विवेक दुबे "निश्चल" Language: Hindi 178 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next विवेक दुबे "निश्चल" 22 Mar 2018 · 1 min read चाहतें कैसी ख्वाहिशों की चाहतें कैसी । हसरतों की अदावतें कैसी । पलकों की कोर से गिरते , अश्कों की आहटें कैसी । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 210 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Mar 2018 · 1 min read वक़्त जिया करता हूँ हाँ लिखता हूँ मैं हाँ लिखता हूँ । ज़ीवन के कुछ सच लिखता हूँ । मैं दिल के साथ चलूँ कुछ ऐसे , हाँ बे-वक़्त *वक़्त* जिया करता हूँ ।... Hindi · मुक्तक 235 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Mar 2018 · 1 min read वक़्त वो न रहा यह भी गुजर जाएगा । वक़्त तो वक़्त ही कहलायेगा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · कविता 349 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Mar 2018 · 1 min read छल जाता जन होने को बहुत कुछ होता है । जो दिखता वो कहाँ होता है । छला जाता जन हर बार ही , जो होता है वो कहाँ होता है । ....... Hindi · मुक्तक 214 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Mar 2018 · 1 min read मिलते नही मुक़ाम शिकायत शराफत बनी अब तो । अदावत इनायत बनी अब तो । मिलते नही मुकाम रास्तो के , रास्ते ही मंज़िल बनी अब तो । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 455 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Mar 2018 · 1 min read चैत्र प्रतिपदा चैत्र प्रतिपदा फिर आई है । धरा फूली नही समाई है । झूम उठीं फसलें सब , अमियाँ भी बौराई है । सोर भृमण पूर्ण फिर वसुंधरा कर आई है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 211 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Mar 2018 · 1 min read नव सम्बतसर रवि आया नव भोर का , बिखेर धबल प्रकाश । पुलकित मन सुधा धरा , श्रंगारित तन आज । पथ भृमण और सोर का , धरा पूर्ण करे आज ।... Hindi · दोहा 216 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Mar 2018 · 1 min read चाह मायूस सुबह ख़ामोश रात थी । अश्क़ से भरी हर आह थी । थे दामन में सितारे तो बहुत, चाँद की मगर मुझे चाह थी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 200 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Mar 2018 · 1 min read ज़ीवन के वार खड़ा बही अपराध भाव से । चलता जो निःस्वार्थ भाव से । सी कर चादर को अपनी , ओढ़ा पुरुस्कार भाव से । खड़ा बही अपराध भाव से । चलता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 416 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Mar 2018 · 1 min read पूछते हैं चुरा कर अहसास मेरे , मुझसे अंदाज़ पूछते हैं । जज़्ब कर जज़्बात मेरे , मुझसे अल्फ़ाज़ पूछते हैं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 525 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Mar 2018 · 1 min read वर्तमान डरता हूँ हाँ कभी डर जाता हूँ मैं , दर्पण में अपने बिंबित प्रतिबिंब से । चकित होता हाँ चकित होता मैं , उभरते बढ़ती उम्र के हर चिन्ह से... Hindi · लेख 269 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Mar 2018 · 1 min read ख़ामोशी खामोशी कहतीं अक्सर । लिखता मिटता सा अक्षर । सजकर रात सुहाने तारों से , चँदा आँख चुराता अक्सर । देख रहा वो आँख मिचौली , दूर छिपा बैठा नभ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 445 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Mar 2018 · 1 min read ज़िन्दगी साथ होंसले हर दम न थे । ग़म ज़िन्दगी के कम न थे । ज़िन्दगी थी कदम कदम , ज़िन्दगी सँग हम न थे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 367 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Mar 2018 · 1 min read जो पूरी ग़जल बन गए ज़ज़्बात जो पूरी ग़जल बन गए । एक बात से बात कुछ यूँ बन गए । तेरी यादों में चैन बैचेन हो रही । नर्म सेज चुभन अहसास दे रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 255 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Mar 2018 · 1 min read कागज़ दिल मेरा न पूछ मझसे तू हाल-ऐ'-दिल मेरा । लिखता है हाल कागज़ दिल मेरा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@..... Hindi · कुण्डलिया 221 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Mar 2018 · 1 min read आया ले कुछ यादों को । आया ले कुछ यादों को । वादों के रंग लगाने को । टेसू से मन आँगन में , केसरिया छा जाने को । प्रीत मिलन नयनों से , अबीर फुहार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 235 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read बुत कह पुकारा उसने शिद्दत से पुकारा जिसने । इल्म सा सराहा जिसने । गढ़ कर निगाहों से मुझे , बुत कह पुकारा उसने । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 180 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read तोहमतों से कुछ शोहरत मिली तोहमतों से । कुछ मोहब्बत मिली अदावतों से । मगरूर न थी मगर ज़िंदगी मेरी , कुछ नजदीकियाँ मिलीं ज़िंदगी से । ... विवेक दुबे"निश्चल@.. Hindi · मुक्तक 227 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read तुम ताल न मारो निगल कर दौलत बहु सारी , ज्ञात हुए अज्ञात हैं । पीट रहे लकीरों को , समझ कर अब वो साँप हैं । माना उनकी छाँया में बिषधर , पीते... Hindi · कविता 207 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read दुआएँ भर गया दामन मेरा , दुआओं के फूलों से । खुशबू तेरी दुआओं की , जा मिली रसूलों से । .... विवेक दुबे"निश्चल@.. Hindi · दोहा 223 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read फाँसले कम न रहे जागते तुम भी रहे। जागते हम भी रहे । दूर थे नही मगर , फाँसले कम न रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 166 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read एक स्याह रात है नींद हमे न आए तो, नही कोई बात है । कल की फिक्र का हमे, करना इलाज़ है । फ़िक्र आज की बूंदों से तर जज़्बात है । अपनी तो... Hindi · घनाक्षरी 481 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read धीरे से नैया पार लगा केवट उतरा धीरे से । नैया डोले नदिया तीरे धीरे धीरे से । केवट चला धरा पर अपनी धीरे से । सूनी नैया डूबी तीरे अपने धीरे... Hindi · घनाक्षरी 240 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Mar 2018 · 1 min read प्रेत अभिलाषाओं का प्रेत एक जागा अभिलाषाओं का । कुछ मृत आस पिपासाओं का । आ कर बैठा है जो कांधों पर , प्रश्न पूछता आधे छूटे वादों का । ले मौन ,... Hindi · कविता 211 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Mar 2018 · 1 min read ग़ुरबत उसकी ग़ुरबत थी उसकी कुछ अपनी । निग़ाह यार क्यों बदल गया । रंग लगे थे फीके फीके सभी , हर रंग बैरंग उसे कर गया । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 199 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Mar 2018 · 1 min read कुछ ऐसे होते हैं माता-पिता खूब दुआओं से , सँवारा उसने मुझे । अक़्स अपना , बनाया उसने मुझे । दरिया ख़ामोशी से , बहता था मैं , तूफ़ां समंदर, बनाया उसने मुझे । उकेरकर... Hindi · कविता 241 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Mar 2018 · 1 min read हम शब्दों से छल करते हैं । शब्द शब्द हम गढ़ चलते हैं। शब्द वही पर अर्थ बदलते हैं। लिखकर शब्दों से शब्दों की भाषा, अक्सर हम शब्दों से छल करते हैं । --- उस दर्द से... Hindi · कविता 220 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Mar 2018 · 1 min read आशाओं के धुँधले उजियारे उलझ गए कुछ यूँ बातों के बटवारे में, ग़ुम हुए कुछ यूँ शब्दों के उजियारे में। प्रश्न बना खड़ा है जीवन पल प्रति पल , प्रश्नों के अनसुलझे अंधियारे गलियारों... Hindi · कविता 169 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Mar 2018 · 1 min read बेकार ही बेकार ही वक़्त क्यों जाया होते है । कोई आए कोई नही आए होते है । गुजरते नजदीक से मेरे आपने ही , जाने क्यों वो नजरें चुराए होते है... Hindi · मुक्तक 490 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Mar 2018 · 1 min read श्रृंगारित उर्वी फिर व्यथित देख उसे, हृदय द्रवित उसका । प्रालेय बन अंबर, धरा तन पिघला । छलके स्वेद कण , तन अंबर से , पुलकित उर्वी , तन फिर दमका । आभित... Hindi · कविता 337 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Mar 2018 · 1 min read एक प्रश्न ? एक प्रश्न ? यह न होता वो होता । वो न होता यह होता । प्रश्न यही चलते ज़ीवन में , यह न होता तब वो होता । वो न... Hindi · कविता 1 239 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read बंट रहा लहू आज बदले से हालात हैं । नही रंग-ऐ-ज़ज्बात हैं । धर्म मजहब के नाम पर , बंट रहा लहू , जो साथ है । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 203 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read मंजिल वो खुद बनता है इंसान वही जो , चल पड़ता है । अपनी रहें जी , खुद गढ़ता है । व्यथित नही , थकित नही वो , लड़कर , विषम हालातों से , पुलकित... Hindi · कविता 427 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read वक़्त मिले आ जाना सुमधुर कामनाएं होली की । स्नेहिल रंगों की बोली की । सजी हुई है थाल हृदय रंग , अहसासों की हमजोली सी । वक़्त मिले तब आना तुम । यादों... Hindi · कविता 214 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read श्याम सँग होरी श्याम सँग सखी खेलत होरी । तर भई तन मन श्याम रंग से , सुकचत लरजत थोरी थोरी । ओढे जो सँसार चुनरिया , धर दीनी कोरी की कोरी ।... Hindi · कविता 440 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Mar 2018 · 1 min read अंदाज़ जुदा है ढूंढती बहाना मुझे सताने का । यूँ मेरी आहों में आने का । अंदाज़ जुदा है यह उसका , इस तरह मुझे न भुलाने का । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 311 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Feb 2018 · 1 min read स्त्री ... अपराजिता .... स्त्री आई हर युग मे , राह बताने को । अपने को , दांव लगाने को । देश बचाने को , समाज बचाने को । हार गए... Hindi · कविता 190 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Feb 2018 · 1 min read ज़िंदगी तू रूठती तुझे मानता ज़िंदगी । तुझसे बस इतना नाता ज़िंदगी । चलता रहा अपना साथ यूँ ही , तुझे प्यार कब जताता जिंदगी । .. मैं ख़्वाबों से निकलूं... Hindi · मुक्तक 1 221 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Feb 2018 · 1 min read रंग सुनहरे फ़ागुन के यह रंग सुनहरे फ़ागुन के । यादों सँग मन भावन से। टेसू महके मन आँगन के । फूली सरसों चित्त नैनन से । साथ खड़ी हो सजनी जैसे , रंग... Hindi · गीत 236 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read यह इश्क़ यह इश्क़ यादगार हो गया । यूँ खुद राजदार हो गया । चलता दरिया के किनारों पे , लहरों को इंतज़ार हो गया । उठी नज़र निग़ाह उठाने को आसमां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 214 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read ठहर गई कलम ठहर गई वो क़लम , खूब कह कर । ख़ामोश हुआ शीशा , ज्यों टूटकर कर । लफ्ज़ आते नही पास, जुस्तजू बन कर । कहता है वक़्त गुजरा ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 463 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read बीज नफरत के काटेंगा वो क्या फसल प्यार की । बीज नफ़रत का जिसने बोया है । गैरों की ख़ातिर अक्सर हमने, अपनो को ही तो खोया है । बिलिदानों की बलि बेदी... Hindi · कविता 272 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Feb 2018 · 1 min read आँखे कह जातीं कुछ कह जातीं आँखे । अहसासों को झलकातीं आँखे । बह कर झर झर निर्झर निर्झर , कह जातीं सब कह जातीं आँखे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... vivekdubeyji.blogapot.com Hindi · मुक्तक 207 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Feb 2018 · 1 min read नामालूम अंदाज़ वो नाराज है निग़ाह से, या गुस्ताख़ी कोई मेरी । नामालूम जिस अंदाज़ से, निग़ाह उसने ने जो फेरी । .. विवेक दुबे"निश्चल"..@ Hindi · शेर 318 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Feb 2018 · 1 min read दिए जले दिए जले वो रातों को । खोजते अहसासों को । जलते अपनी बाती सँग , टटोलते अँधियारों को । .... विवेक दुबे...@ Hindi · मुक्तक 228 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Feb 2018 · 1 min read एक प्रेत जागता vivekdubeyji.blogspot.com एक प्रेत जगा अभिलाषाओं का । कुछ मृत अस पिपासाओं का । आ बैठा है जो कांधों पर , प्रश्न पूछता आधे छूटे वादों का । ले मौन चला... Hindi · मुक्तक 1 213 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Feb 2018 · 1 min read कुछ लम्हे एक शेर बस कुछ लम्हे तेरी रवानी के। हम साथ रहे प्यासे पानी के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · शेर 263 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Feb 2018 · 1 min read गृहस्थ जीवन वो नदिया के दो किनारों से । बीच सँग बहती धारों से । छूते लहरें धाराओं की , कुछ खट्टे मीठे वादों से । प्रणय मिलन की यादों सँग, घटती... Hindi · कविता 842 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Feb 2018 · 1 min read ज़िन्दगी अपनी जी ले तू जिंदगी अपनी यही बहुत है । वक़्त से तुझे रही क्यों शिकायत है । न बाँट जमाने को तन्हाईयाँ तू अपनी , पास दुनियाँ के अपना ही... Hindi · मुक्तक 536 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Feb 2018 · 1 min read आशिक़ी आशिक़ी रात से न हो तो । मोसकी दिन से क्या भला । जो गिरा नही कभी सफर में, वो डगर चला तो चला क्या । ... विवेक दुबे "निश्चल"..© Hindi · मुक्तक 306 Share Previous Page 3 Next