं मुझमें... Hindi 1 43 Share Mahendra Narayan 17 Feb 2024 · 1 min read चला गया दुःख की वह प्रस्तावना लिखकर चला गया शैली निगमन भावना लिखकर चला गया क्या लिखूँ क्षणों को जिसमें मैं स्वयं नही मैं इक अबूझ कामना लिखकर चला गया टकरा के... Hindi 1 70 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read पत्थर - पत्थर सींचते , पत्थर - पत्थर सींचते , उगते प्रेम -प्रसून। सौरभ का विश्वास बन, लगे हृदय का खून ॥ Quote Writer 1 78 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल प्यार का हर इक पन्ना प्यारा होता है लिखा हुआ दिल का गलियारा होता है आँखों ने जो लिखा अश्क की पानी से पढ़ने वाला आँख का तारा होता है... Hindi 2 2 73 Share Mahendra Narayan 4 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल चाहत सी हो गयी है तेरे यूँ ख़ुमार की । पैमाना बन गया हूँ तेरे ऐतबार की। लगने लगा है घर तेरा मैख़ाने की तरह I रहती है तलब अब... Hindi 1 81 Share Mahendra Narayan 19 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल गुलों में खुशबू हूँ भरने दे मुझे टूटकर अब तो विखरने दे मुझे फिज़ां में सख़्त सियासत है अभी सुकूँन में हवा से गुज़रने दे मुझे दूर बैठा मज़लूम बहुत... Hindi 2 87 Share Mahendra Narayan 16 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल बात निकली है खिड़कियों से कहीं खुला पर्दा है आँधियों से कहीं रोशनी छिप गयी है बादल में चाँद को देख कनखियों से कहीं वो ख़फा होके हँस रहा होगा... Hindi 1 95 Share Mahendra Narayan 12 Jan 2024 · 1 min read सज़ल शीत में वातावरण यूँ गल रहा है। लुकाछिपी करके सूरज छल रहा है। हो गयी है रात लम्बी इस तरह कि । शाम में ढ़लने को दिन मचल रहा है।... Hindi 1 75 Share Mahendra Narayan 6 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल वो वफाओं का आईना होगा प्यार से हमको देखता होगा इम्तहाँ लेगा वो टकरा हमसे कही पत्थर कहीं शीशा होगा छिप न पायेगा शरम नजरों में जब भी खोलेगा सामना... Hindi 1 89 Share Mahendra Narayan 2 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल नही होता है गुनाहों से वफा का रिश्ता । दर्द देता ही है जो रखता सजा का रिश्ता । ख़ूबसूरत वो वफाई में उतना लगता है । जितना रखता है... Hindi 1 82 Share Mahendra Narayan 18 Dec 2023 · 1 min read ग़ज़ल आज ग़ज़ल से बात हुई अनजाने में । गाने लगा हूँ उसको मैं अफसाने में । अपने ग़म को ओढ़ काफिया रहती है। और रदीफ़ लगा है खुशी निभाने में... Hindi 1 107 Share Mahendra Narayan 30 Nov 2023 · 1 min read ग़ज़ल चर्चा जो चली है तो कोई बात हुई होगी ख़त कोई मिला होगा मुलाकात हुई होगी ग़र राज़ धुआँ होगा सुलगा जरूर होगा छिपता ही गया होगा जब रात हुई... Hindi 2 129 Share Mahendra Narayan 28 Nov 2023 · 1 min read आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि- आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि- आदमियत की जैसे बाजार लगने लगी है प्रेम व्यवहार में मिलावट ऐसे हो रहा है प्यार और दोस्ती बेकार लगने लगी है... Quote Writer 1 195 Share Mahendra Narayan 22 Nov 2023 · 1 min read ग़ज़ल फूलों सी मुस्कान तुम्हारे अधरों की कालियाँ हैं पहचान तुम्हारे अधरों की बोल घोल दो मिस्री सारे आलम में बातें लगती गान तुम्हारे अधरों की रंग लाल बन जाते सारे... Hindi 1 1 149 Share Mahendra Narayan 11 Sep 2023 · 1 min read दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में लगे ये उम्र कटती है ज़िन्दगी के ही किश्तों में सही रिश्ते निभाता है यहाँ पर जो हक़ीक़त में उसी... Quote Writer 2 223 Share Mahendra Narayan 7 Sep 2023 · 1 min read ग़ज़ल गिरगिट की तरह रंग बदलतें हैं लोग क्यों चेहरे से अपने रोज उतरतें हैं लोग क्यों यह जानते हुए कि हस्र ज़िन्दगी का क्या जी करके भी बेमौत यूँ मरतें... Hindi 4 124 Share Mahendra Narayan 30 Aug 2023 · 1 min read डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास । डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास । भाई से करती बहन ,जब रक्षा की आस ॥ जब रक्षा की आस ,करे बस स्नेही आशा । है राखी की... Quote Writer 178 Share Mahendra Narayan 25 Aug 2023 · 1 min read हरियाली के बीच में , माँ का पकड़े हाथ । हरियाली के बीच में , माँ का पकड़े हाथ । नन्हा पौधा पल्लवित, जैसे धरती साथ ॥ जैसे धरती साथ, ज्ञान के पथ पर चलता । पहला दिन है आज,... Quote Writer 1 157 Share Mahendra Narayan 4 Aug 2023 · 1 min read जिस बस्ती मेंआग लगी है जिस बस्ती मेंआग लगी है पानी पानी है प्रेमनगर में बस नफरत है और बेईमानी है भीड़ तो है हर एक घर में कौन कहानी कहता है मरघट सा सन्नाटा... Hindi 1 940 Share Mahendra Narayan 29 Jul 2023 · 1 min read कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है खाना ही इक भूखे का महज़ रब यहाँ होता है करले सियासत चाहे ये कितना भी ज़माना मजलूम कोई इंसा यहाँ... Quote Writer 1 170 Share Mahendra Narayan 23 Jul 2023 · 1 min read रक़्श करतें हैं ख़यालात मेरे जब भी कभी.. रक़्श करतें हैं ख़यालात मेरे जब भी कभी.. ज़िन्दगी मुझको ग़ज़ल की तरह से लिखती है.. Quote Writer 1 374 Share Mahendra Narayan 15 Jul 2023 · 1 min read फितरत की बातें हिम्मत से हिम्मत की बातें करता हूँ जब भी मैं किस्मत की बातें करता हूँ कहतें सब मिल जाता मुझको बिन माँगे मैं नही अब चाहत की बातें करता हूँ... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 5 167 Share Mahendra Narayan 13 Jul 2023 · 1 min read बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ कोई बेचता खरीदता है भूख भी यहाँ । -महेन्द्र नारायण Quote Writer 2 4 222 Share Mahendra Narayan 9 Jul 2023 · 1 min read ख़ुद को हमने निकाल रखा है ख़ुद को हमने निकाल रखा है बन्द नज़रों में डाल रखा है Quote Writer 1 246 Share Mahendra Narayan 6 Jul 2023 · 1 min read पावस में करती प्रकृति, पावस में करती प्रकृति, हरा भरा स्नान । दृग कराती शीतलता , दुख में सुख का भान ।। Quote Writer 178 Share Mahendra Narayan 2 Jul 2023 · 1 min read अरमानों की भीड़ में, अरमानों की भीड़ में, खोया है इंसान । सकूं सभी में ठूँढता, ख़ुद से हो अंजान ॥ Quote Writer 102 Share Mahendra Narayan 1 Jul 2023 · 1 min read कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप। कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप। स्वप्न -सृष्टि -संवेदना अद्भुत अगम अनूप । -महेन्द्र नारायण Quote Writer 2 1 153 Share Mahendra Narayan 27 Jun 2023 · 1 min read वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो वो आशिकी ही क्या जिसमें जुनूं न हो दौलत शोहरत मुहब्बत सब कुछ हो वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमें सकूं न हो Quote Writer 5 4 128 Share Mahendra Narayan 19 Jun 2023 · 1 min read बादल आओ बादल आओ सूखे फटे होठों में नमी दे जाओ Quote Writer 188 Share Mahendra Narayan 19 Jun 2023 · 1 min read फूलों की है टोकरी, फूलों की है टोकरी, ढूँढें सभी गुलाब । रिश्तों में हर आदमी, चाहे बनें नवाब ॥ Quote Writer 3 396 Share Mahendra Narayan 18 Jun 2023 · 1 min read आदमी में भी राज़ गहरे नजर आतें हैं आदमी में भी राज़ गहरे नजर आतें हैं एक चेहरे में कई चेहरे नजर आतें हैं - महेन्द्र नारायण Quote Writer 195 Share Mahendra Narayan 17 Jun 2023 · 1 min read हरकतें जब हरकतें जब जवान होती हैं कोशिशें असमान होती हैं महेन्द्र नारायण Quote Writer 60 Share Mahendra Narayan 16 Jun 2023 · 1 min read हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ, हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ, करतब बड़े से बड़े से दिखाती है रोटियाँ। रहतीं हैं ज़िन्दगी के साथ रूह की तरह , जीना भी ज़िन्दगी को सिखाती... Quote Writer 178 Share Mahendra Narayan 14 Jun 2023 · 1 min read फूलों के बाजार में , फूलों के बाजार में , पत्थर का व्यापार । सबके ऐसे हो गया , रिश्तों का आधार ॥ महेन्द्र नारायण Quote Writer 192 Share Mahendra Narayan 11 Jun 2023 · 1 min read ग़ज़ल आँखों का भी मौसम रोज बदलता है देख ज़माना इक दूजे को चलता है बंजर कही, कहीं हरियाली होती है मन का बादल जैसे जहाँ पिघलता है लोग आईना एक... Hindi 2 134 Share Mahendra Narayan 9 Jun 2023 · 1 min read मजबूरी संगत करै, मजबूरी संगत करै, तन तबले के हाथ। मन में नाचे रोटियाँ, पेट भूख के साथ।। -महेन्द्र नारायण Quote Writer 161 Share Mahendra Narayan 8 Jun 2023 · 1 min read भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज । भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज । रक्षा यदि हम नहि किए,रक्षित नही समाज ॥ रक्षित नही समाज, रहेगा भूखा प्यासा । जल जीवन आधार ,नही हो जीवन... Quote Writer 380 Share Mahendra Narayan 5 Jun 2023 · 1 min read जीवन बरगद कीजिए जीवन बरगद कीजिए बने प्रकृति अनुकूल । छाया औ विस्तार से दे सबको सुख-फूल ॥ Quote Writer 1 127 Share Mahendra Narayan 5 Jun 2023 · 1 min read गुलदस्ता नहीं गुलदस्ता नहीं बाग बनाओ जीवन को चह- चह करती चिड़िया जिसमें प्रातःखिलती कलियाँ उसमें एक नया फिर राग बनाओ जीवन को सर्दी के संग गर्मी झेले सीने पर ओले भी... Quote Writer 1 282 Share Mahendra Narayan 4 Jun 2023 · 1 min read कहीं फूलों के किस्से हैं कहीं काँटों के किस्से हैं कहीं फूलों के किस्से हैं कहीं काँटों के किस्से हैं दिखाने वाले हर किरदार की आँखों के किस्से हैं Quote Writer 1 143 Share Mahendra Narayan 3 Jun 2023 · 1 min read कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी। कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी। राजा हो रंक सभी के आँख में पानी । रोते - रोते हँसतें हैं जो खुश रहतें हैं। वर्ना मर जातें जीवन भर... Quote Writer 1 235 Share Mahendra Narayan 1 Jun 2023 · 1 min read बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ पानी को उसके रूप में लाती हैं हवाएँ मौसम के साथ साथ बदलती हैं रूप को रफ्तार घटाती हैं बढ़ाती हैं हवाएँ होकर... Quote Writer 1 279 Share Mahendra Narayan 26 May 2023 · 1 min read मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग । मौका जिस को भी मिले वही दिखाए रंग । जैसी जिसकी सोच है वैसा उसका ढंग ॥ वैसा उसका ढंग चाल भी चलता वैसा । नही रहेगा हंस बनेगा बगुला... Quote Writer 1 411 Share Mahendra Narayan 26 May 2023 · 1 min read उनका तो दिन रात एक है टूटे उनचन सा उनका मन है, बैठे सोयें बात एक है। घुने खाट सा उनका तन है , उनका तो दिन रात एक है । करें खेत में करें सड़क... Poetry Writing Challenge 2 70 Share Mahendra Narayan 26 May 2023 · 1 min read मजलूमों की गालों पर न्याय पाँच जूतों से होता , इज्जत की चौपालों पर I लगता है सामंती थप्पड़ , मजलूमों की गालों पर I पाँव पखारे अब भी पीता , बैठे नहीं चबूतर... Poetry Writing Challenge 1 105 Share Mahendra Narayan 26 May 2023 · 1 min read हे पथिक ! पिक बोलती , दिक् खोलती , तू सो रहा अब जाग। हे पथिक! किस गहन गह्वर से है बाधित राग । गिर पड़ी वर्षा की बूँदें, तू पड़ा पर्यंक पर... Poetry Writing Challenge 1 124 Share Mahendra Narayan 26 May 2023 · 1 min read मेरे जैसा दिन भी टूटा मेरे जैसा दिन भी टूटा . I शाम हुई ज्यों धुँधली आशा I ढूँढ़ ढूँढ कर नव परिभाषा । स्वयं स्वयं के मन की कोई, आज धुँए में धँसी निराशा... Poetry Writing Challenge 1 55 Share Page 1 Next