suresh sangwan Tag: ग़ज़ल/गीतिका 221 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid suresh sangwan 14 Dec 2016 · 1 min read हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये इस क़दर चमन सारा महकाते चलिये रखना कलाम रामानुज को दिल में अपने हर तरफ ज्ञान के दीप जलाते चलिये दिल के दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 396 Share suresh sangwan 12 Dec 2016 · 1 min read छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने गुलशन इसी तरहा बाख़ूबी सींचा हमने रंग-ए-वफ़ा घुलता गया हवाओं में हाये पाया दर्द में मोहब्बत को मिटता हमने तू देख बाती नयनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 652 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ज़ज़्बात अपने हैं ख़यालात अपने हैं ज़ज़्बात अपने हैं ख़यालात अपने हैं लफ्ज़ मगर मैने चुराए हैं ज़मानेवाले कभी आन पर बनी कभी शान पर बनी वादा-ए-वफ़ा हमने निभाए हैं ज़मानेवाले रेत निकाल कर यारब मेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 287 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read दुनियाँ भर की खाक़ हम छानते रहे दुनियाँ भर की खाक़ हम छानते रहे ज़िंदगी में ज़िंदगी से भागते रहे कुछ राबता तो है उस शहर से मेरा पलके बिछाए रास्ते मुझे ताक़ते रहे ना ज़मीन को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 341 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंकते रहे ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंकते रहे हिलता हुआ फिर अक्स अपना देखते रहे शहर में तूफ़ानों का आना- जाना लगा रहा हैरान नज़र भी हुई और पहरे देखते रहे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 332 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो तीर- ए- नज़र ही काफ़ी है तलवार रहने दो ठोक़रों ने सिखा दी दुनियाँदारी अच्छी हाय सच अधूरे छापें हैं अख़बार रहने दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 407 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read जिंदगी का वो अपनी नज़राना लिए फिरता है जिंदगी का वो अपनी नज़राना लिए फिरता है नज़रानों में हसरत-ए-मयख़ाना लिए फिरता है लबों पे तेरे आकर हर बात ग़ज़ल लगती है वर्ना कितने ही लफ्ज़ ये ज़माना लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 325 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ रस्म-ए-उल्फ़त का मुझको होता है इम्कान कुछ वो दिलक़श लम्हा इक़ बीज़ हरा छोड़ गया दिल में एहसास ये हुआ जैसे मुद्दत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 357 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read राहें बहारों की कौन देखे हम खिज़ाँ के पाले हुए हैं राहें बहारों की कौन देखे हम खिज़ाँ के पाले हुए हैं काँटों से नहीं ख़ौफ़ ज़रा फूलों से हमको छाले हुए हैं बरसात की तरहा बरस पड़ते हैं जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 279 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read इंसान कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं इंसान कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं दिल से होते हैं साफ़ जो लोग खरे होते हैं रह-ए-तलब में ना हो परेशां ज़ुल्फो की तरहा लोग सच से नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 324 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read चल दिया सफ़र पर अब मिलना किससे मिरा हो चल दिया सफ़र पर अब मिलना किससे मिरा हो क्या मिले कैसा मिले अच्छा हो क़ि बुरा हो सच से अगर टूटता है दिल-ए-नाज़ुक किसी का झूठ भी इस कदर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 278 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो उसके तस्व्वुर से दिल गुलज़ार क्यूँ ना हो दिल में शहनाई- सी बजे उसकी बातों से ना सुनूँ अब वाइज़ की गुफ्तार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 410 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read मोहब्बत की तुमसे रवानी चली है मोहब्बत की तुमसे रवानी चली है अब जाके मिरि जिंदगानी चली है मसला हमसफ़र का हो या मंज़िल का बात वही फिर से पुरानी चली है लाई कहाँ से हौसले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 402 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read यूँ कि हम बोलते बहुत हैं पर कहना नहीं आता यूँ कि हम बोलते बहुत हैं पर कहना नहीं आता जीये रहगुज़र में दिल में तो रहना नहीं आता आने से चला है किसी के न जाने से रुका है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 293 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read दुनियाँ-ए- महफ़िल में हँसना हँसाना जान गये दुनियाँ-ए- महफ़िल में हँसना हँसाना जान गये हम अपने दर्द छिपाकर मुस्कुराना जान गये तमन्ना थी चाँद तारों में हो अपना भी हिस्सा जहाँ-ए-हकिक़त में मुफ़लिस का ख़ज़ाना जान गये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 437 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read आज का दिन भी कल के रोज़ सा है आज का दिन भी कल के रोज़ सा है मे गंगू तेलि ये राजा भोज सा है ज़ुल्फ ही देख लेती है मौसम यहाँ नज़रों में तो हरसू इक़ सोज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 265 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी तमन्ना -ए-दिल है जहाँ फिर मचल जाएगी वो परबत ज़रूर है पर पत्थर का नहीं दिखेगी आँच ज़रा और बर्फ़ पिघल जाएगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 430 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बशर कैसे बचे बचा तो खुदा भी नहीं बशर कैसे बचे बचा तो खुदा भी नहीं ज़िंदगी कुछ इश्क़ के सिवा भी नहीं दिल-ए-बीमार का हाल यही होना था कोई दुआ भी नहीं कुछ दवा भी नहीं फक़त... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 667 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ईश्क़ जिसे लाचार कर दे मैं वो नहीं ईश्क़ जिसे लाचार कर दे मैं वो नहीं आँख को ख्वाबों से भर दे मैं वो नहीं चाहिए तो बस तेरी नवाज़िश चाहिए निस्बत हो जिसको दौलत से मैं वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 290 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read सलाम आया है अभी पैग़ाम बाकी है सलाम आया है अभी पैग़ाम बाकी है उठा नहीं अभी तक वो गाम बाक़ी है तबीयत हो कि मौसम बिगड़ ही जाता है इनकी भी कोइ बननी लगाम बाक़ी है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 295 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read शोख़ नज़रों में हाय मैख़ाना लिए फिरता है शोख़ नज़रों में हाय मैख़ाना लिए फिरता है फिर भी हर दिल ख़ाली पैमाना लिये फिरता है दिल की शमाँ जले गर तू निगाह भर के देख ले आँखों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने ख़ेल तमाशा ही उल्फ़त में होते हुए पाया हमने उड़ती खबरें जलती तस्वीरें अख़बारी तहरीरें हरेक शख़्स को कहीं न कहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 544 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read तमन्ना थी ज़माने में कोई हमसा निकले तमन्ना थी ज़माने में कोई हमसा निकले कोइ फिर उससे मोहब्बत का सिलसिला निकले गर है कोई लय कोई तर्ज़ ज़िंदगी में तो अब दिल से मीठे - मीठे दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read तमाम जिस्म की नज़र बना के देखिये हुज़ूर तमाम जिस्म की नज़र बना के देखिये हुज़ूर दुनियाँ-ए-नज़र सि नज़र बचा के देखिये हुज़ूर क्या इम्तिहान-ए-ज़ब्त अगर वो सामने नहीं रु-ब-रू दिल पर क़ाबू रख के देखिये हुज़ूर नुक्ताचीन्... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 405 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बैठकर साहिल पे लहर का उठना देखेंगे बैठकर साहिल पे लहर का उठना देखेंगे जल उठी शमां अब परवाने का मिटना देखेंगे खोकर खुद को ए नादां तू किसको ढूँढने चला लोग शहर-शहर गली -गली तेरा लुटना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 488 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read उस पे दुनियाँ लुटाने को जी चाहता है उस पे दुनियाँ लुटाने को जी चाहता है सुलूक-ए-इश्क़ आज़माने को जी चाहता है बड़े तकल्लुफ में गुज़री है ज़िंदगी कल तक आज कुछ बेबाक़ होने को जी चाहता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 356 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ख़ौफ़ के मंज़र यादों से मिटाओ फिर से ख़ौफ़ के मंज़र यादों से मिटाओ फिर से सब मिलजुल कर मीठे नगमें गाओ फिर से बेरंग से मौसम हरसू हैं फ़िज़ाओं में चलो त्योहार होली के मनाओ फिर से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 253 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये इस दिल को मुस्कुराए हाय ज़माने हो गये नज़र रह गई तकती मौसम-ए-बरसात को बादलों के जाने अब कहाँ ठिकाने हो गये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 684 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे रस्ता मोहब्बत से मिरे घर का कर दे मुझे खिड़की से बुलाए है चाँद रात को दिन कोई मुक़म्मल मुलाकात का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 423 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए वही खिड़की वही मंज़र सूना सा गलियारे का एक़ झरोखा चौराहे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read चलो आज ये बात भी आर-पार हो जाये चलो आज ये बात भी आर-पार हो जाये दुश्मन दुश्मन ही रहे यार -यार हो जाये ये जो उछालते हो गिरा- गिरा के उठाते हो कहीं ऐसा न हो की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read गुलशन-ए-दिल जिसने महकाया है गुलशन-ए-दिल जिसने महकाया है वो मौसम अब जाकर आया है तान के चादर सोइ थी कब से उन्हीं ख्वाहिशों ने जगाया है किसी भँवरे ने बड़ी शिद्दत से गुलाबों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read कल ऐसा क्या लिये बैठा है कल ऐसा क्या लिये बैठा है आज को मुश्किल किये बैठा है वो क्यूँ वफ़ाओं से ख़ाली है किस बाज़ार में दिये बैठा है बहुत बोलता है जुनूं उसका यक़ीनन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read पढ़नी होगी क्यूंकि क़िताब कोर्स की है पढ़नी होगी क्यूंकि क़िताब कोर्स की है नहीं शौक़-ए-पढ़ाई हम पर फोर्स की है हिंदी एंग्लिश तमिल तेलुगू उड़ीया हिन्दुस्तानी ज़बान बड़े रिसोर्स की है बतलाओ यहाँ था किसको शौक़-ए-शादी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 403 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ज़रा बज़्म को सजाइये इक बार ज़रा बज़्म को सजाइये इक बार ग़ज़लें दिल से सुनाइये इक़ बार हक़ीक़त भी होगा फ़साना यही यकीं-ए-उल्फ़त दिलाइये इक़ बार गिरा के अपनी अदा से बिजलियाँ कहा अब होश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 266 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read पिज़्ज़ा बर्गर के मुक़ाबले बहुत पिछड़ी है पिज़्ज़ा बर्गर के मुक़ाबले बहुत पिछड़ी है अब तो बस मरीज़ ही खाय दलिया खिचड़ी है जहाँ अश्क़ गिरें उठे आग वहाँ से कैसे धुआँ ही धुआँ हरसु देती गीली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 242 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read सारे जहाँ को छोड़कर आना सारे जहाँ को छोड़कर आना इक़ इशारे पर दौड़कर आना यही तो है शर्त मोहब्बत की रुख़ हवाओं का मोड़कर आना जो महका दे ता-उम्र के लिये फूल कोइ ऐसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 241 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read शहर से गुज़रे तो भटके हुए चेहरे मिले शहर से गुज़रे तो भटके हुए चेहरे मिले कुछ ढूँढने ज़मीं तक लटके हुए चेहरे मिले होता कोइ हमदर्द कोइ हमनवां तो फिर क्यूँ हर संग पे सर को पटके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 248 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read आफ़ताब में आग और बादल में पानी से आफ़ताब में आग और बादल में पानी से बहुत खुश हूँ ए आसमाँ तेरी सायबानी से प्यारा इक ख़्वाब पलक पे आकर बैठ गया महक उठा है मोहब्बत की मेहरबानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 275 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read मजबूरी है आवारगी फ़ितरत नहीं मेरी मजबूरी है आवारगी फ़ितरत नहीं मेरी रहने को घर ही ना मिले ये और बात है काली घटाओं को देखकर दिल खुश था बहुत सूखा मेरा आँगन रहे ये और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 358 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ए ज़िंदगी मुझको तेरी रस्म- ओ- राह देखनी है ए ज़िंदगी मुझको तेरी रस्म- ओ- राह देखनी है उठाए दिल में क़सक जब उठे वो निगाह देखनी है वक़्त जहाँ जा के ठहरता है मुझे वो शै दिखा दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 274 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ना मिले गर सज़ा तो ज़ुर्म करने में हर्ज़ क्या है ना मिले गर सज़ा तो ज़ुर्म करने में हर्ज़ क्या है कौन जाने इस दुनियाँ में इंसाफ़ की तर्ज़ क्या है तोड़ा गया इस से पहले के फ़ूल बन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 226 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read खुदा तो नहीं देखा पर एहसास मिलता रहा है खुदा तो नहीं देखा पर एहसास मिलता रहा है पिता बन के मेरे साथ हमेशा चलता रहा है न दिखा सके किसी रात में ख़ौफ़ अंधेरे मुझको एक शख़्स दीया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 310 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए अपने काम में दिल लगाना सीखिए सर- ए- रह मिल जाएगी ज़िंदगी बंदे दिल की गली में आना-जाना सीखिए उँची परवाज़ की ख़ातिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read तेरे ईश्क़ को सलाम दिल-ए-बहारा कर लें तेरे ईश्क़ को सलाम दिल-ए-बहारा कर लें हसरत है जुग्नुओं को भी अब सितारा कर लें मुझे आईना बना लो तुम फिर ख़ुद को देखना कैसे गिरती हैं बिजलियाँ नज़ारा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 240 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read सिवा हमारे नफ़रतों को मिटाने वाला कौन है सिवा हमारे नफ़रतों को मिटाने वाला कौन है हिंदुस्तान को मोहब्बत सिखाने वाला कौन है वो और होंगे जो कहा दुनियाँ का सुनते हैं तूफ़ानों को रास्ते बताने वाला कौन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 270 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read दरवाज़े सबके लिए खोलता है दिल्ली शहर दरवाज़े सबके लिए खोलता है दिल्ली शहर इंसान को इंसान से जोड़ता है दिल्ली शहर हाय हामिद का चिमटा कभी आतिश-ए-ईश्क़ में आज भी मुंशी ग़ालिब को खोजता है दिल्ली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 316 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read क़ाम कुछ कर न कर बस काम की फ़िकर कर क़ाम कुछ कर न कर बस काम की फ़िकर कर हर किसी के रू-ब-रू फ़िकर का ज़िकर कर ना- समझ हैं जो समझ बैठे आसां है मंज़िल तो मिलेगी मुश्किलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 566 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये ले जा के तूर पर सर हवाओं के फोड़े गये आने लगे थे ख़्वाब कुछ हाये दिल से उठकर मानिंद गीले कपड़े के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 491 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ना इत्तेफ़ाक़ कोई ना कोई क़हर चाहिये ना इत्तेफ़ाक़ कोई ना कोई क़हर चाहिये नींद टूटे वो रु-ब-रु हों ऐसी सहर चाहिये कायनात को समझ पाउँ गीतांजली पढ़ के इक बार टेगौर का वो मुझको शहर चाहिये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 613 Share Page 1 Next