Hasnain Aaqib 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Hasnain Aaqib 21 Oct 2020 · 2 min read राष्ट्रीय जिजाऊ गीत राष्ट्रीय जिजाऊ गीत हसनैन आक़िब शतः शतः उसे प्रणाम..... जिजाऊ की जय के नारे आओ लगाएं मिल कर सारे आकाश भरे धरती भर जाये फैलें उस की मातृत्व क साये... Hindi · गीत 380 Share Hasnain Aaqib 18 Oct 2020 · 1 min read बहोत आसान सी लगने लगी हो। बहोत आसान सी लगने लगी हो! हसनैन आक़िब इधर कुछ दिन से जानां तुम बहोत आसान सी लगने लगी हो। बस ऐसा लग रहा है जैसे मेरे हाथों पे बैठी,... Hindi · कविता 470 Share Hasnain Aaqib 18 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब कुछ सिलसिले फ़लक के पड़े हैं उजाड़ से। रिश्ते बने हुए हैं ज़मीं के पहाड़ से॥ तुम तो चले गए मेरी दुनिया को छोड़ कर लग कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 255 Share Hasnain Aaqib 17 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब तेरे नज़दीक ही बैठा हूं मैं । लोग कहते हैं कि तन्हा हूं मैं ॥ उस के माथे पे शिकन आई है उस ने देखा है कि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 437 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब ढूंढ आया हूं कई आज और कल। तेरा मिलता ही नहीं कोई बदल॥ कुछ उमीदें ना ज़माने से रख काम आता है बस अपना ही बल॥ वह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 305 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब अब तुमसे मोहब्बत की ये आदत नहीं जाती। सुनता हूं कि आसानी से ये लत नहीं जाती॥ तुम भी गए, ओझल हुई तस्वीर तुम्हारी आंखों में जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 222 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब जिसे तुम देखना चाहो, ये वो मंज़र नहीं लगता। तुम्हारे दर की चौखट से हमारा सर नहीं लगता॥ जो तुम हो तो दर-ओ-दीवार के चेहरों पे रौनक़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 475 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब ताक़-ए-माज़ी पे तुझे अब भी सजा रक्खा है। तेरी यादों से त'अल्लुक़ तो बना रक्खा है॥ हो ज़रूरी भी तो ताबीर की जल्दी ना करे हर बुरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 410 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब तुम से गुलों ने रंग बदलना सीखा है। परवानों ने हम से जलना सीखा है ॥ देर लगेगी तुम को सहारा बनने में अभी तो तुम ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 326 Share Hasnain Aaqib 16 Oct 2020 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल हसनैन आक़िब अभी से अक़्ल के पीछे पड़े हैं ये बच्चे कितने बूढ़े हो गए हैं जिन्होंने मुफ़्लिसी में हाथ थामा मुझे अब वो बुरे लगने लगे हैं ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 335 Share