Mugdha shiddharth Language: Hindi 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Mugdha shiddharth 21 Jul 2020 · 1 min read भूखे नंगे वो बन्दा ही तारीफ के काबिल है ... खरोच कर बदन को जिस ने औज़र कर लिया मेहनत के भट्ठी में खुद को आफताब कर लिया लिखने वाले लिखते हैं,... Hindi · कविता 3 3 440 Share Mugdha shiddharth 21 Jul 2020 · 4 min read सुगंधा की बकरी ...2 नीलेश प्रसाद लेते हुए बोला "ला खा लेता हूं तू प्रसाद समझ कर दे मैं मीठा समझ कर खा लूंगा.. सुगंधा खुश हो गई ... और मुस्कुराते हुए रसोई की... Hindi · कहानी 2 1 360 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 4 min read सुगंधा की बकरी ...2 नीलेश प्रसाद लेते हुए बोला "ला खा लेता हूं तू प्रसाद समझ कर दे मैं मीठा समझ कर खा लूंगा.. सुगंधा खुश हो गई ... और मुस्कुराते हुए रसोई की... Hindi · कहानी 2 2 414 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read काफ़िर काफ़िर कहाने में मुझे कोई उज्र नहीं सोचती हूं क्या खुदा वाकई रहा होगा ? रहा भी गर होगा तो क्या जूठी भात डबरे का पानी पीने को वो भी... Hindi · कविता 4 451 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read मज़ाक मरते भागते लोगों की खबर न ली भूख से बिलखते बच्चों की रुदन न सुनी अपनी अना सहलाने के लिए ताली थाली बजवाई, हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए रोते बिलखते लोग... Hindi · कविता 3 562 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक क्या गजब की कोई किसी का नहीं सुनता सुना है कहीं, फांके में लोग बहरे हो जाते हैं ~ सिद्धार्थ 2. हिटलर पैदा नहीं होता पागलों को पूज कर अकर्मण्य... Hindi · मुक्तक 2 414 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read हत्यारे जुटा लेते हैं हथियार हत्यारे जुटा लेते हैं हथियार और खोज निकालते है वो जगह जहां छुपाया जा सके हत्या के बाद खून लगा हथियार इतिहास गवाह है हत्यारों ने चुना है सफेद परदे... Hindi · कविता 3 2 516 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read तुम भूल जाना तुम भूल जाना कि जिंदगी के कैनवास पे कोई पतली सी हंसी की लकीर उभरी थी जो तुम्हारी ओर देखते ही सुर्ख हो जाया करती थी तुम भूल जाना की... Hindi · कविता 6 2 494 Share Mugdha shiddharth 19 Jul 2020 · 4 min read #सुगंधा_की_बकरी सुगंधा कुछ बडबडाते हुए तेज - तेज कदमों से आंगन पार कर रही थी। उसके एक हाथ में छोटी सी बाल्टी दूसरे में बांस की छोटी सी टोकनी जिसमें रात... Hindi · कहानी 8 6 330 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read आदमी आदमी मुक्कमल हो तो कोई बात बने भले घर में गर दाना न हो तो कैसे न दिन रात खले हमरी देहरी पे तो दिया भी बुझा हुआ रक्खा है... Hindi · कविता 3 1 179 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक मैं शख्त तो नहीं था मुझे तख्त से गरज भी नहीं था औरों के लिए बड़ा अपने लिए छोटी चीजों में हर्ज नहीं था ! ~ सिद्धार्थ 2. भूखे मानुष... Hindi · मुक्तक 2 1 266 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read साहिर - अमृता साहिर के सेल्फ में परी अमृता की जूठी कप कभी धोई नहीं गई कप के होठों पे वो सुर्ख बोसा सदैव जवान रहा बाद अमृता और साहिर के भी... ~... Hindi · कविता 4 1 260 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read प्यार जिंदा रहे दिलों में प्यार जिन्दा रहे दिलों में दिल वर्ना माज़ूर हो जाएगा आग से नहाया देह कभी फूल कभी धूल हो जाएगा जिंदगी के उम्दा दरिया में देह तो बस इक नाव... Hindi · कविता 2 1 206 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read प्यार जिंदा रहे दिलों में प्यार जिन्दा रहे दिलों में दिल वर्ना माज़ूर हो जाएगा आग से नहाया देह कभी फूल कभी धूल हो जाएगा जिंदगी के उम्दा दरिया में देह तो बस इक नाव... Hindi · कविता 2 186 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read मुहब्बत 1. मुहब्बत में महबूब पे मर जाना ही इश्क है जिस को ये रोग हो मौत को कबूल करे! ~ सिद्धार्थ 2. उसकी याद और तनहाई का घर है दिल... Hindi · मुक्तक 2 425 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read दर्द 1. बात तो तब बने जब दर्द पे अपने रोएं दूसरे खुदी का खुद पे रोना भी भला कोई रोना है ! ~ सिद्धार्थ 2. उसकी याद और तनहाई का... Hindi · मुक्तक 2 1 432 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक मैं क्या ही लिखूंगी शेर कोई, मैं शायर थोड़ न हूं तुमको सोचती हूं... जो छलकता है शब्द बन के छुपाऊं उसे, मैं कायर थोड़ न हूं । ~ सिद्धार्थ... Hindi · मुक्तक 2 1 338 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक 1. कहने वालों में हम बैठें हैं कौन अपनी सुनपाएगा लफ्ज़ों के बीच फसा जज़्बात अल्फ़ाज़ ही रह जाएगा ~ सिद्धार्थ 2. हम तेरे दिल में एक दिन एहसास बन... Hindi · मुक्तक 1 335 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक 1. कहने वालों में हम बैठें हैं कौन अपनी सुनपाएगा लफ्ज़ों के बीच फसा जज़्बात अल्फ़ाज़ ही रह जाएगा ~ सिद्धार्थ 2. हम तेरे दिल में एक दिन एहसास बन... Hindi · मुक्तक 2 477 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read विश्वास होना था क्यूं तुम्हें पलकों को आंसुओं से भिगोना था दर्द से जर्द चेहरे को भी हसी में फिर डुबोना था तुम कहती हो हालत ए हाल था ख़राब उसका ख़राब हाल... Hindi · कविता 3 1 472 Share Mugdha shiddharth 18 Jul 2020 · 1 min read इक मैं औरत ... इक तुम पुरुष इक मैं औरत ... जिसने जना तुम्हें अपनी मांस मज्जा से दिया देह का तना तुम्हें इक तुम पुरष ... कहा नर्क का द्वार मुझे मेरी जाई को नोच चोथ... Hindi · कविता 2 286 Share Mugdha shiddharth 17 Jul 2020 · 1 min read मुझे इश्क में गुनाह भी कबूल है तेरे यादों का जो इक फूल है सुबह शाम मुझे यूं ही कबूल है तेरे नक्स में तेरे अक्स में मुझे दर्पण होना भी कबूल है वादा देने की तुम्हारी... Hindi · कविता 5 5 244 Share Mugdha shiddharth 17 Jul 2020 · 1 min read रहबर ए कौम मेरे सच को भी कसौटियों पे यार परखा जाएगा उनके झूठ को भी इनायत कह कर नवाजा जाएगा हम मूत मइन होकर ही बैठे हैं रहबर ए मुल्क से सच... Hindi · कविता 5 2 358 Share Mugdha shiddharth 17 Jul 2020 · 1 min read वो भगवान हो गया मैंने पत्थर को तरासा वो भगवान हो गया वो मंदिर में बैठा पुजारी धनवान हो गया आशीष कहां जाकर बरसी मुझे मालूम नहीं मैं दीन तो तब भी था अब... Hindi · कविता 5 1 584 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read मैंने ईश्वर को नहीं देखा... 1. मैंने ईश्वर को नहीं देखा... हां... जहां से प्रेम गुज़रा हर उस जगह पे मैंने उसे महसूस किया ... प्रेम और परमात्मा पृथक नहीं हो सकता... ... सिद्धार्थ 2.... Hindi · मुक्तक 5 2 251 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read कल रात तुम मिले थे 1. मेरे सुकून को तेरी तस्वीर काफ़ी है शब-ए-हिज्र में ये तदबीर काफ़ी है ~ सिद्धार्थ 2. दिल में रहने वाले लोग दिल को बड़ा दुखाते हैं कहते हैं हम... Hindi · मुक्तक 2 213 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read और कहना "वो पागल थी" प्रेम पत्रों की नमकीन दुनियां अब तो ... तबाह हो गई अब नहीं लिखे जाते प्रेम पत्र अब नहीं छुपाया जाता प्रेम पत्रों को आटे के डिब्बों में संदूकची के... Hindi · कविता 5 3 439 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read वजह ढूंढ़ती हूं मैं तेरे हर एक लब्ज में मुस्कुराने की वजह ढूंढ़ती हूं मैं ये न जाने क्यूं और किस वजह से ढूंढ़ती हूं । तू इक बार छलक कर ईसारों में... Hindi · कविता 4 1 276 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read ढकी हुई ओरतें भी उघारी गईं... औरतों को हर जगह, हर बार , बार - बार नंगा किया गया ढकी हुई औरतों को भी नंगा किया गया दहलीज़ों के अंदर घर के अंधेरे कोनों में घेरा... Hindi · कविता 2 2 496 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read प्रेम है जब तक अमृता है तब तक जब तक प्रेम जिंदा है अमृता भी जिंदा रहेगी साहिर की जूठी सिगरेट चुनते हुए छुप छुप कर उसे फूंकते हुए धुएं के गोल छलले में साहिर की धुंधली तस्वीर... Hindi · कविता 5 6 262 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read कोरोना हमने ताली, थाली, टॉर्च, दिया, मोमबत्ती सब जलाया साहेब के कहे हर लब्ज़ को अपने दिल में दोहराया हाय फिर भी कोरोना मेरे नजदीक आया मुझे हॉस्पिटल के बिस्तर तक... Hindi · मुक्तक 3 221 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read बेटी बेटियां खिलौनों से खेलने के उम्र में ही बच्चा खेलाती हैं मां शब्द का अर्थ समझने से पहले ही वो भी मां हो जाती हैं ! ~ सिद्धार्थ Hindi · मुक्तक 4 1 218 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक 1. क्या किजे जब इंसान में इंसान मर गया अंदर बहते नदी में विष जैसा कुछ घुल गया ! ~ सिद्धार्थ 2. कोई बिक रहा है कोई खरीद रहा है,... Hindi · मुक्तक 2 285 Share Mugdha shiddharth 15 Jul 2020 · 1 min read मैं मर्यादित नहीं ... मैं मर्यादित नहीं मैं इज्जतदार भी नहीं मैं बस भूखी हूं और जरूरतमंद भी तुम अपनी मर्यादा की पाठशाला कहीं और जाकर चलाओ कंठ तक अन्न को ठूसने वाले लोग... Hindi · कविता 5 1 236 Share Mugdha shiddharth 24 May 2020 · 1 min read तू न सही रात की खामोशी है आंखों में नींद नहीं बस तेरे नाम की हलकी सी बेहोशी है खुली आंखों में भी अब मेरे सपने हैं और सपने में हलकी सी मदहोशी... Hindi · कविता 3 2 519 Share Mugdha shiddharth 24 May 2020 · 1 min read मुक्तक रात के सिरहाने में तेरा नाम रख के मैं सो जाती हूं चांद छत से झांकता है तो तेरे एहसास का चाय पिलाती हूं ! ~ सिद्धार्थ गुलाबों ने भी... Hindi · मुक्तक 2 404 Share Mugdha shiddharth 23 May 2020 · 1 min read प्रीत तो खुद के ही छलक जाने में है.... हर साल बसंत आयेंगे प्रिय हर साल पतझड़ भी दवे पांव चली आयेगी हर साल प्रीतम को याद करोगी हर साल कैसे बिसराओगी प्रीत न मौसम के आने जाने में... Hindi · कविता 2 264 Share Mugdha shiddharth 21 May 2020 · 2 min read लाल सलाम लाल सलाम... मुझे नहीं पता सलाम को लाल किस ने किया मैंने नहीं पढ़ा श्रम और शोषण को किस ने शब्द रूप दिया मैं नहीं जानती दबे कुचले लोगों के... Hindi · कविता 3 4 810 Share Mugdha shiddharth 20 May 2020 · 1 min read मेरा चांद चांद छुपा है जाकर मेरा, अब्र के नाजुक बाहों में हमने उसको तार भेजा है हवा के चंचल बाहों में सौतन के बालों में जा कर अटका होगा मेरा चांद... Hindi · कविता 4 507 Share Mugdha shiddharth 20 May 2020 · 1 min read खुश बाश रहो जहां रहो खुश बाश रहो दिल से यही आवाज़ निकलती है डायरी में छुपी तस्वीर तलक ज्जबात मगर कहां पहुंचती है वो लम्हें कुछ ख़ास ही थे प्रीतम हम तुम... Hindi · कविता 3 2 282 Share Mugdha shiddharth 20 May 2020 · 1 min read जाना आंख भी तुम आंखों में मचलता ख्वाब भी तुम रात भी तुम और रात में दमकता चांद भी तुम तुम ही तुम हो दिल जाना चारो तरफ मेरे दिल भी... Hindi · कविता 5 254 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read नन्हे पांव तपती शड़क है और पांव हैं नन्हें कोमल से मंजिल है अभी दूर छांव नजरों से ओझल से कि चल पड़े हैं कुछ लोग शहर से गांव की ओर मिल... Hindi · कविता 5 424 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read तुम्हारा नाम मुमकिन है मैं किसी दिन तुम्हारे बगल से गुजर जाऊं... और तुम्हें पता न चले मेरे गुजर जाने के बाद मेरे सांसों में बसा तुम्हारा नाम हवा में तैरता हुआ... Hindi · कविता 5 1 432 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read अनमोल तेरे आस पास होने से ही जी उठती हूं मैं सोच मेरे कितने अंदर जाकर बैठा है तू और किसको मैंने इतना टूट के चाहा है मेरे सांसों के रेशमी... Hindi · मुक्तक 3 1 336 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read आत्मनिर्भर मौत तो बड़ी आसान रही है सब के लिए जिंदगी ही आजमाइशों से गुजारती है थोड़ा और जीने की बेहूदा सी चाहत में मौत से ही जिंदगी दो दो हांथ... Hindi · कविता 4 369 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read सदियों से तो दोनों साथ रहे सदियों से तो दोनों साथ रहे गुलाब को ख़ार सखा कहे न खारों ने फूलों से खुशबू लिया न फूल ने आ चुभ जाऊं तुम्हें कहे ये संग साथ भी... Hindi · कविता 3 157 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read मुक्तक लब सज़ायाफ़्ता है आंखें अक्सर बोल पड़ती हैं तेरी मर्जी हो के न हो दर्द पे आंखे रो पड़ती हैं ~ सिद्धार्थ मैं उदासी से खुला भला क्यूं लूं... तुम... Hindi · मुक्तक 2 227 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read लब लब सज़ायाफ़्ता है आंखें अक्सर बोल पड़ती हैं तेरी मर्जी हो के न हो दर्द पे आंखे रो पड़ती हैं ~ सिद्धार्थ उदासी से खुला भला क्यूं लूं... तुम मुस्कान... Hindi · मुक्तक 2 376 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read पागल तुम नहीं आओगे मुझे यकीन है ये इंतजार मगर कितना बेहतरीन है ~ सिद्धार्थ दिल की मिट्टी बडी नर्म थी तुम उग आए थे फूल बन कर ~ सिद्धार्थ सोच... Hindi · मुक्तक 3 265 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read इश्क बस पूछना मत कभी भी उस के बारे में हम मिले ही नही उस से नयनों के चौबारे में ~ सिद्धार्थ प्रेम... बस इस एक छन में ही गिरा एक... Hindi · मुक्तक 3 250 Share Previous Page 5 Next