हिमकर श्याम Language: Hindi 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid हिमकर श्याम 14 Nov 2016 · 1 min read ट्रैफिक सिग्नलों पर बच्चे महानगर की चौड़ी चिकनी सड़़कों पर दौड़ती हैं दिन-रात अनगिनत गाड़ियां सुस्ताती हैं थोड़ी देर के लिए ट्रैफिक सिग्नलों पर जलती हैं जब लाल बत्तियां सड़क के किनारे खड़े बच्चे बेसब्री से करते... Hindi · कविता 1 2 296 Share हिमकर श्याम 30 Oct 2016 · 1 min read निष्ठुर तम हम दूर भगाएँ मानव-मानव का भेद मिटाएँ दिल से दिल के दीप जलाएँ आँसू की यह लड़ियाँ टूटे खुशियों की फुलझड़ियाँ छूटे शोषण, पीड़ा, शोक भुलाएँ दिल से दिल के दीप जलाएँ कितने... Hindi · गीत 1 598 Share हिमकर श्याम 29 Oct 2016 · 1 min read जगमग हो परिवेश चकाचौंध में खो गयी, घनी अमावस रात। दीप तले छुप कर करे, अँधियारा आघात।। दीपों का त्यौहार यह, लाए शुभ सन्देश। कटे तिमिर का जाल अब, जगमग हो परिवेश।। ज्योति... Hindi · दोहा 413 Share हिमकर श्याम 28 Oct 2016 · 1 min read मिटे भेद विकराल सज धज कर तैयार है, धनतेरस बाजार। महँगाई को भूल कर, उमड़े खरीददार।। सुख, समृद्धि, सेहत मिले, बढ़े खूब व्यापार। घर, आँगन रौशन रहे, दूर रहे अँधियार।। कोई मालामाल है,... Hindi · दोहा 587 Share हिमकर श्याम 26 Oct 2016 · 1 min read माटी का दीपक बने, दीप पर्व की शान चाक घुमा कर हाथ से, गढ़े रूप आकार। समय चक्र ऐसा घुमा, हुआ बहुत लाचार।। चीनी झालर से हुआ, चौपट कारोबार। मिट्टी के दीये लिए, बैठा रहा कुम्हार।। माटी को... Hindi · दोहा 1 827 Share हिमकर श्याम 15 Oct 2016 · 1 min read नेह लुटाती चाँदनी शीतल, उज्जवल रश्मियाँ, बरसे अमृत धार। नेह लुटाती चाँदनी, कर सोलह श्रृंगार।। शरद पूर्णिमा रात में, खिले कुमुदनी फूल। रास रचाए मोहना, कालिंदी के कूल।। सोलह कला मयंक की, आश्विन... Hindi · दोहा 783 Share हिमकर श्याम 10 Oct 2016 · 1 min read विजय पर्व पर कीजिए, पापों का संहार जगत जननी जगदम्बिका, सर्वशक्ति स्वरूप। दयामयी दुःखनाशिनी, नव दुर्गा नौ रूप।। शक्ति पर्व नवरात्र में, शुभता का संचार। भक्तिपूर्ण माहौल से, होते शुद्ध विचार ।। जयकारे से गूंजता, देवी का... Hindi · दोहा 1 2 320 Share हिमकर श्याम 3 Oct 2016 · 1 min read अहसास न होते तो, सोचा है कि क्या होता अहसास न होते तो, सोचा है कि क्या होता ये अश्क़ नहीं होते, कुछ भी न मज़ा होता तक़रार भला क्यूँकर, सब लोग यहाँ अपने साजिश में जो फँस जाते,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 485 Share हिमकर श्याम 14 Sep 2016 · 1 min read हिंदी अपनी शान हो आज़ादी बेशक़ मिली, मन से रहे गुलाम। राष्ट्रभाषा पिछड़ गयी, मिला न उचित मुक़ाम।। सरकारें चलती रहीं, मैकाले की चाल। हिंदी अपने देश में, उपेक्षित बदहाल।। निज भाषा को छोड़कर,... Hindi · दोहा 2 549 Share हिमकर श्याम 6 Sep 2016 · 1 min read मायावी जाल हजारों मृगतृष्णा का जाल बिछा है हमारे आसपास न चाहते हुए हम फंस जाते हैं इस मायावी जाल में बच नहीं पाते हैं मोह जाल से भागते रहते हैं ताउम्र... Hindi · कविता 2 827 Share हिमकर श्याम 15 Aug 2016 · 1 min read ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है दिल में हिंदुस्तान है, सांसों में हिंदुस्तान है ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है नाज़ हमको है बहुत गंगो जमन तहज़ीब पर अम्न का पैगाम अपनी खूबियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 598 Share हिमकर श्याम 14 Aug 2016 · 1 min read क्या जश्ने आज़ादी तड़प रही आबादी क्या जश्ने आज़ादी जन-गण में लाचारी भूख और बेकारी हर आँखें फरियादी क्या जश्ने आज़ादी दर्द और तक़लीफ़ें टूट रही उम्मीदें मुश्किलें बेमियादी क्या जश्ने आज़ादी ना... Hindi · कविता 4 755 Share हिमकर श्याम 17 Jul 2016 · 1 min read क्या बतायें तमाशा हुआ क्या क्या बतायें तमाशा हुआ क्या देखिये और होता है क्या-क्या क्या अना, क्या वफ़ा, है हया क्या इस अहद में भला क्या, बुरा क्या बेनिशां हैं अभी मंजिलें सब हर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 18 578 Share हिमकर श्याम 13 Jul 2016 · 1 min read कोई जादू लगे है ख़यालात भी खूब होती शरारत मेरे साथ भी सब्र को अब मिले कोई सौगात भी रंजिशे और नफरत भुला कर सभी हो कभी दिल से दिल की मुलाक़ात भी है बला की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 393 Share हिमकर श्याम 8 Jul 2016 · 1 min read खानाबदोशी का रंग दिन रात है भागदौड़ व्यर्थ में मची है होड़ यथार्थ और भ्रम का यह कैसा निरर्थक नृत्य न खुशी है, न उमंग। न हैं पवित्र मान्यताएँ न निश्छल भावनाएँ न... Hindi · कविता 10 564 Share हिमकर श्याम 4 Jul 2016 · 1 min read ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर मुश्किलों को हौसलों से पार कर ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर सामने होती मसाइल इक नयी बैठ मत जा गर्दिशों से हार कर बात दिल में जो दबी कह दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 8 628 Share हिमकर श्याम 1 Jul 2016 · 1 min read उमड़ घुमड़ घन बदरा आये उमड़ घुमड़ घन बदरा आये। नयनों में बन कजरा छाये।। खेतों में, खलिहानों में धरती की मुस्कानों में मन की गांठें खोल-खोल कर प्रेम सुधा सब पर बरसाये। उमड़ घुमड़... Hindi · गीत 10 872 Share