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गर्मी का कहर
Ram Krishan Rastogi
टूटते परिवार सिमटते रिश्ते
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तारीफ क्या करूं तुम्हारे शबाब की
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शोले भड़के है हवा कौन करे
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पति पत्नी की नोक झोंक (हास्य व्यंग)
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बुद्ध पूर्णिमा पर मेरे मन के उदगार
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मेरे दिल का दर्द
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याद मेरी तुम्हे आती तो होगी
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माँ बाप का बटवारा
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आकर मेरे ख्वाबों में, पर वे कहते कुछ नहीं
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आदमी कितना नादान है
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परछाई से वार्तालाप
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अज़ीब हूनर हमने इस पैसे में देखा
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उम्मीदे तैरती रहती हैं
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आया तू यहां पर तन्हा
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रसिया यूक्रेन युद्ध विभीषिका
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मातृ दिवस पर मां को समर्पित कुछ पंक्तियां
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चुनाव व नेता
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बचपन की यादों को यारो मत भुलाना
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शिव शंकर भोले भंडारी,जग के पालन हारी
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सूर्य चालीसा
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बुढ़ापे का दर्द
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कट गया हंसते हंसते, ये जिन्दगी का सफ़र
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आप तो गुलाब है,कभी बबूल न बनिए
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लाउड स्पीकर और हनुमान चालीसा (एक हास्य व्यंग)
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नयनों में बसा हूं,जरा तो निहारो
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ईद का चांद तो तुम्हे दिखाना ही पड़ेगा
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नयनों से तीर मत चलाओ
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मजदूर दिवस
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दिल ने दिल को पुकारा,दिल तुम्हारा हो गया
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मै तुझसे दिल लगाना चाहती हूं
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तुम बिन लगता नही मेरा मन है
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जवानी में तो तुमने भी गज़ब ढाया होगा
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दिल मुझसे लगाकर,औरों से लगाया न करो
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बेवफाओं के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं
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कैसे कहूं सबके सामने ये दिल तुम्हारा हो गया
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गुजर रही है जिंदगी अब ऐसे मुकाम से
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जिंदगी की कुछ सच्ची तस्वीरें
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तुझे अपने दिल में बसाना चाहती हूं
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तुझको मै अपना बनाना चाहती हूं
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अगर सामने बैठो तुम वक्त कट जायेगा
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गुलमोहर
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छीन लिए है जब हक़ सारे तुमने
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पनघट और मरघट में अन्तर
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विश्व पुस्तक दिवस पर पुस्तको की वेदना
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कुछ झूठ की दुकान लगाए बैठे है
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विरह की पीड़ा जब लगी मुझे सताने
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सात के पहाड़े में पूरे जीवन के दर्शन
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हम सच बोलकर भी झूठे हो गए
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ये दिल मेरा था, अब उनका हो गया
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