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19 Oct 2021 · 1 min read

अभिलाषा

——————————————————
नहीं चाहती सुरबाला सी
इठलाना तुमको ललचाना।
नहीं चाहती प्रेमी बनकर
देह तुम्हारा,पौरुष पाना।
वांछित बनना, उत्स तुम्हारा
बन आलोक तेरे पथ जलना।
मातृभूमि की गरिमा कहने
हे कवि,मरकर,पुन: जनमना।
——————–18/9/21 —————————
पुनर्लिखित

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