मदन मोहन सक्सेना 176 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next मदन मोहन सक्सेना 9 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल( उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा) आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे ये दोनों क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Apr 2017 · 1 min read ग़ज़ल ( इस आस में बीती उम्र कोई हमें अपना कहे) कभी गर्दिशों से दोस्ती कभी गम से याराना हुआ चार पल की जिन्दगी का ऐसे कट जाना हुआ इस आस में बीती उम्र कोई हमें अपना कहे अब आज के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 288 Share मदन मोहन सक्सेना 10 Mar 2017 · 1 min read ग़ज़ल (चलो हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है ) मन से मन भी मिल जाये , तन से तन भी मिल जाये प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है मौसम आज रंगों का छायी अब खुमारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 639 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Feb 2017 · 1 min read प्यार बिन सूना सारा ये संसार है प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है प्यार पाने... Hindi · कविता 478 Share मदन मोहन सक्सेना 24 Jan 2017 · 1 min read २६ जनबरी आने बाली है २६ जनबरी आने बाली है सरकारी अमला जोर शोर से तैयारी कर रहा है स्कूल के बच्चे और टीचर अपने तरह से जुटे हुए हैं आजादी का पर्ब मनाने के... Hindi · कविता 288 Share मदन मोहन सक्सेना 29 Dec 2016 · 1 min read नूतन बर्ष २०१७ आप सबको मंगलमय हो नब बर्ष २०१७ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार ईश्वर से हम कर रहे हर पल... Hindi · कविता 246 Share मदन मोहन सक्सेना 23 Dec 2016 · 1 min read आम जनता को क्या मिला मुझे नहीं पता कि नोटबंदी से कितना कालाधन आया कितने सफेदपोश जेल के अंदर गए किन्तु मुझे पता चल गया है कि पैसा क्या चीज है जिसके लिए रिज़र्व बैंक... Hindi · कविता 287 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Dec 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ , अंक ३ ,दिसम्बर २०१६ में प्रकाशितहुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 265 Share मदन मोहन सक्सेना 9 Dec 2016 · 1 min read रोशनी से आशियाना यारों अक्सर जलता है रोशनी से आशियाना यारों अक्सर जलता है जाना जिनको कल अपना आज हुए बह पराये हैं दुनिया के सारे गम आज मेरे पास आए हैं ना पीने का है आज... Hindi · कविता 251 Share मदन मोहन सक्सेना 9 Dec 2016 · 2 min read भ्रम कभी मानब ये सोचकर भ्रम में रहता है वह कितना सक्षम ,समर्थ तथा शक्तिशाली है जिसने समुद्र, चाँद ,पर्बतों पर विजय प्राप्त कर ली है परमाणु के बिषय में गहन... Hindi · कविता 276 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Dec 2016 · 1 min read गज़ल (सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना) गज़ल (सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना) जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Nov 2016 · 2 min read लेखनी का कागज से स्पर्श लेखनी का कागज से स्पर्श अपने अनुभबों,एहसासों ,बिचारों को यथार्थ रूप में अभिब्यक्त करने के लिए जब जब मैनें लेखनी का कागज से स्पर्श किया उस समय मुझे एक बिचित्र... Hindi · कविता 2 513 Share मदन मोहन सक्सेना 17 Nov 2016 · 1 min read (ग़ज़ल/गीतिका)मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस मुझे दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share मदन मोहन सक्सेना 16 Nov 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २ ,नवम्बर २०१६ में मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २ ,नवम्बर २०१६ में प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक २... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 267 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Nov 2016 · 1 min read कुछ शेर कुछ शेर उसे हम दोस्त क्या मानें दिखे मुश्किल में मुश्किल से मुसीबत में भी अपना हो उसी को दोस्त मानेगें जो दिल को तोड़ ही डाले उसे हम प्यार... Hindi · शेर 1 417 Share मदन मोहन सक्सेना 31 Oct 2016 · 1 min read चलो हो गयी दीवाली चलो हो गयी दीवाली दीवाली से पहले सोशल मीडिया पर चीनी सामान का बहिष्कार की बातें करने बाले काफी लोग दीवाली पर पहले से रखी लाइट्स का इस्तेमाल करते दिखे... Hindi · कविता 283 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Oct 2016 · 2 min read मैं उजाला और दीपावली बह हमसे बोले हँसकर कि आज है दीवाली उदास क्यों है दीखता क्यों बजा रहा नहीं ताली मैं कैसें उनसे बोलूँ कि जेब मेरी ख़ाली जब हाथ भी बंधें हो... Hindi · कविता 1 396 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Oct 2016 · 1 min read दिवाली और मेरे शेर दिवाली और मेरे शेर दिवाली का पर्व है फिर अँधेरे में हम क्यों रहें चलो हम अपने अहम् को जलाकर रौशनी कर लें ************************************* दिवाली का पर्व है अँधेरा अब... Hindi · शेर 549 Share मदन मोहन सक्सेना 26 Oct 2016 · 1 min read ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है ) किस की कुर्वानी को किसने याद रखा है दुनियाँ में जलता तेल औ बाती है कहतें दीपक जलता है पथ में काँटें लाख बिछे हो मंजिल मिल जाती है उसको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 390 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Oct 2016 · 2 min read परम्पराओं का पालन या अँध बिश्बास का खेल (करबा चौथ ) परम्पराओं का पालन या अँध बिश्बास का खेल (करबा चौथ ) करवाचौथ के दिन भारतबर्ष में सुहागिनें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए चाँद दिखने तक निर्जला उपबास रखती... Hindi · लेख 1 506 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Oct 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक १ ,अक्टूबर २०१६ में प्रकाशित प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ अंक १ ,अक्टूबर २०१६ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल (जिसे देखे हुए हो गया अर्सा मुझे) किस ज़माने की बात करते हो रिश्तें निभाने की बात करते हो अहसान ज़माने का है यार मुझ पर क्यों राय भुलाने की बात करते हो जिसे देखे हुए हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 267 Share मदन मोहन सक्सेना 23 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( मुहब्बत है इश्क़ है प्यार है या फिर कुछ और ) लोग कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती है हम नजरें भी मिलाते हैं तो चर्चा हो जाती है. दिल पर क्या गुज़रती है जब वह दूर होते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 337 Share मदन मोहन सक्सेना 19 Sep 2016 · 1 min read फिर एक बार फिर एक बार देश ने आंतकी हमला झेला फिर एक बार कई सैनिक शहीद हो गए फिर एक बार परिबारों ने अपनोँ को खोने का दंश झेला फिर एक बार... Hindi · कविता 222 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Sep 2016 · 1 min read हम आप और हिंदी ( १४ सितम्बर ) हिंदी दिवस की आप सबको शुभ कामनाएं लिखो जज्बात हिंदी में करो हर बात हिंदी में हम भी बोले हिंदी में तुम भी बोलो हिंदी में जय हिंदी जय हिंदुस्तान... Hindi · कविता 618 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Sep 2016 · 1 min read देखते है कि आपका मुँह खुलेगा भी या नहीं होली के अबसर पर पानी की बर्बादी की बात करने बाले शिवरात्रि पर शिव पर दूध अर्पित करने को कुपोषण से जोड़ने बाले और दूध की कमी का रोने बाले... Hindi · कविता 3 434 Share मदन मोहन सक्सेना 9 Sep 2016 · 1 min read मुक्तक (सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं) रोता नहीं है कोई भी किसी और के लिए सब अपनी अपनी किस्मत को ले लेकर खूब रोते हैं प्यार की दौलत को कभी छोटा न समझना तुम होते है... Hindi · मुक्तक 286 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Sep 2016 · 1 min read ग़ज़ल ( क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है ) दर्द को अपने से कभी रुखसत ना कीजिये क्योंकि दर्द का सहारा तो जीने के लिए है पी करके मर्जे इश्क़ में बहका ना कीजिये ख़ामोशी की मदिरा तो सिर्फ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 545 Share मदन मोहन सक्सेना 25 Aug 2016 · 1 min read श्री कृष्णजन्माष्टमी का पर्ब आप सबको मंगलमय हो उत्थान पतन मेरे भगवन है आज तुम्हारे हाथों में प्रभु जीत तुम्हारें हाथों में प्रभु हार तुम्हारें हाथों में मुझमें तुममें है फर्क यही मैं नर हूँ तुम नारायण हो... Hindi · गीत 235 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) ग़ज़ल( समय से कौन जीता है समय ने खेल खेले हैं) अपनी जिंदगी गुजारी है ख्बाबों के ही सायें में ख्बाबों में तो अरमानों के जाने कितने मेले हैं भुला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 350 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Aug 2016 · 3 min read राखी रक्षा बंधन और रिश्तें राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में... Hindi · लेख 1 501 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) ग़ज़ल (गज़ब हैं रंग जीबन के) गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share मदन मोहन सक्सेना 9 Aug 2016 · 3 min read आ गया राखी का पर्ब राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में... Hindi · लेख 546 Share मदन मोहन सक्सेना 8 Aug 2016 · 1 min read अरमानो के मेले में जब ख्बाबों के महल टूटे सजा क्या खूब मिलती है किसी से दिल लगाने की तन्हाई की महफ़िल में आदत हो गयी गाने की हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत तमन्ना अपनी... Hindi · कविता 315 Share मदन मोहन सक्सेना 4 Aug 2016 · 1 min read कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है समय के साथ... Hindi · कविता 282 Share मदन मोहन सक्सेना 3 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल (निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है ) कुछ इस तरह से हमने अपनी जिंदगी गुजारी है जीने की तमन्ना है न मौत हमको प्यारी है लाचारी का दामन आज हमने थाम रक्खा है उनसे किस तरह कह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 311 Share मदन मोहन सक्सेना 2 Aug 2016 · 1 min read मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ११ ,अगस्त २०१६ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 242 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Jul 2016 · 1 min read आज हम फिर बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में आती... Hindi · कविता 235 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Jul 2016 · 1 min read देकर दुआएँ आज फिर हम पर सितम वो कर गए हम आज तक खामोश हैं और वो भी कुछ कहते नहीं दर्द के नग्मों में हक़ बस मेरा नजर आता है देकर दुआएँ आज फिर हम पर सितम वो कर... Hindi · कविता 600 Share मदन मोहन सक्सेना 25 Jul 2016 · 1 min read सांसों के जनाजें को तो सव ने जिंदगी जाना देखा जब नहीं उनको और हमने गीत ना गाया जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम कहा हमने ज़माने... Hindi · गीत 2 506 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Jul 2016 · 1 min read चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी ना दीजिये जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी ना दीजिये तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया प्रभु... Hindi · कविता 281 Share मदन मोहन सक्सेना 21 Jul 2016 · 2 min read (कल की ही बात है) कल की ही बात है जब से मैंने गाँव क्या छोड़ा शहर में ठिकाना खोजा पता नहीं आजकल हर कोई मुझसे आँख मिचौली का खेल क्यों खेला करता है जिसकी... Hindi · कविता 567 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read खुशबुओं की बस्ती खुशबुओं की बस्ती खुशबुओं की बस्ती में रहता प्यार मेरा है आज प्यारे प्यारे सपनो ने आकर के मुझको घेरा है उनकी सूरत का आँखों में हर पल हुआ यूँ... Hindi · गीत 518 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read परायी दुनिया परायी दुनिया अपना दिल जब ये पूछें की दिलकश क्यों नज़ारे हैं परायी लगती दुनिया में बह लगते क्यों हमारे हैं ना उनसे तुम अलग रहना ,मैं कहता अपने दिल... Hindi · गीत 612 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read मुक्तक (जान) मुक्तक (जान) ये जान जान कर जान गया ,ये जान तो मेरी जान नहीं जिस जान के खातिर जान है ये, इसमें उस जैसी शान नहीं जब जान वह मेरी... Hindi · मुक्तक 494 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read मेरी नजर (मुक्तक) मेरी नजर भटक रही थी मेरी नजर जिस हमसफ़र की तलाश में मैं जी रहा था अब तलक जिस खूब सूरत आस में देखा तुम्हें नजरें मिली मानों प्यार मेरा... Hindi · मुक्तक 304 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Jul 2016 · 1 min read शरण में आया तेरी राम जी शरण में आया तेरी राम जी संग मेरे घूमते थे, संग मेरे खाते करते थे, मुझसे वे बड़ी बड़ी बातें दुर्दिन में मेरे वो ,आये नहीं काम जी अब तो... Hindi · कविता 285 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read अनोखा प्यार का बंधन अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँ पल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होना रहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में ही खुदा बनकर... Hindi · गीत 588 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read जिस गली जिस शहर में चला सीखना , दर्द उसके मिटाने भी जाया करो दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी क्यों ना हों कर लिए बहुत काम लेन देन के ,विन मतलब कभी तो जाया करो पद पैसे की इच्छा... Hindi · गीत 280 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Jul 2016 · 1 min read ग़ज़ल (आये भी अकेले थे और जाना भी अकेला है) पैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की कीमत को वह ही जान सकता है बचपन में गरीवी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 316 Share Previous Page 2 Next