Mahender Singh Language: Hindi 807 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 8 Next Mahender Singh 2 Sep 2021 · 1 min read धर्मनिरपेक्ष आसमान बंट चुके है, प्रयोग मंगल, चांद पर जारी है, झंझट हमारे जाति सम्प्रदाय के है. हमें मिलकर रहने में नहीं. मुमुक्षा चिंहित करने में है. जरूरी है लोकतंत्र में... Hindi · शेर 2 1 195 Share Mahender Singh 2 Sep 2021 · 1 min read अट भी पट भी भक्तों की....कडी नंबर एक किसी ने सही कहा है. *जनता जैसा राज यानि सत्ता चाहती है. वैसा ही शासन राज करता है,* विपीन एक बात बार-बार कहे जा रहा था, जैसे उसे बहम ही... Hindi · लेख 4 4 536 Share Mahender Singh 1 Sep 2021 · 2 min read विवेक और बुद्धपुरुष समझ विचार करके पैदा होती है, View वीव यानि देखना. सिर्फ़ आँखों से देखना. अधूरा है. बड़ा अच्छा शब्द है. विवेक ! देखने के साथ-साथ सोचना विचारना. अर्थात मनन करना.... Hindi · लेख 4 6 619 Share Mahender Singh 31 Aug 2021 · 1 min read दस्तूर गौरव बेटा जो तुम्हारी समझ की डोर है न. जो अपने जेब में रखते है, वे बाजीगर होते हैं, कुछ नहीं होता उनके पास, फिर भी सारा *मीना बाजार* दिखला... Hindi · लघु कथा 5 4 933 Share Mahender Singh 31 Aug 2021 · 1 min read नास्तिक भगतसिंह *धर्म का मीठा जहर पूरे देश को लील रहा है* *अगर व्यवस्था नहीं बदली गई तो *गोरे अंग्रेज जाएंगे और *काले अंग्रेज राज करेंगे* *सरदार भगत सिंह* नास्तिक इसलिये थे... Hindi · लघु कथा 1 1 419 Share Mahender Singh 30 Aug 2021 · 1 min read श्री कृष्ण और वर्तमान परिवेश आज #श्रीकृष्ण #जन्माष्टमी है सबको हार्दिक बधाई लगभग सभी की पसंद है. भागवत गीता हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ भी, आज उनकी लीलाओं जैसी हरकतों पर .. दण्ड क्यों ??? उनके... Hindi · लघु कथा 4 4 499 Share Mahender Singh 30 Aug 2021 · 1 min read सत्य की खोज किसी भी उत्सव के मनाने पीछे मनुष्य खुद के मन से डर,खौफ़, मन के भार उतारने तक सीमित है. वह विभिन्न आयोजन करके. संतुष्ट नजर आता है. निर्भार भी. जबकि... Hindi · लघु कथा 3 3 505 Share Mahender Singh 29 Aug 2021 · 1 min read कूटनीति *व्यंग्य रचना* कूटनीति जब, परास्त करने का मार्ग नहीं, कूट+नीति *लाठीचार्ज* बल प्रयोग बन जाता है, वहाँ नाम का *लोकतंत्र वा *संविधान महज एक पुस्तक रह जाते है । Mahender... Hindi · कविता 3 2 622 Share Mahender Singh 28 Aug 2021 · 1 min read किसान और मजदूर छुपाकर दर्द अपने, भूलाकर वेदना अपनी, दो रूखी सूखी रोटी एक प्याज एक पानी की तिरपाल से बनी बोटल खेत की और पैदल चला. मालिक नहीं मजदूर बन पहले खुद... Hindi · कविता 5 6 510 Share Mahender Singh 28 Aug 2021 · 1 min read सियासत सही को सही गलत को गलत गफलत पर संज्ञान लेने वाले भले थोडे हैं, हुकूमत के सुन बयान कोरे है छीन लेते है जो निवाले भूखे से वे किसान मजदूर... Hindi · कविता 4 4 283 Share Mahender Singh 27 Aug 2021 · 1 min read आयोजन नहीं ये किसी के. कुत्ते भी अपनी गली में शेर बन जाते है, मिले जो बागडोर, बंदर भी हल्दी की गांठ पाकर बन बैठता है पंसारी. बात स्वाद अदरख की, बंदर ने भी स्वीकारी... Hindi · लेख 2 1 359 Share Mahender Singh 27 Aug 2021 · 1 min read मोनेटाइजेशन खाते तो सब हैं, खायकी क्या होती है, ये भूख नहीं जमीर तय करता है, जो मुनाफे दे रहे है उन्हें पहले चुना गया, ये हाल उन सेवको का है,... Hindi · लेख 3 3 292 Share Mahender Singh 27 Aug 2021 · 1 min read शेर और बकरी दिलों पर राज करनेवाले कब मचान बनाया करते है, ये तो खौफ़ है शेर का. बांध कर बकरी ... खुद के शौक फरमाया करते. खाते तो लोग भी हैं बकरी,... Hindi · शेर 3 5 400 Share Mahender Singh 26 Aug 2021 · 1 min read अठखेलियाँ तू मायूस होकर भी, मुस्कुराईं तो. प्राण मुरदे में , जिंदगी लौटाई तो, तू बोलती रही, मैं बस देखता रहा, तेरे हर कटाक्ष को,दवा समझते रहा. . बहते अश्कों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 498 Share Mahender Singh 26 Aug 2021 · 1 min read मानसिक प्रवृति किसलिए आवेशित होना, वो हवा में, हम जलमग्न, असुरक्षित दोनों वो हम, धरा जिसे मिले वो मग्न. . इख्तियार करनी पड़ती है, जमीं घर हो,समाज या देश. कुछ पल चले... Hindi · कविता 2 2 282 Share Mahender Singh 24 Aug 2021 · 1 min read वर्तमान में देशहित पटकथा हार में भी,जीत का जश्न, कैसा चल पड़ा ये फैशन. खत्म हुई जब पुरानी पेंशन, मुलाजिम की उड़ गई नींद.. और बढ़ गई जब टेंशन.. मना रहे थे .. हार... Hindi · कविता 3 2 174 Share Mahender Singh 23 Aug 2021 · 1 min read अकेले चना कितना आसान है, हाँ में हां मिलाकर जीना. विद्रोह के बीज बौना, विद्रोह करना मुश्किल है मुश्किल घडी में खुद में साहस जरूरी है... छूट सकता है साथ अपनों का,... Hindi · लघु कथा 2 2 341 Share Mahender Singh 23 Aug 2021 · 1 min read आचरण आचरण व्यक्तिगत होते हैं, या सार्वजनिक. गर सार्वजनिक होते है तो. धर्म हाशिये पर आ जाते है. फिर निसर्ग महत्वहीन. और निसर्ग ही महत्वहीन हो जाये. फिर मानव हित में... Hindi · लेख 2 2 271 Share Mahender Singh 23 Aug 2021 · 1 min read दर्शक कौन जानता है . कौन मानता है, जो जानता है वह कैसे मानता है. वह नहीं मानता, इसलिए जानता है, जो जानता है,वह गलत जानता है. . जो करता है,... Hindi · गीत 3 3 356 Share Mahender Singh 22 Aug 2021 · 1 min read उत्सव, पर्व, त्यौहार पर्व उपहास का,उल्हास मनाते लोग, सुरक्षित खुद नहीं, पर बिठाते जोग. . हंस कह मोहे हंसी आवै मन बौराए. रक्षा खातिर तोरण,माला, सूत्र लाए. . मंदबुद्धी बंधबुद्धी तोहे कौन उतारे,... Hindi · दोहा 3 3 319 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read हिफाज़त सुना है मैंने, पर ऐसा पाया नहीं, तू देता है सबको एक समान ... तेरी इनायतें, देखता कौन है ... हिफाजत सब की करता है .. चूक मुझसे हुई, मैंने... Hindi · शेर 3 3 513 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read अनुभूति प्रेम रोग. हृदय शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, प्रवाह और प्रभाव अनूठे. प्रेम जीवन का अंगीकार. हृदय में उत्पन्न ज्वार उसे बिमार नहीं होने देते. प्रेम ही संचरण, तर्पण,... Hindi · लेख 3 4 722 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read किसे फर्क पडता है पडना ही चाहिए फर्क,पर किसे पडता है, मानवीय मूल्यों पर,आज रणनीति भारी है. रणनीति भी वर्चस्व कारणे, लडी लडाई है, किसे पडता है फर्क,जो स्वाभाविक भूख है, धर्म कोई वस्त्र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 3 364 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read यात्रा आज हरियाणा परिवहन की बस में पीछे वाली खिडकी से चढना हुआ, मुझ से आगे एक मोटी स्त्री सवार हुई, दो सवारी पहले खडी थी, प्रवेश द्वार के पास. वह... Hindi · लघु कथा 3 3 491 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read उलझन दुनिया का एकमात्र प्राणी, जो व्यवस्थाएं अपने ढंग से, बनाता है, खुद ही बनाकर, उनमें उलझे रहता है ... और वह अपने काम खुद नहीं, तथाकथित आराध्य के भरोसे छोड़... Hindi · लघु कथा 2 2 382 Share Mahender Singh 20 Aug 2021 · 1 min read एकमात्र अव्यवस्थित प्राणी संपूर्ण सृष्टि के जीव प्राणी जरायुज अण्डज उष्मज सब प्राकृतिक व्यवस्थाएं बैठा लेते है. आदमी के अलावा. . पक्षी अस्थाई घौंसले बनाते है, अण्डे देकर सेंचन के लिए... पक्षी बन... Hindi · लेख 4 4 560 Share Mahender Singh 20 Aug 2021 · 1 min read निबंध व्यंग्य कविता अधिकारी कहो या ऑफिसर या कहो अफ़सर या कहे निबंध. इनके औहदे पर कोई फर्क नहीं पडता, मालूम नहीं कैसा, है व्यवहार इनके, कोई नहीं समझता. सुना है ये सरकारी... Hindi · कविता 3 2 625 Share Mahender Singh 20 Aug 2021 · 1 min read मान्यता प्राप्त ठगी ठगों की ठगी से ठगा हुओं की ये मजबूरी भी कैसी समस्या, और कोई *पसंद भी तो नहीं, प्रवचन, भाषण नहीं, अपने बर्तन बासण देखों !!! एक मकान मालिक का... Hindi · लेख 3 2 291 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read पाप पुण्य *व्यंग्य कविता* थोडे अतीत में लोगों का कहना था, सोये हुए को मत जगाओ, पाप लगेगा. आजकल पुण्य ही. सोये हुए को जगाने से बनता है. डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस Hindi · कविता 3 2 453 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read बेचारे विधायक *व्यंग्य कविता* इन बेचारों के वश की बात नहीं, न ही इतना जज्बा की विद्रोह कर सके, घोषणाएं तो होती है. मगर कागजात पर, हाथ कुछ नहीं. सही कहे तो... Hindi · कविता 2 2 455 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read थोपना एक डरपोक अपनी बातों को थोपता है. जी हाँ इशारे तानाशाही पर है. राजनीति और धर्म गद्दीगत आदमी. खुद को ही सर्वेश्वर समझ लेता है. खुद को असक्षम समझने वाले... Hindi · लेख 3 2 361 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read खौफ का मंजर भक्ति आपको अपने कृत्यों में या तो विश्वास होगा या नहीं होगा, विचारों का मंथन होगा. या तो शक पैदा होगा. या तो धारा मिल जायेगी. जैसा आप जैसा कोई रहा... Hindi · कविता 3 2 197 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read आँख वाले अंधे सबकुछ है जहान् में कबूलनामे.. भक्त के भक्तों के कहिन है. सबकुछ है जहान् में. पर वो नहीं है..... मतलब खास है वह अलग थलक है. क्योंकि वह ऐसा सोचता... Hindi · कविता 3 2 214 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read तिल का ताड़ वर्चस्व स्थापित करना ही भगवता है, निसर्ग के दुश्मन और धार्मिक कभी हो पाया है. भक्त पर झलक और उसके कृत्य ये साबित करते आये है. वह हक को ध्यान... Hindi · कविता 3 2 568 Share Mahender Singh 17 Aug 2021 · 1 min read सुनने की आदत सुनने की आदत, मैंने सुना है, जो जितने गहरे में सुनता है, उतना ही अच्छा शिक्षक,चिकित्सक और पति होता है, यह प्रथा टूट चुकी है. प्रवचन, भाषण, विज्ञापन के कारण,... Hindi · लघु कथा 3 3 623 Share Mahender Singh 17 Aug 2021 · 1 min read हित पर व्यंग्य कविता अपना हित चाहोगे गलत ही होगा. जिसे कोई अजनबी खोजता है, वह सार्वजनिक स्थल पर बसता है, और जो ऐसे स्थलों को अपनी बपौती समझता है, समझो, वह अधर्मी है,... Hindi · कविता 2 3 548 Share Mahender Singh 16 Aug 2021 · 1 min read याद आते रहा हूँ आते रहूंगा याद यूं ही मुझे अठखेलियों में खोजते रहना. भूल पडे जो बचपन मे देखना बुढापे में खोजना रह जाये गर कमी महकते फूलों में गुलिस्तां... Hindi · कविता 4 5 358 Share Mahender Singh 16 Aug 2021 · 1 min read जमीर जमीन तलाश लो अपनी, खंड खंड है सबकुछ. अखण्ड कुछ भी नहीं, जमीर को तलाश जरा. जमीन नही, दो जून की रोटी के मोहताज पावोगे. Hindi · शेर 4 3 202 Share Mahender Singh 16 Aug 2021 · 1 min read प्रबल कुछ भी मिल जाये, मुकद्दर फिर भी नहीं, किस्मत बांझ है, है तुम्हारे अपने, किये धरे, बस तुम भूल गये ! . प्रबल फिर भी विचार, निर्णय फिर. समझ ले... Hindi · कविता 3 3 237 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read डर *डर की भी,अपनी अभिव्यक्ति है, वह शोर कर करके हिम्मत जुटाता है, चुनिन्दा लोगों पर निशाने बनाकर *खौफ़ फैलाता है, बिन पूछे हवा हवाई बातें करता है. वह विरोध से... Hindi · कविता 3 3 381 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read विधा विधा अविधा सुविधा ट्रेंड मांगती है. छल बल निर्बल हिम्मत मांगती है. भेद छेद भाव अभाव, बुद्धि लेखक के प्रयास लेखनी होने का Hindi · लघु कथा 2 2 519 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read दबंग डरते नहीं है लोग, आजकल. कैसे कहे दबंग है, निर्णायक घडी में, ठहरते भी तो नहीं, भाग जाते है. डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस Hindi · शेर 2 2 607 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read व्यंग्य कविता, प्रथम योग्यता प्रथम योग्यता जाति, कभी भुलाई नहीं जाती कर्म सिद्धांत को ठिकाने लगाती व्यर्थ के छल धरती, किसी को हीन. श्रेष्ठ सम्मान बढाती. अनपढ़ को भी द्विवेदी त्रिवेदी, चतुर्वेदी नहीं तो... Hindi · कविता 2 4 571 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read व्यंग्य कविता आज देश तमाशे वा तमाचों के दौर से गुजर रहा है जो झेल रहे है उन्हें सांत्वना, जो झोल मे है, उन्हें सद् मार्ग मिले, ऐसी कामना के साथ, वो... Hindi · कविता 2 2 464 Share Mahender Singh 14 Aug 2021 · 1 min read तुम कर सकते हो तुम कर सकते हो मुकाबले, भले हो खानाबदोश कबीले, रक्षा करनी तुम्हें आती है ले, उत्पाद हो पास, बेच धन ले. भले हो खानाबदोश कबीले. तुम कर सकते हो मुकाबले.... Hindi · कविता 2 2 534 Share Mahender Singh 14 Aug 2021 · 1 min read सुई धागा और कैंची सुई कहने से चुभ नहीं जाती, कैंची कहने से कोई कट नहीं जाता, चलते संभलकर कोई. कोई कंटक पैर में चुभ न पाता, चुभ भी गर, जाता, सुई से ही.... Hindi · कविता 3 3 852 Share Mahender Singh 13 Aug 2021 · 1 min read लौरिया नींद आने लगी है उसे, बिन लौरिया सुने हुए आदत मेरी बदलती नहीं, गुनगुनाने की .... Hindi · शेर 1 1 217 Share Mahender Singh 13 Aug 2021 · 1 min read सलीके बहुत ही सलीके से, बूरे काम अंजाम, लोग नहीं थे अंजान ठोकते रहे सलाम. . सलीके सलीके में ठन गई. मुझसे अच्छा कौन, तौर तरीके है सब मुझसे. मत खोना... Hindi · दोहा 5 4 509 Share Mahender Singh 13 Aug 2021 · 1 min read विचार मंथन आदिकाल में खोया नहीं, वर्तमान से है अनजान, भविष्य चिंता झलक रही. देखों अनजान इन्सान. . बोया बबूल तलाकात नहीं, पसंद सुस्वादु आहार, विज्ञापन देख ते लुभावने , नापसंद करते... Hindi · दोहा 4 4 615 Share Mahender Singh 11 Aug 2021 · 1 min read ये बस्तियां ये बस्तियां नाविक और किस्ती, होती है इनमें,देखो अजीब मस्ती एक से बढकर एक रहती हस्ती ठेकेदार मिस्त्री बेलदार समस्ती शराब पहुंचती यहां बहुत सस्ती बालक बूढ़े और जवान अवस्थी... Hindi · कविता 2 2 352 Share Previous Page 8 Next