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आहें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक सुहाना सफर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मांन सिंह राजा भैया को बधाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
न कोई सहारा मिला
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कैसा रोग फैला हे!भगवान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माँ होती भगवान समान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बात ही बात में क्या कही है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जनता की घुन्दू जनता जाने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उम्मीदें जीवन का आधार हैं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये कैसा मजदूर दिवस
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल मेरे नैन हुए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वक्त तो वक्त है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीना नही है आसान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीवन हुआ है रूठा रूठा सा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सफेद हो गया लहू
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरा मन क्यो भयभीत है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दो पटरी के मेल से चलती रेल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोरोना तूने घर का बजट बिगाड़ा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पूर्वज थे हमारे बहुत सयाने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कोरोना बख्श दो जिंदगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माँ बरसी आई पर तू कभी नहीं आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आवाम मांग रही है हिसाब
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुनी हो जाती हैं राहें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भीरू शौहर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कभी दिल जी कुंडी खोल तो माही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पैर पग पग पर बहकने लगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिन्दगी न मिलेगी कभी दुबारा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मिट्टी कहने लगी इंसान से
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जब जागो तभी है सवेरा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौसमी खाँसी जुखाम और बुखार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्यार की बदली नैनों से बरसती
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्यों तुम दूर खड़े हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गमों में हँसना मुझे आता है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौत हर पल दर पर खड़ी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गम पी कर मुस्कराता रहा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फौजी मेरे देश के
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कब होगी मुलाकात
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जख्म सीने में है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे हमसफ़र
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गम पी कर मुस्कराते हैं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माँ बाप हैं लाचार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
औलाद परिन्दों जैसी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
न निकाह न फेरे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आर्यन स्कूल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बस सरकारी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दियासलाई ओर मानव
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेअसर नीतियाँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गाँव की पुकार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नदी किनारे छोटा सा गांव हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत