Shyam Sundar Subramanian Language: Hindi 1121 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 23 Shyam Sundar Subramanian 20 Oct 2019 · 1 min read सोने का मुल्लमा एक बार जब चांदी की अँगूठी पर सोने का मुल्लमा जो चढ़ा । वह इतरा के कहने लगी कि मैं अब घटिया चांदी की अँगूठियों के बीच कैसे रहूंगी। मुझे... Hindi · लघु कथा 247 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 2 min read वास्तविकता संस्कार आदर्श नीति चरित्र सब बातें भूख के सामने थोथी लगती है। क्योंकि भूखे पेट के सामने केवल दो रोटी जुटाने का लक्ष्य ही सर्वोपरि होता है । जिस के... Hindi · कविता 2 2 211 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read उद्ग़ार विकल मन क्यों हो रहा बेचैन । क्यों होती हलचल मन सागर में भरती अश्रु से नैन। उठती क्यों लहरें जैसे बाढ़ से नदी उफनती है। क्यों गूंज रहे वे... Hindi · कविता 312 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read मधुर यादें आज फिर याद आती है वे अमराइयाँ । वह सौंधी सौंधी खुश़बू गीली मिट्टी की ,छौनौं का वह करुण क्रंद्न और ललनाओं की लोरियाँ । धूल धूसरित शिशुओं की वह... Hindi · कविता 629 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read दिवास्वप्न हम में हर कोई एक सपना लिए यथार्थ की त्रासदी भोग रहा है । किंचित उस स्वप्न टूटने की आशंका मात्र से सिहर उठता है । वह उसे अपने मानस... Hindi · कविता 1 395 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read विवेक हम जो सोचते हैं वह सब कर नहीं पाते ।जो हम कर सकते हैं वह सब सोच नहीं पाते ।हमारी सोच समझ के बीच का फासला हम कभी जान नहीं... Hindi · लेख 1 193 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है । हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है और... Hindi · कविता 548 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read मानवता मन के सुंदर उपवन में खिलती और प्रेम से सिंचित होती , अभिलाषाओं और आकांक्षाओं से परे उपजती , कभी ना बँधती जाति धर्म के बंधन में जो , रखती... Hindi · कविता 457 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 2 min read प्रण एक सुबह जब मै सैर पर निकला तो देखता हूं कि एक लड़का घूरे में से कुछ निकाल कर इकट्ठा कर रहा है ।मैं देखता हूं की वह कुछ प्लास्टिक... Hindi · लेख 527 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 2 min read सच की खोज कल रात सपने में मैंने एक बालक को देखा उससे पूछा कहां जा रहा है? उसने कहा मैं सच की खोज में निकला हूं। क्या तुम बता सकते हो कहां... Hindi · लेख 231 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 3 min read सामयिक यथार्थ यह क्या हो रहा है चारों तरफ इंसानी चेहरे लिए दानव नजर आते हैं । क्यों है नफरत इंसान की इंसान के लिए मौत के खिलौनों से खेलते ये नौजवान... Hindi · लेख 2 238 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Oct 2019 · 1 min read सकारात्मकता सकारात्मक सोच का प्रभाव सकारात्मक कार्य करने की प्रेरणा पर पड़ता है। नकारात्मक सोच से सकारात्मक कार्यप्रणाली में व्यवधान उत्पन्न होता है। नकारात्मक एवं सकारात्मक सोच एक ही सिक्के के... Hindi · लेख 1 652 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read प्रेरणा चँंद्र किरण प्रकाश में करो ना प्रयत्न खोजने भाग्य रेखाए्ँ। जागो नवप्रभात यथार्थ रवि आगम प्रकाश पुँन्जौं में खोजो नई दिशाएंँ। भंग करो तँद्रा तिमिर को नष्ट करो स्वप्निल आशाओं... Hindi · कविता 234 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read नारी मनीषियों संतो शूरवीरों की जगत जननी । ममता से सहेजती संस्कारों से सँवारती त्याग की प्रतिमूर्ति । जीवन पथ पर बनी प्रेरणा स्रोत वह जीवनसंगिनी। सहनशीलता की पराकाष्ठा का साकार... Hindi · कविता 407 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 3 min read दौड़ मैं देखता हूं कि मैं चारों ओर से आती भीड़ से घिर गया हूं । लोग मुझे धक्का मारकर आगे निकल जाते हैं । मैं धक्के खाकर एक तरफ खिसक... Hindi · कविता 1 2 366 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read धारा कोमल सा मन लिए , हर किसी को अपने में समाहित किए , अनवरत उसकी बढ़ते रहने की प्रकृति सतत , कभी तोड़ती दंभ इन चट्टानों का विकराल , कभी... Hindi · कविता 186 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read भाव गणित खुशी बाँटने से बढ़ती है। दुःख बाँटने से कम होता है। ज्ञान बाँटने से बढ़ता है। दान देने से धन बढ़ता है। अहंकार से क्रोध बढ़ता है। आत्मीयता से प्रेम... Hindi · कविता 420 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read संकल्प प्रखर ज्योति की सुन्दर ज्वाला क्यों धधकी बनकर दावानल? स्वेद से सींचा जिस महीतल को क्यों स्निग्ध है रक्त कणों से? प्रेम से अंकुरित किया जिस उपवन को क्यों शूल... Hindi · कविता 205 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read सुनहरे पल कुछ बीते हुए लम्हे पास आ जाते हैं । जब हमें कुछ अपने याद आते हैं। कुछ मीठी मीठी बातें, कुछ गिले शिक़वों का सिलसिला । कुछ उनका रूठना फिर... Hindi · कविता 1 525 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Oct 2019 · 1 min read जल जीवनदायनी प्राणिमात्र की सृष्टि रचयिता तुम हो तुम विहीन सब व्यर्थ अर्थ हैं । सब स्पंदनहीन पाषाण निमित्त हैं। तुम जननी विशालहृदयनी। करती प्रेरित पातालवासिनी । सतत् सेवारत् इस विचार... Hindi · कविता 196 Share Shyam Sundar Subramanian 10 Oct 2019 · 1 min read बचपन एक बचपन अपने अधनंगे बदन को मैले कुचैले कपड़ों मे समेटता। अपनी फँटी बाँह से बहती नाक को पौछता। बचा खुचा खाकर भूखे पेट सर्द रातों में बुझीभट्टी की राख... Hindi · कविता 358 Share Previous Page 23