प्रेम कश्यप 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रेम कश्यप 1 Mar 2017 · 1 min read बसंत आया है। फूलों की महक पत्तों की चहक कलियों ने भी गाया है अरे बसंत आया है । भौंरो की चहल पहल से सारा जग गुनगुनाया है अरे बसंत आया है। बागों... Hindi · कविता 499 Share प्रेम कश्यप 17 Feb 2017 · 1 min read मैं पैसा हुँ। मैं काला हुँ मैं सफेद हुँ तेरे मन का भेद हुँ मैं ऐसा हुँ मैं वैसा हुँ अरे मैं पैसा हुँ। काम औऱ मेहनत का मेल हुँ हाथ के पसीने... Hindi · कविता 313 Share प्रेम कश्यप 17 Feb 2017 · 1 min read मन की लगाम। चल इधर आ बैठ सुन उधर मत देख यहाँ मुझ से बात कर कभी दुसरों की बात नही सुनते कभी दुसरों को बुरा नही कहते वो देख हरे भरे खेत... Hindi · कविता 422 Share प्रेम कश्यप 15 Feb 2017 · 1 min read माँ ये प्यार कहाँ से लाती होगी। माँ तू कितने कष्ट सहती होगी हर पल सीने से लगाए रखती वो अथाह स्नेह औऱ प्यार तू कहाँ से लाती होगी। वो पालने की नींद सुलाना वो मधुर संगीत... Hindi · कविता 457 Share प्रेम कश्यप 12 Feb 2017 · 2 min read गुणात्मक शिक्षा मे अभिभावकों का योगदान। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था विशेषकर सरकारी पाठशालाओं मे दी जाने वाली शिक्षा आजकल बहुत सारे प्रयोगों से गुजर रही है।अभी तक पुरी तरह सभी शिक्षाविद् इस निर्णय पर नही पहुंचे की... Hindi · लेख 394 Share प्रेम कश्यप 10 Feb 2017 · 1 min read यादें। पूछना उन दरख्तों औऱ झीलों झरनों से गुजरोंगें जब तुम उस राहों से तेरी यादों के वहीं निशान बाकी हैं। हमारी सिसकियों से वो भी सहमे थे जब हम रोये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share प्रेम कश्यप 8 Feb 2017 · 1 min read वतन पर मिटने को चल पड़े हैं। छोड़ हसरतें पीछे निकल मां तेरे चरणों मे हम मुस्तैद खड़े हैं खा कर कसम माटी की दुश्मनों का सर कलम करने पर अड़े हैं आज हम अपने वतन मर... Hindi · कविता 206 Share प्रेम कश्यप 8 Feb 2017 · 1 min read मैं कितना दूर आ चुका हूँ। वो झरने की झर झर नदियों की कल कल झील औऱ सागर की लहरें वो बारिश की रिमझिम खेत खलियानों की किलकारियां बागों में वो बहारें फूल पत्तों की कलाकारियां... Hindi · कविता 208 Share