मनोज कर्ण Tag: संस्कृति का अवमूल्यन 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid मनोज कर्ण 3 Feb 2025 · 2 min read ये भारत न रहा.. ये भारत न रहा.. वीणापुस्तकधारिणी श्वेतपद्मासना माता , निसर्ग नीर गालों पर नयनों से टपकता। कहती है पुत्र,ये तत्परता ये सजावट कैसी, जब श्रद्धाभाव नहीं हो, तेरे मन में बसता।... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · कविता · ये भारत न रहा · संस्कृति का अवमूल्यन 4 213 Share