मोनिका Sharma Tag: ग़ज़ल/गीतिका 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मोनिका Sharma 6 Jun 2018 · 1 min read उडृे पतंग वो कैसे कि जिसमे डोर नहीं उड़े पतंग वो कैसे कि जिसमे डोर नहीं बिना घटा के कभी नाचता है मोर नहीं तू ही मुकाम है मेरा तू ही मेरी मंज़िल चुनू मैं राह वो कैसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 277 Share मोनिका Sharma 6 Jun 2018 · 1 min read होते ज़मीं तो शिकवा न करते ज़बां से हम होते ज़मीं तो शिक़वा न करते ज़बां से हम मुमकिन नहीं सवाल करें आसमां से हम नज़रों में उनकी हो गये अन्जान इस कदर वो कह के चल दिये हमें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 835 Share मोनिका Sharma 6 Jun 2018 · 1 min read ....और मैं हूँ फ़क़त इक रास्ता है और मैं हूँ सफर दिन रात का है और मैं हूँ है मीलों दूर तक सहरा ही सहरा हवा का दबदबा है और मैं हूँ मसलसल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 473 Share मोनिका Sharma 6 Jun 2018 · 1 min read ये दो आँखें.... किसी को पाने का प्रयास है ये दो आँखें किसी के होने का अहसास हैं ये दो आँखें हैं जितनी दूर ,उतनी पास हैं ये दो आँखें नज़र भर देखने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 284 Share मोनिका Sharma 6 Jun 2018 · 1 min read अजब दुनिया है ए मालिक.... अजब दुनिया है ऐ मालिक ग़ज़ब इसके नज़ारे हैं कहीं आखों में पानी है कहीं जलते शरारे हैं कहीं मूरत करे भोजन मजारों पर चढ़े चादर कहीं भूखी निगाहें एक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 274 Share मोनिका Sharma 10 Feb 2018 · 1 min read न जाने ज़माने को क्या हो गया है न जाने ज़माने को क्या हो गया है यहाँ हर कोई दौड़ने में लगा है मची होड़ है यूँ निकलने की आगे कहीं कुछ न कुछ छूटता जा रहा है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 293 Share मोनिका Sharma 14 Dec 2017 · 1 min read धूप मंद मंद मुस्काती धूप सकुचाती, शर्माती धूप आवारा मेघों के डर से घूंघट में छुप जाती धूप आंख-मिचौली खेल रही है छत पर आती जाती धूप ऊन सिलाई ले हाथों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 266 Share मोनिका Sharma 11 Nov 2017 · 1 min read यहाँ "मासूम" रुकना था मगर जाने की जल्दी थी हमें उनकी पनाहों में ठहर जाने की जल्दी थी उन्हें भी हमको तन्हा छोड कर जाने की जल्दी थी हम उनकी बात पर थोड़ा यकीं करने लगे थे अब पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 481 Share मोनिका Sharma 11 Nov 2017 · 1 min read बाँध कर लाये थे ज़ुल्फ़ों में वो काली रात भी थी जुबां खामोश पर वो कर रहे थे बात भी खोल आँखों ने दिये मन के सभी जज्बात भी अश्कों ने फिर प्यार का इजहार कुछ ऐसे किया ज्यों सुनहरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 631 Share मोनिका Sharma 8 Nov 2017 · 1 min read चाँदनी "मासूम" झुलसी जा रही है दोपहर में यूं धुआँ छाया नज़र में है सुकूं बाहर न घर में गुमशुदा है ज़िंदगी यूं चिट्ठियाँ ज्यों डाकघर में रंग चेहरों का उड़ा है खून है किसके जिगर में आदमी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 338 Share मोनिका Sharma 8 Nov 2017 · 1 min read दिल ये हिंदुस्तान सरीखा लगता है जीवन इक उन्वान सरीखा लगता है बिन माँगा वरदान सरीखा लगता है देख दूसरों को मन अपना फूंक रहा हर इंसाँ श्मशान सरीखा लगता है बाग़ बगीचे सिमटे क्यारी गमलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 415 Share मोनिका Sharma 5 Aug 2017 · 1 min read "मासूम" घर आँधी ने उजाड़ा नहीं कभी सीने में आइने के तु झांका नहीं कभी इसने भी राज़े दिल कोई खोला नहीं कभी तेरे ही सामने हँसा तेरे वजूद पर झूठा नहीं ये, सच तुही समझा नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share मोनिका Sharma 4 Aug 2017 · 1 min read आप अपने बड़े किरदार संभाले रखिये जीस्त कर के ये धुआं, हाथ उजाले रखिये दीप छोटा सही पर राह में बाले रखिये करना मज़बूत हो ज़ेवर,तो खरे सोने को झूठ बइमानी के खांचे में भी ढाले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 255 Share मोनिका Sharma 27 Jan 2017 · 1 min read मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे धङकनें मैं तेरे कानों को सुनाऊं कैसे बंदिशें तोङ तेरे सामने आऊं कैसे मुझको बेजान समझ दूर करे क्यों तन से मैं हूँ ज़िंदा तुझे एहसास कराऊं कैसे बाग़बाँ अनखिला... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 380 Share