Rajesh Kumar Kaurav Language: Hindi 194 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Rajesh Kumar Kaurav 7 Apr 2021 · 1 min read परीक्षा जांच परख के काम को पर इच्छा अनुमान को प्रतिभा की पहचान का परीक्षा नाम कहलाता है । हर क्षेत्र में अलग अलग कार्यकुशलता की परख प्रामाणित करने योग्यता परीक्षा... Hindi · कविता 3 2 440 Share Rajesh Kumar Kaurav 6 Feb 2021 · 1 min read भीष्म पितामह कौन ? (मनहरण घनाक्षरी) अष्ट वसु एक बार आए देवलोक पार वशिष्ठ आश्रम पास निवास मन किया । घूम पर्वत शिखर पहुँचे हैं स्थान पर द्यौ की पत्नी बोली तब नंदनी मोह लिया। पत्नी... Hindi · घनाक्षरी 5 4 513 Share Rajesh Kumar Kaurav 7 Jan 2021 · 1 min read साहित्य में सौदेबाजी इलेक्ट्रिक मीडिया के प्रभाव से हिंदी साहित्य सृजन बढ़ा है साहित्यकारों ने बना बना ग्रुप फेसबुक व्हाटसप को भरा है कुछ चलाते लाइक की शर्त कुछ ने वोट आप्शन जोड़ा... Hindi · कविता 4 11 381 Share Rajesh Kumar Kaurav 7 Jan 2021 · 1 min read साहित्य में सौदेबाजी इलेक्ट्रिक मीडिया के प्रभाव से हिंदी साहित्य सृजन बढ़ा है साहित्यकारों ने बना बना ग्रुप फेसबुक व्हाटसप को भरा है कुछ चलाते लाइक की शर्त कुछ ने वोट आप्शन जोड़ा... Hindi · कविता 1 258 Share Rajesh Kumar Kaurav 1 Jan 2021 · 1 min read स्वागत इक्कीस स्वागत इक्कीस दो के साथ शून्य जुड़कर सन बीस कहलाया था अपशकुन रहा दुनिया को बुरा वक्त ले आया था कोरोना की महामारी को सारे जग फैलाया था ठप्प कर... Hindi · कविता 2 1 514 Share Rajesh Kumar Kaurav 27 Dec 2020 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी (कोरोना) मनहरण घनाक्षरी 01 कोरोना की महामारी ,नये युग की बीमारी पूरी दुनिया में फैली,गर्व मिटाने आई । वैज्ञानिक अहं भाव,बुद्धिवादी सभी दाव परेशान क्या इलाज,मिली नहीं दवाई । अहंकार हुआ... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 27 820 Share Rajesh Kumar Kaurav 14 Nov 2020 · 1 min read पहचान हिंदुस्तान की ( कविता) सदियों बाद खुशियों की दीपावली है हिन्दूओं की अयोध्या में विराजित हुए राम लक्ष्मण और जानकी सफल हुआ जीवन हमारा जीत हुई है फिर धर्म की थम गया संघर्ष बलिदान... Hindi · कविता 1 2 457 Share Rajesh Kumar Kaurav 26 Oct 2020 · 1 min read दशहरा दशहरा(मनहरण घनाक्षरी) कैसा है यह चलन दशहरा को दहन मन दुष्ट आचरन प्रतीक ही जलाते। रावण बसता मन कर्मों में राक्षसपन राम का कर पूजन स्वयं को झुठलाते। भजते राम... Hindi · घनाक्षरी 2 1 395 Share Rajesh Kumar Kaurav 2 Oct 2020 · 1 min read गाँधी व शास्त्री की इच्छा गाँधी व शास्त्री की आत्मा पुकारती परमात्मा भारत बने धर्मात्मा उपाय बताइए। सत्ता मद बहुत है बातें ज्यादा करत है सलाह न मानत है सलाह बताइए। कानून का भय नहीं... Hindi · घनाक्षरी 3 1 386 Share Rajesh Kumar Kaurav 9 Sep 2020 · 1 min read राधाकृष्णन के नाम शिक्षक दिवस(गर्व करें) घनाक्षरी उच्च पद पाकर भी जो न बदला कभी नाम अमर है अभी राधाकृष्णन वही। पहले शिक्षक रहा दर्शन शास्त्र को गहा मानवतावाद कहा राष्ट्रपति रहा सही।... Hindi · कविता 4 1 578 Share Rajesh Kumar Kaurav 30 Aug 2020 · 1 min read योग्यता(व्यंग्य कविता) राजतंत्र और प्रजातंत्र में जमीन आसमान सा अंतर। पर भारत में चल रहा है समानता का एक मंतर। पहले राजों की संतानें राजपाट पद पाते थे। योग्यता सिर्फ वंशबाद युगों... Hindi · कविता 3 2 536 Share Rajesh Kumar Kaurav 12 Aug 2020 · 1 min read कल्पित भगवान द्वापर युग में जब बढ़ा पाप और अत्याचार। राजाओं में व्याप्त हुआ घमंड़ और भोग विलास। न्याय मर्यादा ओझल हुई धन बल का ही साम्राज्य। मैला आंचल संस्कृति का नारी... Hindi · कविता 4 2 508 Share Rajesh Kumar Kaurav 1 Aug 2020 · 1 min read पत्र पिता के नाम(दोहे) पूज्य पिता को लिख रहा, बारहि बार प्रणाम। कृपा दृष्टि हैं आपकी,देख सका प्रभु धाम। आप पधारे स्वर्ग में, सौंप हमें शुभ काम। प्रभु इच्छा पूरण हुआ,जीत गये श्रीराम। पाँच... Hindi · दोहा 7 6 391 Share Rajesh Kumar Kaurav 5 Jul 2020 · 1 min read राधेकृष्ण (कविता) कविता राधेकृष्ण का जाप करें, एक नाम दो रूप हैं। राधा भी तो कृष्ण रूप कृष्ण ही राधा रूप हैं। कृष्ण बिन राधा आधी राधा बिन कृष्ण अधूरे हैं। राधाकृष्ण... Hindi · कविता 2 1 628 Share Rajesh Kumar Kaurav 19 Jun 2020 · 1 min read बुद्धिजीवी बुद्धिजीवी अफसोस है आधुनिक युग में बुद्धिजीवी लोग चाँद मंगल की सोचते हैं। लाखों करोड़ों का खर्च सालों साल से करते फिर भी असफलता बार बार प्रयास करते हैं। धरती... Hindi · कविता 3 623 Share Rajesh Kumar Kaurav 19 Jun 2020 · 1 min read बुद्धिजीवी बुद्धिजीवी अफसोस है आधुनिक युग में बुद्धिजीवी लोग चाँद मंगल की सोचते हैं। लाखों करोड़ों का खर्च सालों साल से करते फिर भी असफलता बार बार प्रयास करते हैं। धरती... Hindi · कविता 3 514 Share Rajesh Kumar Kaurav 4 Jun 2020 · 1 min read चेतावनी(मनहरण घनाक्षरी) पुलवामा जैसी चाल आंतक का रचा जाल पुलिस का देख हाल गर्व होना चाहिए। कश्मीर की देखभाल पुलिस रही सम्हाल चहुँओर खुशहाल तारीफ तो चाहिए। योजना हुई बेकार उड़ा कर... Hindi · घनाक्षरी 1 1 275 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 May 2020 · 1 min read ड़ीजीलेप(व्यंग्य कविता) मोबाइल मत देना छोटे बच्चों के हाथ। कल तक कहते थे विशेषज्ञ दिनरात। आँखों को हानिकारक बिगाड़े मानसिक स्वास्थ्य। छिना छपटी में पिटतें माता पिता के हाथ। शिक्षाविदों से लेकर... Hindi · कविता 4 385 Share Rajesh Kumar Kaurav 17 May 2020 · 1 min read गृहे गृहे यज्ञ (चौपाई छंद) चौपाई छंद मृत्युल़ोक पर संकट आया*देश देश कोरोना छाया। देव दनुज धर मानव रूपा*निज कृत कर्म करहिं ज्यों भूपा। रूप रंग पहचान न होई*धर्म कर्म नहिं मानत कोई। होहिं अचंभित... Hindi · कविता 6 2 532 Share Rajesh Kumar Kaurav 13 Apr 2020 · 1 min read श्रद्धाँजलि *श्रद्धाँजलि* जलियांवाला बाग दिवस, याद हमें दिलाता है। वीर शहीदो के चरणों शीश स्वयं झुक जाता है। गुलामी के अत्याचारों की याद सदा दिलाता है। निर्दोषो की हत्या सुन पढ़... Hindi · कविता 6 4 282 Share Rajesh Kumar Kaurav 8 Apr 2020 · 1 min read रक्षा करो रक्षा करो(वर्ण पिरामिड़) हे वीर लंगूर हनुमान पवनपुत्र केसरी नंदन रोग फैला है भारी । श्री राम सेवक बजरंगी सुनो पुकार जग रखवारे कोरोना महामारी । जै जय रामेष्ट वरदानी... Hindi · कविता 4 5 384 Share Rajesh Kumar Kaurav 8 Apr 2020 · 1 min read रक्षा करो रक्षा करो (वर्ण पिरामिड) हे वीर लंगूर हनुमान पवनपुत्र केसरी नंदन रोग फैला है भारी । श्री राम सेवक बजरंगी सुनो पुकार जग रखवारे कोरोना महामारी । जै जय रामेष्ट... Hindi · कविता 2 526 Share Rajesh Kumar Kaurav 3 Apr 2020 · 1 min read लड़ना होगा ताटक छंद तैयार सभी भारत वासी,लड़ाई बहुत होना है। अपनी सुरक्षा करते रहें ,कोरोना को धोना है। सुनो पहले धर्मांधता से, बाहर भी आना होगा। अज्ञान मजहब भतभेद को,देश से... Hindi · कविता 2 541 Share Rajesh Kumar Kaurav 30 Mar 2020 · 1 min read श्रीराम संदेश संदेश यही श्रीराम दिया धर्म एक ही मानवता। सब राष्ट्र मिल एक होगें एक विश्व की राष्ट्रयिता। भूल कर मतभेद आपसी सीखेंगे बंधुत्व एकता। सूक्ष्म कारण रूप लेकर सक्रीय होगी... Hindi · कविता 3 1 586 Share Rajesh Kumar Kaurav 23 Mar 2020 · 1 min read आर्त पुकार *मनहरण घनाक्षरी* अब आओ भगवान पुकार रहा इंसान कोरोना से परेशान तू ही एक सहारा। निकल रही है जान भूले सब पहचान दूर करे रोगी जान तू ही अब हमारा।... Hindi · घनाक्षरी 2 336 Share Rajesh Kumar Kaurav 16 Mar 2020 · 1 min read कोरोना पहचान कुण्डलिया छंद 01 सुनो वायरस अब नया,कोरोना हे जान । फैल गया संसार में,ड़रता हर इंसान। ड़रता हर इंसान, ट्रंप अब करे नमस्ते। नहीं मिलाओं हाथ, उपदेश सबको करते। कह... Hindi · कुण्डलिया 3 2 326 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Feb 2020 · 1 min read शिवभाव *शिवभाव* *मनहरण घनाक्षरी* आत्म रूप शिव जान अर्थ होता है कल्याण शरीर नंदी समान शिव वाहन जानिए। पवित्रता रख ध्यान आचरण से महान शिव की सवारी जान साधना तो चाहिए।... Hindi · घनाक्षरी 6 529 Share Rajesh Kumar Kaurav 26 Jan 2020 · 1 min read गणतंत्र दिवस *गणतंत्र दिवस* गणतंत्र दिवस है खुशियों भरा जश्न है। गुलामी की खबर है आजादी का असर है। अपना संविधान है बहुमत प्रधान है। धर्मनिरपेक्षता है समान अधिकार है। सब धर्मों... Hindi · घनाक्षरी 3 299 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 Jan 2020 · 1 min read भीष्म पितामह *भीष्म पितामह* गंगा पुत्र भीष्म खास रच गये इतिहास। पिता सुख धर्म मान प्रतिज्ञा संकल्प है। ब्रह्मचार्य पालन का सत्ता सुख मानव का। छोडकर मोह माया प्रतिज्ञा निभाना है। देवव्रत... Hindi · घनाक्षरी 2 1 620 Share Rajesh Kumar Kaurav 1 Jan 2020 · 1 min read संस्कृति अनमोल सावधान क्यों मना रहें जश्न कलेंडर भर ही तो बदला है। ईस्वी सन् हो गया अब बीस हिंदुस्तानी साल न बदला है। भूल गये नवबर्ष हमारा हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा... Hindi · कविता 4 539 Share Rajesh Kumar Kaurav 17 Nov 2019 · 1 min read नैतिकता है कहाँ समझ आधुनिक संसार अब भूल गए हम नैतिकता का पाठ। ये नग्न फैशन वेशभूषा मर्यादा हीन बोलचाल आज बड़प्पन के ठाठ। लो जान संस्कृति मझधार पुकार रही करने... Hindi · कविता 1 243 Share Rajesh Kumar Kaurav 11 Nov 2019 · 1 min read जीत कहाँ(कविता) अदालत का फैसला इतिहास बन गया। वर्षों पुराना विवाद सुलझ गया श्रीमान।। चार सौ साल से ज्यादा समय तक सताया। बहुत हुए शहीद होते रहे बलिदान।। धन्यवाद लोकतंत्र जनता के... Hindi · घनाक्षरी 2 564 Share Rajesh Kumar Kaurav 27 Oct 2019 · 1 min read दीप जलाये (गीत) दीप जलाये (गीत) घर आंगन दीपक से जगमग, मन मंदिर से अज्ञान भगाये। बुद्धि विवेक उल्लास भर के, आओ घर घर दीप जलाये। लक्ष्मी पूजन हो घर घर में, धन... Hindi · कविता 1 557 Share Rajesh Kumar Kaurav 4 Aug 2019 · 1 min read ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। भज ले मन शिव न कोई सहाय। शिव रहस्य को जो जन जाने। शिव भक्त उसको जग माने। शिव परिवार की देख विषमता, जीने... Hindi · मुक्तक 1 1 546 Share Rajesh Kumar Kaurav 19 Jun 2019 · 1 min read संविधान शर्मसार हुआ (कविता) संविधान शर्मसार हुआ ****************** संसद में शपथ देखकर, संविधान शर्मसार हुआ। किसी ने बोला जय श्री राम , कुछ अल्ला से मांगी दुआ। किसी ने काली नाम पुकारा, कोई दुर्गा... Hindi · कविता 2 539 Share Rajesh Kumar Kaurav 3 May 2019 · 1 min read वर्ण पिरामिड (मैं कौन हूं?) मैं पूछ रहा हूं स्वयं से अपना राज मिल रहा साथ जीवन में सबका। ये नहीं संयोग मैं कौन हूं अनजान सा पाकर बंधन भूला पहचान। हे मन अब तो... Hindi · कविता 1 417 Share Rajesh Kumar Kaurav 21 Mar 2019 · 1 min read होली का रंग-बहनों के संग (कविता) *होली का रंग बहनों के संग* ******************** भाई को चिंतित देख, होलिका वेदी चढ़ी। ऐसा सच्चा प्रेम स्नेह , बहनों में दिखता आज भी। माता-पिता भाई की, आलोचना न कभी... Hindi · कविता 1 466 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 Dec 2018 · 1 min read श्रीमद्भगवद्गीता ? अद्भुत ग्रंथ है श्रीमद्भगवद्गीता। प्रभू की अमृतवाणी है गीता। प्रिय सखा की सलाह है गीता। ऋषियों की सिद्धि है गीता। गुरु का उपदेश है गीता। दार्शनिक का दर्शन है गीता।... Hindi · कविता 4 288 Share Rajesh Kumar Kaurav 14 Dec 2018 · 1 min read भाव, शब्द भाव शब्द शब्द पुष्प है भाव मूल है, बिन मूल के शब्द शूल है। भाव की है अभिव्यक्ति, बिन भाव शब्द निर्मूल है। परमात्मा की भाव शक्ति, शब्दब्रह्म प्रतिध्वनि ऊं... Hindi · कविता 2 405 Share Rajesh Kumar Kaurav 14 Dec 2018 · 1 min read भाव, शब्द भाव शब्द शब्द पुष्प है भाव मूल है, बिन मूल के शब्द शूल है। भाव की है अभिव्यक्ति, बिन भाव शब्द निर्मूल है। परमात्मा की भाव शक्ति, शब्दब्रह्म प्रतिध्वनि ऊं... Hindi · कविता 1 536 Share Rajesh Kumar Kaurav 8 Nov 2018 · 1 min read पारसमणी मंत्र है मां मेरी तेरी सबकी मां, विविध रूप पर एक है मां। अभिव्यक्ति की प्रथम किरण, सृष्टि की आधार है मां। सुबह है ऊषा शाम की संध्या, चढ़त दुपहरी रात भी मां।... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 32 954 Share Rajesh Kumar Kaurav 8 Nov 2018 · 1 min read पारसमणी मंत्र है मां "मां" मेरी तेरी सबकी मां, विविध रूप पर एक है मां। अभिव्यक्ति की प्रथम किरण, सृष्टि की आधार है मां। सुबह है ऊषा शाम की संध्या, चढ़त दुपहरी रात भी... Hindi · कविता 2 1 402 Share Rajesh Kumar Kaurav 29 Oct 2018 · 1 min read अटूट बंधन (वर्ण पिरामिड कविता) अटूट बंधन (वर्ण पिरामिड कविता) क्यों रही सदा से भारत में दाम्पत्य जोड़ी सफल जीने में गौरवमयी पद्धति। थी सारी दुनिया अनजान भारतीय स्त्री पति को देवता स्वरूप समझती। वो... Hindi · कविता 1 606 Share Rajesh Kumar Kaurav 7 Oct 2018 · 1 min read मतदान (कविता) मतदान प्रजातंत्र में पर्व बड़ा यह, मतदान राष्ट्र की पूजा है। ऊच नीच व जाति भेद का, स्थान नहीं कोई दूजा है। सबको अवसर सबकी इच्छा, किसे किसको चुनना है।... Hindi · कविता 418 Share Rajesh Kumar Kaurav 17 Aug 2018 · 1 min read अटल अटल (कविता) बिषम परिस्थितियों से टकराना, जीवन जिसका लक्ष्य रहा था। कभी न हारा कभी न टूटा, संघर्ष भरा जिसका जीवन था। हिंद देश के स्वाभिमान हित, हिंदुत्व जीवन जो जीता था।... Hindi · कविता 318 Share Rajesh Kumar Kaurav 29 Jul 2018 · 1 min read ये युग (वर्ण पिरामिड) ये युग बदल रहा है रे प्रगतिशील परिवर्तन है संकट तो आवेगे। जो लोग चाहते सुविधाएं सरलता से उन्हें पराक्रम अपनाने ही होगें। को रहा सफल आज तक स्थिरता पर... Hindi · कविता 285 Share Rajesh Kumar Kaurav 24 Jul 2018 · 1 min read शालीनता (वर्ण पिरामिड, कविता) ये पप्पू क्या किया सारा देश शर्मशार है मुखिया बनना रहा न आसान है। तू कब समझा तेरे लिए मां कुर्बान तेरी खातिर सहती रहती वरन् जाती ईरान। ओ मेरे... Hindi · कविता 613 Share Rajesh Kumar Kaurav 18 Jul 2018 · 2 min read क्यों हम पीछे हैं (कविता) क्यों हम पीछे हैं (कविता) विकास की गति बहुत तेज, फिर भी क्यों हम पीछे हैं। दशकों से दौड़ रहे सब, फिर आगे क्योंनहीं बढते हैं। सीमा पर होती हलचल... Hindi · कविता 615 Share Rajesh Kumar Kaurav 20 Jun 2018 · 1 min read कह कर बदलना (कविता) कह कर बदलना, आम बात है जी। जनसाधारण ही नहीं, राजनीति में खास है जी। जो जितना बदलता, चर्चा में बनता है जी। झूठ बोलने का चलन, बहुत बढ़ रहा... Hindi · कविता 1 586 Share Rajesh Kumar Kaurav 8 Apr 2018 · 1 min read चलन मेरे देश का कैसा है यह चलन , मेरे भारत देश का। दोषी की जमानत पर, माहोल बनता जश्न का। आतिशबाजी हर तरफ, जयकार ढ़ोल मृदंग का। लगता विजयश्री पाई, मान घटाया दुश्मन... Hindi · कविता 542 Share Previous Page 3 Next