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*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*आए लंका जीत कर, नगर अयोध्या-धाम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*देव हमें दो शक्ति नहीं ज्वर, हमें हराने पाऍं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*घर के बाहर जाकर जलता, दीप एक रख आओ(गीत)*
Ravi Prakash
*सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*जग से जाने वालों का धन, धरा यहीं रह जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*रखिए एक दिवस सभी, मोबाइल को बंद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*आइए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें (घनाक्षरी : सिंह विलोकित
Ravi Prakash
*धन व्यर्थ जो छोड़ के घर-आँगन(घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
Ravi Prakash
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)*
Ravi Prakash
*सॉंप और सीढ़ी का देखो, कैसा अद्भुत खेल (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*सहकारी युग (हिंदी साप्ताहिक), रामपुर, उत्तर प्रदेश का प्रथम
Ravi Prakash
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
Ravi Prakash
*दौड़ा लो आया शरद, लिए शीत-व्यवहार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
*मूॅंगफली स्वादिष्ट, सर्वजन की यह मेवा (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*सहायता प्राप्त विद्यालय : हानि और लाभ*
Ravi Prakash
*रोना-धोना छोड़ कर, मुस्काओ हर रोज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सपने जब तक पल रहे, उत्साही इंसान【कुंडलिया】
Ravi Prakash
*मक्खन मलिए मन लगा, चमचागिरी महान (हास्य-कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*रावण का दुख 【कुंडलिया】*
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*गाता है शरद वाली पूनम की रात नभ (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद
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होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जग में अच्छे वह रहे, जिन पर कोठी-कार (कुंडलिया)*
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*शक्ति दो भवानी यह वीरता का भाव बढ़े (घनाक्षरी: सिंह विलोकित
Ravi Prakash
*युद्ध लड़ सको तो रण में, कुछ शौर्य दिखाने आ जाना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
*जब से मुकदमे में फॅंसा, कचहरी आने लगा (हिंदी गजल)*
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*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
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*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*पढ़ने का साधन बना , मोबाइल का दौर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*नेता से चमचा बड़ा, चमचा आता काम (हास्य कुंडलिया)*
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रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
Ravi Prakash
*सेना वीर स्वाभिमानी (घनाक्षरी: सिंह विलोकित छंद)*
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*नवाब रजा अली खॉं ने श्रीमद्भागवत पुराण की पांडुलिपि से रामप
Ravi Prakash
*वंदनीय सेना (घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद*
Ravi Prakash
*आओ फिर से याद करें हम, भारत के इतिहास को (हिंदी गजल)*
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बाल कविता: मेलों का मौसम है आया
Ravi Prakash
बाल कविता :गर्दभ जी
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*तलवार है तुम्हारे हाथ में हे देवी माता (घनाक्षरी: सिंह विलो
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*लेटलतीफ: दस दोहे*
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*जनसमूह के मध्य साक्षात्कार-शैली की सफल प्रस्तुति के जन्मदात
Ravi Prakash
*सिंह की सवारी (घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद)*
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*सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*सरस्वती वन्दना*
Ravi Prakash
*मिलता सोफे का बड़ा, उसको केवल पास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*वंदन शासक रामपुर, कल्बे अली उदार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash