विनोद सिल्ला 574 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 8 Next विनोद सिल्ला 17 Sep 2019 · 1 min read थकावट छू मंत्र थकावट छू मंत्र हर रोज थक जाता है दोलो-दिमाग शहर के वाहनों की पों-पों सुनकर सहकर्मियों की चिक-चिक सुनकर अधिकारियों की बक-बक सुनकर घर आने पर मुख्यद्वार पर बैठी चिड़ियों... Hindi · कविता 293 Share विनोद सिल्ला 13 Sep 2019 · 1 min read बाह्य मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन कोट-पैंट टाई ने बाह्य व्यक्तित्व बना दिया आकर्षक गिटपिट भाषा ने बना दिया इक्किसवीं शदी का लेकिन अंदर आदमी था वही पंद्रहवीं सत्रहवीं शदी पुराना वर्णाश्रम के सांचे... Hindi · कविता 226 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2019 · 1 min read मैं क्या करता मैं क्या करता उसकी दोस्ती से साजिशों की बू आ रही थी उससे पीछा न छुङाता तो क्या करता भले ही वह आज मुझे बेवफा कहे -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 529 Share विनोद सिल्ला 7 Sep 2019 · 1 min read भ्रष्ट शिक्षा तंत्र भ्रष्ट शिक्षा तंत्र शिक्षा के नाम पे चल रहे, कारोबार बंद हों। विकासोन्मुखी लाभदायक, शिक्षा का प्रबंध हो।। सेल लगी है आज उपाधियों की बाजार में, कहीं नकद में सौदे... Hindi · कविता 562 Share विनोद सिल्ला 7 Sep 2019 · 1 min read इंसान क्यों परेशान है इंसां क्यों परेशान है मुझे आता नहीं समझ फूलों की जात क्या है खुशबू का धर्म क्या है हवा की जात क्या है पानी का धर्म क्या है फलों की... Hindi · कविता 185 Share विनोद सिल्ला 5 Sep 2019 · 1 min read बिकती शिक्षा *****बिकती शिक्षा***** बिकती शिक्षा खरीद ले आजा। चाहे जो डिग्री ले मुन्ने राजा।। मना रहे हैं हम शिक्षक दिवस, निकाल के इस शिक्षा का जनाजा।। आठवीं तक होए फेल नहीं... Hindi · कविता 400 Share विनोद सिल्ला 4 Sep 2019 · 1 min read झाड़-झाड़ बैरी झाड़-झाड़ बैरी झाड़-झाड़ बैरी हुआ, क्या कर सके इंसान| ऐसे - ऐसे चल रहा, जैसा उसको ज्ञान|| जैसा उसको ज्ञान, हैं नेता मूर्ख बनाएं| जात - पात के रफड़, उसे... Hindi · कुण्डलिया 537 Share विनोद सिल्ला 31 Aug 2019 · 1 min read महंगाई ******महंगाई****** महंगी दालें क्यों रोज रुलाती। सब्जी दूर खङी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है, महंगाई में टमाटर नहीं भाता है, मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों... Hindi · कविता 369 Share विनोद सिल्ला 26 Aug 2019 · 1 min read बदले नहीं हालात बदले नहीं हालात जब-जब बदलती है सरकार बदल जाती हैं लोगों की पगङियां लोगों की टोपियाँ पगङियों के रंग पगड़ियों के ढंग यहाँ तक की लोगों के रंग-ढंग भी बदल... Hindi · कविता 369 Share विनोद सिल्ला 24 Aug 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन मन के द्वार देती हैं दस्तक बार-बार गमी व खुशी चिन्ता व बेफिक्री कभी हो जाता है मन भारी मानो पड़ा है इस पर कई मण भार कभी हो... Hindi · कविता 1 213 Share विनोद सिल्ला 23 Aug 2019 · 1 min read बहुत माहिर हैं बहुत माहिर हैं वो साध लेते हैं समीकरण वक्त के मुताबिक साध लेते हैं शब्दों को हालात के मुताबिक देते हैं वक्तव्य सार्वभौमिक कल्याणार्थ चढ़ा रखे हैं चेहरे पर चेहरे... Hindi · कविता 1 186 Share विनोद सिल्ला 22 Aug 2019 · 1 min read झूठ की चकाचौंध झूठ की चकाचौंध चीखते हैं टी. वी. चैनल एक सुर में मिला रहे हैं ताल सभी समाचार-पत्र इनके मालिक हैं सरकार में सांझेदार या हैं नतमस्तक विज्ञापन के नाम पर... Hindi · कविता 1 460 Share विनोद सिल्ला 21 Aug 2019 · 1 min read कौन है उत्तरदायी कौन है उत्तरदायी जब शुद्रों को नहीं था अधिकार सेना में भर्ती होने का युद्ध करने का तब होता रहा भारत बार-बार विदेशियों का गुलाम उस सब के लिए कौन... Hindi · कविता 1 408 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2019 · 1 min read खोई हुई आजादी खोई हुई आजादी मैं ढूंढ रहा हूँ अपनी खोई आजादी मजहबी नारों के बीच न्यायधीश के दिए निर्णयों में संविधान के संशोधनों में लालकिले की प्रचीर से दिए प्रधानमंत्री के... Hindi · कविता 1 269 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2019 · 1 min read प्रमाण प्रमाण वो समझता है खुद को सर्वश्रेष्ठ कर रखे हैं उसने गवाह तैयार जो दे रहे हैं उसके पक्ष में सर्वश्रेष्ठ होने की गवाही तमाम प्रमाण हैं उसके पास जिनसे... Hindi · कविता 2 236 Share विनोद सिल्ला 17 Aug 2019 · 1 min read हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में, आंखें उसकी लाल| हुआ वनों का दूहना, मानव को न ख्याल|| मानव को न ख्याल, जंगलों को रहा काट| आपदाओं को नियंत्रण,... Hindi · कुण्डलिया 2 448 Share विनोद सिल्ला 16 Aug 2019 · 1 min read दहेज दानव दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,... Hindi · कविता 2 319 Share विनोद सिल्ला 12 Aug 2019 · 1 min read अनुच्छेद दूसरा जान अनुच्छेद दूसरा जान अनुच्छेद दूसरा जान, जो है बड़ा विशेष| इसी के तहत सिक्किम का, संघ में हुआ प्रवेश|| संघ में हुआ प्रवेश, भारत का अंग बन गया| हर सिक्किम... Hindi · कुण्डलिया 1 247 Share विनोद सिल्ला 11 Aug 2019 · 1 min read पढ़ो प्रथम अनुच्छेद पढ़ो प्रथम अनुच्छेद भारत के संविधान में, पढ़ो प्रथम अनुच्छेद| वतन राज्यों का संघ है, रहे न कोई भेद|| रहे न कोई भेद, वतन का नाम बताया| भारत यानि इंडिया,... Hindi · कुण्डलिया 1 219 Share विनोद सिल्ला 10 Aug 2019 · 1 min read अनुच्छेद 47 अनुच्छेद 47 अनुच्छेद संतालिस पढ़, भारतीय संविधान| नशा नियंत्रण सत्ता करे, कर रहा है बखान|| कर रहा है बखान, इसे लागू करवाओ| नशों से कर के मुक्त, धरती को स्वर्ग... Hindi · कुण्डलिया 1 1 476 Share विनोद सिल्ला 10 Aug 2019 · 1 min read निजीकरण निजीकरण नौकरियां तो चढ़ गई, निजीकरण की भेंट| पेट पर पट्टी बांध कर, भूख-प्यास को मेट|| भूख-प्यास को मेट, ना कोए और चारा| यक्ष सवाल बन गया, कैसे होगा गुजारा||... Hindi · कुण्डलिया 1 241 Share विनोद सिल्ला 29 Jul 2019 · 1 min read सरकार के बाप सरकारों के बाप जब भी बदलती है सरकार बदल जाती हैं नीतियाँ नई नीतियाँ बनाती है सरकार अपने बाप के नाम पर बदल जाती हैं पुरानी नीतियाँ जो थीं पुरानी... Hindi · कविता 1 193 Share विनोद सिल्ला 28 Jul 2019 · 1 min read दायरे दायरे कर लिए कायम दायरे सबने अपने-अपने हो गए आदि तंग दायरों के कितना सीमित कर लिया खुद को सबने नहीं देखा कभी दायरों को तोड़ कर अगर देख लेता... Hindi · कविता 1 356 Share विनोद सिल्ला 27 Jul 2019 · 1 min read सवेरा सवेरा मेरे शहर के बाहर, झुग्गियों के पास, वहीं खेल रहे थे कुछ, युवक तास , उनसे छोटे भी वहीं, कंचे खेल रहे थे, एक-दूसरे की गंदीगाली झेल रहे थे,... Hindi · कविता 1 382 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read आज की तरह आज की तरह एक था वो समय जब मानव था अभावग्रस्त फिर भी नहीं होती थी मारा-मारी आज की तरह तब इंसान नहीं थे सभ्य परन्तु नहीं थे जन्मपूर्व क्न्या... Hindi · कविता 1 195 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बातूनी बातूनी मैं बैठा था एकान्त में होना चाहा निशब्द परन्तु हो न सका नहीं हिले होठ नहीं हिली जुबान लेकिन बोलता रहा अपने-आप से चलता रहा विचारों का चक्रव्यूह एकान्त... Hindi · कविता 1 202 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read प्रेम विवाह प्रेम विवाह उन्होंने नहीं की परवाह जमाने की नकार दिया परम्पराओं को हो गई मिसाल कायम हो गया आगाज परिवर्तन का खुल गए नए द्वार अगली पीढ़ी के लिए वे... Hindi · कविता 1 451 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन होता है विरोध हर परिवर्तन का नहीं आता रास परिवर्तन यथास्थितिवादियों को वे लगा देते हैं एड़ी-चोटी का जोर परिवर्तन रोकने के लिए लेकिन आज तक नहीं रोक पाया... Hindi · कविता 1 370 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read उपनाम उपनाम मुख्यद्वार पर लगी नेमप्लेट चिड़ा रही थी उन बूढ़े माता-पिता को जिन्होंने रखा था नाम अपने पुत्र का बड़े अरमान से बड़े लाड से बड़े चाव से उस नाम... Hindi · कविता 1 377 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read फरमान फरमान शीतकाल में धूप है कुदरत की अनमोल नियामत हर व्यक्ति अपना कार्य चाहता है निपटाना धूप में लेकिन मैं हूँ बाध्य कक्षाकक्ष में ही अध्यापन करने को फरमान है... Hindi · कविता 1 446 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read दिल में बसता है गांव दिल में बसता है गांव गांव छोड़े हो गए बीस वर्ष से अधिक वैसे तो गांव से आने के बाद भरपूर स्नेह दिया टोहाना शहर ने नहीं होने दिया प्रवास... Hindi · कविता 1 176 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read आंगन आंगन यह आंगन जिसमें बिता हमारा बचपन बहनें तो नदियों माफिक छोड़कर पहाड़ को जा मिलीं अपने-अपने सागर में हम दोनों भाई निकले थे दाना-चुगा लेने चिड़िया की तरह दोनों... Hindi · कविता 1 291 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read हंसना है महत्वपूर्ण हंसना है महत्वपूर्ण हंसता हुआ व्यक्ति लगता है बहुत सुंदर चित्र भी अक्सर लगते हैं सजिंदा हंसते हुए व्यक्ति के हंसी है कुदरत की नियामत जो छोड़ जाती है छाप... Hindi · कविता 2 338 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read मूल्यांकन मूल्यांकन आप हैं इंसान मैं भी हूँ इंसान बाकी भी हैं इंसान तो आप बाकियों से बड़े कैसे हैं यह है समझ से परे मुझे आता नहीं समझ कि मैं... Hindi · कविता 1 425 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read असल पीड़ा असल पीड़ा भरा है खेत पानी से झुके हुए हैं पानी में खेतीहर मजदूर कर रहे हैं रोपाई धान के पौधों की रह-रह कर पीड़ा होती होगी इनको दुखती होगी... Hindi · कविता 1 438 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read भविष्य भविष्य आज का युवा कल का है भारत कल का है भविष्य देखता हूँ अक्सर करते हुए गाली-गलौच उसे लांघते हुए सीमा सभ्यता की करते हुए आत्मसात नैतिक पतन को... Hindi · कविता 1 221 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सीखता रहा सीखता रहा ताउम्र सीखता रहा इंसान बहुत कुछ सिखाया इसे विकट परिस्थितियों ने अपनों के दिए जख्मों ने जीवन में खाईं ठोकरों ने पीठ पर हुए वारों ने बेवफाओं की... Hindi · कविता 1 226 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read स्वतंत्रता स्वतंत्रता हर वर्ष बुलेट-प्रूफ शीशों में से दिया जाता है भाषण कि आज हम मना रहे हैं स्वतन्त्रता की सत्तरवीं या इकहत्तरवी या कोई और वर्षगांठ इसके बाद नेता जी... Hindi · कविता 1 301 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बरसात बरसात आ गई बरसात देख रहे थे कब से राह इसकी लहलहा उठे पेड़-पौधे टर्रा उठे मेंढक हुई धींगा-मस्ती बच्चों की चल पड़ीं कागज की नाव मिल गई गर्मी से... Hindi · कविता 2 495 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बीता समय बीता समय ये सच है आदि काल में धर्म नहीं थे अंधविश्वास-आडंबर और भ्रम नहीं थे तब मानव के आत्मघाती कर्म नहीं थे जाति-मजहब नस्ल व वर्ण नहीं थे रहा... Hindi · कविता 1 428 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read चुनाव चुनाव देखा चुनाव का दौर प्रचार का शोर लगा हुआ एड़ी-चोटी का जोर किसी को बेचा किसी को खरीदा शह-मात का खेल शेर-बकरी का मेल किसी को रिझाया किसी को... Hindi · कविता 1 493 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सिरदर्द सिरदर्द कुछ एक लेकर आते हैं धरती पर अपने साथ सिरदर्द जो भी उनके आता है संपर्क में दे जाते हैं उसे सिरदर्द उनके लिए सब उत्सव-पर्व हैं बेकार उत्सव-पर्व... Hindi · कविता 1 377 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सवाल-जवाब सवाल-जवाब रेलवे स्टेशन पर बौद्धी वृक्ष के नीचे चबूतरे पर लेटी है एक वृद्धा सिरहाना बनाए अपनी पोटली का यह पोटली ही है उसका समूचा संसार जाने क्यों छोड़ दिया... Hindi · कविता 1 333 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read तिरंगा यात्रा तिरंगा यात्रा आज थी तिरंगा यात्रा उन हाथों ने थामा हुआ था तिरंगा सिर्फ और सिर्फ वोटार्थ वरना ताउम्र वो करते रहे उपेक्षा राष्ट्रध्वज की जिनकी मुंडेर पर फरकती रही... Hindi · कविता 2 2 235 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सर्वव्यापक सर्वव्यापक लोग बोलते हैं तो स्वार्थवश बोलना छोड़ते हैं तो स्वार्थवश स्वार्थपरता शह-मात तिकड़मबाज़ी षड़यंत्र के अतिरिक्त कहीं और कुछ है तो मुझे बताना ऊब गया हूँ इन सबसे चाहता... Hindi · कविता 1 319 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read मापदंड मापदंड रख दी गिरवी नैतिकता अपने अल्प लाभार्थ नहीं चूकते वतन को बड़ा नुकसान पहुंचाने से काट रहे हैं उसी डाल को जिस पर बैठे हैं होकर अनभिज्ञ संभावित खतरों... Hindi · कविता 1 314 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read कतार में कतार में वो है आमजन जब भी देखो मिलता है कतार में कभी रेलवे की टिकट खिड़की पर कभी राशन की सरकारी दुकान पर कभी गैस-एजेंसी की कतार में कभी... Hindi · कविता 1 330 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read गुल चाहता है मैं चाहता हूँ गुल चाहता हूँ न गुलिस्तान चाहता हूँ। वंचितों के ओठों पे मुस्कान चाहता हूँ।। चहूँ ओर गूंजते हैं मजहबी नारे, मैं भंवरों के मधुर गान चाहता हूँ।।... Hindi · कविता 1 361 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read आज का अखबार आज का अखबार ये आज का अखबार पढ़ लो। दुखद कई समाचार पढ़ लो ।। शौच के लिए गई लङकी से , सामुहिक बलात्कार पढ़ लो।। यौन शोषण के आरोप... Hindi · कविता 1 242 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read श्रमिक श्रमिक उस श्रमिक का चोटी से चला पसीना तय करके सफर पूरे बदन का पहुंचा एड़ी तक मिले चंद रुपए उसकी मेहनत पर किसी ने दलाली कमाई किसी ने आढ़त... Hindi · कविता 1 186 Share Previous Page 8 Next