Dr.Pratibha Prakash 62 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Dr.Pratibha Prakash 9 Aug 2016 · 1 min read जय जवान जय किसान राष्ट्र कहे सुन ओ जवान जय जवान जय किसान हैं हिम से शीतल सूर्य समान मातृभूमि के तुम अभिमान कर्मठता 'बा'और 'भावे' की तुमसे अर्थ 'लाला' बलिदान तिलक, सुभाष,आज़ाद की... Hindi · कविता 15 2 697 Share Dr.Pratibha Prakash 9 Aug 2016 · 1 min read याद करो कुर्बानी [8/8, 6:09 PM] Dr Pratibha: आओ याद करें क़ुरबानी खोये हमने जो बलिदानी स्वप्न संजोया अखण्ड भारत ऐसे महापुरुष त्यागी ज्ञानी लड़े स्वतंत्रता की खातिर चढ़े शूली गए काला पानी... Hindi · कविता 14 3 736 Share Dr.Pratibha Prakash 4 Aug 2016 · 1 min read हुंकार कई छिपे गद्दार कन्हैया से घर में कई ज़ाकिर कई मीर है कहीँ सत्ता लोलुप आँखों में लालच की दिखती लकीर है तक्षशिला को खो दिया कुछ जे.एन.उ.के आकाओं ने... Hindi · मुक्तक 13 1 436 Share Dr.Pratibha Prakash 2 Aug 2016 · 1 min read वो वैश्या मैंने एक वैश्या को देवी से ऊपर देखा एक पण्डित को उसके कदमो में गिरते देखा समझ न आया फिर भी लेकिन दृश्य ये देखा मैंने एक वैश्या को ............... Hindi · कविता 13 2 648 Share Dr.Pratibha Prakash 1 Aug 2016 · 1 min read घुटती सिसकियां ------ घुटती रहेंगी आखिर कब तक सिसकियाँ दरवाजो में लुटती रहेगी कब तक नारी वासना के गलियारों में भ्रूण हत्या दहेज हत्या ग्लैमर के नंगे चौबारे में राजधानी की डीलक्स... Hindi · कविता 12 3 682 Share Dr.Pratibha Prakash 1 Aug 2016 · 1 min read सबक सबक रोज ज़िन्दगी देती है हमें मिलती नहीं दोस्ती कहती है हमे जो मित्र दोस्त हमराही कहते रहे आज नज़र भर न देख पाते है हमे अनजानी सी दीवार देखती... Hindi · मुक्तक 11 435 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read संगीत दिवस सारा दिन हुई योग की चर्चा आओ अब गीत शारदे गा लें संगीत की बज उठे तरंगे उमंगो में सरगम सजा लें गीतिका वरखा सुनाए साज़ बूंदों का बजा लें... Hindi · कविता 11 508 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read झुलस धरती के झुलसते आँचल को अम्बर ने आज भिगोया है झूम उठे वायु संग तरुवर बूंदों में शीत पिरोया है ये महज़ एक झांकी है सोचो हमने क्या खोया है... Hindi · कविता 11 545 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read अफ़सोस अफ़सोस जताने ये मन निकला क्यों ज्ञान में खोखलापन निकला हम करते रहे श्रेष्ठ सिद्ध स्वयं को मन से न अहम का घुन निकला परिवार बिना माने अबला ये कैसा... Hindi · कविता 11 2 364 Share Dr.Pratibha Prakash 31 Jul 2016 · 1 min read हमें सबक रोज ज़िन्दगी देती है हमें मिलती नहीं दोस्ती कहती है हमे जो मित्र दोस्त हमराही कहते रहे आज नज़र भर न देख पाते है हमे अनजानी सी दीवार देखती... Hindi · मुक्तक 12 579 Share Dr.Pratibha Prakash 29 Jul 2016 · 1 min read दर्द मालूम है उसे कहाँ होता है वो ज़ालिम वहीँ पर चोट देता है बनके समझदार हमेशा ही करीने से मेरा दिल तोड़ देता है हंसकर फिर मुझसे वो पूछता है... Hindi · मुक्तक 11 756 Share Dr.Pratibha Prakash 29 Jul 2016 · 1 min read पतन हमारा आध्यात्म कमजोर हुआ हमारी संस्कृति अपंग होने लगी फिर सभ्यता खोने लगी नारी तब रोने लगी। पतन फिर होने लगा मार्ग पथभ्रष्ट हो गया इंसान जब बिकने लगा बेमौत... Hindi · कविता 11 572 Share Previous Page 2