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‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---12. || विरोध-रस के आश्रयगत संचारी भाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---13. || विरोध-रस के आश्रयों के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---14. || विरोधरस का स्थायीभाव---'आक्रोश' || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---15. || विरोधरस की पहचान || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---16 || विरोध-रस की निष्पत्ति और पहचान || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---17. || तेवरी में विरोध-रस || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---18. || विरोध-रस की पूर्ण परिपक्व रसात्मक अवस्था || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---19. || विरोधरस के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---20. || ‘विरोध-रस’ के रूप व प्रकार || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---21. || ‘विरोध’ के रूप || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---22. || विरोध के प्रकार || +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ सर्पकुण्डली राज छंद ‘ में 14 तेवरियाँ +रमेशराज
कवि रमेशराज
' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-1 ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-2 ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-3 ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
' मधु-सा ला ' चतुष्पदी शतक [ भाग-4 ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
“ नदिया पार हिंडोलना ” [ दोहा-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ जो गोपी मधु बन गयीं ‘ [ दोहा-शतक ] + रमेशराज
कवि रमेशराज
देयर इज एन ऑलपिन [ दोहा-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
गयी ब्याज में गाय || लम्बी तेवरी-तेवर पच्चीसी || -रमेशराज
कवि रमेशराज
“तभी बिखेरे बाती नूर” {लम्बी तेवरी-तेवर पच्चीसी } +रमेशराज
कवि रमेशराज
और भरो हुंकार [ लम्बी तेवरी-तेवर चालीसा ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
रावणों के राज में [ वर्णिक छंद में लम्बी तेवरी/तेवर चालीसा ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
मन ईलू-ईलू बोले [ लम्बी तेवरी-तेवर चालीसा ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
कायर मरते पीठ दिखाकर [ लम्बी तेवरी-तेवर चालीसा ] -रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ रावण-कुल के लोग ‘ (लम्बी तेवरी-तेवर-शतक) +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘पूछ न कबिरा जग का हाल’ [ लम्बी तेवरी , तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘ मेरा हाल सोडियम-सा ’ [ लम्बी तेवरी, तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
“जै कन्हैयालाल की! [ लम्बी तेवरी तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
विमोचन एक हिन्दी पुस्तक का [व्यंग्य] +रमेशराज
कवि रमेशराज
' ककड़ी के चोरों को फाँसी ' [ प्रचलित लोककथनों पर आधारित-लम्बी तेवरी-तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
घड़ा पाप का भर रहा [लम्बी तेवरी, तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘धन का मद गदगद करे’ [लम्बी तेवरी -तेवर-शतक] +रमेशराज
कवि रमेशराज
अन्तर आह अनंत अति [ लम्बी तेवरी – तेवर शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
'दे लंका में आग' [ लम्बी तेवरी--तेवर-शतक ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
लोक-शैली ‘रसिया’ पर आधारित रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज