Vivek Pandey 61 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read सिलवटें रोज बिस्तर पर जाते ही, पड़ जाती हैं सिलवटें, रोज सलीकेदार बिस्तर पे, मेरी करनी के निशां बनते हैं... उठते ही रोज सिलवटें, बहुत कुछ मुझे बताती हैं, मेरे कर्मो... Poetry Writing Challenge-3 1 43 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read कमर की चाबी... कमर पर जो बंधी रहती थी, वो चाबी खो गयी, साझा गृहस्थी घर की, अपनी अपनी हो गयी... कई ताले कभी, एक चाबी से ही खुल जाते थे, अब अलग... Poetry Writing Challenge-3 1 57 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read दरवाजों की दास्ताँ... दरवाजे तो हर घर मे, खुलते हैं बंद होते हैं, क़ाबिल-ए-गौर तो ये है, कि वो किसके लिए, खुलते और बंद होते हैं... गैरों के लिए बंद हों, तो बात... Poetry Writing Challenge-3 1 39 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read प्रेम का संगीत... किसी का संग पाकर जब, मन के तार झंकृत हों, कोई कंपित सी वीणा हो, नवसुर अलंकृत हों.. पुलकित मन मिलन को हो, तरंगे आह्लादित हों, तन तक न सीमित... Poetry Writing Challenge-3 1 60 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read क्या सुधरें... उनका कहना है कि, थोडा सुधर जाओ, वक़्त की नजाकत पे, थोड़ा ढल जाओ... क्या कहें उनसे अब, कितने बिगड़ चुके हैं, जिन्दगी के थपेड़ों से, कितने मुड़़ चुके हैं...... Poetry Writing Challenge-3 1 55 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read नौ दो ग्यारह... रोज ही कई मुद्दों पर, कई बातों पर, कई मंचों पर, सोचता हूँ, बुनता हूँ, लिखता हूँ और कहता हूँ... लेकिन जब भी खुद पर, कुछ लिखने की, सोचता हूँ... Poetry Writing Challenge-3 1 69 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read मौन 'मौन' बहुत कुछ कहता है, तुमसे मेरे प्रतिवादों पर, जब शब्द जुबां पर रूक जाऐं, एक दूजे के प्रतिघातों पर.... फिर शब्दों का शोर नहीं आरोप नहीं..अफसोस नहीं, निशब्द गवाही... Poetry Writing Challenge-3 1 61 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read कभी आना जिंदगी मै भी जिंदा हूँ कभी घर आना जिंदगी, किसी दिन मेरा साथ निभाना जिंदगी। अरसा हुआ आंगन में गुल नहीं खिले, किसी दिन मेरे दर को महकाना जिंदगी। मैं था... Poetry Writing Challenge-3 1 77 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read फिर एक कविता बनती है मन से मन के तार जुडें तो, फिर एक कविता बनती है, सपनो का संसार बने तो, फिर एक कविता बनती है... विश्वास समर्पण हो मन मे, कोई और न... Poetry Writing Challenge-3 1 77 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read पिता सा पालक आज मैं पिता के साथ-साथ पालक भी हूँ अपनी संतानो का, कल मैं सिर्फ एक पिता, होकर ही रह जाऊंगा... जब वो निकलेंगे जीवन पथ पर... कुछ पाने को कुछ... Poetry Writing Challenge-3 1 81 Share Vivek Pandey 1 May 2024 · 1 min read क्षणभंगुर कथाओं से लिपटा यह जीवन, इच्छा अभिलाषाओं का जीवन, पाकर सब खोने तक जाकर, फिर से नव निर्माण का जीवन... जीवन सांसो के रहने तक का, अहं, राग और द्वेष,... Poetry Writing Challenge-3 1 91 Share Previous Page 2