दीपक चौबे 'अंजान' Tag: मुक्तक 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read चलो बुनियाद हम रख दें चलो बुनियाद हम रख दें अभी दिल के उसूलों की । करें न बात अब गुजरे हुए सावन के झूलों की । जड़ों को भूलकर पत्ते जुटाने में लगे बच्चे,... Hindi · मुक्तक 521 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read भारत के लाल बचाना है इन शतरंजी घोड़ों से अब, अपनी चाल बचाना है, संप्रदाय के ज़हरीले भालों से भाल बचाना है । देखो झुलस न जाए तुलसी, पश्चिम के तूफानों में, रिपु के नापाक... Hindi · मुक्तक 298 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यही बस कामना मेरी करें पूजा सदा तेरी, चरणरत भावना मेरी । सज़े हर छंद भावों से, रहे निष्वासना मेरी । मिटें सब बैर अब दिल के, रहें आपस में' हिल-मिल के । अलंकृत... Hindi · मुक्तक 238 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read धूल से शृंगार कर लो आज पैसों के बिना ही प्रीत का व्यापार कर लो, शबनमीं इन तितलियों को फूल से अंगार कर लो । रौंद डालीं जो तुम्हीं ने पग तले कर धूल डालीं,... Hindi · मुक्तक 442 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मिलन की शाम आयी है । बड़ी रौनक सज़ायी है, मिलन की शाम आयी है । सुबह से आस सविता ने, घड़ी हर पल जगायी है । यही इक पल बिताने को, मिलें जब यार दीवाने... Hindi · मुक्तक 384 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी जो पी नहीं होती वफ़ा की ज़ुस्तज़ू हमने जो उनसे की नहीं होती, जो थी उम्मीद छोटी सी, वो यूँ ही जी नहीं होती । हमें मालूम था दौलत में सब कुछ आज बिकता... Hindi · मुक्तक 215 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मेरी ज़िन्दगी मेरी ज़िन्दगी मुझसे ऐसे ख़फ़ा है, करूँ मैं वफ़ा पर वहाँ पर ज़फ़ा है । कहें वो ही मुझसे ख़ता क्या हुई जो, दिखती मासूम सी पर बड़ी बेवफ़ा है... Hindi · मुक्तक 384 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जज़्बात समझ लेते, क़ाश कि तुम मिरे जज़्बात समझ लेते, रूठने से पहले मिरे हालात समझ लेते । इतने दिवाने न थे मुहब्बत से पहले हम, लवों पे रुके हुए मिरे ख़्यालात समझ... Hindi · मुक्तक 353 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read सदा वंदन किया करना । झुकाकर शीश चरणों में, सदा वंदन किया करना । दया करती सभी पर माँ, कभी चिंतन किया करना । लुटातीं नेह की दौलत, सजल ममता भरी आँखें, सज़ाकर भाव की... Hindi · मुक्तक 358 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रखे गिरवी हैं' आभूषण, रखे गिरवी हैं' आभूषण, छपाई भी अधूरी है, अभी बच्चों की' भी देखो, पढ़ाई भी अधूरी है । अभावों से भरा जीवन, हुआ है काल भी निष्ठुर, उमंगें हो गईं... Hindi · मुक्तक 1 2 445 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नहाकर ओस में सिमटी नहाकर ओस में सिमटी, मुझे कर याद शरमाई, चुनर झीनी कुहासे की, निखर कुछ धूप से आई । सुनहरे केश प्रियतम के, अधर लाली दिवाकर की । सुबह अभिसार के... Hindi · मुक्तक 181 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read पीड़ा का गायक हूँ, मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ, रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ । तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का, मन रंजन को देने... Hindi · मुक्तक 545 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read किरण महबूब सी आयी बदलती कुछ फ़िज़ां ऐसी,सुहानी भोर लगती है । चमन की हर कली देखो,सँवरती आज लगती है । उतरती पाँव ज़मीं पर रख,किरण महबूब सी आयी । समा 'अंजान' बाँहों में,बिखरती... Hindi · मुक्तक 359 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, ग़रीबी के अमीरी के । मुझे मालूम है कटते, नहीं दिन अब फ़कीरी के । करूँ क्या पर बताओ तो, तमन्ना क्यों अधूरी है ?... Hindi · मुक्तक 582 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हो गयी हद मौन की हो गयी हद मौन की सब ग्रंथियों को खोल दो, रक्त-स्याही को बना अब लेखनी को बोल दो । छंद गढ़ते हो बहुत ग़र वेदना के घाव के, आ गया... Hindi · मुक्तक 429 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read साँस चलती रहे साथ तुम जो रहो आस पलती रहे, हाथ दिल पर रखो साँस चलती रहे । छोड़ देना नहीं तुम कभी राह में, दूर से ही सही चाह फलती रहे ।... Hindi · मुक्तक 451 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read प्यार से बोल दो आज दिल के सभी द्वार तुम खोल दो, बोल मीठे कभी प्यार से बोल दो । रूठने से नहीं काम बनते सनम, रंग उल्फ़त अभी संग तुम घोल दो ।... Hindi · मुक्तक 374 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read अकेला ही मुसाफ़िर हूँ । फिसलते संगमरमर पर सभी के पैर देखे हैं, उमर छोटी सी है लेकिन अपने-ग़ैर देखे हैं । मैं इक उजड़े हुए दिल का अकेला ही मुसाफ़िर हूँ । दिलों में... Hindi · मुक्तक 294 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जियें कैसे कहो खिल के सज़ी महफ़िल मज़े लूटे,सभी ने यार हैं मिलके । हमीं निकले अभागे बस, कहें क्या हाल अब दिल के । शराफ़त पाँव की बेड़ी, उसूलों ने हमें रोका । तरसते... Hindi · मुक्तक 228 Share