Arun Prasad Language: Hindi 537 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read मंदिरों की ऐसी आस्थाएँ? ----------------------------------------------- निचले पायदान पर धकेले गए लोग हैं हम। अन्न हमारे सामने देवता प्रदत्त प्रसाद सा होता है उपस्थित। देवत्व के अधिकारियो, अन्न के हर छठे भाग को देवता से... Hindi · कविता 178 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read दर्प ------------------------- दर्पण में अपना चेहरा देखकर दर्पण को चिढ़ाना दर्प है। समर्पित मन से खुद को अर्पण करना व्यक्तित्व-बिम्ब के विंदु,रेखाओं में और आकलन अपना खुद का खुद से संपर्क... Hindi · कविता 219 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 2 min read दंगा –(एक) (अरुण कुमार प्रसाद) ----------------------- आज नफरत ने मुहब्बत से, सच ही नफरत कर लिया है। आदमी ने आदमियत से अब सच ही किनारा कर लिया है। आज सच शैतान आकर... Hindi · कविता 200 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read जंगल मत कहो- ----------------------------- इसे जंगल मत कहो। यह मेरा घर है। मृत्यु-तुल्य मत कहो मेरे जीने के तरीके को। यह मेरे जीवन का सफर है। शामिल हूँ जीवन की शृंखला में भोजन... Hindi · कविता 184 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read सच है जरूर, केवल पर श्मशान में -------------------------------------------- कौन सा सच जिंदा रहा है इस जहान में? कितने ही सारे सच दफन हैं हर मकान में। उल्लू की आँख है ये सच बोलता नहीं। है दफन सारे... Hindi · कविता 337 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read आप और हम आप प्रभु हैं दास हूँ मैं। आप खुश उदास हूँ मैं। आप दाता दरिद्र हूँ मैं। आप भरे-भरे छिद्र हूँ मैं। आप रौद्र भयभीत हूँ मैं। आप क्रोध विनीत हूँ... Hindi · कविता 151 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read आदमी,तुम्हें सारे भूले पल याद आ जाते हैं आदमी ----------------------------------------------------- आदमी,तुम्हें सारे भूले पल याद आ जाते हैं आदमी होने के और जानवर होने के भी। राज की बात भी और रोज़मर्रा की भी। याद आ जाते हैं... Hindi · कविता 183 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read शहर, आदमी का ------------------------------------------------- आदमी का शहर रहने दो इसे न बनाओ मंदिरों का शहर। दु:ख,दर्द,व्यथा बेबाक कहने दो यहाँ न बनाओ प्रार्थनाओं का नगर। अट्टालिकाओं से सजे पथों पर फुटपाथ भी रहने... Hindi · कविता 149 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read आजादी का पुनरागमन (यह १९७६-१९७७ की पंक्तियाँ हैं) ------------------------------------------------------------ आज हर रस्सी तुड़ा फिर लफ्ज सारे आ गये। मन की हर अभिव्यक्ति फिर से पँख सारे पा गये। ताख से उतरी हमारा हाथ... Hindi · कविता 154 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read आंदोलन आंदोलन अमर रहे पर खुद की हत्या की साजिश नहीं करे। संवाद तक लाने का दायित्व आंदोलन का है इसे फुस्स न करे। हिंस्र न हो वजूद और इम्तिहान हार... Hindi · कविता 178 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 2 min read अस्तित्व हमारे अस्तित्व का प्रारम्भ विन्दु इतना सूक्ष्म! कि वह न तात्विक है न यौगिक। न देह,न पदार्थ, न देवता। तरंग से होकर उत्पन्न तरंग में है पैठ जाता। किन्तु,हम करते... Hindi · कविता 344 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read अभिलाषा ------------------------------------------------------ नहीं चाहती सुरबाला सी इठलाना तुमको ललचाना। नहीं चाहती प्रेमी बनकर देह तुम्हारा,पौरुष पाना। वांछित बनना, उत्स तुम्हारा बन आलोक तेरे पथ जलना। मातृभूमि की गरिमा कहने हे कवि,मरकर,पुन:... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 216 Share Arun Prasad 19 Oct 2021 · 1 min read अब रात बिखर ही जाने दो ----------------------------- अब रात बिखर ही जाने दो। अब चाँद बिसर ही जाने दो। अब प्रहर सँवर ही जाने दो। अब दिन को सुंदर माने दो। कितने युग की यह रात... Hindi · कविता 150 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read नेता ----------------------------- शब्दों का संसार उठाकर ले तो आऊँगा मैं। पूछो मुझसे किन्तु, क्या-क्या दे जाऊँगा मैं। आशाओं का विशद ‘लिस्ट’ जो कभी न पूरा होना है। प्रजातंत्र से तंत्र हटाकर... Hindi · कविता 1 334 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read दंभ,शासन का दंभ,शासन का -------------------- निचले पायदान पर धकेले गए लोग हैं हम। भूख हमारे सामने एक त्रासदी है। सामंतवादियो, भूख अपने समक्ष उपस्थित करते हो तुम उत्सव की तरह। धिक्कार है... Hindi · कविता 361 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read धर्म (अरुण कुमार प्रसाद) ------------------------- धर्म खुश अगरबत्तियाँ जलीं। धर्म प्रारंभ भाले नुकीले। धर्म असभ्य। कबीले सभ्य। धर्म संपन्न। विवेक भव्य। धर्म, युद्ध। वर्चस्व क्रुद्ध। धर्म दंगा। कोई है नंगा। धर्म... Hindi · कविता 226 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read चलो साथ मेरे मंजिल तलाशें ( अरुण कुमार प्रसाद) ------------------------------------- उठाओ यहाँ से ये बिस्तर ऐ राही। चलो साथ मेरे मंजिल तलाशें। यहाँ धूप फैला, कहीं छांव होगी; इस स्रष्टा के सारे समुंदर तलाशें। तुम्हें... Hindi · कविता 1 289 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read उसकी जिन्दगी – -------------------------------------------- निम्न मध्यवित्त माहौल में वह पली. जन्म से मृत्यु तक जली केवल जली. जिस आग में जली वह कभी नहीं जला. उस युवती को गया पर बुरी तरह जला.... Hindi · कविता 471 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read आप आपके चरणों की खाना चाहता था कसम। किन्तु,भरे थे महावर से आपके पैर। स्निग्धता रूआँसा सा पड़ा था सौंदर्य के कोप-भवन में। जड़ हुआ हृदय। आपके मांसल, सुंदरता-सिक्त टांगों से... Hindi · कविता 236 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read कैसे पुरुष हो यार—एक ------------------------- ऐश्वर्य पर इठलाते हो। शौर्य पर गर्व करते हो। उत्तरोत्तर उन्नत होते रहने की कामना रखते हो। स्वयं को समस्त समाज के शीर्षोत्तम पर देखते रहने की भावना रखते... Hindi · कविता 385 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read घोड़े का दर्द --------------------------------- घोड़े का दर्द अनसुलझा है। जब तक आदमी के मन में घोड़े के असह्य दर्द की अनुभूति न जागे। अभागे! आदमी देखता है घोड़े की ओर । उसे मजबूत... Hindi · कविता 374 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read घर-द्वार --------------------- जिसने ईंट बनाए। जिसने नींव खोदे। जिसने पसीने बहाये। पत्थरों,औजारों के खरोंच सहे देह पर, जिसने। धूल,माटी,सीमेंट के ‘पावडर’ भरे फेफड़ों में,जिसने। गारा जिसने बनाया। ईंटों को जोड़ा जिसने।... Hindi · कविता 188 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read बेकार बातें ------------------ शहर की बातें बेकार नहीं हैं। शहर की परिभाषा गलत नहीं है। नहीं है त्रुटिपूर्ण,शहर का बनना। सत्य है शहर । शिक्षक है शहर। रक्षक है शहर। हमें होना... Hindi · कविता 498 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read सब्जीवाली औरत -------------------- झेल रही है वह सब्जी की दुकान बिना चहारदीवारी और छत के। सह रही है आलू,प्याज और अपनी ताजगी खोती हुई दूसरी सब्जियों के गंध। करती है महसूस सब्जियों... Hindi · कविता 325 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read ख़ुदा मुझको देना ----------------------------------- ख़ुदा मैंने तुमसे इतना कहा था। मुझे जीस्त देना नहीं ताज देना। सरल मन देना सबल तन लेकिन। कभी किन्तु, न नखरे न नाज देना। जीने के क्रम में... Hindi · कविता 175 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read दोस्ती के रिश्ते -------------------------------------------------- दोस्ती के रिश्ते मैंने देखे उधेड़ कर जब। दोस्तों ने खुशियाँ बांटे गैरों ने दर्द बांटे। सूरज की रौशनी से जब फूटा सिरफ़ लहू था। ये थे अँधेरे जिसने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read उसके घर में -------------------------------------------- अब तो नहीं किन्तु,तब तो हिसाब होगा। उसके जहाँ में होंगे जब,तब जबाब होगा। पढ़ो मर्शिया या गीता हर गुनाह शक्ल लेगा। मेरी जिन्दगी का लोगो यही एक सबाब... Hindi · कविता 1 161 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read बदकिस्मती को कहिये तो क्या कहिये ------------------------------------------------------------ मगर इस बदकिस्मती को कहिये तो क्या कहिये! हम मिले मगर,अपनी ही जमीन नहीं है पांव तले। धमका-डरा देगा यह आकाश यह हवा क्या जानें? सहम जायेंगे हम,हम तो... Hindi · कविता 1 273 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read एकाकी एकलव्य---- ------------------------------- रात्रि के निविड़ अंधकार में वन के एकांत छोर में वृक्ष की एक सद्यः युवा हुए डाल पर खुद से विनोद करता अंगूठे के जख्म सहलाता हुआ तम से... Hindi · कविता 1 508 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read जंगल-जिएँ ---------------------------------------- मेघ पहाड़ों पर टिका, आसमान पर चाँद। वन-विहीन इस प्रान्त में ढ़ूंढ़ रहा है छांव। वन उजाड़कर चला गया, वन का ठीकेदार। विरह,क्षुधा,दुःख दे गया वनवासी के द्वार। वन... Hindi · कविता 1 382 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read पता शुद्ध जीवन का ---------------------------------------- चला तो था मैं पूछने उसका पता। राह में मोह,भ्रम।लिप्सा था नंगा खड़ा। रुक गया मैं भी तमाशबीनों की तरह। व्याकरण सारे जीवन के गया गड़बड़ा। तब गणित खोलकर... Hindi · कविता 1 390 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गाँव की गली ------------------------- गाँव की गली। गुड़ की डली। मैं शहर की छली। अप्रिय सत्य में ढली। दारिद्रय में हुई गली। बिखरी गली-गली। सूर्य किरण से जली। चाँद की रौशनी से दहली।... Hindi · कविता 126 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read कल था एक गाँव ---------------------------------- छोड़ चुका हूँ गाँव कि जब मुझे कोई ज्ञान न था। इस शह-मात वाली दुनिया का कोई भान न था। सब सीधे सच्चे मन वाले ,सब अच्छे, सब सुंदर... Hindi · कविता 194 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read शैशव का युवापन ----------------------------------------- जिसे होता रहा उपहास का अहसास, उपेक्षित जो रहा हरपल, अन्तर्मुखी होता गया मानव हमेशा भीड़ से पलायन को प्रस्तुत वह रहा योद्धा। कि जिसने यातना के हर पलों... Hindi · कविता 174 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read पूजा का पीर ----------------------------------------------------- तराशे हैं बहुत पत्थर बहुत ईश्वर बनाये हैं। जिसे कहते हैं पूजा,थाल भी हमने सजाये हैं। समझ आये न वैसे छंद हमने भी दुहराए हैं। युगल कर जोड़ अपनी... Hindi · कविता 237 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 4 min read शहर --------------------------------------- शहर में मुझे तो शहर ढूंढे न मिला। यहाँ था असभ्यताओं का सिलसिला। गुनाहों के कब्र से निकलते लोग देखे। उसीके यश में गाते,उछलते लोग देखे। ठंढ़ी रात में... Hindi · कविता 190 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read अपार अब मैं हँसूं ---------------------------------------- अगर मैं हंसा अगर मैं हंसा दरके पहाड़ जुड़ेंगे. सूखी नदियों में बाढ़ आ जायेंगे. बेतहासा भागती हुई हवा जायेगी ठहर. यह खन्डहर होगा एक युवा सजा-धजा शहर. मेरा... Hindi · कविता 207 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गजल --- अभी जो रात है और जो अँधेरा है. अभी जो रात है और जो अँधेरा है. कल की कोख का खूबसूरत सबेरा है. शहर की चारदीवारी में बंद दरवाजे. कर्म से तेरे खुलेंगे वादा यह तेरा है. किसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गजल--इश्क को चाहिए क्यों कुछ वक्त -------------------------------------------------- इश्क को चाहिए क्यों कुछ वक्त बयाँ होने तक. आह को जलना,जलाना है क्यों जुबाँ होने तक. तम का हर सैलाब है तेरा सूर्य हो जाने तक. रात ठहरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 170 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read ईश्वर गणित है ----------------------------------- ईश्वर गणित है गणित, प्रारंभ और अंत से पूर्व का. होना प्रारंभ नहीं है. नहीं होना अंत नहीं है. होना और नहीं होना गणित है. अत: होना और नहीं... Hindi · कविता 493 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read उसके घर में -------------------------------------------------- अब तो नहीं किन्तु,तब तो हिसाब होगा. उसके जहाँ में होंगे जब,तब जबाब होगा. पढ़ो मर्शिया या गीता हर गुनाह शक्ल लेगा. मेरी जिन्दगी का लोगो यही एक सबाब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read मिलते हैं शब्द मुहब्बत को क्यों मिलते हैं शब्द मुहब्बत को ही? क्रोध की कविताएँ क्यों नहीं छलकती? घृणा से ओत-प्रोत जनसंख्या में मनुष्य. क्यों घृणा की हसरत कलम को नहीं चढ़ती? उसी दिल की... Hindi · कविता 215 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गजल ------ साँझ का धुंधलका सब कुछ, साँझ का धुंधलका रे. ------ साँझ का धुंधलका सब कुछ, साँझ का धुंधलका रे. आज धुँध में लिपटा-लिपटा किसे पता है कल का रे. ना यह अपना,ना वह अपना;फागुन,वर्षा,जाड़ा,गर्मी. जो आया तन जला गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गजल----------- इश्क को चाहिए क्यों कुछ वक्त बयाँ होने तक. इश्क को चाहिए क्यों कुछ वक्त बयाँ होने तक. आह को जलना,जलाना है क्यों जुबाँ होने तक. तम का हर सैलाब है तेरा सूर्य हो जाने तक. रात ठहरी है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 170 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 2 min read गाँव आज भी ---------------- सभ्यताओं का,अच्छी संस्कृति का प्रतीक है शहर. किन्तु रह गया है बनकर बाजार. दुकानदार पूछता है क्या खरीदोगे सर. गाँव में लोग पूछते थे कैसे हो भाई जी. गाँव... Hindi · कविता 179 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read गाँव सहमा हुआ आया है जीता ----------------------------------- गाँव सहमा हुआ आया है जीता। सारे घुटन और त्रास एकाकी पीता। गाँव शतरंज की बिसात सा बिछा है। कौन किसको खेलेगा बात-बात में छिपा है। शहरों में आकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 178 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 6 min read घोषणा, युद्ध की (महाभारत) ------------------------------------------------ रास रचानेवाला कान्हा क्यों हो गया कठोर | चुरा सका ना कौरव का चित्त कान्हा सा चितचोर| मुरली से कर देनेवाला विश्व को पूर्ण विभोर| पंचजन्य क्यों फूँक- फूँक... Hindi · कविता 1 532 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 3 min read चौराहा सा मन -------------------------------------------- चतुर्दिक चौराहा सा पसर गया है मन. कहीं क्षोभ,क्लेश,क्रोध कहीं तिक्त उत्पीडन. टूटे प्लास्टिक और चीगदी कागज,धातु के टुकड़े बीनती औरतें,बच्चे और विक्षिप्त? बुजुर्ग पुरुष पड़ोली के हाट से... Hindi · कविता 1 258 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read जग का पागलपन ----------------------------------------------------------- लोगो देखो जग का कोना पागल जैसा हँसना-रोना। विज्ञानों को चीर-फाड़ कर हथियारों का जंगल बोना। मानव लड़ते मानव ही से गिद्धों सा नोचे वे तन,मन। दौड़े आते रण... Hindi · कविता 1 1 516 Share Arun Prasad 17 Oct 2021 · 1 min read तुम्हें देखकर ---------------------------------------------- रात पूरी ही गुजर गयी। बातें जो कहनी थी कहानी बन गयी। पुनर्जन्म होगा तो सुनाऊँगा। तुम्हारे गौरव का अहंकार कितना! क्रूर था बताऊंगा। मेरा गर्व जो खण्डित हुआ... Hindi · कविता 292 Share Previous Page 6 Next