KAPIL JAIN Language: Hindi 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid KAPIL JAIN 17 Jun 2020 · 1 min read #मेरे रास्तों पे कभी चलते नही बनता तुझ से मेरे रास्तों पे कभी चलते नही बनता तुझ से बस ये सोच के हमेशा दूर ही रहा तुझ से यूँ तो हर वक़्त गमो-खुशी से तेरे वाकिब था तेरी नजरों... Hindi · शेर 2 1 568 Share KAPIL JAIN 21 May 2020 · 1 min read अलग अलग गजलो के कुछ शेर खुद में ही सफर करता हूँ,तलाश खुद की करता हूँ जानें कहाँ गुमा हूँ में, खुद को ही नही मिलता हूँ.. मैं अपने ही घरौंदे मे कुछ इस तरह गुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 564 Share KAPIL JAIN 21 May 2020 · 1 min read #मुझको भी एक बात आज बतानी है तुमको मुझको भी एक बात आज बतानी है तुमको कुछ गजलें लिखी है वो सुनानी है तुमको रक्खो अगर संभाल के इन यादों को मेरी कुछ लम्हें और यादें ही मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 476 Share KAPIL JAIN 31 Mar 2020 · 1 min read अलग अलग गजलो के कुछ शेर बहुत समय के बाद खुशियों को संभालने का हुनर था नही हमे अच्छा हुआ की गम मेरे हिस्से में आ गये.. इतना भी नाराज़ तो नही था में खुद से जितना खुद को खुद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 325 Share KAPIL JAIN 5 Sep 2017 · 1 min read खुद की तलाश..... जो चाहा कभी वो हासिल हुआ ही नही इस सबब मैंने कुछ भी चाहा ही नही, रूदादे सफर अब लिखें भी तो क्या खुद की तलाश मुझ में कभी खत्म... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share KAPIL JAIN 5 Feb 2017 · 1 min read मुद्दतें लगी खुद को चलना सिखाने में, मुद्दतें लगी खुद को चलना सिखाने में चंद वक़्त लगा ठोकर को मुझे गिराने में । यूँ हीं नही नज़्म-ऐ-गम लिखी जाती , जागतें हैं शायर,दर्द को कागज़ों पे लाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 322 Share KAPIL JAIN 31 Jan 2017 · 1 min read कोई ख़ुशी मेरी देहलीज तक नही आती अब कोई ख़ुशी मेरी देहलीज तक नही आती बेमकसद चल रही हैं साँसे,क्यों थम नही जाती ज़िन्दगी का हस्र तो पता ही नही मौत माँगें हम तो मौत भी नही... Hindi · शेर 434 Share KAPIL JAIN 20 Dec 2016 · 1 min read ऐ मंज़िल अब तो आ... ऐ मंज़िल अब तो आ.. थक गए राह चलते चलते लड़खड़ाते हैं अब कदम, पैर हो गए है लहू लुहान । आँखों में भर आये आंसू, हकलाई हकलाई सी है... Hindi · कविता 1 411 Share KAPIL JAIN 15 Dec 2016 · 1 min read जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं..... जब जज़्बात दिलों मे दम तोड़ते हैं कहीं न कहीं तो असर छोड़ते हैं । जो है भीतर मुझ में,वो एक शख्स मुझी-सा ढूंढने को जिसे हम बाहर दौड़ते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 767 Share KAPIL JAIN 2 Dec 2016 · 1 min read ऐ वक़्त फिर लौट आओ तुम... हो जाओ खुद मुझ जैसा, या अपना-सा बनाओ तुम। मिटाओ अधूरी ज़िन्दगी को, या मुकम्मल कर जाओ तुम। मुश्किल है अकेले चलना, गिराओ या थोड़ा संभलाओ तुम। बन जाओ आदत... Hindi · कविता 407 Share KAPIL JAIN 30 Nov 2016 · 1 min read एक बार बता तो आखिर बात क्या है ? एक बार बता तो आखिर बात क्या है ? खफा होना तो हक़ है तेरा, मगर ये बेवजह बेरुखी कि बुनियाद क्या है ? एक बार बता तो आखिर बात... Hindi · कविता 469 Share KAPIL JAIN 27 Nov 2016 · 1 min read खामोश क्यूँ है तू,कुछ तो जवाब दे... मुद्दतों के इंतज़ार का,मुझे कुछ तो खिताब दे. खामोश क्यूँ है तू,कुछ तो जवाब दे । त्योहारों का क्या करूं?? गमोखुशी तो मेरी तुझसे है, ला आज मेरे हर दर्द... Hindi · कविता 467 Share KAPIL JAIN 25 Nov 2016 · 1 min read रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लायी. आज फिर तेरी याद आई-२ रोम रोम में बेचैनी और आँखों में आँसू लाई, आज फिर तेरी याद आई-२ !! देखता हूँ राह घर आँगन में, न जाने कब आओगी... Hindi · कविता 584 Share KAPIL JAIN 24 Nov 2016 · 1 min read याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर, याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर, रोतें हैं जाने के बाद तेरे,इतना मुझे हँसाया मत कर । तेरे होने से आसमान में उड़ती है उम्मीदें मेरी, होकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share KAPIL JAIN 14 Nov 2016 · 1 min read लिखदूं कुछ अलफ़ाज़ में यूँ जो पढे तू मेरी हो जाए । लिखदूं कुछ अलफ़ाज़ में यूँ जो पढे तू मेरी हो जाए । तनहा दुनिया से बेफिक्र हो रख काँधे सर तू सो जाए । लिखदूं कुछ अलफ़ाज़ में यूँ जो... Hindi · कविता 569 Share KAPIL JAIN 10 Nov 2016 · 1 min read में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ.. गुजरे लम्हों को भूलाने में लगा रेहता हूँ, में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ.. ख्वाहिशें है कई,अधूरी न रेह जाय कोई, करके ये ख्याल कमाने में लगा रहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 366 Share KAPIL JAIN 7 Nov 2016 · 1 min read जरुरी नही हर बात कहें,कुछ दर्द छुपे ही रहने दो... जरुरी नही हर बात कहें कुछ दर्द छुपे ही रहने दो लबो को न दो तकलीफ मेरे कुछ ख़ामोशी को कहने दो जरुरी नही हर बात कहें कुछ दर्द छुपे... Hindi · कविता 388 Share KAPIL JAIN 6 Nov 2016 · 1 min read कौन यहाँ दूध का धुला है बता दो । ताउमर गर साथ चलो रास्ते मुश्किलात भरे करो आज ही फैसला और मुझको बता दो । अपाहिज सी रेंगती है ज़िन्दगी बगैर तेरे जरा तुम हाथ लगवाओ, चला दो ।... Hindi · कविता 1k Share KAPIL JAIN 5 Nov 2016 · 1 min read अकेले बैठतें हैं अब,जब भी कभी, अकेले बैठतें हैं अब,जब भी कभी, कुछ गजलें उतार देते हैं कागजों पर। अनसुने हो गए जब दिल-ए-अरमान सभी, खामोशियाँ उतार देते हैं कागजो पर, अकेले बैठतें हैं अब,जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 726 Share