इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)
*हास्य कविता* मैं गणित के कठिन प्रश्न सा तुम हिन्दी सी सरल प्रिये मैं कठोर पत्थर के जैसा तुम हो नाज़ुक तरल प्रिये तुम जैसमिन की ख़ुशबू वाली मैं सरसों...
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