Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2021 · 1 min read

बिन बच्चों के स्कूल

बिना बच्चों का स्कूल
जैसे बिन बगिया का फूल
चारों तरफ अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता है
मुझे खेलने वाले कहां गए हर एक खिलौना कहता है
स्कूल की घण्टी, बच्चों की राहें तकती रहती है
कब गाऊँगी मैं गीत मेरा रोज ही पूछा करती है
श्यापट्ट और चाॅक पड़े पड़े सब उब गये
डेस्क और बेंच खड़े खड़े कुछ रूठ गये
किताब की वो बच्ची मुझसे पूछा करती है
कब आएगें मेरे दोस्त रस्ता देखा करती है
क्लासरूम की गलियां विरान सी लगती है
न कदमों की आहट न ही कोई शोर
कितनी सुनसान लगती है
या खुदा कब गुजरेगा वबा का दौर,
कब फिजा गुलजार होगी,,
कब दिखेंगे इस आंगन के फूल,
यह बगिया सदाबहार होगी,,

Language: Hindi
1 Like · 428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कोई मुरव्वत नहीं
कोई मुरव्वत नहीं
Mamta Singh Devaa
आयी प्यारी तीज है,झूलें मिलकर साथ
आयी प्यारी तीज है,झूलें मिलकर साथ
Dr Archana Gupta
ज़िंदगी को इस तरह
ज़िंदगी को इस तरह
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षक
शिक्षक
Mukesh Kumar Sonkar
ख्वाइश है …पार्ट -१
ख्वाइश है …पार्ट -१
Vivek Mishra
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
Neelam Sharma
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
तू मेरी हीर बन गई होती - संदीप ठाकुर
तू मेरी हीर बन गई होती - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
2713.*पूर्णिका*
2713.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#दुःखद_दिन-
#दुःखद_दिन-
*Author प्रणय प्रभात*
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
फागुन में.....
फागुन में.....
Awadhesh Kumar Singh
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
न मुमकिन है ख़ुद का घरौंदा मिटाना
शिल्पी सिंह बघेल
ज्ञानमय
ज्ञानमय
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
gurudeenverma198
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे
Shivkumar Bilagrami
"अपेक्षा"
Yogendra Chaturwedi
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मौनता  विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
मौनता विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
DrLakshman Jha Parimal
" शिक्षक "
Pushpraj Anant
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
VINOD CHAUHAN
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
Dr. Seema Varma
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
जवानी
जवानी
Pratibha Pandey
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
Shweta Soni
एकता
एकता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाय गरीबी जुल्म न कर
हाय गरीबी जुल्म न कर
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...