Rita Singh Tag: कविता 81 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read मानव तुम कौन हो मानव तुम कौन हो ? मानव तुम कौन हो ? क्या तुम माँ के गर्भ में पले उस भ्रूण का केवल विकसित रूप हो जो ईश्वर प्रदत्त एक निश्चित आकृति... Poetry Writing Challenge · कविता 4 190 Share Rita Singh 20 Apr 2022 · 1 min read हर बेटी के नायक पापा हर बेटी के नायक पापा करते हैं सब लायक पापा कारज अपने सभी निभाते बनें नहीं अधिनायक पापा । जग में सबसे न्यारे होते जनक सिया के प्यारे होते अपनी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 235 Share Rita Singh 14 Apr 2022 · 2 min read ये माला के जंगल ये माला के जंगल कुछ तपस्वी से लगते हैं शांत भाव से तप करते हैं हरे भरे तरोताजा से प्रफुल्लित मन खड़े रहते हैं । कुछ बुझे - बुझे मुरझाये... Hindi · कविता 2 3 938 Share Rita Singh 1 Nov 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 30 973 Share Rita Singh 1 Nov 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... Hindi · कविता 1k Share Rita Singh 19 Jan 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... Hindi · कविता 350 Share Rita Singh 27 Dec 2017 · 1 min read शूल/काँटा बने तुम भी पहचान चमन की चुभन नहीं शान हो गुलशन की । कोमल कितना साथ तुम्हारा तुम बिन अधूरी महक सुमन की । तुम तपस्वी बड़े ही अडिग हो... Hindi · कविता 320 Share Rita Singh 12 Dec 2017 · 1 min read बदरा तुम क्यों शीत काल में बदरा क्यों तुम शीत काल में अंबर के घर आये हो । कैसी कामना पूरी करने बिन बुलाये ही छाये हो । शरद गुलाबी को देखकर मंद मंद मुस्काये हो... Hindi · कविता 269 Share Rita Singh 30 Sep 2017 · 1 min read नीर वेदना से बहता है गीत ------ नीर वेदना से बहता है नीरस में भी रस मिलता है ।। जीवन सतत सरस बहता यह भले दूरियॉ हों प्रियवर से विरहा मन कविता कहता यह सुमिरन... Hindi · कविता 464 Share Rita Singh 12 Sep 2017 · 1 min read प्रद्युम्न हम बहुत शर्मिंदा हैं प्रद्युम्न हम बहुत शर्मिंदा हैं तेरे कातिल क्यों जिंदा हैं ? माँ का आँचल कह रहा तड़पकर क्यों मिला लाल को मौत का फंदा है ? स्कूल तेरा कैसा ये... Hindi · कविता 663 Share Rita Singh 30 Aug 2017 · 1 min read दो एकम दो : बाल कविता दो दो एकम दो , दो दूनी चार आओ करें धरा से प्यार दो तिया छः , दो चौक आठ याद करो सब अपना पाठ दो पंजे दस , दो... Hindi · कविता 402 Share Rita Singh 13 Aug 2017 · 1 min read दिवस अंक -14 अगस्त दिवस अंक - 14 अगस्त आओ शोक मनाएँ हम भारत वासी अगस्त मास की सबसे अशुभ तिथि पर क्योंकि यह वर्ष गाँठ है भारत की अखंडता को खंडित कर अपने... Hindi · कविता 509 Share Rita Singh 10 Aug 2017 · 1 min read हरा भरा संसार वनों का हरा भरा संसार वनों का सुंदर सा घर बार वनों का घना घना परिवार वनों का महका सा दरबार वनों का सावन है त्योहार वनों का बसंत है शृंगार वनो... Hindi · कविता 535 Share Rita Singh 25 Jul 2017 · 1 min read सपने भी साकार हुए हैं करते जो श्रंगार श्रम का उनके दिन त्योहार हुए हैं अपने ही सत्कर्मों से सब सपने भी साकार हुए हैं । बसती लगन हिय में जिनके उनके कर्म उपहार हुए... Hindi · कविता 1 271 Share Rita Singh 19 Jul 2017 · 1 min read शैल शिखर से निकली सरिता शैल शिखर से निकली सरिता स्वयं ही मार्ग बनाती है , कभी न थकती , कभी न रुकती नित आगे बढ़ती जाती है । पाषाणों के संग खेलती लहर सखी... Hindi · कविता 368 Share Rita Singh 11 Jul 2017 · 1 min read झरने कर संघर्ष पाषाणों से मधुर संगीत सुनाते झरने कल - कल कल - कल गीत सुनाते आगे बढ़ते जाते झरने । कभी न रुकते कभी न थकते हिम्मत हैं बरसाते... Hindi · कविता 935 Share Rita Singh 14 Jun 2017 · 1 min read गगन भवन में घन हैं छाए गगन भवन में घन हैं छाए शीतल पवन संग लहराए । तपती धरती के आँचल में हरा भरा संदेशा लाए । तरुवर बाग बाग मुस्काए खेत क्यारी धान लहराए गौरैया... Hindi · कविता 271 Share Rita Singh 8 Jun 2017 · 1 min read मेघा क्यों बृजगाँव में आए मेघा क्यों बृजगाँव में आए मेघा क्यों बृजगाँव में आए नहीं तनिक तुम हमको भाए उलट पैर अभी जाओ पुरी को जहाँ राज मोहन मन छाए । कहना उन बिन... Hindi · कविता 521 Share Rita Singh 5 Jun 2017 · 1 min read आओ धरा अपनी सजाएँ वृक्ष लगाएँ और बढ़ाएँ आओ धरा अपनी सजाएँ । हरी चुनरिया इसे उढ़ाएँ हरा भरा श्रंगार कराएँ । आओ धरा अपनी सजाएँ । रोपित कर भूल न जाएँ नित इन... Hindi · कविता 408 Share Rita Singh 24 May 2017 · 1 min read नहीं सरल राजत्व निभाना नहीं सरल राजत्व निभाना राजा तुम्हें समझना होगा , राजतिलक होतेे ही तुमको राजधर्म को जीना होगा । इक यज्ञ सा राजा का जीवन जो प्रजा हित आहुत होता है... Hindi · कविता 470 Share Rita Singh 19 May 2017 · 1 min read आओ रोपें इक तरुवर हम आओ रोपें इक तरुवर हम अपनी प्यारी तनुजा के नाम सींचें उसको नित प्रेम से आएगा वह सबके काम । प्रेम जल से सिंचित तरुवर बेटी सम परवाह करते हैं... Hindi · कविता 309 Share Rita Singh 15 May 2017 · 1 min read राजन हमें बताओ तुम ! राजन हमें बताओ तुम ! कितने सैनिक अभिमन्यु सम बलिदान हमें करने होंगे ? कितनी माँओं के आँचल ऐ शासन ! सूने हमें सहने होंगे ? कब तक नव वधूएँ... Hindi · कविता 511 Share Rita Singh 11 May 2017 · 1 min read गुलमोहर तुम हो शहजादे गुलमोहर तुम हो शहजादे तुमको मेरी राधे राधे , तप्त हवाओं संग खेलते बने बड़े ही सीधे सादे । मस्तक सोहें पुष्प अति सुँदर रँग है जिनका लाल मनोहर नहीं... Hindi · कविता 375 Share Rita Singh 7 May 2017 · 1 min read भगवन तूने माँ को बनाया भगवन तूने माँ को बनाया कैसा कृपा धन बिखराया , तेरा कैसे करूँ शुक्रिया ऐसा ममता जल बरसाया । बन निर्मात्री संस्कारों की उसने घर संसार बसाया , देकर शिक्षा... Hindi · कविता 727 Share Rita Singh 23 Apr 2017 · 1 min read सूरज काका सुबह सवेरे सूरज काका नित मुस्काते तुम आते हो अपनी सोने की किरणों को संग सदा ही ले आते हो । घड़ी भर भी विलंब न करते नियत समय पर... Hindi · कविता 357 Share Rita Singh 19 Apr 2017 · 1 min read अमलतास तरु एक मनोहर ग्रीष्म ताप पर प्रतिस्पर्धा में जीत सदा ही वो पाता है पीत वसन में सँवर सँवर कर जो लहर लहर मुस्काता है । तप्त हवा के संस्पर्शों से मोहक रूप... Hindi · कविता 318 Share Rita Singh 17 Apr 2017 · 1 min read ममता बेटी बिना न पूरी ************* ममता बेटी बिना न पूरी । मॉ की रहती आस अधूरी।।१!! बेटी ही घर का गहना है। बिन बेटी ऑगन सूना है।।२!! उत्सव बेटी बिना अधूरे ! बिन बेटी... Hindi · कविता 552 Share Rita Singh 12 Apr 2017 · 1 min read बैसाख मास सँग अपने बैसाख मास सँग अपने कनक उपहार लाया है , हुआ कण कण है प्रफुल्लित जन मन सब हरषाया है । चमके खेत स्वर्ण - आभ से कृषक हृदय मुस्काया है... Hindi · कविता 1 520 Share Rita Singh 8 Apr 2017 · 1 min read जल बिन सूना है संसार जल जीवन का है आधार जल जग का करता उद्धार । जल सृष्टि का एक उपहार जल से भू पर बनी बहार । जल औषध का एक प्रकार करता रोगों... Hindi · कविता 270 Share Rita Singh 5 Apr 2017 · 1 min read माला के जंगल: कुछ तपस्वी से लगते हैं शांत भाव से तप करते हैं हरे भरे तरोताजा से प्रफुल्लित मन से खड़े हुए हैं । कुछ बुझे बुझे मुरझाये से हैं कुछ झाड़... Hindi · कविता 537 Share Rita Singh 29 Mar 2017 · 1 min read आया बसंत सखी आया बसंत आया बसंत सखी आया बसंत चहुँदिशि खुशियाँ लाया अनंत महक रहे हैं सभी दिग दिगंत झूमा अवनी का अंग प्रत्यंग आया बसंत सखी आया बसंत । श्यामा ने गाया अब... Hindi · कविता 512 Share Rita Singh 27 Mar 2017 · 1 min read सजी धरा है सजा गगन है सजी धरा है सजा गगन है सज गया सृष्टि का कण कण है रँग बिरंगे पुष्पों की स्मित से मुस्काने लगा जन गण मन है । नवल धवल बने तरु... Hindi · कविता 414 Share Rita Singh 23 Mar 2017 · 1 min read वे बलिदानी मसताने थे राजगुरु सुखदेव भगत सिंह आजादी के दीवाने थे , हँसते हँसते गए फँदे पर वे बलिदानी मसताने थे । इंकलाब का नारा देकर वो नयी चेतना लाये थे देश प्रेम... Hindi · कविता 247 Share Rita Singh 22 Mar 2017 · 1 min read संकट और खुशहाली प्रभु ! संकट के समय ' मुझे बचा लो ' तुमसे ऐसी गुहार नहीं करूँगी , मुझे पता है कि तुमने अदृश्य रूप में मुझे संकटों से उबरने की शक्ति... Hindi · कविता 547 Share Rita Singh 16 Mar 2017 · 1 min read फाग माह का हैं उपहार नव पल्लव सज्जित तरुवर फाग माह का हैं उपहार , कोमल कोपल महक डाल पर करती सुरभित पवन बयार । मानो वृक्ष वर बन सँवरकर सेहरे की लड़ियाँ रहे सँवार... Hindi · कविता 538 Share Rita Singh 15 Mar 2017 · 1 min read नमामि गंगे जय जय गंगे , जय जय गंगे । नमामि गंगे , नमामि गंगे ।। पाप नाशिनी , जग तारिणी सुख कारिणी , दुख हारिणी हर हर गंगे हर्ष वाहिनी ।... Hindi · कविता 573 Share Rita Singh 14 Mar 2017 · 1 min read पथिक वही जो बढ़ता जाता पथिक वही जो बढ़ता जाता अवरोधों से कब घबराता , ऊँची-नीची सब राहों पर बिना रुके वो चलता जाता । पाषाणों से जब टकराता असंभव को संभव बनाता , बड़े... Hindi · कविता 399 Share Rita Singh 8 Mar 2017 · 1 min read क्षत्राणी की गौरव गाथा क्षत् से रक्षा करती है जो वह क्षत्राणी कहलाती है क्षत्राणी की गौरव गाथा ग्रंथों में गायी जाती है । पौराणिक युग से ही उसने यश पताका फहरायी है गंगा... Hindi · कविता 2k Share Rita Singh 7 Mar 2017 · 1 min read ये प्रातः तुम्हें सजानी है ओ भारत की भावी नारी ! बहुत सो चुकी अब तो जागो , ये प्रातः तुम्हें सजानी है । मत बोझ बनो तुम परिवारों पर सिर्फ भार बनो मत तुम... Hindi · कविता 309 Share Rita Singh 28 Feb 2017 · 1 min read आया फागुन मास रसिया के रंग में जब खेले गोरी फाग । समझो ए संग सहेली आया फागुन मास । आया फागुन मास देख कलियाँ भी हर्षायीं । फूलों के सँग सजी अब... Hindi · कविता 1 1 1k Share Rita Singh 22 Feb 2017 · 1 min read जीवन जीवन सरस सलिल सा बहता जीवन अवरोधों संग बढ़ता जीवन निशा दिवस है गतिमय जीवन हँसते गाते चलता जीवन । दुख के पल भी सहता जीवन सुख के क्षण भी... Hindi · कविता 544 Share Rita Singh 16 Feb 2017 · 1 min read गोपी दर्शन प्यासी हैं रम गये कान्हा राज पाट में गोपी दर्शन - प्यासी हैं , मिलना कैसै होगा उनसे जिनकी वो अभिलाषी हैं । सखा तुमको समझा कान्हा योग हमें सिखाओ न ,... Hindi · कविता 303 Share Rita Singh 12 Feb 2017 · 1 min read नेह की पीड़ा जब गमन तुम्हारा होना तय था क्यों गोपी में नेह जगाया था , कान्हा तुमने नेह की पीड़ा का , क्या मर्म कभी न पाया था । इस पीड़ा का... Hindi · कविता 593 Share Rita Singh 31 Jan 2017 · 1 min read ऋतु बसंत कोयल डाल- डाल, जब बोली कलियों ने तब आँखें खोली पवन महक बिखराती डोली सजी धरा पर पुष्प- रँगोली गोपी लगी खेलने होली किया पराजित शिशिर शरद को ऋतु बसंत... Hindi · कविता 535 Share Rita Singh 27 Jan 2017 · 1 min read राजपथ पर चमका वैभव राजपथ पर चमका वैभव उसका मान सजाना है , भारत के बढ़ते कदमों को हमको और बढ़ाना है । शाहीपथ पर बढ़ी परेड की शान अजब निराली थी , देख... Hindi · कविता 2 1 344 Share Rita Singh 24 Jan 2017 · 1 min read मतदान जागरूकता के लिए प्रयास मतदान जागरुकता के लिए कुछ नारे - मतदान अगर शत प्रतिशत होगा, लोकतंत्र तभी उज्ज्वल होगा । जो अपना शासन चाहता है वो वोट डालने जाता है । मतदान हमारा... Hindi · कविता 1 578 Share Rita Singh 23 Jan 2017 · 1 min read सुभाष चन्द्र भारत भूमि पर सुभाष चन्द्र भारत भूमि पर फिर नेताजी बनकर आ जाओ , राष्ट्रवाद को भूली जनता में एक बार जोश जगा जाओ । जाति धर्म में बिखरी जनता देशहित को भूल... Hindi · कविता 540 Share Rita Singh 12 Jan 2017 · 1 min read बेटी की महिमा सूखा पीड़ित देख नगरी को बेटी ने अवतार लिया , धरती से उत्पन्न होकर उसने जनता का उद्धार किया । अन्न जल बरसा जनकपुरी में पिता जनक को मान दिया... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1k Share Rita Singh 5 Jan 2017 · 1 min read चुनाव आयोग ने शंख बजाया चुनाव आयोग ने शंख बजाया सुन लो जनता सारी , लोकतंत्र की शान बढ़ा दो आयी तुम्हारी बारी । अपने अपने मत स्थल पर पहुँच जरूर तुम जाना , निष्पक्ष... Hindi · कविता 368 Share Rita Singh 3 Jan 2017 · 2 min read नारी सम्मान का यथार्थ सुना है मेरे देश का समाज प्रगति कर रहा है , वह बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के गीत गा रहा है , उन्हें खूब पढ़ो खूब बढ़ो के आशीष दे रहा... Hindi · कविता 1 823 Share Page 1 Next