Kokila Agarwal Tag: कविता 24 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kokila Agarwal 1 Nov 2018 · 1 min read मेरी माँ माँ के आँचल की छाँव घनेरी बनी रही वो हरदम प्रहरी भरी धूप में ठहरी ठहरी माँ की बातें प्यार भरी खिड़की दरवाजे और बिछौना मेरे घर का हर इक... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 22 791 Share Kokila Agarwal 9 Feb 2017 · 1 min read कफ़न मुस्कुरा जब जब बढ़ाया इक कदम तूफ़ान नज़रों में समाया दम- ब- दम घेरकर सारी दिशाओं से मुझे वक्त ने नज़रे चुराईं फिर दमन मेरा पिंजर आज भी चुपचाप है... Hindi · कविता 1 328 Share Kokila Agarwal 24 Jan 2017 · 1 min read मन कभी सोचो कि पल दो पल जियें खुद के लिये यारो कभी सोचो कि कोई हो जहाँ न हो कोई नज़र यारो कभी सोचो कि सोचो से भी मिल जाये... Hindi · कविता 2 600 Share Kokila Agarwal 23 Jan 2017 · 1 min read मैं हर लम्हा पुकारती हूं मैं.. हर लम्हा हारती हूं मैं.. समझ न आये मायने अब तक बस लम्हे संवारती हूं मैं... इक तमाशा बन गई ज़िंदगी बस जीकर गुज़ारती हूं... Hindi · कविता 1 343 Share Kokila Agarwal 16 Jan 2017 · 1 min read मैं गुज़रती हूं अंधेरो से लिये तक़दीर हाथों में बिखरती हूं सिमटती हूं लिये उम्मीद ख्वाबों में दोष किसका है किसके सर लगे बस वक्त ही जाने जीतकर धुंध से बाज़ी... Hindi · कविता 2 1 619 Share Kokila Agarwal 12 Jan 2017 · 1 min read काश मुझे भी बिटिया होती रचनाकार- Kokila Agarwal विधा- कविता काश मुझे भी बिटिया होती उसकी आंखो में खुद को जीती महकी मेरी बगिया होती मन की बाते मैं उससे करती छन से टूटा ख्वाब... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 1 663 Share Kokila Agarwal 9 Jan 2017 · 1 min read मन मन --- आंख खोल जब वो मुस्काया प्रथम परिचय बंदिश का पाया जैसे जैसे सम्भला जीवन खुद को तन पिंजरे में पाया देखा चारो ओर ही बंदिश समय चक्र बलशाली... Hindi · कविता 1 712 Share Kokila Agarwal 7 Jan 2017 · 1 min read काश मुझे भी बिटिया होती काश मुझे भी बिटिया होती उसकी आंखो में खुद को जीती महकी मेरी बगिया होती मन की बाते मैं उससे करती छन से टूटा ख्वाब मेरा ये तन मन भी... Hindi · कविता 2 473 Share Kokila Agarwal 1 Jan 2017 · 1 min read गया साल गया साल हर ले गया कुछ झूठी उम्मीदो की आस जीवन का रास छोड़ गया इक गहरा सागर शब्दों का शायद सुहास इक महारास एक समर्पण निर्मल अर्पण गहरे समंदर... Hindi · कविता 1 319 Share Kokila Agarwal 23 Dec 2016 · 1 min read ज़िंदगी यूं भी मिलेगी ज़िंदगी यूं भी मिलेगी ये कभी सोचा न था लम्हा लम्हा बिंध गया कतरा कतरा बिखर गया कशमकश में वक्त भी सहम सहम ठहर गया सिलवटों में अश्क अब सिमट... Hindi · कविता 1 309 Share Kokila Agarwal 19 Nov 2016 · 1 min read जीवन साथी छीना मेरे अधिकारो को बोलो तुमने क्या पाया साथी बन यूं साथ चले साया भी साथ न आया पलट गया समय आज अब हम से तू मैं हुये हैं भावों... Hindi · कविता 4 1 629 Share Kokila Agarwal 19 Nov 2016 · 1 min read अनकही छीन मेरे अधिकारो को बोलो तुमने क्या पाया साथी बन यूं साथ चले साया भी साथ न आया पलट गया समय आज अब हम से तू मैं हुये हैं भावों... Hindi · कविता 1 420 Share Kokila Agarwal 18 Nov 2016 · 1 min read बचपन मैं अक्सर सोचती हूं रात के गहरे अंधेरो में न जाने क्यूं वो बीते पल अभी भी मुझमें ज़िंदा हैं मुझे अक्सर ही लगता है शहर शमशान हो जैसे ये... Hindi · कविता 2 327 Share Kokila Agarwal 16 Nov 2016 · 1 min read स्तब्ध छवियां तो धूमिल हो जातीं हैं पर प्रेम समर्पण अब देखा अंतर्मन भी मौन हुआ उसका ये अर्पण देखा किंकर्त्तव्यविमूढ़ सी तकती आंखें ने ये कैसा मंज़र देखा मेरे जैसा... Hindi · कविता 1 287 Share Kokila Agarwal 14 Nov 2016 · 1 min read बाल दिवस पर चलो बचपन की यादों को खुदी से बांट लूं मैं आज पलको में सजे ख्वाबो में बाबा मैं भी हूं क्या आज तुम्हें क्या याद है अब भी मेरी पहली... Hindi · कविता 1 413 Share Kokila Agarwal 12 Nov 2016 · 1 min read अंतर्द्वंद किसी का किसी पर कैसा अधिकार मैं तू से या तू मैं से जीवन्त तो नहीं कैसे मुगालते पल रहे क्यूं हम खुद को ही छल रहे निकल नहीं पाते... Hindi · कविता 1 392 Share Kokila Agarwal 9 Nov 2016 · 1 min read पत्नियो के नाम आज की रचना पत्नियों के नाम-- तिनका तिनका जोड़कर पत्नी जी मुस्काती थीं जब भी मांगे वो उनको अंगूठा दिखलाती थीं रद्दी न हो जाये कहीं अनमोल खजाना ये अपना... Hindi · कविता 1 1 433 Share Kokila Agarwal 7 Nov 2016 · 1 min read कोहरा बहुत सोचा कि अश्को को भुला फिर मुस्कुराऊंगी कभी मुझसे कभी तुमसे गल्तियां हो ही जाती हैं न बिसरी धूप की रंगत तेरे सपने मेरे अपने न जाने कब ढली... Hindi · कविता 1 1 598 Share Kokila Agarwal 30 May 2016 · 1 min read सोच सोचती थी क्या तुम्हारी सुगंध को मेरी खुशबू रास आयेगी क्या वो उसमें समा पायेगी क्या अपने अस्तित्व को तुममें खो पायेगी हंस पड़े थे अधर नाबालिक सोच पर Hindi · कविता 1 689 Share Kokila Agarwal 30 May 2016 · 1 min read झूठ सच से क्या बोलता रहा झूठ सच से क्या बोलता रहा सच सच न रहा झूठ बन गया नफरतों की आंधियों में प्यार दुआ न हुआ टूटकर रह गया लम्हा जो मासूम था रो पड़ा... Hindi · कविता 1 565 Share Kokila Agarwal 28 May 2016 · 1 min read विलाप विलाप ये कैसा विलाप मद्धम स्वर की चीत्कारें अंतरिक्ष में खोई नज़र का रूदन अंतहीन एक औरत की मृत्यु का एक मां की मृत्यु का स्वयं पर करूणा का भयावह... Hindi · कविता 2 617 Share Kokila Agarwal 26 May 2016 · 1 min read सोच कभी कभी सोचती हूं भगवान सुनता है क्या बहुत ही छोटी होती है ये सोच सोच में बहे आंसू भी यूं ही कोई उंगली क्यूं थाम लेता है क्यूं संग... Hindi · कविता 1 506 Share Kokila Agarwal 25 May 2016 · 1 min read सोच गहराईयां कितनी समय की गर्भ में पर कुछ नहीं एक हलचल थी कहीं पर आज पर वो भी नहीं मैं कहां हूं खोज कैसी और नज़र में भी नहीं कट... Hindi · कविता 1 719 Share Kokila Agarwal 25 May 2016 · 1 min read सुप्रभात इतने बरस में हमने जाना हार जीत बेमानी है बस में अपने कुछ नहीं है समय रेत या पानी है Hindi · कविता 1 490 Share