Alok Saxena Tag: ग़ज़ल/गीतिका 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Alok Saxena 28 Apr 2022 · 1 min read नूर बिजली सी गिराई क्यूँ तुमने इन शोख नज़र से इशारों की , कभी नज़र न लग जाए यूँ ही इस ज़मीं को चाँद सितारों की, कहीं बहक न जाऊं मस्ती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 427 Share Alok Saxena 12 Mar 2022 · 1 min read अँखियों के झरोखे से मन का गुलशन महक उठा हवाओं के झोंके से , मुस्करा के जो देखा तुमने अँखियों के झरोखे से l इक ख़्वाब सा झूम उठा मौसम के तराने पर ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 947 Share Alok Saxena 1 Mar 2022 · 1 min read कली गुलाब की “ हसरत- ए - दीदार लेकर जाग उठी रात भी चादर- ए-शबनम में लिपटी एक कली गुलाब की “ “ सावन की घटाओं में थिरकती बूंदें पानी की तेरी ज़ुल्फ़ों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 193 Share Alok Saxena 15 Feb 2022 · 1 min read गुस्ताख़ निग़ाह सर्द हवा के झोंके सा एहसास तेरा, मेरे वज़ूद का इक हिस्सा न बन जाए कहीं . तेरी गुस्ताख़ निग़ाहों ने ढाए जो सितम , लव खुले तो आंसू न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 248 Share Alok Saxena 11 Feb 2022 · 1 min read हम तुम ख्वाबों की हंसीं वादी में , तेरी यादों के साए है शोख़ लवों की मुस्कानो ने , सुर्ख़ से गुलाब महकाए है हम तुम दोनों भूल गए की , अक्सर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 400 Share Alok Saxena 1 Feb 2022 · 1 min read ख़्वाबों की अर्थी “ किसी के ख़्वाबों की अर्थी से मांग सजा के अपनी , लाल चुनरिया ओढ़ के चल दी साथ किसी के सजनी “ “ बहक उठेंगी सांसें तेरी मेरे अश्क़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 263 Share Alok Saxena 28 Jan 2022 · 1 min read गिला (GILA) “ याद आया मुझको एक बार फिर ख़ौफ़ में डूबे दिनों का सिलसिला , उजाले और अन्धेरों में बंटी ज़िंदगी को रहा मुझसे गिला , कब्र में दफना दिया ज़ज़्बात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 346 Share Alok Saxena 21 Jan 2022 · 1 min read मज़ारें इक बार और सही ज़ख़्म को छेड़ो अपने , दाद देने के अंदाज़ निराले है I ग़म के साए अपने तन्हा रातें अपनी , महफ़िल फिर यादों की तेरे हवाले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share Alok Saxena 20 Jan 2022 · 1 min read वेदना दृश्य बनते है बिगड़ते है , रंग सजते है बिखरते है I वेदना आंख में सिमटती जब अश्रु मन की सतह को रंगते है I Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 273 Share Alok Saxena 20 Jan 2022 · 1 min read तेवर फूल बनकर अपनी ही खुशबू लुटा देती है जो , बैठे - बैठे अक्सर ही मुस्करा देती है जो I यूँ तो है कठिन बहुत उसको समझ पाना मेरा ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 210 Share Alok Saxena 11 Jan 2022 · 1 min read मेरी शाम “ शुक्रिया, नाम लव पे कोई तो आया बेरुखी से चाहें पुकारा मुझे , खुशनसीबी मेरी , लव से निकला तेरे वो बेगाना नहीं , मेरा नाम है I “... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 342 Share