Bhupendra Rawat Language: Hindi 323 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में भूल गया है,स्वयं को इंसान फंस चुका है धर्म-जात रूपी जाल में थोपना चाहता है,स्वयं के ऊपर धर्म रूपी ठप्पा उसी धर्म रूपी... Hindi · कविता 2 202 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु निष्कर्ष सदैव होता है, रक्त से लतपत मानवीय संवेदानाओ की आहुति चारों तरफ सिर्फ लाशों का बाज़ार जिसके खरीदार वो... Hindi · कविता 2 285 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ मैं अपने ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ वो रूठ जाती है उसे अक्सर मनाता हूँ नींद उड़ाने वाले चंद सपने अक्सर सपने ही रह जाते है वादा... Hindi · कविता 2 287 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर इंसानों को जातियों में तोल कर मज़हब की दुकान खोल कर इंसानियत को टटोलकर प्यार का मोल कर आप लड़े हो... Hindi · कविता 3 2 386 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read अपनी नींद ज़ाया न कर अपनी नींद ज़ाया न कर मोहब्बत है तो बता दे खुद को तड़पाया न कर इज़हार ए इश्क़ थोड़ा मुश्किल है ऐसे इश्क़ को भुलाया न कर ग़नीमत है इश्क़... Hindi · कविता 2 408 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी आपने ही पाठ पढ़ाया सबसे पहले इंसान आया इंसानो ने मज़हब बनाया हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौद्ध,पारसी, जैन सबको मज़हबी गमछा पहनाया। मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी मज़हबी पोशाक... Hindi · कविता 2 180 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read जीवन का संघर्ष उम्मीद मत हारो आसमा के घनघोर काले बादल छट जाएंगे। फिर सूरज की नई मध्यम किरणों के साथ नए दिन की शुरुआत होगी। आशा की नई किरण एक नया उत्साह,हर्षोउल्लास... Hindi · कविता 2 470 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 2 min read विकास एक प्राकृतिक विद्रोह लेख.........विकास एक प्राकृतिक विद्रोह.... अपने भविष्य के विषय में विचार कीजिये,चिंतन कीजिये,मनन कीजिये ओर सोचिये कल तक जिस विकास की बातें समस्त विश्व ढोल नगाड़ों के साथ कर रहा था।... Hindi · लेख 2 356 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ग़म हो फिर भी मुस्कुराता हूँ ज़ालिम है दुनिया इंसानी वेश में सर्प विचरण करते है विष को उनके अमृत समझ निगल जाता हूँ... Hindi · कविता 3 318 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read मैं भी तन्हा हूँ मैं भी तन्हा हूँ मगर कोरे कागज़ की तन्हाई दूर करता हूँ। अपने दर्द को कोरे कागज़ में बयां करता हूँ रुक जाती है धड़कने मेरी जब भी जवां शब्दों... Hindi · कविता 3 232 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read जीवित रहना भी समान है मृत होने के जीवित रहना भी समान है मृत होने के जब आपकी इच्छाएं,भावनाएं शरीर के किसी कोने में दब कर रह जाती है तब आप बन जाते हो वो पाषाण जो बयाँ... Hindi · कविता 3 247 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे मैंने हर वक़्त बस तुझे ही सोचा है ख्यालों में भी हर वक़्त मंज़ूर है मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 199 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ जिसके अनगिनत किस्से आज भी अधूरे है राधा कृष्ण,लैला मंझनू की अमर है दास्ताँ किस्से जिनके जहां की जबाँ में आज भी... Hindi · कविता 1 219 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read शीर्षक----कोरोना का प्रहार देशव्यापी बन चुके कोरोना संकट जैसी बीमारी ने समस्त विश्व के समक्ष स्वयं को घर मे कैद करने के अतिरिक्त हिफाज़त रखने के सिवा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है... Hindi · लेख 1 260 Share Bhupendra Rawat 29 Feb 2020 · 1 min read अब कोई मज़हब दिखाई नही देता अब कोई मज़हब दिखाई नही देता ऐसा कोई मरहम दिखाई नही देता तरसती रही ज़िंदा लाश सड़क किनारे इंसा को इंसा का दर्द दिखाई नही देता लड़ रहे थे लोग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 390 Share Bhupendra Rawat 29 Feb 2020 · 1 min read वो इंसान मुझे हिंदुस्तान का ग़द्दार दिखाई देता है मुझे तो बस अपना हिंदुस्तान दिखाई देता है चन्द लोगों का बिकता ईमान दिखाई देता है कुछ सत्ताधीशों की क्या कहूँ जो चन्द टुकड़ों में बिक जाते है वो इंसान... Hindi · मुक्तक 4 223 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान बनाने के लिए शुक्रिया दिल्ली को राख बनाने के लिए एक अज़ाब बनाने के लिए उजड़ गयी दिल्ली शुक्रिया उन सबका धुंए में उड़ाने के लिए नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 315 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read लहराते बागों में श्मशान दिखाई देता है इंसानो की बस्ती में शैतान दिखाई देता है लहराते बागों में श्मशान दिखाई देता है इंसानों ने लूट ली बस्ती इंसानों की जा-बा-जा बिखरा समान दिखाई देता है दैर-ओ-हरम में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 228 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read सत्ताधीश जब मौन धारण कर लेते है सत्ताधीश जब मौन धारण कर लेते है फ्री की राजनीति में गुंडे जीता देते है कुर्सी के स्वार्थ में इंसानो को मरवा देते है फिर घड़ियाली आँसू का मटका भर... Hindi · मुक्तक 1 193 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read अब मुझे कोई इंसान नज़र नही आता अब मुझे कोई इंसान नज़र नही आता पत्थरों की सिवा कोई भगवान नज़र नही आता जलती रही दिल्ली दिन के उजयारे में सुलगते राख के सिवा कुछ और नज़र नही... Hindi · मुक्तक 1 178 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read कल आप कोसोगे खुद को उन मरे हुए चेहरों में हो सकता है कोई अपना या तुम्हारा क्या तब भी अपने अंदर उस आग को लिए बैठे रह सकते हो तब क्या करोगे जब पता... Hindi · लेख 2 201 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read बस्ती जलाने तुम ही आगे आए थे बस्ती जलाने तुम ही आगे आए थे इंसानियत को मिटाने तुम ही आगे आए थे तुमने ही लूट लिया सब बस्ती को शहर बसाने तुम ही आगे आए थे भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 1 178 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read हिंसा और परिणाम हिंसा शब्द देखने में जितना छोटा सा लगता है,उसका परिणाम देखने में उतना ही बड़ा और घातक शायद कल तक जो लोग हिंसा को ही सब कुछ व सर्वप्रथम समझते... Hindi · लेख 2 323 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read तुम्हें अपने ऊपर गुमाँ बहोत है तुम्हारे जैसे इंसा बहोत है तुम्हें अपने ऊपर गुमाँ बहोत है तुम्हारे जैसे इंसा बहोत है कल तक जिसे इंसा होने का फक्र था आज उस बस्ती में शैतान बहोत है गैरों की बस्ती में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 311 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read ज़िन्दगी की दौड़ में जिम्मेदारियों के बोझ तले चलता हूँ रोज छोटी सी आस लिए निकल पड़ता हूँ ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ अपने हैं और कुछ पराए इस भीड़ भरी दुनिया में खुद... Hindi · कविता 1 1 574 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read हम तो ठहरे मुसाफिर हम तो चले अब भैया हम तो ठहरे मुसाफिर बहती जीवन की धारा के हम है,छोटे से नाविक यहीं जीवन की रंगमंच स्थली हर भय से पहले से परिचित अनंत... Hindi · कविता 1 234 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read लिबास ओढ़कर नया साल आ गया लिबास ओढ़कर नया साल आ गया पुराना बिता नही,ज़ेहन में सवाल आ गया मुकर गए किए वादों से अपने फिर नए वादों का ज़ेहन में ख्याल आ गया। भूपेंद्र रावत... Hindi · मुक्तक 1 280 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read कोई झूठे वादें नही करता कोई झूठे वादें नही करता चाँद तारे तोड़ लाने की बात नही करता आसमाँ की सुंदरता बढाते है जुगनु मैं तुम बिन ज़ीने की बात नही करता फ़रियाद जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 180 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read मैं जुगनुओं को पनाह देता हूँ तुम्हारी गुफ्तगू में मेरा कोई जिक्र नही है तब जाना कि कोई फिक्र नही है ये मौसम ही खुदाई का तुमसें कोई रुसवाई नही है यही सोचकर मैंने वक़्त गुज़ारा... Hindi · कविता 1 293 Share Bhupendra Rawat 30 May 2019 · 1 min read तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं तुझे पाकर खुद को भूल गया हूँ मैं देख अब तुझ सा हो गया हूँ मैं कल तक बहता पानी था नदी का तुझमे समाकर समुंद्र हो गया हूँ मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 380 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read मशरूफ है वो अब उन्हें मशरूफ रहने दो मशरूफ है वो अब उन्हें मशरूफ रहने दो चकाचौंध के इस जहाँ में उनको चंद वक़्त रहने दो आएंगे पंछी घर अपने ही सूरज को जरा ढल लेने दो ज़दा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 299 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है वो अब सताने लगें है सपनो में भी आने लगे है वादें तो आसमाँ से चाँद तारे तोड़ लाने के थे झूठा अब वो हमें बताने लगे है जब से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 187 Share Bhupendra Rawat 21 May 2018 · 1 min read दर्द था जख्म का पता भी नहीं दर्द था जख्म का पता भी नहीं अपनों के जख्म का निशाँ ही नहीं करहातेे रहे रात भर दर्द में मरहम किसी ने दिया ही नही हम तो अपनों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 478 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read तुझे देखने को चाह में तुझे देखने को चाह में हां आज भी मैं कभी खुद की राह नही बदलता बदलता हूँ मैं खुद को तेरे आने जाने की आस लिए मैं अपनी राह नही... Hindi · कविता 1 232 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है कुर्सी में बैठे लोग मूक दर्शक बन जाते है देखो संसद भी गूंज जाती है अपने स्वार्थ के नारों से आरोप... Hindi · कविता 1 350 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read ना ही था वो ना ही कोई मैं था ना ही था वो ना ही कोई मैं था सुबह उठा तो यहाँ की फ़िज़ाओं में ज़हर था राजनीती हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई में व्यस्त थी राह के चार मुसाफ़िर की मंज़िल... Hindi · कविता 1 200 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read एक सुंदर उपहार होती है बेटियां एक सुंदर उपहार होती है बेटियां पूरा संसार होती है बेटियां अँधेरी रात में जगमगाती रोशनी का साथ होती है बेटियां स्वयं की नही संसार की लाज़ होती है बेटियां... Hindi · कविता 1 320 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त सम्मान मुझे भी दिया जाता मुझ अबला नारी,लड़की की इज़्ज़त का यूं मूर्त के आगे ना तार तार किया जाता मैं भी होती... Hindi · कविता 1 242 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read क्यों तुम दूर चली गई देकर दर्द ज़माने का क्यों तुम दूर चली गई अपना कहने वाली थी तुम क्यों फिर रूठ के तुम चली गई अपने यादों की बन्दिश में मुझे क्यों छोड़ के... Hindi · कविता 1 230 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read सदा तुम यूं ही मुस्कुराते रहना सदा तुम यूं ही मुस्कुराते रहना काम है दुनिया का हर पल जलाते रहना आए पल कैसा भी ज़िन्दगी में हर मुश्किल क्षण को हँसी से ठुकराते रहना दोस्त से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 496 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read हां भारत देश बदल रहा है नेताओं के वादों में लोगों की बातों में भारत बदल रहा है सच झूठ में बदल रहा है हर तरफ झूठ ही झूठ चल रहा है डिग्री पाकर भी अनपढ़... Hindi · कविता 1 341 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read कविता बनाई नहीं जाती कविता बनाई नहीं जाती स्वयं ही बन जाती है अंदरूनी भावों को कलम कोरे कागज में उकेरे जाती है जब भाव मुख से बयाँ नही होते लेखनी के द्वारा अपना... Hindi · कविता 1 370 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read गुमसुम रहने की आदत हो गयी है गुमसुम रहने की आदत हो गयी है हर दर्द को सहने की आदत हो गयी है दर्द देना ही अब दुनिया का दस्तूर है अब दर्द में ही जीने की... Hindi · कविता 1 300 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read रहने दे तू मेरे पास तो है रहने दे तू मेरे पास तो है हक़ीक़त में नही बीते हुए पल की यादों में मेरे साथ तो है तुझसे जुड़े आज भी ज़िंदा मेरे ज़हन में दबे हुए... Hindi · कविता 1 291 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है तुम हमारे, हम तुम्हारे गुनाहों को ढक लेते है एक को दो और दो को चार पढ़ लेते है आवाम... Hindi · कविता 1 277 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है मेरी माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है, दूर होता हूँ माँ से फिर भी अपना हाथ आशीर्वाद सदा मेरे पर बनाए रखती है आँखों से ओझल जो हो... Hindi · कविता 1 436 Share Bhupendra Rawat 4 Jan 2018 · 1 min read तेरी यादे मुझे तेरे से रिहा होने नहीं देती तेरी यादे मुझे तेरे से रिहा होने नहीं देती लिपटी रहती है तू मुझसे दूर होने नहीं देती मेरे दिल के पिंजरे में कैद तेरा अक्स है मेरी रूह भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 425 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read मिलन तो दो रूह का होता है क्यों लोग जिस्म का खेल समझते है मिलन तो दो रूह का होता है क्यों लोग जिस्म का खेल समझते है अपनी जिस्म की प्यास बुझाने के लिए क्यों नदी का बहता आब समझते है चाँद तारे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 283 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read कितनी अजीब कहानी है प्यार उनका अब मेरे लिए निशानी है कितनी अजीब कहानी है प्यार उनका अब मेरे लिए निशानी है बिक रही है निशानी सरे बाज़ार में आज कौन यहाँ मीरा जैसी दीवानी है लूट लिया अपनों ने ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 325 Share Bhupendra Rawat 30 Dec 2017 · 1 min read अब उस बेवफ़ा से दिल क्या लगाना अब उस बेवफ़ा से दिल क्या लगाना जो ना हो अपना उसे अपना क्या बताना अब वफाएं तो बीते जमाने की बात है आज अपनों को भी अपना क्या बताना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 441 Share Previous Page 3 Next