Rishikant Rao Shikhare 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read घर आ जाना। गजल 221 1222 221 1222 जब दर्द सताये तुम्हें तो घर आ जाना। आवाज लगाये तुम्हें तो घर आ जाना। आबाद रहेगा तुम्हारा इतिबार सदा, जो शहर न भाये तुम्हें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 506 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read तन है सबका मिट्टी तन है सबका मिट्टी। सृष्टि के निर्माण से खेल रहा आदमी। अब कहां पाएगा हरा मैदान आदमी। धूप ही धूप मिलेगी हर जगह, छाँव कहाँ? कच्ची कलियाँ नोचकर बना हैवान... Hindi · कविता 218 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read नज्म जाज़िब तर्जुमान। पहली गली में आखरी मकान किसका है? खुशबूदार हवाओं में फरमान किसका है? बे-अन्दाज़ा लुभाती है मोतीचूर के लड्डू, बे-नज़ीर आखिर ये दुकान किसका है? शामें श्रृंगार की... Hindi · कविता 429 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read चौकीदार गम़्माज़ चौकीदार। खिल-खिलाती जिंदगानी लिखूं। बहते हुए दरिया का पानी लिखूं। एहतियातन याद न रखूं एहसासअपने, एहतियाज होतो पूरी मुंहजबानी लिखूं। मोहब्बती ताजसजा अब्र केफलक पर, अहलियाके आंखोंकी निगहबानी लिखूं।... Hindi · कविता 462 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read एक लब्ज 'मां' एक लब्ज 'माँ' जब भी "मां" मुझे बुलाती है, फिजायें दौड़ी चली आती है। नर्म शाखों की शबनमी बूँद छू लूँ, माँ उंगली पकड़ चलना सिखाती है। आज भी लगाकर... Hindi · मुक्तक 349 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read भोर भोर (कविता) भोर कितनी प्यासी है, जो हर सुबह मिलने के लिए बेचैन सी आ जाती है। साथ ही साथ मे लाती है, आलसपन को दूर करने का लेप। शाख... Hindi · कविता 467 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read शादी का माहौल रुनझुन की शादी । कुछ ऐसी मेरी शादी थी। जब व्याह हमारा तय हुआ, पास में बिल्कुल जाना था। आंखों के सामने व्याह चाहती थी, बस वो एक ही मेरी... Hindi · कविता 512 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read ग़जल ताजा गजल 212 212 212 212 चल रही हैं हवा आपके शहर में, उठ रहा है धुँआ आपके शहर में। छू गई है हया शबनमी बूंद को, गिर रही है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 384 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read रूमानी ग़जल रूमानी ग़ज़ल 212 212 212 212 हर तरफ हर जगह आप ही आप हैं। दूर भी आप हैं, पास भी आप हैं। झल-झलाती हुई शर्म खाती हुई, मरमरी सा बदन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 222 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read आईना देखूं। तुमको देखूं तो मैं आईना देखूं, चेहरा आँखों मे मैं अपना देखूं। सारी खुशियाँ तुम्हारे कब्जे में, हर घड़ी चेहरा मैं हस्ता देखूं। आसमां हो कि धरती हो तुम, जब... Hindi · गीत 512 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read ग़जल ग़ज़ल फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन आइना क्या देखकर शरमा रहा है। यूँ मिली जब आंख तो घबरा रहा है। बंद पलकों से कहो ना दर्द कुछ भी, दिल अभी नादान हँसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 184 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read हाइकु जीवन में पहली बार हाइकु लिख रहा हूं। 1. बारिश आई मौसम है सुहाना बच्चे खेलेंगे। 2. हर तरफ मेंढक की आवाज सुनाई देंगे। 3. हवा चली है धरती की... Hindi · हाइकु 306 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read गीत हिन्दी गीत आज की शाम कुछ ऐसा करदूं, कि मैं सबको याद आऊं। बीती बातें भूल गये जो, मैं फिर सबको याद दिलाऊं। वो क्यों जा रहा मेरी महफिल से,... Hindi · गीत 235 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read हाइकु हाइकु गीत सांवरियाँ रे! ओ मेरे सांवरियाँ! सांवरियाँ रे! सवारियाँ रे! नैना हैं कजरारे, देखूं भरके। जागी है रात, मिलन की है प्यास, आऊं मिलने। दिल ये मेरा, धकधक धड़के,... Hindi · हाइकु 243 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read ग़जल ग़जल 212 212 212 12 आज की शाम वो क्यों मिला नही। है मुझे कोई शिकवा गिला नही। आह कैसे भरूँ देख के उसे, जो कभी साथ मे ही रहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 213 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read ग़जल ग़जल फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन आप हमसे यूँ अदावत अब न करना। रूठना लेकिन बगावत अब न करना। दोस्त मिलते हैं बड़े ही मुश्किलों से, दोस्त बनकर तुम सियासत अब न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 190 Share Rishikant Rao Shikhare 5 Aug 2019 · 1 min read ग़जल विषय- मित्र/दोस्त विधा- ग़जल (शिकवा नहीं किसी से किसी से गिला नही) मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन कुछ धूप सा खिलो तुम मौसम बहार में। यूँ दोस्त सा मिलो तुम मौसम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share Rishikant Rao Shikhare 21 Jul 2019 · 1 min read ग़ज़ल (जन्मदिन स्पेशल) कोई है होठों तक, बे-पर्दों में आया। रातें भी पहचानें, जो ख्वाबों में आया। बेला सा महके हैं, सारा तन-मन उसका, धीरे-धीरे चुपके, जो साँसों में आया। यादें आती हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 205 Share Rishikant Rao Shikhare 13 May 2019 · 1 min read महकती गजल / गीत रात के दहलीज पर इंतजार किसका है, सच-सच बता तुम्हारे दिल मे प्यार किसका है। आज बदली – बदली सी लागे तू, खिली गुलाब पंखुड़ी लागे तू, झुमका, बिदियाँ, काजल,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 493 Share Rishikant Rao Shikhare 12 May 2019 · 1 min read शाम-ए-गजल शाम-ए-गजल रात के ख्वाब में करूँ बसर तन्हा, अब मैं जाऊँ तो जाऊँ किधर तन्हा । छोटी-छोटी सी उंगलियां उसकी, बुनते हैं ख्वाब एक नजर तनहा। दिन गुजर गया है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 261 Share Rishikant Rao Shikhare 12 May 2019 · 1 min read नन्ही सी चिड़ियाँ चीखी थी, चिल्लाई थी, उस दिन वह बहुत घबराई थी। जिस दिन घर ध्वस्त हुआ था, तिनका-तिनका बिखरा पड़ा था। बड़ी मेहनत करके घर अपना सजाई थी, दूर देश से... Hindi · कविता 1 450 Share Rishikant Rao Shikhare 12 May 2019 · 1 min read मां माँ मुझे तेरा प्यार चाहिए। किसी को राम, किसी को रहमान चाहिए, किसी को अल्लाह, किसी को भगवान चाहिए। माँ, मुझे बस तेरा प्यार चाहिए।। किसी को शहंशाह अकबर, किसी... Hindi · कविता 1 400 Share Rishikant Rao Shikhare 5 May 2019 · 1 min read मेरा गांव मेरा यार मेरा हमसफर हो गया, पाँव रखा तो डगर हो गया। कहां मिलती है मुफ्त की तालीमें, मेरा गांव अब शहरदार हो गया। अब पहले जैसी बात कहाँ, वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 424 Share Rishikant Rao Shikhare 3 May 2019 · 1 min read छुट्टी की अर्जी साहब , आज आपसे बात कुछ कहानी है, मेरी पत्नी का जन्मदिन है इसलिए छुट्टी जल्दी करनी है। फूल - पताके ले जाने है, थाली में दीप सजाने है। छुट्टी... Hindi · कविता 1 345 Share Rishikant Rao Shikhare 26 Apr 2019 · 1 min read वीर रस चीते की चाल हो, सिंह की दहाड़ हो। रहो तुम साथ मेरे जैसे नाव की पतवार हो। बुलंद हो हौसला लक्ष्य हमारा साफ हो। उम्मीद की किरण हमेशा हमारे साथ... Hindi · कविता 1 387 Share Rishikant Rao Shikhare 8 May 2018 · 1 min read परिण्य- सूत्र खत्म हुआ इंतजार सारा इक घड़ी आने वाली है, उन हथेलियों पे मेहंदी सजने वाली है। महक फैला रहे है जो गुलाब अपनी खुशबू से, न तोड़ो उन शाखाओं को... Hindi · लेख 1 424 Share Rishikant Rao Shikhare 1 Feb 2018 · 1 min read बसंत का महीना। गेंदों की इक टोली बागों में खेल रही थी, सरसों के आँचल हर मन को टटोल रही थी। कुछ हरे कुछ पीले रंगो को समेट रही थी वो नन्हें गुलाबी... Hindi · कविता 1 338 Share Rishikant Rao Shikhare 29 Jan 2018 · 1 min read गजल बेवफा जो हम है अगर, बेवफा भी हो तुम, फिर भी मेरे प्यार का इक सिला हो तुम | सूरज कि रौशनी से भी ज्यादा जगमग हो, चंदा कि चांदनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 311 Share Rishikant Rao Shikhare 3 Jun 2017 · 1 min read Romiyo ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू... Hindi · कविता 1 436 Share Rishikant Rao Shikhare 20 Mar 2017 · 1 min read समय का सदुपयोग करो। एक सेकेण्ड जो मौत से बचा हो। एक मिनट जिनकी ट्रेन छूट गयी हो। एक घंटे जो किसी का इंतज़ार किया हो। एक दिन जो पीड़ा के मारे दर्द से... Hindi · लेख 1 230 Share Rishikant Rao Shikhare 19 Mar 2017 · 1 min read होली के रंग। उन गुलाबी चाँद के चेहरे पे थोड़ी रंग लगा देते, आइ्ये घनी गर्दीसो के बीच बाते कुछ सजा लेते। बस एक चाह हमारी भी थी उन दिनों तक, जो तुम... Hindi · शेर 1 340 Share