Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक Tag: शेर 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 6 Jul 2021 · 1 min read 🚩फूलों की वर्षा 💚 दिल बना मजबूत लोहा,ठोकरें खाकर जनाब। अब घनों के वार भी फूलों की वर्षा से लगें। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, पं बृजेश कुमार नायक 🥎 उक्त पंक्तियों को मेरी कृति/काव्यसंग्रह "पं बृजेश... Hindi · शेर 4 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 5 Jun 2017 · 1 min read पर्यावरण बचा लो,कर लो बृक्षों की निगरानी अब पर्यावरण बचा लो, कर लो बृक्षों की निगरानी अब | प्रकृति-प्रेम बिन गर्म हवाएं ,बन गईं रेगिस्तानी अब | हाल यही यदि रहा,रोएगा निश्चय मानव पानी बिन | सघन शाप... Hindi · शेर 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 6 Apr 2017 · 1 min read हिंद मैला ढो रहा है, नशा की जम्हाई है/कह रही हैं नशा कर लो दूर होंगीं व्याधियाँ/ स्वयं निज की पीर भूले, नशा- हिंदुस्तान बन जनम भू पर आज क्यों, तम-अमावस्या छाई है| हिंद मैला ढो रहा है, नशा की जम्हाई है || आदमी नंगा खड़ा या अशिक्षा की आँधिंयाँ | कह रहीं हैं, नशा... Hindi · शेर 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 7 Mar 2017 · 1 min read जब काल आया सामने, तब समझा,सब अज्ञान था| संसार में भटके बहुत,आनंदधन नाहीं मिला | आया बुढ़ापा, ढल चला, मजबूत काया का किला| रोते हो क्यों, पहले जगत् -मन ,ज्यादा शैतान था? जब काल आया सामने, तब समझा,... Hindi · शेर 503 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 26 Feb 2017 · 1 min read प्रीतिमय अंकुर न फूटा ,कहें कैसे प्रात है/ स्वयं को पहचान लो, तब दिव्यता अनुराग है भाव तज, वह ज्ञान कौआ बन गए,क्या बात है ? प्रीतिमय अंकुर न फूटा, कहें कैसे प्रात है| वहाँ रोता है सुजन भी, जहाँ भ्रम की आग है | स्वयं... Hindi · शेर 403 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 26 Feb 2017 · 1 min read हिंद का दिल रो रहा है, हँस रहे हम शूर बन/ हिंद कब तक ढोएगा दुख-बेबसी की गर्द को बालश्रम करते दिखे हैं, कई तन मजबूर बन| हिंद का दिल रो रहा है, हँस रहे हम शूर बन| नग्न-भूखी बाल काया ,कह रही है दर्द को| हिंद कब तक... Hindi · शेर 1 562 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 25 Feb 2017 · 1 min read गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही। कहूंँ कैसे हिंद चोटी गगनचुंबी दिख रही। देखकर दिल्ली न बोलो विश्व का हम मान हैं। निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान... Hindi · शेर 1 806 Share