पं आलोक पाण्डेय 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पं आलोक पाण्डेय 29 Dec 2020 · 1 min read संक्रमण का खण्डचक्र ! दिव्य सनातन पूर्ण पुरातन सभ्यता का दर्पण ! यह कैसा पुनरावर्तन - विपदा का नर्तन ! पृथ्वी पानी पवन प्रकाश ; सब दूषित कलुषित आकाश ! स्वारथ में परमारथ लूटे... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 21 669 Share पं आलोक पाण्डेय 20 Aug 2020 · 1 min read मंगलमय यह देश कहां मिलने वाला ! मंगलमय यह देश कहां मिलने वाला ! _________________ शुचि , दान ,धर्म-सत्कर्म सार का , श्रेय लिए जीवन स्तम्भ ; क्षमा, दया, धृति ,त्याग ज्ञेय , निष्कंटक ! नहीं कुटिल... Hindi · कविता 1 1 372 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 2 min read गुप्त वंश के ब्राह्मण शासक - एक अवलोकन गुप्त वंश के शासक और ब्राह्मण - एक समीक्षा ( आप सभी सुहृदजनों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं ) _______ प्रभावती गुप्त, जो चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थी, ने अपने... Hindi · लेख 3 1 2k Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 1 min read पूज्य पिता का ध्यान करें पूज्य पिता का ध्यान करें ! शुचि धर्म सत्कर्म के शाश्वत दृढ़ प्रतिमान ; पुण्यभूमि के दीपों का तूझसे ही सम्मान ! मही-व्योम सर्वत्र दिशाओं में केन्द्रीय ध्यान ; तेरे... Hindi · कविता 2 2 275 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 1 min read भारतीय सेना के वीरों के प्रति भारतीय सेना के वीरों के प्रति _______ पवन मंद सुगंध शीतल हेममन्दिर शोभितम् ; निकट सिन्धु बहत निर्मल, नागाधिराज हिमालयम् । शेष सुमिरन करत प्रतिक्षण , ध्यान धरत विश्वम्भरम् ;... Hindi · कविता 1 2 314 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 2 min read वीर आजाद वीर चन्द्रशेखर आजाद जी को समर्पित : _____ नौजवानों हर जुल्म के आघात को ललकारता हूं ; हर दम्भ के पाखण्ड के सौगात को ललकारता हूं। कातर स्वरों से न्याय... Hindi · कविता 1 2 348 Share पं आलोक पाण्डेय 23 May 2020 · 1 min read राष्ट्र के प्राणाधार ! राष्ट्र के प्राणाधार ! शांत सुसभ्य सुशिक्षित शीतल, सभ्य पावनी मनोहारी निश्छल ; दिव्य सभ्यता के, मूर्त्तमान साकार , मेरे महान राष्ट्र के, हे प्राणप्रिय आधार ! तुम ही हो... Hindi · कविता 1 291 Share पं आलोक पाण्डेय 23 May 2020 · 1 min read विश्व प्राणाधार को पहचानने में देर क्यों ? विश्व प्राणाधार को पहचानने में देर क्यों ? सभ्यता के उत्कर्ष को पहचानने में देर क्यों ; उत्कर्ष के व्यवहार को अपना लेने में देर क्यों ? संस्कृतियों के उत्थान... Hindi · कविता 1 288 Share पं आलोक पाण्डेय 23 May 2020 · 1 min read देश ढहे जा रहा है ! देश ढहे जा रहा है ! सहस्त्राब्दियों से संवहित एक महान सभ्यता पुकार उठी है- अतीत के ध्वंसावशेषों विघटन-पलायन के भयानक संतापों को झेलते मलीन हुयी जा रही है ...... Hindi · कविता 1 1 457 Share पं आलोक पाण्डेय 22 May 2020 · 1 min read महाप्रलय की गोद जगा दे ! महाप्रलय की गोद जगा दे ! उत्ताल तरंगाघात प्रलयघन सागर की ललकारें , उठे पड़ी सुसुप्त समृद्ध वीरों की हुंकारें ! विशुद्ध धवल प्रकटे पुण्य, तेजपुंज रथ दिव्य उड़े ;... Hindi · कविता 1 1 298 Share पं आलोक पाण्डेय 15 May 2020 · 1 min read सहृदयता भर दो राम ! हृदयों में संचार शीतलता का सुरम्य कर दो राम , जीवन के सूत्रों में सस्वर सहृदयता भर दो राम ! जीवन वैभव अमर रहे , बाधाओं से ना टकराए ;... Hindi · कविता 1 2 361 Share पं आलोक पाण्डेय 15 May 2020 · 1 min read मर रही जवानियां ! चीर संस्कृतियों का भव्य देश बंजर हो गया है , दग्ध ज्वालों में घिरे , घीस पत्थर हो गया है ! बेहूदे नग्न नर्तन होते नैतिकता के वक्ष पर ,... Hindi · कविता 3 332 Share पं आलोक पाण्डेय 15 May 2020 · 1 min read विवश राज्य प्रवासी आज अपने देश में सहमें - दबे , बेसुध जन चले जा रहे हैं ... थके क्लांत ... भूखे व्याकुल ... भयाक्रांत ...! भावनाओं में डूबते-उतराते , सोचते विचारते ...... Hindi · कविता 2 403 Share पं आलोक पाण्डेय 14 May 2020 · 2 min read बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! नीम की डाली बैठी चिरैयां , चहक-चहक के गावे , शीतल जल में डुबकी लगा के , जीवन सन्देश सुनावे ; खुशहाली... Hindi · कविता 2 7 477 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 2 min read मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! _________ विषमय मुखों को तोल-तोल , प्रचण्ड शौर्य हुंकारें खोल ; जहां जिहादें चढ़कर बोले , विघटन -विभेद की भाषा बोले !... Hindi · कविता 3 364 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 2 min read उन्मादी थूकलमान ! उन्मादी थूकलमान ! घोर घृणा की आग लगी है , भारत की भाग्य वीथिकाओं में ; मुरझा रही नित कोमल कलियां, भिन्न-भिन्न कलाओं में । डरा सहमा सा जीवन वैभव... Hindi · कविता 3 418 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 1 min read कर जाए कंटक प्रस्थान सदा ! देशद्रोहियों की अतिबहुलता को दग्ध सदा कर डालो धीर ; भारत की भाग्य विथिकाओं में, सतत् स्वत्व समेटे गम्भीर ! समर भयंकर भारी है , ले पुरुषत्व विराट आह्वान करो... Hindi · कविता 1 2 261 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 1 min read पुकारती मां भारती ! पुकारती मां भारती ! हिन्दू साम्राज्य के विपुल ,ध्वंस - परिच्छेद को उघारती , उद्धृत स्मृतियों में विस्तृत भू-भाग को संवारती , निज भुजदण्ड शौर्य - भाल-सिन्धु को प्रवाहति ...... Hindi · कविता 2 4 327 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Apr 2020 · 2 min read उन्मादों को ध्वस्त सदा कर डालो तुम ! घोर घृणा की आग लगी है , भारत की भाग्य वीथिकाओं में ; मुरझा रही नित कोमल कलियां, भिन्न-भिन्न कलाओं में । डरा सहमा सा जीवन वैभव , होते भयानक... Hindi · कविता 290 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 1 min read सहमें लोग ! लोग ! सहमें हुए हैं आज ! घरों में , सहसा सशंकित अनायास , भयाक्रांत ! तत्क्षण आभास अनिश्चित सिहरन काल मृत्यु चक्र का , यह सोचकर कि कहीं बरस... Hindi · कविता 1 391 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 1 min read पग-पग पर होवे पथ प्रशस्त ! पग-पग पर होवे पथ प्रशस्त ! कंपे हिमालय जलधि डोले, रोष की भ्रू भंगिमा में वह्नि बोले ! बहें बयारें हर सान्ध्य प्रहर , जीवन टकराए डगर-डगर ; झंझावातों के... Hindi · कविता 2 257 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 1 min read धन्य-धन्य जो धरणी का भार हटाते हैं ! दग्ध ज्वालों को झेल-झेल , विषमय जीवन में खेल-खेल ; तप-त्याग-तेज, प्रचण्ड फैलाकर, दस्यु दल में हा-हाकार उठाकर ! अरि का मस्तक कर विदीर्ण , विद्युत गरल पी-कर जो आते... Hindi · कविता 2 572 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 2 min read बदले खण्डित इतिहास-भूगोल ! मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! _________ विषमय मुखों को तोल-तोल , प्रचण्ड शौर्य हुंकारें खोल ; जहां जिहादें चढ़कर बोले , विघटन -विभेद की भाषा बोले !... Hindi · कविता 497 Share पं आलोक पाण्डेय 26 Jan 2020 · 1 min read प्रतिमानों का विध्वंस अधिक नहीं सहो रे ! प्रतिमानों का विध्वंस अधिक नहीं सहो रे ! हे भारत ! प्रतिमानों का विध्वंस अधिक नहीं सहो रे , भग्न संस्कृतियों के ध्वंसावशेष में , प्राण विशेष भरो रे ;... Hindi · कविता 1 325 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jan 2020 · 1 min read वेधे जा हर विषाद ! वेधे जा हर विषाद ! हे भारत के शक्तिपुंज ! धीर-वीर, हे सत्यशोध ! जीवंत सभ्यता के पुण्याधार , सुदीर्घ जीवटता के भाग्यबोध ! तुम रश्मि हो दिव्य प्रभा सी... Hindi · कविता 1 305 Share पं आलोक पाण्डेय 2 Jan 2020 · 1 min read प्रणय निवेदन है तुमसे ! प्रणय निवेदन है तुमसे ! प्रणय निवेदन है तुमसे हे प्राण रसिक मेरे आधार ! मधुर हृदयों में आस उमड़ती ; कर लेना प्रियवर स्वीकार ! मैं समरसता की प्रतिबिंब... Hindi · कविता 2 642 Share पं आलोक पाण्डेय 1 Jan 2020 · 1 min read जीवन को जीने दो ! जीवन को जीने दो ! ______ अभी बालक है सीखने दो , जीवन को जीने दो ! अभिलाषा का है आकांक्षी , पूरा करो करने दो , जीवन को जीने... Hindi · कविता 480 Share पं आलोक पाण्डेय 1 Jan 2020 · 1 min read दुर्दमनीय तलवारें लिखें ! दुर्दमनीय तलवारें लिखें ! विश्व धरातल पर हुए अक्षम्य, इतिहासों के लिकों को लिखें , मानवता के गहनों के विध्वंसक चीखों को लिखें ! प्रतिमानों के स्तम्भों पर हुए, भयावह... Hindi · कविता 624 Share पं आलोक पाण्डेय 29 Dec 2019 · 1 min read संघातों में सदा अविचल होना ! संघातों में सदा अविचल होना ! _________ तुम वीरता के दृढ़ प्रतिमान , कभी नहीं धीरज खोना ! कंटक राहें हों दुर्निवार , न भयभीत कहीं रुकना-झुकना ! तुम वीर... Hindi · कविता 238 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Dec 2019 · 1 min read सिसक रहा कैसा संसार ! सिसक रहा कैसा संसार ! _______ दाहकता प्रचंड विकराल, विस्मित दिशाएं दग्ध ज्वाल ! आज धुंध दीखता है काला , नदियां दीखती है नाला । कूप-सरोवर सागर सिसक रहे हैं... Hindi · कविता 2 211 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Dec 2019 · 1 min read जिहादमुक्त विश्व हो अपना ! जिहादमुक्त विश्व अपना ! __________ आओ! आओ ! तुम भी आओ !!! मोमीन ! बरसा लो पत्थर , दिशाहीनता में खूब अकडकर ! आग लगा लो कलियों में , भारतवर्ष... Hindi · कविता 260 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Dec 2019 · 1 min read शत्रु का करना है संहार ! शत्रु का करना है संहार ! __________ हे भारत के कर्णधार ! नवनीत ! सुंदर ! हे सुकुमार ! आज देख देश, कर तनिक विचार, क्या नहीं विलुप्त सभ्य संस्कृति-संस्कार... Hindi · कविता 224 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Dec 2019 · 1 min read काल-व्यूह से लड़ना होगा ! काल व्यूह से लड़ना होगा ! ____________ यह पुण्य भूमि है ऋषियों की, जहां अभूतपूर्व वीरता त्याग की धार खंडित भारत आज खंड खंड , दे रही चुनौती कर सहर्ष... Hindi · कविता 1 248 Share पं आलोक पाण्डेय 26 Dec 2019 · 1 min read धीर शरण्य ! नहीं कहीं कार्पण्य हूं मैं , न हीं गुणों में अग्रगण्य ; हूं केवल उनका शरण्य , धीर-वीर-व्रती वासी अरण्य ! Hindi · मुक्तक 268 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read बन्धुवर अब तो आ जा गांव ! बन्धुवर अब तो आ जा गांव ! खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती चर डाले हरियाली सारी धरती की सब खेती । आम-पीपल-नीम-बरगद काट ले गए, लग... Hindi · कविता 2 255 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read ग्राम कथानक #ग्राम_की_अविस्मरणीय_गाथा _________ है नमन-वंदन अनन्त #ग्रामवासी सभी प्रबुद्ध जन को, जिनने सींचा इस पुण्य धरा को संस्कार युक्त हर वीर मन को ! वर्षों का अविस्मरणीय #कथानक तप विविध सुदूर... Hindi · कविता 2 303 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read अश्रु नभ को समर्पित करना ! अश्रु नभ को समर्पित करना ! _____ घनीभूत घोर घटाएं छाए नील गगन में, फटे हृदय अविचल हिमगिरि की कम्पन में, विघटन से छिन्न-भिन्न विकल धरा आज डोले, प्रलय के... Hindi · कविता 2 487 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read मांगों वत्स नि:संकोच ! मांगो , वत्स नि:संकोच ! ------------- नीति-नियामक काल-कर्म , विशुद्ध सन्निधिकारक सत्कर्म । मांगो सुहृद स्वच्छ आसन , नीति-नियंता राज सिंहासन ! असफलता का असि-धार, या विराट जीवन का ललकार... Hindi · कविता 2 418 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read हे मेरे राम ! हे मेरे राम ! जन जन के प्रिय नयनाभिराम ! तुम हृदयों में आ जा राम ! तुम आदर्श दिव्य स्वरुप हो भारत के गौरव विश्वरूप हो, तुम हो सजल... Hindi · कविता 2 493 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 3 min read राम की प्रतिक्षा #राम_की_प्रतिक्षा _________ देवत्व व असुरत्व के इस द्वंद, वैमनस्य व अंतर्विरोध के बीच प्रकृति, अपने अधिष्ठान पुरुषोत्तम के प्रतिष्ठित अवतरण की पृष्ठभूमि रच रही है। बहुत दिनों बाद संभवतः पहली... Hindi · लेख 305 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read सनातन ज्ञान-विज्ञान पर एक आघात ! सींचित वर्षों से सनातन तप-त्याग से , विराट दया-दान-सत्कर्म-धर्म से ; चिरप्रतिष्ठित काशी का अधिष्ठान , जहां अध्येता-अध्यायी निष्ठावान ! जड़-चेतन प्राणों से समस्त सृष्टि , विशुद्ध परमात्म व्याप्त दृष्टि... Hindi · कविता 424 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read करना होगा पथ प्रशस्त ! करना होगा पथ प्रशस्त ! _________ फटे मही-व्योम अंगार मिले , कंपित सागर व्यथित तूफान भले , सर्वत्र झंझावातों के विषबेल खिले; शाश्वत जीवन मूल्यों के तार हिले ! हो... Hindi · कविता 405 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read धर्मयुद्ध में देना होगा भारी मोल ! कटुओं का उत्पात सर्वत्र , खड़ा प्रलय दावाग्नि भयंकर , झंझावातों से घिरा राष्ट्र , आक्रांत भूधर-पर्वत-सागर ! शुक्र-शोणित-रक्त-मज्जा परिवेष्टित , विराट-ज्वलंत देह बनाकर ; अरिमस्तक से पाट दे धरती... Hindi · मुक्तक 278 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी सर्वत्र आलोकित स्फीत ज्वाल, अति दूर क्षितिज पर विटप माल, खग-विहग सस्मित , कलरव विशाल, नहीं काल का कोई चिह्न कराल ! शाश्वत सरस प्राणी सब निर्भय, संसृति चीर यौवन... Hindi · कविता 3 485 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी उत्ताल तरंगाघात प्रलयघन गर्जन जलधि क्षण भर, धीर-वीर सौंदर्य गर्वित, खड़ा अविचल हिमगिरि , धीर-धर , शान्त सरोवर विशुद्ध धवल सिमटी हैं वर्तुल मृदुल लहर , क्षिति-जल-अनिल-अनल में , नभ... Hindi · कविता 479 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी मृदुल सुमनोहर गात्र शिशु , करते क्रीड़ांगन धूल में लोट, देख रहा नभ , दिव्य विविधता , अपलक छुपे झुरमुट की ओट, फैला इनके तन का तप, पदतल में धूसरित... Hindi · कविता 428 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी उत्फुल्ल अकंटक भाव-भुवन पुलक-पुर्ण उत्साही, दिशा दीप्त , भय-विस्मय रहित , प्रेम जगती मुसुकाहीं । अधीर हृदय अकिंचन इस तन में, एक अभाव अनिश्चित , रूप-दर्प-सौन्दर्य उत्कण्ठित , अकण्टक राज्य... Hindi · कविता 256 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी त्याग तपोमय मधुमय सींचित जीवन शाश्वत निर्भय , दया-दान-सत्कर्म-धर्म , यह ध्रुव सत्य विनिश्चय ! कालकूट का कर आह्वान , अग्निस्फुलिंग जगाकर , सींचित वीरता के शौर्य वह्नि , पुरातन... Hindi · कविता 242 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read अनादि अपौरुषेय हे तत्त्वदर्शीगण मुनीन्द्र ! अमलात्मा परमहंस , योगिन्द्र ; ब्रह्मात्मका हे ब्रह्मविद्वरिष्ठ ! परात्पर परब्रह्म के ध्यानी करूणा-वरूणालय ज्ञानी ! अनन्तकाल संवर्धित सर्वाधिष्ठान स्वप्रकाश दग्ध धरा दिगंत आज जल रहा... Hindi · कविता 264 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Dec 2019 · 2 min read बन्धुवर अब तो आ जा गांव ! बंधुवर अब तो आ जा गांव ! खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती चर डाले हरियाली सारी धरती की सब खेती । आम-पीपल-नीम-बरगद काट ले गए, लग... Hindi · कविता 242 Share Page 1 Next