अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
मेरी कलम से… आनन्द कुमार यह झुकना, सिर्फ़ झुकना नहीं है, यह समर्पण है, प्रेम का, तुम्हारे प्रति अपने अटूट विश्वास का, इसे तुम, दिखावा ना समझना, क्षणिक, चाहत ना...
Poetry Writing Challenge-2