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मनुष्य जीवन जीने की राह पर चलते हुए ऐसे झंझट और जंजाल में उलझकर रह रहा है कि उसके द्वारा अपने अस्तीत्व की रक्षा करने में जो कुछ भी उचित नजर आए उसे सही मान कर उसे अपना लेता है। आपकी रचना में यह सब परिलक्षित हो रहा है। शुभकामनाओं सहित।
मनुष्य जीवन जीने की राह पर चलते हुए ऐसे झंझट और जंजाल में उलझकर रह रहा है कि उसके द्वारा अपने अस्तीत्व की रक्षा करने में जो कुछ भी उचित नजर आए उसे सही मान कर उसे अपना लेता है। आपकी रचना में यह सब परिलक्षित हो रहा है। शुभकामनाओं सहित।