Vivek Pandey 61 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vivek Pandey 21 Sep 2024 · 1 min read परिदृश्य ऋतु बदले और बदले काल, जीवन का यह अंर्तजाल, कई चरित्र का रंगमंच यह, कितने चित्रण लाता निकाल... सुख का अनुभव पूर्वाह्न है, दुख से परिचय अपराह्न है, यही अनिश्चित... 29 Share Vivek Pandey 24 Aug 2024 · 1 min read तुम... कितने भी काट लो तुम, तुम्हारे नख तो बढ़ रहे हैं, नित्य ही जाने कितने, तुम पर कलंक लग रहे हैं... जंगल से निकल तो आये, सभ्यता का लेकर तमगा,... Hindi 30 Share Vivek Pandey 23 Jul 2024 · 1 min read अब जुदा होकर... मैं तो तन्हा हूँ कभी रो भी लेता हूँ, तुम क्या करते हो गमज़दा होकर, वो सौगातें मुझमें अब भी सलामत हैं, तुम क्या करते हो अब जुदा होकर??? एक... Hindi 60 Share Vivek Pandey 15 Jul 2024 · 1 min read मेघ तुम आओ... भर कर जल अंजुरी, अब मेघ तुम आओ, उलीच दो तृप्त 'वारि', धरा धन्य कर जाओ... ऐसे बरसो तुम 'घन', मन शीतल हो जाऐ, कंठ गाये पंचम स्वर, हिय मयूर... Hindi 37 Share Vivek Pandey 13 Jul 2024 · 1 min read सरिता वो सरिता फिर पावस में बहने लगी है, किस्से वो हँसकर के कहने लगी है... सूखे हुए आँचल में आस ही बची थी, आज पा के फुहार देखो सजने लगी... Hindi 43 Share Vivek Pandey 7 Jul 2024 · 1 min read दिवस पुराने भेजो... उस प्रेम की नगरी से प्रणया, मुझको दिवस पुराने भेजो, वो प्रीत के सुन्दर गीत सुहाने, अधरों पर फिर दोहराने भेजो... अनुताप भरा कितना इस मन में, कितने पल छिन... Hindi 55 Share Vivek Pandey 25 Jun 2024 · 1 min read फूल का मुस्तक़बिल फूलों का एक पैमाना, सिर्फ रंग नहीं होता है, साथ उनका बड़ा ज़ाहिर, मुस्तक़बिल जुड़ा होता है... कोई बालों में सजा करता है, कोई सज़दे में गिरा होता है, कोई... Hindi 51 Share Vivek Pandey 19 Jun 2024 · 1 min read प्रीत के गीत.. पुराने गीत मेरी प्रीत के प्रिय मुझे भेज दो, मेरी आवाज़ बन जाओ लय मुझे भेज दो... संभव कहाँ होता है, बीती बात बिसराना, नित्य ही याद आता है, मिलकर... Hindi 1 72 Share Vivek Pandey 17 Jun 2024 · 1 min read ख्वाब एक टूटा... गर ख्वाब एक टूटा तो क्या रातें बहुत हैं, बहुत और हैं नये सपने यहाँ बातें बहुत हैं... तेरी चाह न हुई पूरी तो कोई गिला नहीं है, कई और... Hindi 1 80 Share Vivek Pandey 1 Jun 2024 · 1 min read धीरे धीरे उन यादों को, धीरे धीरे उन यादों को, अब हम भुलाने लगे हैं, नयी तस्वीर कलम से, हम अब बनाने लगे हैं... जख्म नासूर बन के, जो बहुत रिसने लगे थे, उन पर... Quote Writer 1 125 Share Vivek Pandey 30 May 2024 · 1 min read तपन यहाँ हवाओं में इतनी जलन क्यूँ है, कैसी आग है ये शहर में तपन क्यूँ है... सूखता है हलक बैचैनी है सांसो में, हर बदन में अजीब ये कुढ़न क्यूँ... Hindi 50 Share Vivek Pandey 28 May 2024 · 1 min read दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं, दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं, वो गुज़रे हुये ज़माने फिर से बुलाऐ जाऐं। जहाँ दूर तक बिखरे थे नज़ारे बहार के, वो खुशनुमा एहसास करीब लाऐ जाऐं।... Quote Writer 1 102 Share Vivek Pandey 20 May 2024 · 1 min read रिश्तों की चादर उधड़ी रिश्तों की चादर, तो पैबंद लगाऐ हमने, नज़रअंदाज किया कभी, तो कुछ बन्द लगाऐ हमने... ये एहतियात रखा हमने, कि फासले कभी न हों, बेवजह ही कितनी बार, ताले... Hindi 41 Share Vivek Pandey 12 May 2024 · 1 min read रहने दो... जो हो गया वो हो गया, चलो अब रहने दो... फिर से तजुर्बा हो गया, चलो अब रहने दो... एक उम्र के बाद ख्वाहिशें, 'खलल' बन जाती हैं, सुलगते जज़्बातों... Hindi 55 Share Vivek Pandey 12 May 2024 · 1 min read जुस्तज़ू के किनारे मेरी 'जुस्तज़ू' के हासिल, बस दो किनारे हैं, मै जो इस तरफ हूँ, तो तू उस किनारे है.... मेरे साथ गठरियाँ हैं, बेनाम ख्वाहिशों की, तेरे पास मेरी उन, उम्मीदों... Hindi 62 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read बूढ़े भूतों का गाँव अब यहां इस गांव मे, औलादें नहीं रहती, अब पीपल की छांव तले, चौपालें नहीं लगतीं। बाढ़ और सूखे से यहाँ की, किसानी चली गयी, गुरबत की मार से, खुद्दारी... Poetry Writing Challenge-3 60 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read होली सा कर दो उड़ गए सब रंग मेरे, मुझे अपना सा कर दो, मेरी मनुहार सुन लो तुम, मुझे फागुन सा कर दो... छिटक दो रंग अपने तुम, मुझे होली सा कर दो...... Poetry Writing Challenge-3 62 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read बिंदियों की जगह कभी जब मुझे उसकी, दोनो भंवों के बीच, वो चमकती लाल, बिंदी नहीं दिखती.... उस दिन उसके, चेहरे पर मुझे कोई, रौनक नहीं दिखती.... मैं बोलता हूं जब तो, वो... Poetry Writing Challenge-3 46 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read वो समुन्दर.. नदियों की अशांत धाराओं को, समेटे हृदय मे वह शांत है, अथाह गहराइयों का अधिपति, वो जलनिधि, वो समुन्दर शांत है.... जहाँ अभीष्ट पाते ही, मर्यादाऐं टूट जाती हों, वहीं... Poetry Writing Challenge-3 60 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read बरसात सा जीवन एक आम सा जीवन, बे मौसम बरसात सा जीवन, कभी सूखा कभी गीला, नित ही बदलता सा जीवन... दुख बरसात सा, खुशियाँ बरसाती, गुस्सा बरसात सा, संगी साथी बरसाती... कभी... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read क्या बात करें जीने,खाने की 'कमाई' की, क्या बात करें... घर चलाने की लड़ाई की, क्या बात करें... क्या कोई 'साख'कमाई है?? ये मसला है.. क्या कोई 'बात' कमाई है?? ये मसला है..... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read खुद का साथ खुद से खुद का, साथ ही अच्छा, जितना निभ जाऐ, उतना हीअच्छा, उपहास, व्यंग्य, अपमान से हटकर, निर्जन मे अविकल, 'गरल' ही अच्छा... कितना किस संग, सपने देखें, कितना किसको,... Poetry Writing Challenge-3 33 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read तो क्या करता उनसे प्यार ना करता, तो क्या करता, उनका हाथ ना पकड़ता, तो क्या करता ??? वो सब भी तो मेरे , आस पास पलते थे, उन्हें नजरअंदाज जो करता, तो... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read अच्छा लगता है किसी को 'दिल' से लगाता हूँ, तो अच्छा लगता है... किसी के 'दर्द' बंटा लेता हूँ, तो अच्छा लगता है.... यूँ तो हर शख्स ही 'उलझा' है, जिंदगी के झमेलों... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read मैं और तुम मैं निर्जन मे उड़ता बादल सा, तुम शीतलता का ठहराव लिए.... मैं अट्टहास उद्वेलित सा, तुम सुरमयी मधुर आवाज लिये..... मैं अंतहीन परिसीमन सा, तुम प्रेम की त्रिज्या व्यास लिए....... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read भोर का सूरज उषा की किरणों से कुसुमित, भोर का यह सूरज देखो, कलरव करते खग विहंग का, प्रेम पगा आलिंगन देखो... रक्ताभ लालिमा लिए हुये, कितनी दूर क्षितिज फैला है, मेघों से... Poetry Writing Challenge-3 43 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read स्वेटर का झमेला स्कूल मे एक बार, बड़ा झमेला हो गया, पढ़ने को हम गये, वहां तो मेला हो गया... पहनी थी एक स्वेटर, मां ने दिया था बुनकर, सुन्दर सी वो बुनी... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read आभासी खेल अब ना कोई गुल्ली डंडा, ना ही अब वो कांच का कंचा, ना लंगड़ी ना गप्पा-गिप्पी, ना फेंके कोई बित्ता-चिप्पी, ना टीप-रेस ना मटकी फोड़, ना बने घरौंदे रेत जोड़...... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read किस्सा है अधूरी जिन्दगी है यहाँ, हर दिन अधूरी इच्छा है, अधूरी नींद है आंखों में, यही रोज किस्सा है... तमाम बातें हैं यहाँ जो, बस आधे मे रह गयीं, हर आधा... Poetry Writing Challenge-3 46 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read मुखौटा खुद में ही एक, पहेली सा हो गया हूँ, तुम जैसा समझते हो, वैसा ही हो गया हूँ... अनुरूप होते होते, कितने रूप बने मेरे, कैसे बताऊँ कितना, अब कुरूप... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read सोचता हूँ.. सोचता हूँ... कभी कभी कुछ यूँ कि... मसाले वही होते हैं, नमक मिर्च भी वही, अनुपात भी वही, साग भी वही, तरीका भी वही, बर्तन, तेल ,पानी वही, लौ और... Poetry Writing Challenge-3 43 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read एकांत ये घना है शीत की निशा है, एकांत ये घना है, हवा में है ठिठुरन, कुछ कंठ भी रुंधा है... सहज सोच व्याकुल, स्मृतियों का संग है, वो विस्मृत से पन्ने, मेरे साथ... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read केवल माँ कर सकती है जो बिन बोले अंतस् को सुन ले, जो बिना कहे खुशियों को चुन ले, जो नित नया सिखाती जाऐ, हरदम सच्ची राह बताऐ, वो केवल माँ कर सकती है.... जो... Poetry Writing Challenge-3 32 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read कुछ रह गया बाकी कुछ तो हमेशा और, हर दिन ही रहता है, मैं तो 'चुप' हूँ कब से, मगर एक 'शोर' रहता है... बरस भी चुका हूँ पूरा, कभी'बादल'बन के मैं, जाने क्यूँ... Poetry Writing Challenge-3 43 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read क्यूँ है.. कल्पनाओं की मरीचिका में, आखिर भटकना क्यूँ है, किसी संशय और दुविधा में, नाहक ही फँसना क्यूँ है... स्वीकार क्यूँ नहीं करते, जो यथार्थ कहा करता है, हर दिन ही... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Vivek Pandey 11 May 2024 · 1 min read दिवस संवार दूँ आओ मैं तुमको वल्लभा, कुछ शब्दों का उपहार दूँ, पंक्तिबद्ध अर्थों से मैं, खुद को तुम पे बलिहार दूँ... प्रेम से पूरित रहो सदा, यूँ ही हो सौंदर्य सधा, सुख... Poetry Writing Challenge-3 42 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read पथदृष्टा बैठा पथ में पथदृष्टा सा, सोच रहा हूँ कहाँ चलूँ, लंबा जीवन पीछे छूटा, अब किस पथ पर पांव धरूं... कर्म किया और भाग्य से चाहा, लेकिन मन का हाथ... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read शब्दों की आवाज मेरा प्यार मेरा गुस्सा, मेरी नफरत मेरा रूतबा, सब कुछ इस कलम से, इसकी रौशनाई से है... मेरी नज़र के सामने, जब शब्द मुस्कुराते हैं, वो बन के प्यार फिर,... Poetry Writing Challenge-3 1 78 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read छुअन.. तुमसे मन का पथ जुड़ा, क्यूँ करूँ छुअन की आस, तुम तक भाव पहुँचते हैं, बस यही प्रेम विन्यास... मैं तुमसे कितना दूर यहाँ, तेरा नित अनुभव करता हूँ, सौम्य... Poetry Writing Challenge-3 1 49 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read तुम रंगरेज.. तुमने कितने ही रंग बनाऐ, उन रंगो को जीवन मे लाऐ... विविध विविध सब रंग छंद हैं, कुछ धानी कुछ पर बसंत है... रंगो के एक तुम ही माहिर, तेरी... Poetry Writing Challenge-3 1 42 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read दूब और दरख़्त जमीन में फैली वो दूब, सूख जाती है मिट जाती है, रौंदी भी जाती है,लेकिन... वो दुबारा उग ही आती है, हरी हो उठती है, फिर से फैलने लगती हैं,... Poetry Writing Challenge-3 1 44 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read बात का क्या है इस 'बात' का क्या है!!! कभी मीठी कभी खट्टी, कभी कसैली तो कभी, कड़वी भी हो सकती है... यहाँ हर स्वाद की 'बात' है, यही तो 'बात' मे खास है,... Poetry Writing Challenge-3 1 47 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read मसला हो ही जाता है बड़ा बेजोड़ मुकद्दर है, कुछ ना कुछ हो ही जाता है, किसी से राब्ता करते हैं, तो मसला हो ही जाता है... आगे बढ़ते हैं कभी जो, कोई ख्वाब गढ़ते... Poetry Writing Challenge-3 1 44 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read रौशनी का गुलाम कहते हैं कोई रहे न रहे, लेकिन हमारा 'साया', तो हमेशा ही हमारे, साथ रहा करता है... मैंने देखा है...वाकई!!! ये मेरे साथ बनता है, मै चलता हूँ तो चलता... Poetry Writing Challenge-3 1 42 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read जल की व्यथा पौन भाग तुझमे रहूँ, तेरे मुझसे होवें काज, कौन जीव जग में ऐसा, जिसको ना मेरी आस... जीवन का रस किसलय मैं हूंँ, रूँधा कंठ तब शीतल मैं हूंँ, जीवन... Poetry Writing Challenge-3 1 28 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read लिप्त हूँ.. वहाँ बीते समय के कुछ, मुड़े तुड़े लिखे कागज, कुछ सूखे निर्माल्य, हवा में उड़ आये पत्ते, यहाँ से वहाँ उड़ते, गिरते कुछ ढूंढते हैं... शायद मेरे अस्तित्व को, मेरे... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read विधु की कौमुदी दिन दिन बीते प्रेम के, दिन दिन घट गयी प्यास, एक दिन वो फिर आ गया, जब प्रीत बची न आस... एक पूनम का चाँद था, एक बिखरी उसकी चाँदनी,... Poetry Writing Challenge-3 1 71 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read बुनकर... कैसे बुनते हो तुम बुनकर, सूतो का ये ताना बाना, बन जाता जो आखिर में, धागों का एक पूरा 'जामा'... कितने ही तुम सूत मिलाते, विविध रंग के जोड़ मिलाते,... Poetry Writing Challenge-3 1 1 71 Share Vivek Pandey 2 May 2024 · 1 min read चारपाईयों के पाये... गाँव मे सूने घर के, आँगन मे पड़ी, उन चारपाईयों के, 'पाये' अब मुड़ चुके हैं... उनकी बुनी 'निवारों' के, 'धागे' अब सड़ चुके हैं, क्यूंकि घर के सब 'परिंदे',... Poetry Writing Challenge-3 1 101 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read बूँदों के कायदे... शहर मे बारिश की बूंदें, अजब क़ायदे दिखाती हैं, जो पसीने से तरबतर हैं, ये उनको ही भिगाती है.... उनके छप्पर मे बरसकर, फिर छज्जे मे चली आती है, जो... Poetry Writing Challenge-3 1 46 Share Page 1 Next