सिद्धार्थ गोरखपुरी 904 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 May 2023 · 1 min read भला पहले मैं अच्छा भला था... अब भला अच्छा कहाँ हूँ हो गया हूँ बड़ा उमर में अब भला बच्चा कहाँ हूँ -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 187 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2023 · 1 min read सफलता मैं चूमना चाहता हूं अपनी सफलता को जो पीछे छुपी है विफलता के वो देख रही है मुस्कुरा कर मुझे पर उसका देखना भी...... रास नहीं आ रहा विफलता को... Hindi · कविता 2 418 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 May 2023 · 1 min read नारदीं भी हैं शब्द महज एक से ...बातों का कारवाँ बात उपजाने का हुनर इनसे सीखिए नारद के सापेक्ष अब नारदीं भी हैं फिरसे न पूछिएगा के किनसे पूछिए किसको खबर है गाँव... Hindi · हास्य-व्यंग्य 1 497 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2023 · 1 min read शाम -ए -मजदूर रह- रह कर वक्त -ए - मुहूरत निकलती है के मालिकों को भी मजदूर से ज़रूरत निकलती है मशला.... मानों तो अन्योन्याश्रित का ही है पर शाम -ए - मजदूर... Hindi · मुक्तक 209 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Apr 2023 · 1 min read साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है के बदल लेता है पोशाक-ए -आस्तीन सा रंग अपना - सिद्धार्थ गोरखपुरी Quote Writer 426 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Apr 2023 · 1 min read अँधेरे रास्ते पर खड़ा आदमी....... अँधेरे रास्ते पर खड़ा आदमी....... क्यों खुद को...खुद की..... राह नहीं बतलाता Quote Writer 292 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Apr 2023 · 1 min read तुम्हे नया सा अगर कुछ मिल जाए तुम्हे नया सा अगर कुछ मिल जाए इतराना मगर गुरूर न आए ये जमाना नये- पन से बहुत जलता है इल्म बखूबी रहे के अब भी मैं पुराना हूँ Quote Writer 617 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Apr 2023 · 1 min read पवनसुत सिया-राम के असीम स्नेह की पुत्रवत प्रेम की धार पवनसुत भक्त वत्सल करुणानिधान के करुणा के मुक्ताहार पवनसुत शत्रु समक्ष... युद्ध कौशल में दक्ष रघुपति की ललकार पवनसुत भक्ति के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 392 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Mar 2023 · 1 min read लिहाज करती है कितना भी दबाओ मगर आवाज़ करती है गरीबी कब, कहाँ, किसका लिहाज करती है असमय चेहरे की झुर्रिया और पके बाल सारे हिस्से में आ ही गए हैं वैसे तो... Hindi · गीत 164 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Mar 2023 · 1 min read चादर ओढ़ा के बरदेखुआ लावs गड़ जाए त वियाह ले न उखड़े जाके हरीश -ए -सेखुआ लावs वियाह के चाह जे पालत हौ बचवा त चादर ओढ़ा के बरदेखुआ लावs गाँव के बियांण चखुल्लड़ चाचा... Bhojpuri · हास्य-व्यंग्य 1 320 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Mar 2023 · 1 min read नहीं आती किरदार खुद का हूं....कई किरदारी नहीं आती थोड़े फन से जीवन में बहुत फनकारी नहीं आती गजब की जादूगरी आती है इस अजब की दुनिया को, मैं करना भी अगर... Hindi · शेर 1 272 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Mar 2023 · 1 min read हो गए अरसा लगा... उमर गयी... बेहाल हो गए भरोसे खर्च डाले सब और कंगाल हो गए मुझे जानते थे बस मेरी आहट से जितने लोग मेरी पहचान पर उनके ही कई... Hindi · ग़ज़ल 3 130 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Mar 2023 · 1 min read असासा तेरा अब भी मेरे पास कीमती असासा है के तूँ अब भी मुझमें बच गया जरा सा है चाहा तुझको मुकम्मल निकाल फेंके तूँ मेरे लिए महज एक....हादसा है आखिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 187 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Jan 2023 · 1 min read पूछकर ज़ब वो.. थक गया अनगिनत सवाल पूछकर न जाने कैसे - कैसे जंजाल -ओ- बवाल पूछकर तसल्ली ही हो रही थी के सवाल खतम हुआ.... उसने मुझे गफलत में डाल... Hindi · मुक्तक 134 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Jan 2023 · 1 min read खुद की बात खुद की बात और खुद के हालात बस केवल स्वयं तक सीमित रहे बाकी... दूजा तो अन्तर्यामी है...... -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कोटेशन 171 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Jan 2023 · 1 min read ये डीह बाबा..... शादी के खाहुन कुटले बा और माई से रिसियाईल बा काहें से कउनो बरदेखुआ दुआरे पर नाही आइल बा खिचड़ी बीत गईल...... लगत बा आ जाई फाग ये डीह बाबा!!!!!!!!!!... Bhojpuri · कविता 2 323 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Jan 2023 · 1 min read पूछता है मन अक्सर बेतुका सवाल पूछता है के मुझसे ही मेरा खयाल पूछता है उसे बखूबी इल्म है के हाल क्या है पता नहीं क्यों? बहरहाल....पूछता है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 2 252 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jan 2023 · 1 min read दुःखा देता है वो तो बस बात -ए - हवा देता है अब कौन किसको कब दुआ देता है जमाना ख़राब है जरा सम्भल के रहो जिसको मौका मिले वही दिल दुःखा देता... Hindi · मुक्तक 1 187 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jan 2023 · 1 min read औकात जानता है सुबह - दोपहर - शाम,दिन रात जानता है कही - अनकही हर एक बात जानता है तुम महज उड़ रहे हो... ये तुम्हे भी इल्म रहे, वैसे खुदा तुम्हारी भी... Hindi · मुक्तक 1 121 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jan 2023 · 1 min read मर्द ज़ब भी आँखों से ओझल कोई दर्द दिखाई देता है क्या ध्यान से देखा है सबने?? इक मर्द दिखाई देता है करुणा कलित हृदय में पीड़ा डेरा डाले सोती है... Hindi · कविता 1 117 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jan 2023 · 1 min read वियाह कटवा विवाह के चाह को हलाल करने का प्रण लिए हुए गाँव की सबसे एक्टिव प्रजाति का अशुभ नाम है 'वियाह कटवा ' वियाह कटवा से शादी की असीम तमन्ना रखने... Hindi · लेख 1 194 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jan 2023 · 1 min read खबर कर रहें हैं तेरे ख्वाब मुझमें बसर कर रहें हैं धीरे -धीरे मुझमें ये घर कर रहें हैं तुम खो गए हो, न तुमको पता है तुम्हे हम तुम्हारी खबर कर रहें हैं... Hindi · गीत 1 150 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jan 2023 · 1 min read खुद अजीब कश्मकश थी खुद के रूबरू पेश होना.... मैं जज भी खुद, वकील भी खुद और गुनेहगार भी खुद -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 2 2 119 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jan 2023 · 1 min read नव वर्ष की शुभकामनाएं नूतन वर्ष में हर्ष मिले और नर - नारायण का साथ मिले खुशियाँ दर पर वर्षा सम बरसे प्रेम -सौहार्द अगाध मिले दृढ सोच को तनिक संकोच न हो सफलता... Hindi · मुक्तक 1 308 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Dec 2022 · 1 min read अच्छे दिन आने वाला अब नया साल है लो बीत गया दिसम्बर है न उसको मेरी कोई खबर न उसकी मुझको कोई खबर है मौन अधर और खुले नयन कैसे हो बिन... Hindi · गीत 2 112 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Dec 2022 · 1 min read मौन कहने की क़ीमत मौन से चुकाई है मैंने मैं कौन? तुम कौन?..... सब मिथ्या है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 2 104 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 Dec 2022 · 1 min read माफ़ी दे दी दूसरों की सजा खुद को काफ़ी दे दी देना कुछ मुनासिब न लगा, हालांकि दे दी ज़ब मुझे इल्म हुआ मेरी नासमझी का फिर क्या? मैंने खुद को माफ़ी दे... Hindi 1 189 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Dec 2022 · 1 min read कागजी उसकी मुझसे कुछ इसकदर नाराजगी हो गयी के उसकी बातें सरकार की तरह कागजी हो गयी वायदे तमाम , धरातल पर शून्य, मगर कागज में पूर्ण -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 121 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Dec 2022 · 1 min read क़सीदें क़सीदें मेरी अच्छाईयों के पढ़ता था कोई या तो वो बदल गया या फिर उसकी जुबान बदल गयी -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 104 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Dec 2022 · 1 min read परोस दी वक़्त भूखा था और मेरे रूबरू था खड़ा फिर क्या... मैंने सारी उम्मीद परोस दी उसको -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 116 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Dec 2022 · 1 min read हासिल न कर सको हम इतना भी अपने आप को काबिल न कर सके के तुम मुझे आसानी से हासिल न कर सको -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 223 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Dec 2022 · 1 min read सही नहीं लगता कभी - कभार मुझे मैं ही, मैं नहीं लगता कभी तुम्हे सही नहीं लगता कभी मुझे सही नहीं लगता ये रिश्ते महज कोर्रम हो गए हैं ताल्लुकात पुराना वही नहीं... Hindi · कविता 1 91 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Dec 2022 · 1 min read चाहता हूँ मैं कहां चाँद तारा चाहता हूं मैं तो बस तेरा सहारा चाहता हूं चल सकूँ विश्वास लेकर दो कदम बस मैं वही भरोसा दुबारा चाहता हूँ Hindi · मुक्तक 2 142 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Dec 2022 · 1 min read बनिए हाँ में हाँ मिलाकर आदमी का सीपहलासार बनिए या फिर सच कहिए और गुनेहगार बनिए -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 112 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Nov 2022 · 1 min read ऐब मुफलिसी के सिक्के जबसे जेब आ गए तबसे ही मेरे अंदर लाखों ऐब आ गए -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 157 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Nov 2022 · 1 min read तुम नए सूरज बने हो गीत - तुम नए सूरज बने हो तुम नए सूरज बने हो बाँटते हो हर घर उजाला मैं तो ठहरा एक जुगनू फिर भी मेरा घर छोड़ देना है चमक... Hindi · गीत 1 170 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Nov 2022 · 1 min read आती है जुबां! बेज़ुबाँ होकर, कागदी आती है एक अरसे के बाद सादगी आती है सीने में महज दिल का धड़कना तो जिंदादिली नहीं, दुनिया देखकर भी जिन्दगी आती है मैं जिंदा... Hindi · ग़ज़ल 2 2 113 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Nov 2022 · 1 min read जर्रा - जर्रा त्याग दिया मन की हर भाषा आशा से तौबा कर डाला मन से मन की कभी बनी न हालातों से समझौता कर डाला लगता है के अबतो, मैं खुदसे ही... Hindi · गीत 1 138 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Nov 2022 · 1 min read खुलकर बोलूंगा जेहन का हर बोझ त्यागकर मन का हर इक संकोच त्यागकर भेद मैं मन के खोलूंगा आज मैं खुलकर बोलूंगा खुद के सम्मुख खुद को करके निज हाथ आशीष माथ... Hindi · कविता 2 234 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Oct 2022 · 1 min read लिबास -ए -उम्मीद लिबास -ए - उम्मीद सुफ़ेद पहन रक्खा है स्याह से लोग हैं और स्याह वादा है लिबास पहने रक्खेगा या उतार फेकेगा? बता आदमी! क्या तेरा इरादा है? -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 3 291 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Oct 2022 · 1 min read बात बस इतनी थी कमरे के अगले दरवाज़े से वो क्लास में पैठा करती थी लड़कियों वाली पहली पंक्ति में बड़े शान से बैठा करती थी मैं पिछले दरवाजे से हरदम सकपका के पैठा... Hindi · कविता 3 157 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Oct 2022 · 1 min read साढ़े सोलह कदम न पूछ के किस - किस तरहा से मजबूर हूँ अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ जिन्दगी मजबूर होना चाहती है! तो हो जाए मैं तो वैसे... Hindi · गीत 4 4 297 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Oct 2022 · 1 min read मैं जबसे रूह पर " मैं" का दाग़ आया मन रूह तक गया था के भाग आया जिन्दगी फिर जिन्दगी नाम की रही देह के जर्रे -जर्रे में अजीब सा सैलाब... Hindi · शेर 1 192 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Oct 2022 · 1 min read घर साथ चले रजा है के दुआओं का असर साथ चले के मैं जब शहर जाऊँ तो घर साथ चले मुझे डराने वैसे बहुत से हैं हालात चले कभी मंजिल चले तो कभी... Hindi · गीत 2 217 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Oct 2022 · 1 min read आचार का अचार आचार का, अचार डाल, रख दिए हो तेल में बड़े उस्ताद हो......... कब इसे चखाओगे? -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 221 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Oct 2022 · 1 min read हो गए तुम मेरे हुए और सारे मशले हमारे हो गए मेरे यार! हम तो खुद के बदले तुम्हारे हो गए दरकार अरसे से थी के मुझे भी सुकून मिले नींद, चैन,... Hindi · ग़ज़ल 2 250 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2022 · 1 min read बात चले पाँव आहिस्ते से रखकर मेरे जज़्बात चले आँखें खुली रहीं और सामने मेरे रात चले बारात तारों की लेकर घूम रहा है चंदा सूरज निकले तो मेरी भी कोई बात... Hindi · मुक्तक 1 226 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2022 · 1 min read पाँव छू लिया झुक के बुजुर्गों का जिस दिन पाँव छू लिया सहसा लगा मुझे के अपना गाँव छू लिया -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 1 200 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Sep 2022 · 1 min read गुजरगाह गुजरगाह जिन्दगी की आसां न थी कभी हम वक़्त के रूबरू बस यूँही चल पड़े -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 2 142 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Sep 2022 · 1 min read स्याह रात में चंचल किरणें चारु चन्द्र की मदमस्त करें हर स्याह रात को प्रिय के हिय में हैं अलख जगातीं प्रेम लुटातीं हर एक बात में प्रेम से ओतप्रोत हो जाती है... Hindi · गीत 1 166 Share Previous Page 5 Next