दीपक चौबे 'अंजान' Tag: कुण्डलिया 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read लगे चिमाने काग अब, लगे चिमाने काग अब, सुन कोयल के गीत । भारी है ऋतुराज की, सब ऋतुओं पर जीत ।। सब ऋतुओ पर जीत, प्रीत की तान निराली । रँग फागुनिया डाल,... Hindi · कुण्डलिया 317 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जूड़ौ-जूड़ौ सब लगे जूड़ौ-जूड़ौ सब लगे, चित्त ठिकानों नायँ । घूँट एक पानी पियें, लगैं दाँत ठन्नायँ ।। लगैं दाँत ठन्नायँ, सपरवै जी नैं होवै । घर कै सब खिसयात, घमौंरी टैम न... Hindi · कुण्डलिया 271 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यही आपका प्यार आता-जाता है बहुत, तुमको मेरे यार । यही बड़प्पन आपका, यही आपका प्यार ।। यही आपका प्यार, आपका बनता संबल । मन जब खिले बहार, जीतता है फिर निर्बल ।।... Hindi · कुण्डलिया 233 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read भावों की सरिता बही, भावों की सरिता बही, भीगे आज कपोल । सिसकारी सब बोलती, नयना अधर न खोल ।। नयना अधर न खोल, घोल रही रंग विरह के । अँसुअन हैं अनमोल, जिए... Hindi · कुण्डलिया 467 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 195 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read बनेगा जीवन सुंदर सुंदर दोहे मित्रवर, लिखते रहिए आप । बाण बनाओ लेखनी, अरु क़ागज़ को चाप ।। अरु क़ागज़ को चाप, जाप उर होय निरंतर । शब्दों से रच देव, नया फिर... Hindi · कुण्डलिया 533 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ममता करुणा नयन में, ममता करुणा नयन में, उर में दया समाय । जननी तो पल में हरै, जो जीवन दुख आय ।। जो जीवन दुख आय, गाय लोरी लै अंकन । शिशु वत्सल... Hindi · कुण्डलिया 473 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read गोवर्धन कैसे करें गोवर्धन कैसे करें, गोबरधन के राज । ढपली शिव की बाजती, अरु बेढंगे साज़ ।। अरु बेढंगे साज़, काज सब पड़े अधूरे । कंसन के सिर ताज़, स्वप्न कब होंगे... Hindi · कुण्डलिया 405 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read राहू निगले सोम को राहू निगले सोम को, केतू आँख दिखाय । हालत अपनी इस तरह, रोज़ गहन लग जाय ।। रोज़ गहन लग जाय, हाय मन बेबस चंदा । अब तौ कछू न... Hindi · कुण्डलिया 244 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हाला हम निशदिन पियें हाला हम निशदिन पियें, मथ स्वप्नों को मीत । देव पराजित हो चले, गये निशाचर जीत ।। गये निशाचर जीत, हुआ पापी का शासन । हाय सिसकती प्रीत, सभा में... Hindi · कुण्डलिया 187 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read अनुभव वय सै आय । ज्ञानी की होती नहीं, अनुभव वय सै आय । खेल-खेल में सीख लें, घटी न व्यर्थ गँवाय ।। घटी न व्यर्थ गँवाय, समय की क़ीमत जानौ । संवत नया बुलाय,... Hindi · कुण्डलिया 395 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चौबे जी घर सोहरे चौबे जी घर सोहरे, ठुमक पड़ोसन गाय । टेर बुलौआ शाम सै, देत खबासन आय ।। देत खबासन आय, आँगना बजै ढुलकिया । मन फिरकैंया लेय, नचै फिर टेकत लठिया... Hindi · कुण्डलिया 192 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 337 Share