पंकज परिंदा 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज परिंदा 13 Jun 2018 · 1 min read यादें.... बचपन की वो बिसरी यादें, लिख दूँ क्या.! साथ बिताए थे जो लम्हें., लिख दूं क्या.!! मेरे वादे., तेरी क़समें.., लिख दूँ क्या..! चाँद सितारों की सौगातें., लिख दूँ क्या.!!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 477 Share पंकज परिंदा 5 Jun 2018 · 1 min read जीवन एक खिलौना है क्या... ??? ग़ज़ल ??? या रब किस्सा सच्चा है क्या जीवन एक खिलौना है क्या.! नील गगन की., सैर करा दे ऐसा कोई.., चारा है क्या.! पूछ रही, मन की अभिलाषा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 616 Share पंकज परिंदा 5 Jun 2018 · 1 min read ग़म हमें सब भुलाने पड़े.. ग़म हमें सब भुलाने पड़े। ख़ुद पे ही ज़ुल्म ढाने पड़े। इस ज़माने के डर से हमें ज़ख़्म अपने छुपाने पड़े। चंद सिक्को मेंं वो बिक गये घर में जिनके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share पंकज परिंदा 25 Apr 2018 · 1 min read ग़म हमें सब भुलाने पड़े... ग़म हमें सब भुलाने पड़े। ख़ुद पे ही ज़ुल्म ढाने पड़े। इस ज़माने के डर से हमें ज़ख़्म अपने छुपाने पड़े। चंद सिक्को मेंं वो बिक गये घर में जिनके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 539 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read देखकर तुम न यूँ अब..., नकारो मुझे,, देखकर तुम न यूँ अब......., नकारो मुझे अक़्स हूँ मैं तुम्हारा..........., सँवारो मुझे। दाग दामन पे' मेरे....., लगे हैं......, अगर हक तुम्हारा है तुम ही...., निखारो मुझे। हूँ परेशां बहुत....,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 514 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ.. नफ़रतों को मैं.., मिटाना चाहता हूँ लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ। इम्तिहां मुश्किल बड़ा है इश्क़ का ये इक इसे भी आजमाना चाहता हूँ। कोई तो आकर के पूछे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 246 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 2 min read आपके दिल में क्या है बता दीजिए... आपके दिल में क्या है बता दीजिए इस मुहब्बत का कुछ तो सिला दीजिए हमने ज़ुर्मे-मुहब्बत तो कर ही दिया आप इस ज़ुर्म की अब सज़ा दीजिए। इश्क़ के मर्ज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से... क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से ग़र पिलाया यूँ जाम नज़रों से। लब थे खामोश जिसके मुद्दत से लिख दिया उसने नाम नज़रों से। सुर्ख आँखों में थी हया उनके क्यूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 309 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read मैं परवाना हूँ शायद... जन्म जला सा हूँ शायद इक़ अंधियारा हूँ शायद। डग मग जीवन की नैया दूर किनारा हूँ शायद। बर्तन खाली हैं यारो वक़्त का मारा हूँ शायद। रिश्ते नाते बेमानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read हर ज़िल्लत को सहकर हम... हर ज़िल्लत को सहकर हम काट रहे हैं हर मौसम। सौदागर थे खुशियों के लेकिन हैं गठरी में ग़म। यूँ आंखों में क़तरे हैं ज्यों फूलों पर हो शबनम। जख़्म... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 421 Share पंकज परिंदा 1 Apr 2018 · 1 min read रुख से परदा हटाना मजा आ गया.. रुख से परदा हटाना मजा आ गया। बिजलियाँ यूँ गिराना मजा आ गया। बात जाने न हमने क्या कह दी मगर देखकर मुस्कुराना मजा आ गया। तोड़कर बंदिशें इस ज़माने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 528 Share पंकज परिंदा 19 Feb 2018 · 1 min read ज़िन्दगी ज़िन्दगी ज़िन्दगी ज़िन्दगी दर्द, आँसू, तड़प, बेबसी। सेंकता ही रहा रोटियाँ कुछ पकी कुछ जली अधजली। भूख की देखकर के तड़प हँस रही है खड़ी मुफ़लिसी। ज़ख़्म इतने मिले हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 433 Share पंकज परिंदा 20 Oct 2017 · 1 min read अंधेरा हमें ख़ुद हटाना पड़ेगा...! अंधेरा हमें ख़ुद हटाना पड़ेगा उजाला दरीचों से लाना पड़ेगा। मुहब्बत की जब तक रवानी रहेगी बहारों को गुलशन सजाना पड़ेगा। नज़ाकत से' मेरी ख़ता माफ़ कर दो यूँ कब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 448 Share पंकज परिंदा 8 Jul 2017 · 1 min read अगर तू दर्द सबका जान लेगा.... अगर तू दर्द सबका जान लेगा ख़ुदा तेरी रज़ा पहचान लेगा। मिलेंगी ठोकरें बस राह में तब बुजुर्गों का नहीं विज्ञान लेगा। हक़ीकत को बना ले ढाल अपनी वही होगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share पंकज परिंदा 8 Jul 2017 · 1 min read मेरा है आशियाँ जो जल रहा है... ज़नाज़ा हसरतों का चल रहा है जवानी का जो सूरज ढल रहा है। कहीं माँ घर से बेघर हो रही जब छलकता दूध का आंचल रहा है। गुमां दौलत का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 278 Share पंकज परिंदा 8 Jul 2017 · 1 min read बिना माँ के जीवन गुज़ारा बहुत है... मिला जख़्म हमको क़रारा बहुत है बिना माँ के जीवन गुज़ारा बहुत है। ख़ज़ाना मेरा सादगी है मगर क्यूँ मुझे ज़िंदगी ने नकारा बहुत है। हमें दर्द होगा अगर दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 594 Share पंकज परिंदा 30 Jun 2017 · 1 min read अब तो मेरा हिसाब कर दो ना...! ?????? ग़ज़ल ?????? काम तुम बेहिसाब...., कर दो ना छूके मुझको गुलाब..., कर दो ना। ग़र मुहब्बत है इक बुरी..., आदत मेरी आदत खराब...., कर दो ना। आरज़ू इक....., यही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 501 Share पंकज परिंदा 15 Mar 2017 · 1 min read क़ैद में रो रहा उजाला है... उनके चेहरे पे तिल जो काला है उसने कितनों को मार डाला है। चांद बेदाग इक हसीं देखा दुनिया भर से ही वो निराला है। जिंदगी जिस पे वार दी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 265 Share पंकज परिंदा 13 Mar 2017 · 1 min read जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी... जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी सल्तनत तब झूठ की घबरा गयी। बे-ख़बर थे वक़्त की जो मार से ज़िन्दगी उनकी क़फ़स में आ गयी। मुफ़लिसी को पालता हूँ आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 364 Share पंकज परिंदा 6 Feb 2017 · 1 min read जान लेती है कसम से ये नज़ाकत प्यार की जान लेती है कसम से ये नज़ाकत प्यार की खेलना जुल्फों से' तेरा है कयामत प्यार की।। हो रहे मदहोश सब क्यूँ देखकर आवो-हवा ग़ौर कर मगरूर इंसा है शरारत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 248 Share पंकज परिंदा 6 Feb 2017 · 1 min read शून्य सा अवशेष मैं... इन शून्य विहीन आँखों से जब निहारता में शून्य को, तो शून्य सा अवशेष मैं खो रहा इस शून्य में, इंसान भी निज स्वार्थ में हो गया अब शून्य है,... Hindi · कविता 332 Share पंकज परिंदा 5 Feb 2017 · 1 min read नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है अन्जुमन में हर तरफ बस तीरगी है। पूछता मैं फिर रहा हर इक बशर से मुफ़लिसी में कैद क्यों लाचारगी है। राह चलते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 346 Share पंकज परिंदा 3 Feb 2017 · 1 min read बिटिया मेरी सोन चिरैया...! ◆ मधुशाला छन्द (रुबाई) ◆ आँगन की वह वृंदा मेरी या लगती कुंदन सोना रश्मि चंद्रमा सी वह दमकत है अद्भुत रूप सलौना स्वर घोलत मकरंद श्रवण में वो लगती... Hindi · मुक्तक 586 Share पंकज परिंदा 3 Feb 2017 · 1 min read बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है... बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है मज़लूम सर-ए-महफ़िल नज़रों से गिराया है। यह बात सितम की है बदनाम किया हमको हर फ़र्ज़ मुहब्बत का शिद्दत से निभाया है। गुलज़ार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 465 Share पंकज परिंदा 1 Feb 2017 · 1 min read पंख कटा हूँ एक परिंदा जब जब हमको याद करोगे रोओगे फ़रियाद करोगे। कैद़ रहे इन आँखों में जो अश्क़ों को आजाद करोगे। ख़ाक हुई ग़र बस्ती दिल की कैसे फिर आबाद करोगे। तन्हाई से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 566 Share पंकज परिंदा 31 Jan 2017 · 1 min read बेटियां फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां जब कभी भी मुस्कुरातीं बेटियां। खुशनुमा माहौल होता हर तरफ प्यार से जब खिलखिलाती बेटियां। हो जरूरत रोशनी की ग़र कहीं चाँद तारे तोड़ लातीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 487 Share