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गाज़ियाबाद कै बियाह।
Kumar Kalhans
जेएनयू धिक्कार तुम्हे है जेएनयू धिक्कार।
Kumar Kalhans
हरा पत्ता।
Kumar Kalhans
साहेब की अंतर्दृष्टि।
Kumar Kalhans
पीड़ा कैसे समाप्त होती है।
Kumar Kalhans
खुशी तो आयी टुकड़े टुकडे , गम पर हरपल पास रहा।
Kumar Kalhans
जिंदा लाश।
Kumar Kalhans
एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर।
Kumar Kalhans
हाँ मैं दोमुंहा हूं।
Kumar Kalhans
मां का दिल।
Kumar Kalhans
मुक्तक।
Kumar Kalhans
तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है।
Kumar Kalhans
मरना पड़ता है।
Kumar Kalhans
मैं लेकर सब्र का इतिहास बैठा हूँ।
Kumar Kalhans
क्यों बदलना है जरूरी यह बता दो।
Kumar Kalhans
मातृ दिवस।
Kumar Kalhans
भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत।
Kumar Kalhans
मुमताज़ हमारे पास भी है।
Kumar Kalhans
जरा अदब से मुझसे मिला करो।
Kumar Kalhans
कोरोना काल।
Kumar Kalhans
गुनगुनाता है कोई।
Kumar Kalhans
लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं।
Kumar Kalhans
जला कर चला गया।
Kumar Kalhans
जब जब लगा मुझे वह भोला।
Kumar Kalhans
कुंडलियां
Kumar Kalhans
खुद ही पीना सीख गए।
Kumar Kalhans
कर्ज़ जिसका।है वही ढोये उठाये।
Kumar Kalhans
जहाँ इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों।
Kumar Kalhans
भेद मन के खोल बादल।
Kumar Kalhans