Guru Virk Tag: कविता 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Guru Virk 21 Feb 2023 · 1 min read हद से ज्यादा हद से ज्यादा अच्छा और बुरा हूँ, न जाने किस मिजाज का हूँ। हर पल हाजिर मुलाकात को हूँ, सिवाए जज़बात बयां किए तेरी महफिल में हूँ। बेरूखी है फिर... Hindi · कविता 122 Share Guru Virk 21 Feb 2023 · 1 min read मन को चैन कहां है। हर पल तेरा ख्याल है, परवाह तेरी बेहिसाब है। आए ना जबतक तूँ सामने, मन को चैन कहां है।। दिन का आगाज़, शाम की गहराई तेरे साथ है। दिल तेरा... Hindi · कविता 120 Share Guru Virk 8 Feb 2019 · 1 min read जिद़ जिद़ है कुछ कर दिखाने की, आसमान में सूरज सा चमकने की, राह भी है, चाह भी है, कमी है बस थोड़ी हिम्मत जुटाने की, मंजिल दिख रही है, कदमों... Hindi · कविता 2 412 Share Guru Virk 21 Jan 2019 · 1 min read औकात ना भूल जाऊं कहीं औकात ना भूल जाऊं कहीं, हर रोज आइने से नजरें मिला लेता हूं। दिल पत्थर ना हो जाए कहीं, कुछ लम्हों को याद कर रो लेता हूं। व्यस्तता भरे इस... Hindi · कविता 366 Share Guru Virk 6 Dec 2018 · 1 min read उम्मीद की किरण हर दिन एक नई उम्मीद की किरण है, हर रात के अंधेरे के बाद एक नया सवेरा है। हर कदम एक नई चुनौती है, जो संभल गया उसके जीवन में... Hindi · कविता 1 793 Share Guru Virk 3 Dec 2018 · 1 min read जिंदगी एक इंद्रधनुष जिंदगी एक इंद्रधनुष है कदम कदम पर हर रंग दिखाती है कभी दुःख तो कभी सुख हर पल में आजमा लेती है मुश्किल है या आसान रास्ते हर ढंग से... Hindi · कविता 1 571 Share Guru Virk 2 Dec 2018 · 1 min read नई किरण - नई चाह आज फिर नई चाह लिए घर से मैं निकला रहा हूँ, सोच ऊँची और नजर नीची कर चल रहां हूँ। सूरज की इसी उगती नई किरण से आशाएं कई रखता... Hindi · कविता 1 315 Share Guru Virk 30 Nov 2018 · 1 min read रिश्तों की अहमियत जिंदगी की इसी कसौटी में, हर रोज की भागदौड़ है, सबसे आगे निकलने की होड़ में, भूल गया है इंसान, रिश्तों की अहमियत क्या हैं, खुद को होश नहीं है,... Hindi · कविता 5 1 301 Share Guru Virk 29 Nov 2018 · 1 min read मेरा अकेलापन आज एक नए किरदार से पहचान हुई, मैंने पूछा तो पता चला वो था मेरा अकेलापन, सबकुछ तो मेरे पास, फिर क्यूं है ये अकेलापन, इच्छाएं बढ़ती जा रही हैं,... Hindi · कविता 1 610 Share Guru Virk 28 Nov 2018 · 1 min read एक नशा नशा चाहे किसी का भी है, अंत में सबक जरूर दे जाता है। किसी को अपने बनाने का नशा, किसी को निचा दिखाने का नशा, सिर्फ एक साफ आइना दिखा... Hindi · कविता 2 2 306 Share Guru Virk 28 Nov 2018 · 1 min read सपनों की दुनिया एक नयी दुनिया मैंने भी बसाई है जहां हार भी मेरी और जीत भी मेरी है जहां गलती भी मैं खुद करता हूँ जहां सज़ा भी खुद देता हूँ जहां... Hindi · कविता 3 3 281 Share Guru Virk 27 Nov 2018 · 1 min read ज़ीने की तमन्ना ज़िंदा तो है, फिर भी जीने की तमन्ना है हर रिश्ता पास है, फिर भी दिल रिश्तों की तलाश में भटकता है, हर ख़ुशी पास है फिर भी हर रोज़... Hindi · कविता 1 1 447 Share Guru Virk 27 Nov 2018 · 1 min read आहट एक हलकी सी आहट किसी की बदल देती है ज़िंगदी अगर न बदली तो उस आहट का फायदा क्या हुआ जब इंसान ही इंसान का न हुआ जब अपनों की... Hindi · कविता 1 267 Share Guru Virk 25 Nov 2018 · 1 min read काबलियत पहचान तुं खुद को, तेरी औकात है क्या, दिखा तुं जमाने को तेरी काबिलयत है क्या, जान ले तु कमी तुझमें है क्या, दूर उसे करना है कैसे, इसका उपचार... Hindi · कविता 4 3 272 Share Guru Virk 22 Nov 2018 · 1 min read जीवन न जाने किस कश्मकश मे जिए जा रहा हूँ, मिट्टी के इस बोझ को ढोए जा रहा हूँ। जिंदगी की इस भाग-दौड़ में जीने की नकल किए जा रहा हूँ,... Hindi · कविता 2 1 276 Share Guru Virk 20 Nov 2018 · 1 min read बचपन न जाने कहां चले गए वो दिन जब न उठने का न सोने का समय था, यूं हीं खेलते खेलते सो जाते थे, कभी मां की गोद में तो कभी... Hindi · कविता 5 3 376 Share Guru Virk 19 Nov 2018 · 1 min read छोटी-छोटी खुशियां छोटी-छोटी खुशियों की चाह लिए बैठा हूँ, खुशियों की किमत नहीं होती ये सुनता आ रहा हूँ, पर फिर भी उन्हीं की किमत चुकाने के लिए कमाता जा रहा हूँ... Hindi · कविता 3 633 Share Guru Virk 19 Nov 2018 · 1 min read माँ - जीवन का आधार एक महान मूरत है माँ, भगवान का जीवंत रूप है माँ, निराधार है ये मेरा जीवन अपने हाथों से तिनका तिनका पिरो कर आधार बनाती है माँ दुखों के अंधकार... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 29 994 Share Guru Virk 19 Nov 2018 · 1 min read मुस्कुराती ज़िंदगी बहुत प्यारी है ये ज़िंदगी, तू थोड़ा संभाल कर तो रख, मतलबी बहुत है ये दुनिया, अपनी खवाहिश बस खुद तक ही रख कोई नहीं है तेरा और कसी का... Hindi · कविता 2 357 Share