Sandeep Albela Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Albela 18 Aug 2023 · 1 min read Open mic Gorakhpur फैन बोले तो और अमृत लेखन आपके लिए आपके शहर गोरखपुर में लाएं UnmuteX Open Mic जहां है आपके लिए Singing /Comedy/Mimicry Poetry/Story telling/ And lots of fun Masti तो... Hindi · Gorakhpur · Sandeep_albela · Saurabh Pandy · ओपनमाइक · कविता 247 Share Sandeep Albela 25 Feb 2023 · 3 min read जायका चाय का मैं ज्यादा चाय नहीं पीता और अब तो छोड़ दिया है मुझे याद नहीं है कि पिछली बार मैंने कब चाय पी थी पर मैं समझता हूं कि आप पीते... Hindi · Chay · Sandeep_albela · SandeepKumar · Tea · कविता 264 Share Sandeep Albela 5 Jan 2023 · 1 min read रविश कुमार हूँ मैं बिना चिल्लम-चिल्ली वाला समाचार हूं मैं नमस्कार प्राइम टाइम पर रवीश कुमार हूं मैं, अंधी - बहरी सियासत के कानों पर लोकतंत्र की पुकार हूं मैं, रवीश कुमार हूँ मैं,... Hindi · Political News · कविता 1 243 Share Sandeep Albela 10 Aug 2022 · 2 min read उसकी बातें ओ प्यारी सी शैतान लड़की उठ जा अब तक सोई है तुम्हें पता भी है तुमने क्या किया मिस कर दिया तुमने सारी रात बातें की है जैसे कोई बच्चा.... Hindi · Sandeep_albela · कविता 2 254 Share Sandeep Albela 17 Aug 2021 · 1 min read अगर तेरी तस्वीर बोलती कितनी बातें बनाती कितने राज खोलती अगर तेरी तस्वीर तुझसे बोलती.. तुमसे कितनी बातें करता हूं तेरे चेहरे पर कितना मरता हूं तुझे याद में कितना करता हूं राज सारे... Hindi · कविता 2 471 Share Sandeep Albela 12 Aug 2021 · 1 min read तेरा दुपट्टा आज कमरा एक भीनी खुशबू से भरा था पर खबर नहीं थी कि हवा में क्या घुला था मैंने मेज की दराज टटोली फिर अंदर की कुछ किताबें खोली मैं... Hindi · कविता 3 2 353 Share Sandeep Albela 24 Jul 2021 · 1 min read चुटकी में चाँद मुझे आज भी याद है बचपन के वो दिन दादी-नानी की कहानीओं में चाँद, तारों व जादुई लोक की दुनिया किस तरह से जी उठती थी कभी-कभी तो दिल करता... Hindi · कविता 269 Share Sandeep Albela 23 Jul 2021 · 1 min read बिन बच्चों के स्कूल बिना बच्चों का स्कूल जैसे बिन बगिया का फूल चारों तरफ अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है मुझे खेलने वाले कहां गए हर एक खिलौना कहता है स्कूल की घण्टी,... Hindi · कविता 1 429 Share Sandeep Albela 22 Jul 2021 · 1 min read घर में रहिए, सतर्क रहिए गुजरा वक्त खुद को दुहरा रहा है मंजर कुछ धुंधला नज़र आ रहा है ऐहतियात बरतिए कि जितना हो सके की हर जानिब एक स्याह धुन्ध से अटी पड़ी है... Hindi · कविता 1 265 Share