कल गोदी में खेलती थी
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मोहिनी
Rambali Mishra
अनामिका
Rambali Mishra
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
मिट जाता शमशान में,
sushil sarna
गमन जगत से जीव का,
sushil sarna
चार दिनों की जिंदगी,
sushil sarna
कल तो नाम है काल का,
sushil sarna
अन्तर्मन में अंत का,
sushil sarna
आने का संसार में,
sushil sarna
आनंद नंद के घर छाये।
श्रीकृष्ण शुक्ल
..
*प्रणय प्रभात*
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
4078.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जो नभ को कण समझता है,
Bindesh kumar jha
अनंत नभ के नीचे,
Bindesh kumar jha
धेनु चराकर सोचते, प्यारे नंद किशोर (कुंडलिया)
Ravi Prakash
पारले-जी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
खेल
*प्रणय प्रभात*
सितामढी़
श्रीहर्ष आचार्य
नई सोच नया विचार
कृष्णकांत गुर्जर
फूल या कांटे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*वैदिक संस्कृति एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी है:
Ravi Prakash
*वेद का ज्ञान मनुष्य-मात्र के लिए: स्वामी अखिलानंद सरस्वती*
Ravi Prakash
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
Neeraj kumar Soni
उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचे जब किसी के साथ की बेहद जरूरत होती
Rekha khichi
4076.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
..
*प्रणय प्रभात*
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
पूर्वार्थ
4075.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इतिहास में वही प्रेम कहानियाँ अमर होती हैं
पूर्वार्थ
4074.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
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Angelika Wartina
इश्क़ में वक्त को बुरा कह देना बिल्कुल ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
राधेश्याम "रागी"
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
पूर्वार्थ
श्री कृष्ण जन्म
Mahesh Jain 'Jyoti'
प्रेम की लीला
Surinder blackpen
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙌🧠🍀 People will chase you in
पूर्वार्थ
तुम्हारी उपस्थिति में,
पूर्वार्थ
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
पूर्वार्थ
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से मत पढ़ा करो दोस्तों, कुछ याद र
Ranjeet kumar patre
चांदनी भी बहुत इतराती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
उनसे मुहब्बत करने से पहले ये देखना ज़रूर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
द्वापर में मोबाइल होता
rkchaudhary2012
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
Ranjeet kumar patre