राजेश 'ललित' Language: Hindi 140 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next राजेश 'ललित' 2 Jul 2021 · 4 min read 'निकम्मा' निकम्मा -------------------------- राधेश्याम सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर तकिये पर सिर रख कर छत को निहारते हुये सोच रहा था कि चलो सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर अब कुछ... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 13 14 1k Share राजेश 'ललित' 6 May 2021 · 1 min read मुंह ढकिये कोरोना ने सब के मुँह ढक दिये। जैसे किसी को मुँह दिखाने लायक़ ही नहीं रहे। हमें हर काम अपने मुंह ढक कर करने हैं। इसपर एक नये क्लेवर की... Hindi · कविता 10 1 377 Share राजेश 'ललित' 12 Mar 2021 · 1 min read शेर -------------- नींद आती किसे है, यारब। तुम्हारी याद है न: पलकों में किरच सी; चुभे जा रही है:: -------------- राजेश'ललित Hindi · शेर 8 2 305 Share राजेश 'ललित' 24 Feb 2021 · 1 min read ऋग्वेद-एक संत बहुधा कल्पयंति। एकं सन्तं बहुधा कल्पयंति। --------ऋग्वेद हम एक ही सन्त(परमपिता प्रमात्मा) के बारे में सबसे अधिक कल्पना करते हैं;अर्थात कई नामों से पुकारते है,परंतु वह एक ही है।आप उसे ब्रह्मा विष्णु,महेश,... Hindi · लेख 8 3 387 Share राजेश 'ललित' 20 Feb 2021 · 1 min read भवानी प्रसाद मिश्र-जनमानस के कवि पं भवानी प्रसाद मिश्र-- जनमानस के कवि ---------------------- आज पं भवानी प्रसाद मिश्र जी का जन्मदिन है।उन्हें सुनने के लिये कई बार मुझे गुरुग्राम से विशेष रूप से दिल्ली आना... Hindi · लेख 8 3 471 Share राजेश 'ललित' 14 Feb 2021 · 1 min read प्रेम प्रेम ----------- नफ़रतों के जंगल में प्रेम अग्न हुआ मन हुलसा तन झुलसा राख में से निकलेगा वो प्रेम का नवांकुर कभी तो देखना तुम ----------- राजेश'ललित' Hindi · कविता 10 10 345 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read क्षणिकायें क्षणिकायें ---------------------- मैने जब सुनी दिल की आवाज सुनी; दुनिया की सुनता, तो दीवाना होता::राजेश'ललित' ------ मुझसे मेरा हाल न पूछो, मुझसे मेरी ख़ता न पूछो: वजूद मेरा चुरा लिया... Hindi · कविता 7 2 446 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read भूख का गणित भूख का गणित ---------- पेट पर हाथ रख कर वह भूख पालता रहा जहां तक संभव था भूख को टालता रहा गाड़ी आई वह जा चढ़ा जब तक भूख थी... Hindi · कविता 7 354 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read भूख का गणित भूख का गणित ---------- पेट पर हाथ रख कर वह भूख पालता रहा जहां तक संभव था भूख को टालता रहा गाड़ी आई वह जा चढ़ा जब तक भूख थी... Hindi · कविता 7 1 294 Share राजेश 'ललित' 26 Jan 2021 · 1 min read क्षणिकायें सर्दी की धूप ------------- मेरा आँगन और मै , दोनों ही परेशान हैं! धूप के न आने से!! मैने कंबल ओढ़ा, आँगन ने कोहरा, रात सिकुड़ती रही, ठिठुरती रही, कभी... Hindi · कविता 8 2 431 Share राजेश 'ललित' 26 Sep 2020 · 1 min read किस्से किस्से ————— सारे शहर में घूम घूम कर! झूठे क़िस्से :सच्चे क़िस्से! दीवारों के कान खड़े है? मन में कहे ही सुन लेते हैं! ऐसे क़िस्से:वैसे किस्से! हवा ज़हरीली बह... Hindi · कविता 11 2 514 Share राजेश 'ललित' 7 Sep 2020 · 1 min read काठ की हांडी आज की कविता ‘काठ की हांडी’में काठ की हांडी आम आदमी का प्रतीक है जिसको बार बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है।वैसे ‘काठ की हांडी चढै न बारंबार’एक लोकोक्ति... Hindi · कविता 6 2k Share राजेश 'ललित' 22 Aug 2020 · 1 min read आषाढ के दिन आषाढ के दिन ——————- मन की उमस बहुत हुआ ताप बस अब तो बरस खुले बहाव के दिन कटोरा भर अभाव के दिन आषाढ़ के दिन छत से उड़ी तिरपाल... Hindi · कविता 9 10 662 Share राजेश 'ललित' 21 Aug 2020 · 1 min read दोस्त दोस्त ——— दोस्त हो तो कहो दिल में पड़ी परतें खोलो कुछ कही कुछ मनकही कुछ अनकही दोस्त हो तो फूँको एक सिगरेट छल्लों के झरोखों से देखो मीठी यादों... Hindi · कविता 9 7 725 Share राजेश 'ललित' 5 Sep 2019 · 1 min read खोदा पहाड़ यह कविता कुछ गाँव के लोगों के सामूहिक प्रयास से पहाड़ों को खोद कर एक रास्ता बनाने को लेकर लिखी है।जब आप सरकार और उसकी संस्थाओं से गुहार लगा थक... Hindi · कविता 4 426 Share राजेश 'ललित' 10 Jul 2019 · 1 min read महफ़िल महफ़िल ----------———- ये वक़्त की महफ़िल है जनाब सब आयेंगे मिलने वाले तुम भी आना घर पर ही रख आना अपना अभिमान अपना ग़रूर अगली बार मिलो थोड़ी गर्माहट अपने... Hindi · कविता 4 317 Share राजेश 'ललित' 1 Jul 2019 · 1 min read आज के शेर आज के शेर —————————- ख़ूब मलिये, ज़ख़्मों पे नमक, दर्द की इन्तहा क्या है!! हम जानते हैं। ———————- अपना पता बदलिये ,जनाब!! आजकल इस पते पर डाक नहीं आती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 2 327 Share राजेश 'ललित' 20 Apr 2019 · 1 min read तलाश अभी जारी है सोलहवीं लोकसभा के चुनाव आ गये। नेता अपने घर से निकल कर मंचो पर सजने लगे हैं।उनकी इन बातों से उपजी यह कविता:- ---------------------------------------- तलाश जारी है -------------------------------------------- पाँच बरस... Hindi · कविता 5 1 568 Share राजेश 'ललित' 10 Apr 2019 · 1 min read आ गये राजे महाराजे चुनावी सरगर्मी मे अपनी राह बनाती कविता -------------------------------------------------------------- आज के राजे-महाराजे ----------------------- आ गये आज के राजे-महाराजे ढोल बजाते सजा कर अपने अपने खोमचे ढेर सारे लेकर वादे खटी मीठी... Hindi · कविता 6 1 389 Share राजेश 'ललित' 3 Apr 2019 · 1 min read शब्द ' ----------------------------- शब्दों मत रुको कुछ कहो निरर्थक सा मत पड़े रहो शिला सी अल्हड़ नदी सा बहो वक्त के अनुसार बदलो अंदाजे बयां कुछ नया हो हाँ, तेवर रखो... Hindi · कविता 6 1 593 Share राजेश 'ललित' 2 Apr 2019 · 1 min read गजल "ग ज़ ल" ————————- घाव पर चोट बनाये रखिये; बेअसर न हो,दर्द बनाये रखिये। दुश्मन हो,दोस्ती,बनाये रखिये; कम हैं अभी नश्तर चुभाये रखिये। धूप है ग़र,साया बनाये रखिये; अंधेरे में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 2 268 Share राजेश 'ललित' 12 Jan 2019 · 2 min read नवागंतुक एवं परंपराऐ लेख:- ----------------------------------------- "नवागंतुक एवं परंपरायें" --------------------------- कुछ बातें जीवन में तब समझ में आती हैं जब वे स्वयं आप अनुभव करते हैं।परिवार की मान्यतायें,परंपरायें,जिनके सहारे हम लोग पले बड़े होते... Hindi · लेख 5 1 265 Share राजेश 'ललित' 1 Jan 2019 · 1 min read 'नव प्रभात'--------"उठो सूरज-उगो सूरज" 'उठो सूरज-उगो सूरज" ------------------------------ चलो उठो सूर्य नव वर्ष आया सब प्रतीक्षारत हैं नव प्रभात पर सर्द सुबह पर गर्म कंबल का मोह छोड़ो और उगो बहुत मुश्किल है न... Hindi · मुक्तक 7 1 294 Share राजेश 'ललित' 19 Dec 2018 · 1 min read क्षणिकायें क्षणिकायें अक्सर लिखता हूं:लिखने की प्रेरणा मगर कवि बंधुओं और पाठकवृंद से मिलती है।आज की क्षणिका प्रस्तुत है --------------------------------------- "क्षणिका" ----------------------------------------- मत ढूंढो चांद को अमावस की रात है क्योंकि... Hindi · कविता 6 1 267 Share राजेश 'ललित' 15 Dec 2018 · 1 min read 'अविश्वास' शक करना वो भी बेवजह ।पति-पत्नी, समाज में एक दूसरे से ;हर जगह शक का घेरा है।चार अशआ'र कुछ कह रहे हैं:- -------------------------------------- 'अविश्वास' --------------------------------------- क्यों शक है हर शख़्स... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 2 490 Share राजेश 'ललित' 13 Dec 2018 · 1 min read इज्जत बचाती एक लड़की आजके समय बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है,इस संदर्भ में अपने विचार इस कविता के माध्यम से कहने का प्रयास किया है। ---------------------------------------------------------------------------- "इज्ज़त बचाती एक लड़की" ---------------------------------------------------------------------------- स्कूल जाती... Hindi · कविता 7 2 308 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी --------------------------------------------- 'मां तपस्विनी' ----------------------------------------------- है कहां? वो घर तपोवन? सिकुड़ गया, घर का आंगन। कहीं किसी कोने में, तपस्विनी सी बैठी है; थकी मांदी नैनन मे नींद भरी है, चूल्हा,चौका,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 21 646 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी यह कविता मां के अथक परिश्रम और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करते हुए कठिन तपस्या करती है पर बदले में कुछ भी... Hindi · कविता 6 5 435 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी यह कविता मां के अथक परिश्रम और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करते हुए कठिन तपस्या करती है पर बदले में कुछ भी... Hindi · कविता 6 2 279 Share राजेश 'ललित' 9 Oct 2018 · 1 min read सीले रिश्ते,कौन सिलेगा? सीले रिश्ते कौन सिलेगा ? सुई जोड़ेगी,पर हर जोड़ पर चुभेगी। धागा उभरेगा ! रिश्ता फटा ही रहेगा, भीतर ही भीतर जुड़ा नज़र आयेगा, सिर्फ ऊपर। चला सको ,चलाओ जब... Hindi · मुक्तक 4 240 Share राजेश 'ललित' 29 Jul 2018 · 3 min read 'याद भी;नीरज भी' "यादें भी ;'नीरज' भी" ----------------------------------- "कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे-----" ये गीत हमें सिनेमा हाल तक खींच कर ले गया।फिल्म थी "नई उमर की नई फ़सल "।फिल्म बेरोज़गार लड़कों... Hindi · लेख 5 461 Share राजेश 'ललित' 29 Jun 2018 · 1 min read आई बरखा आई बरखा --------------------- चैत पर चढ़ बैठा जेठ जेठ पर चढ़ बैठा आषाढ़ पुरवा बैठी बाट निहार सीने पर चढ़ सावन बैठा जैसे सबसे रूठा रूठा कब आयेगी बरखा रानी... Hindi · गीत 6 2 346 Share राजेश 'ललित' 2 May 2018 · 1 min read "जी तो रहा हूँ " "जी तो रहा हूँ " ---------------- जी तो रहा हूँ मगर ऐ ज़िंदगी तुझसे कटा कटा सा हूँ ध्यान से पढ़ना ज़रा ये खबर अख़बार फटा फटा सा हूँ मत... Hindi · कविता 5 1 257 Share राजेश 'ललित' 7 Feb 2018 · 1 min read बवाना की आग "बवाना की आग" ------------------------ बवाना की आग सब जल गया बची सिर्फ राख ही राख कुछ बेक़सूर लाशें कुछ लाचार सिसकियाँ दमघोटू आवाज़ें स्याह दीवारें किसे पुकारें कुछ कान में... Hindi · कविता 5 2 270 Share राजेश 'ललित' 21 Jan 2018 · 1 min read 'बसंत आ गया' शरद ऋतु में गर्मी की आहट अर्थात बसंत आने का संकेत।कुछ संकेत प्रकृति भी देती है।इसी से निकली'बसंत आ गया' -------------------------- "बसंत आ गया" ------------------------- बौरा गये हैं आम हर... Hindi · कविता 4 602 Share राजेश 'ललित' 20 Dec 2017 · 1 min read अरे,ग़रीबी ! सदियों से ग़रीबी और अमीरी के बीच खाई पाटने की कोशिश की जा रही है पर इसमें सफलता नहीं मिल पाई।ग़रीब और ग़रीबी हाथ में हाथ थामे अब तक शायद... Hindi · कविता 5 1 330 Share राजेश 'ललित' 29 Nov 2017 · 1 min read "तद्भव" कापी,पेस्ट,क्लिक के ज़माने में मौलिकता कहीं खोती जा रही है।आपकी रचना कोई चुरा कर आपके सामने प्रस्तुत करता है तो लगता है पढ़ी हुई/सुनी हुई लगती है।चलो इस कविता के... Hindi · मुक्तक 5 2 517 Share राजेश 'ललित' 12 Nov 2017 · 1 min read "धुँध " प्रदूषण के चलते आज पृथ्वी के अस्तित्व पर ख़तरा मँडरा रहा है।हवा का स्तर इतना ख़तरनाक हो गया है कि साँस लेना मतलब ज़हर लेना है और हम हल ढूँढने... Hindi · कविता 4 675 Share राजेश 'ललित' 22 Oct 2017 · 1 min read "मजमा" चुनाव नज़दीक आते ही नेता "मजमा" लगाना शुरु कर देते हैं। विभिन्न वायदे फेंकते हैं,आश्वासन उछालते हैं;जो नेता लोगों को आकर्षित करता है जिस पर अधिक ताली बजती है वही... Hindi · कविता 4 612 Share राजेश 'ललित' 29 Sep 2017 · 1 min read लफ़्ज़ो में न दफ्नाओ दो क्षणिकायें अलग अलग संदर्भों में प्रस्तुत हैं आशा है पसंद आयेंगी। ------------------ लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ --------------- लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ मेरे जज़्बातों को कहना है अभी बहुत कुछ... Hindi · कविता 5 1 276 Share राजेश 'ललित' 29 Sep 2017 · 1 min read लफ़्ज़ो में न दफ्नाओ दो क्षणिकायें अलग अलग संदर्भों में प्रस्तुत हैं आशा है पसंद आयेंगी। ------------------ लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ --------------- लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ मेरे जज़्बातों को कहना है अभी बहुत कुछ... Hindi · कविता 5 1 275 Share राजेश 'ललित' 18 Sep 2017 · 1 min read बरस पड़ी आँखें "बरस पड़ी आँखें" "क्षणिका" ------------------- कल बादल भी नहीं थे तन्हा भी नहीं था सब थे आस पास मन भी नहीं था उदास ! फिर भी बेमौसम क्यों? बरस पड़ी... Hindi · मुक्तक 4 553 Share राजेश 'ललित' 10 Sep 2017 · 1 min read "मन की खिड़की" यह कोई कविता नहीं;मन से निकली आनायास एक आवाज़ है जो मन से निकलता गया;ढलता गया ;मैंने कविता मान लिया ;आप मानोगे तो ठीक नहीं तो यूँ ही पढ़ लेना।... Hindi · मुक्तक 4 382 Share राजेश 'ललित' 5 Sep 2017 · 2 min read सारोकार:-"शिक्षक दिवस"---प्राचीन शिक्षा सारोकार:---------"शिक्षक दिवस" ------------------------- "प्राचीन शिक्षा पद्धति-गुरुकुल"---भाग-(१) ------------------------------ भारत विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से है।यहाँ की परम्परायें भी उतनी ही पुरानी हैं।हमारी शिक्षा व्यवस्था भी परंपरा और संस्कृति से गहरे... Hindi · लेख 4 355 Share राजेश 'ललित' 5 Sep 2017 · 1 min read दो रचनायें प्रकाशनार्थ दो रचनायें पाठकों के सम्मुख हैं।प्रतिक्रिया चाहूँगा। ----------------- "रुँधे गले से" ----------------- रुँधे गले से मत बोल कौन सुनेगा? जो तू कहेगा ! वो दर्द वो वेदना दो शब्द जो... Hindi · मुक्तक 4 433 Share राजेश 'ललित' 3 Sep 2017 · 4 min read सारोकार:- "पत्रकारिता--गिरता स्तर" "पत्रकारिता--गिरता स्तर" -------------------- पत्रकारिता की शुरुआत भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में हुई थी।उन दिनों प्रिंट मीडिया प्रमुख रूप से समाचार पत्रों और ंपत्रिकाओं में देश की आज़ादी... Hindi · लेख 5 1 389 Share राजेश 'ललित' 24 Aug 2017 · 1 min read अपने अपने कृष्ण जब भी हम संकट में होते हैं तो हम माँ और भगवान को याद करते हैं।यदि उस घड़ी कोई सहायतार्थी मिल जाये तो वह सारथी कृष्ण जैसा लगता है। ------------------------... Hindi · मुक्तक 4 260 Share राजेश 'ललित' 19 Aug 2017 · 1 min read मुस्कुराती रहो मोनालिसा तेज़ी से बदलती हुई दुनिया में घटनाओं के प्रति हम उदासीन होते जा रहे हैं जैसे हमारे घर में लगी टी वी के उपर मोनालिसा की तस्वीर:- ------------------------- "मुस्कुराती रहो... Hindi · कविता 5 1 251 Share राजेश 'ललित' 12 Aug 2017 · 1 min read मरती धरती वैज्ञानिकों के बार बार चेतावनी देने के पश्चात् भी पर्यावरण में सुधार होने की बजाय हानि ही हो रही है ,जिससे धरती पर जीवन को ख़तरा हो गया है।पानी ,जंगल... Hindi · कविता 5 2 537 Share राजेश 'ललित' 8 Aug 2017 · 1 min read मन खट्टा "मन खट्टा" ----------------- मन खट्टा हो गया चल यार कैसी बात करता है मन कभी मीठा हुआ कभी सुना क्या? नहीं न यूँ ही जमी रहेगी दही रिश्तों की खटास... Hindi · मुक्तक 4 415 Share Previous Page 2 Next