Jaikrishan Uniyal 259 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Jaikrishan Uniyal 13 Aug 2018 · 1 min read मैं थका हुआ हूँ कोई काम नहीं है,पर मैं थका हुआ हूँ भारी, मन है बोझिल बना हुआ,और तन में है थकान भारी, शायद इसलिए कि बच्चों को पढा लिखा कर निभाई है अपनी... Hindi · तेवरी 1 251 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jul 2018 · 2 min read यह दोष किसका है‼यहाँ दोषी कौन नहीं❗ देश कि राजधानी,दिल्ली में, तीन बच्चे भुख से मर गये, तो खबर बन गयी। दूर किसी गांव में अक्सर मर जाते हैं किसी न किसी अभाव के चलते, और खबर... Hindi · तेवरी 2 2 470 Share Jaikrishan Uniyal 25 Jul 2018 · 1 min read यह रिस्ता,कैसा है हम्मी से शिकवा,और हम्ही से शिकायत, हम्ही से पाती वो हर रियायत। हम्ही से रहता हैउसको गिला भी, हम्ही से जुडा है,उनका हर सिलसिला भी। हम से है उनकी पहचां,हम्ही... Hindi · कविता 388 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jul 2018 · 1 min read गुस्से और नसे के दौर में करें यह उपाय रोड रेज पे लड कर मरते, नसे में दुर्घटना से मरते, मोबाइल से ध्यान भटक कर मरते, पर फिर भी हम नहीं सुधरते। घातक हैं यह जीने की खातिर, गुस्सा,नसा,और... Hindi · कविता 547 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jul 2018 · 1 min read बेटियां अपनी,बेटे पराये बेटे अपनी ससुराल कि सोचें, मां बाप कि सोचे बेटी, जमीन जायदाद कि चाहत सबको, पर बझंर रह गयी खेती, सोच नयी यह बिकषित हो रही, नित इस पर खटपट... Hindi · कविता 544 Share Jaikrishan Uniyal 7 Jul 2018 · 1 min read कुर्सी की चाह,नेताओं की डाह कुछ लोग उन्हे युवराज पुकारें, तो कोई डाह से पप्पू कह कर पुचकारे। कुछ बडे उल्लास से नमो-नमो हैं जपते, तो कोई उन्हे,फेंकू,और चाय वाला हैं कहते। किसी के वह... Hindi · कविता 299 Share Jaikrishan Uniyal 1 Jul 2018 · 1 min read एक और कार्य काल पुरा होता एक और कार्य काल, आस्था और अविश्वास के साथ, बनता विश्वास और टूटती आस, बीत गये चार साल। एक सपना मतदाता का, एक सपना,जन और जनता का, एक... Hindi · कविता 324 Share Jaikrishan Uniyal 30 Jun 2018 · 1 min read अपने अपने मन की अपने मन की करते थे हम जब उनसे आस लगा बैठे अब जो अपने मन की कहते हैं हम चाहते थे अपने मन की, वो अपने मन की कर बैठे।... Hindi · कविता 543 Share Jaikrishan Uniyal 28 Jun 2018 · 1 min read पत्नी वन्दना दिलवर जानी, रानी, महारानी, मैं तेरी वन्दना करुं, नित तेरा ध्यान धरुं, मान करुं,सम्मान करुं, । तू होती,क्यों रुष्ट बता मुझे अपना कष्ट, मत कर मेरी मति को भ्रष्ट ,... Hindi · कविता 2 1 559 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 1 min read चोरी मेरी,भी एक चोरी हुई, बहुत नही,थोडी हुई, रहते थे,हम आर्यनगर, बच्चे,पढते थे शहर, गये गांव,थे हम अपने, कल्पना नही कि थी,चोरी कि सपने में लौटे तो,देखा चोरी हो गयी, चोरी... Hindi · कविता 1 271 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 1 min read दिगभ्रमित मैं,दिगभ्रमित सा खडा सोचता, जाऊँ किधर ,किस राह, आगे है चौराहा, चहुँ दिशाओं में,छाया है अन्धकार, जाऊं किस दिशा में,सुझता नही कोइ विचार, मैं,चला कहाँ से,कुछ याद नही मुझे, मैं,चला... Hindi · कविता 345 Share Jaikrishan Uniyal 26 Jun 2018 · 2 min read जीवन -मृत्यु के मध्य के वह पल जीवन -मृत्यु के मध्य का वह फासला जो जन्म से शुरु होकर,एक पल से शतआयु तक कुछ भी हो सकता है,उसके प्रारभ्बध्द के अनुसार इसे,न माने हम जीत हार का... Hindi · कविता 414 Share Jaikrishan Uniyal 9 Jun 2018 · 2 min read जीवन-मृत्यु का संघर्ष "एक वानगी" जीवन है संघर्ष पथ, मृत्यु है,कटु एवम् अन्तिम सत्य। जीवन और मृत्यु के मध्य, दूरी है,एक अनिश्चित, प्राणी,तय करता है जब यह सफर, जब कभी पुरी होती है यह यात्रा,... Hindi · कविता 632 Share Jaikrishan Uniyal 4 Jun 2018 · 1 min read ये चुनाव , हम और वो प्रथम पक्ष- ये चुनाव हमसे क्या ले जाते हैं- मत ,अभिमत चैन,शकुन रिश्तों में खटास सम्बन्धों में दरार, आस-पास कि शान्ति, और मिठास, जाने क्या क्या ले जाते हैं। द्वितीय... Hindi · कविता 242 Share Jaikrishan Uniyal 31 May 2018 · 2 min read पक्ष-विपक्ष का तर्क -वितर्क १-वो लुटे पिटे हैं पर घुटे हुए हैं, हैं झूठे नम्बर एक। हम अच्छे हैं,हम सच्चे हैं, हैं,हम सेवक नम्बर एक। दस पांच नही,बीस तीस नही, है,आधा शतक गवांया, हमने... Hindi · कविता 534 Share Jaikrishan Uniyal 27 May 2018 · 1 min read लो बीतने को है एक और कार्य काल पुरा होता एक और कार्य-काल आस्था और अविश्वास के साथ बनता हुआ विश्वाश और टुटती आस बीत गये हैं ये चार साल । एक सपना मत दाता का, एक सपना... Hindi · कविता 268 Share Jaikrishan Uniyal 19 May 2018 · 2 min read कृष्ण-कर्ण संम्वाद ,प्रसंगवस-आज के परिवेश में कृष्ण-कौन्तेय,करो तुम इस पर विचार, पाण्डवों का साथ देकर,करो भूल में तुम सुधार। कर्ण-"हे मधुसूदन,देर हुई अब, लौट मै नही सकता, दिया वचन है मां गान्धारी को,भाग नही मै पाऊंगा... Hindi · कविता 528 Share Jaikrishan Uniyal 16 May 2018 · 2 min read अटल -नवाज-सम्वाद अटल जी- विश्व बन्धुत्व है मूल मंत्र,मै उस देश से आया हूँ मित्रता का हाथ बढाने,मैं अटल बिहारी आया हूँ, गर साथ निभावो तुम,तो युद्ध कि आशंका थमे युद्ध विनास... Hindi · कविता 1 497 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2018 · 1 min read कुम्भ की डुबकी संग देवदर्शन गोविन्द की लीला रंग लाई, कृष्ण हरि ने राह बनाई,:(योजना): आस्था कि डुबकी लगाने, प्रयाग राज के संगम पे नहाने, चले हम कुछ भाई, साथ में थी बहन ➖भौजाई, शाकम्बरी... Hindi · कविता 371 Share Jaikrishan Uniyal 8 May 2018 · 1 min read यमनोत्री धाम में यमुना जी कि छवि वर्णन यम कि बहन यमुना जी, हिम शिखरों से यह बह निकली, श्वेत,धवल, इसकी धारा, दृश्य मनोरम अति प्यारा, शान्त स्वरुपा सी यह निश्छल भी, धारण किये हुए है यह शीतलता... Hindi · कविता 206 Share Jaikrishan Uniyal 30 Apr 2018 · 2 min read बदलता समय,बदलते हालात,पर न बदलता नजरिया ७८कि बाढ से लेकर,९१ कि कांपती धरती तक, एक दशक से अधिक समय बीत गया, सोचें जरा हम,इस बीच क्या नहीं बदला, जो तब चलना भी नहीं,सीखे थे, वह आज... Hindi · कविता 569 Share Jaikrishan Uniyal 29 Apr 2018 · 2 min read अंग्रेजी का जब से ये दौर चला जब से अंॻेजी का दौर चला,कहने सुनने वालो का होता भला,न कह सकने वालों का हो गया बुरा,परदेश से आया और यहीं का हो चला, भारत कि माटी में यह... Hindi · कविता 496 Share Jaikrishan Uniyal 24 Apr 2018 · 1 min read हेमवतीनन्दन रुपी मेरा सूरज ऐ सुर्य देव,तुम्हारा अवसान हर साझं को होता है, लेकिन हर सुबह,तुम्हारे प्रकाष से शुरु होती है। इस रोज मेरा सुरज भी डूबा, सत्रह मार्च,उन्नीस सौ नव्वासी के दिन, क्या... Hindi · कविता 542 Share Jaikrishan Uniyal 23 Apr 2018 · 1 min read गठबन्धन पार्ट टू साइनिंग इन्डिया के बाद भी, सरकार अटल जी से फिसल गई, छींका टुट कर गिरा ही था, सोनिया ने थाम लिया, हाथ बढा कर पकड उसे, मनमोहन को थमा दिया,... Hindi · कविता 1 422 Share Jaikrishan Uniyal 3 Apr 2018 · 1 min read तीसरा मोर्चा➖एक मौका➖धोखा ही धोखा बी ० पी० तेरे शासन में, मण्डल कमण्डल की चासन में, जनता खडी है अनुशासन में, कैरासिन हो या गैस घरेलु, डीजल हो या पैट्रौल, हर जगह है लाईन लम्बी,... Hindi · कविता 246 Share Jaikrishan Uniyal 3 Apr 2018 · 1 min read पंक्तिवद्ध होना,यानि की लाइन लगाना पंक्तिवद्ध होना यानि की लाइन में लगना, लाइन लाइन ही है,चाहे वह छोटी हो या लम्बी,लाइन लाइन है,आडी हो या तिरछी, लाइन लाइन है,चाहे वह डीजल कि हो, या पैट्रोल... Hindi · कविता 235 Share Jaikrishan Uniyal 2 Apr 2018 · 2 min read अटल जी मोहे,मैं नहीं प्याज खायो अटल जी मोहे,मैं नहीं प्याज खायो, साझं ढले,जब मण्डी गयो, तो प्याज का भाव चकरायो, आलू चौदह,टमाटर चालीस, प्याज सत्तर बतलायो, लौकी,तोरी,भिण्डी ,करैला,भी नही ले पायो, गोभी,मटर को तो भाव... Hindi · कविता 194 Share Jaikrishan Uniyal 27 Mar 2018 · 2 min read जार्ज ठहरे सयोंजक,यह अतिरिक्त है भार । अटल जी कि टीम में,हैं बडे बडे मठाधीस, झुकता नहीं एक दूजे के सम्मुख,इनका शीष, अटल जी को सालती रहती इसकी टीस, दो दर्जन दलों से मिलकर बना है ये... Hindi · कविता 1 317 Share Jaikrishan Uniyal 25 Mar 2018 · 1 min read गठवन्धन पार्ट वन अटल जी हुए लाचार,कैसे चलाएं वो सरकार, करुणानिधि पर जया कि तलवार, ज्योतिबसु पर ममता का वार, बंसी से चौटाला कि खार, माया मुलायम कल्याण पर सवार, दिगविजय का पटवा... Hindi · कविता 237 Share Jaikrishan Uniyal 21 Mar 2018 · 1 min read ऐ बलिदानी,अमर सैनानी,कोटि कोटि है नमन तुम्हे ऐ बलिदानी,अमर सैनानी, कोटि कोटि है नमन तुम्हे, अटल निश्चयी,अनशन कारी, है तेरी बलिहारी, सौंपा जो तुमने,आजाद चमन । राजशाही से तुमने टकरा के तानाशाही से मुक्त कराके, शिक्षित होने... Hindi · कविता 215 Share Jaikrishan Uniyal 21 Mar 2018 · 1 min read गुम होती,ईमानदारी,व इन्सानियत सोने कि चिडिया कहते थे, जिसे कभी, उस देश में आज हम, धारण कर चुके हैं भेडिये का रुप। आदम जात,आज आदमी को काट खाने को है तत्पर,इस बात से... Hindi · कविता 312 Share Jaikrishan Uniyal 13 Feb 2018 · 1 min read क्यों होता है यह झगडा झगडा ➖झगडा है आज हर तरफ यह झगडा, पर है किस कारण यह झगडा, उधर देखो दो देषों में झगडा, ईधर भी है दो राज्यों का झगडा, कहीं पर है... Hindi · कविता 263 Share Jaikrishan Uniyal 12 Feb 2018 · 1 min read झगडा,मन्दिर मस्जिद का आज कल है फिर,यह हल चल, मस्जिद है बाबरी,या फिर जन बल । जन्म राम ने लिया जहाँ, था बना मन्दिर वहाँ ❓ कौन गवाह है अब यहाँ, खसरा खतौनी... Hindi · कविता 225 Share Jaikrishan Uniyal 6 Feb 2018 · 1 min read काट नही पेड लगा वो देखो कोई,पेड काटता, उसे रोको, टोको, वह जो पेड काटता, कहो उससे, औरों के लिए ना सही, अपने लिए ही सही, क्यों,पर्यावरण का खोते हो सन्तुलन, बिना स्वच्छ वायु... Hindi · कविता 232 Share Jaikrishan Uniyal 4 Feb 2018 · 1 min read समाज कल्याण,एक मत्रांलय एक अदद मत्रांलय है, जिसका नाम है समाज कल्याण, जहाँ नितियां तो तय होनी थी, हर समाज के लिये, पर प्राथमिकताएं,आरक्षित हैं, कुछ ही समुदायिक समाज के लिये, जी हाँ,आज... Hindi · कविता 280 Share Jaikrishan Uniyal 30 Jan 2018 · 1 min read हरजन कल्याण यह कैसा हरिजन कल्याण, हरि के जनो के मध्य मची हो, जहाँ,लुट और खींचतान, कौन नही यहाँ हरि का जन, फिर क्यों बांटते इनका मन, किया किसी ने क्या सोध... Hindi · कविता 240 Share Jaikrishan Uniyal 29 Jan 2018 · 1 min read बेटीयां, बेटे अब सास की सोचें, मॅा बाप की सोचे बेटी, जमीन जायदाद के मोह में बेटे, पर बझंर रहती खेती,। नित इस बात पे खटपट होती, सोच नयी यह बिकसित... Hindi · कविता 261 Share Jaikrishan Uniyal 27 Jan 2018 · 1 min read पुरा होता एक और कार्यकाल साल दर साल, पुरा होता एक और कार्य काल, सफलता व असफलता पर तकरार, सत्ता धारियों एवम् विपक्षियों में छिडी है रार, जनता होती बेकरार, टुटते सपने,टुटती आस, टुटता हुआ... Hindi · कविता 1 220 Share Jaikrishan Uniyal 23 Jan 2018 · 1 min read खिलौने कितने ही रुपों में होते हैं खिलौने, किन्तु उनका एक मात्र प्रयोजन होता है किसी के हाथों खेला जाना। खिलौने जो सिर्फ बच्चों के लिए होते हैं, बच्चे जिन्हे अपनी... Hindi · कविता 238 Share Jaikrishan Uniyal 20 Jan 2018 · 1 min read सृष्टि ऐ सृष्टि, कहाँ है तेरी दृष्टि, कभी अतिवृष्टि, तो कहीं अनावृष्टि। ऐ सृष्टि, ये जो आषाड है, मेघों की चिंघाड है, उफनती बाढ है, तो कहीं टूटता पहाड है। ऐ... Hindi · कविता 554 Share Jaikrishan Uniyal 19 Jan 2018 · 1 min read अभिलाषा कुछ किया नहीं ऐसा,पर विशिष्ठ स्थान मिले, ऐसी चाहत लिये जी रहा हूँ मैं। शुभ कामनाओं को ओढे,कल्पना लोक में रहकर, यथार्त के धरातल पर जब रखा कदम, तो दिल... Hindi · कविता 227 Share Jaikrishan Uniyal 18 Jan 2018 · 1 min read जीवन की उत्कण्ठाऐं कल्पना से शुरु किया, कामनाओं से होकर गुजरा, एवंम् कुशुम पर आकर ठहर गया । और फिर, यहीं से शुरु हुई एक उलझन, प्रथम परिणय, प्रेम पास, और आलिंगन, कुछ... Hindi · कविता 268 Share Jaikrishan Uniyal 17 Jan 2018 · 1 min read लोक तन्त्र और आतंकवाद हर रोज,हर वक्त। रेडियो,दूरदर्शन,और समाचार पत्र। में, पक्ष,एवं विपक्ष,एक स्वर एक मत । देते हैं,यह बयान, लोकतन्त्र में,हत्या और आतंकवाद का, नहीं है कोइ स्थान। और अगली ही सुबह, आता... Hindi · कविता 590 Share Jaikrishan Uniyal 16 Jan 2018 · 1 min read मां मां, सिर्फ रिस्ता नहीं है , अहसास है । मां सिर्फ शब्द नहीं है, विश्वास है। मां का होना भरोशाा है, मां का न रहना आघात भी, मां, मांता ही... Hindi · कविता 411 Share Jaikrishan Uniyal 15 Jan 2018 · 1 min read चलो जलाएं दिये ,शाम होने को है राह मे चलते हुए,मिल जाते हैं कितने ही राहगीर, और बिछुड जाते हैं,दो राहों पर, जो चले थे ,साथ साथ हम तब, पर यह देखना भी हमारा ही काम है,कौन... Hindi · कविता 195 Share Jaikrishan Uniyal 14 Jan 2018 · 2 min read पहाड की नारी पहाडी पगडण्डियों पर पैदल चलती नारी, सिर पर घास का बोझ पीठ पर बंधा नन्हा प्राणी, दोपहरी की चढती धूप में पसीने से तरबतर, हांफती हुइ वह लौटती है घर।... Hindi · कविता 1 308 Share Jaikrishan Uniyal 13 Jan 2018 · 1 min read राजनीति के गुणा भाग में राजनीति के गुणाभाग में, चुनावों के राग रंग में, माना सोनिया,हो जाये भाजपाई, और काग्रेंसी हो जायें नरेन्द्र भाई, तब नारों कि क्या दशा होगी, जनता कि तब मनसा क्या... Hindi · कविता 492 Share Jaikrishan Uniyal 12 Jan 2018 · 1 min read सपने मेरे और उनके सपना जो हो सका न अपना, मात्र स्वपन बन कर रह गया, ले सका न कोई आकार, हो सका न जो साकार, किन्तु फिर भी मै सपने देखता रहा, और... Hindi · कविता 329 Share Jaikrishan Uniyal 11 Jan 2018 · 2 min read आज कि जिन्दगी मैं, जा रहा था ,सडक के उस पार, देख गाडियों कि रफ्तार, प्रतिक्षा करता रहा,खाली सडक का, तब जाके वह पल आया, जब सडक, को खाली पाया, मैने जाने को... Hindi · कविता 1 352 Share Jaikrishan Uniyal 10 Jan 2018 · 1 min read हिन्दी सेल मेरे भारत वर्ष में,यानि कि अपने हिन्दोस्तान में, देशी भाषाओं के विकास को,प्रयत्नशील हैं सभी, अपने अपने तरीकों से, किन्तु सवांद,बनाये रखने को,हम एक दुसरे से, अग्रेंजी मे ही बतियाते... Hindi · कविता 471 Share Previous Page 5 Next