NAVNEET SINGH 54 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read पलाश के फूल छोड़ जाता हूँ रोज गुमनाम खत उनके नाम धूप हवाओं के पास इस उम्मीद में कि वो समझ ले क्यों है तपिश आज धूप में, हवायें रुक-रुककर क्यों बह रही... Poetry Writing Challenge-3 60 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read सादापन कर दू न्यौछावर खुद को तेरी एक मुस्कान की खातिर। क्या कहूॅ और मैं जानेजां मैं तुझपर फिदा हूॅ। तुम्हारे प्रेम में, पुर्णतया समाहित होकर कर रहा इन्तजार कि तुम... Poetry Writing Challenge-3 79 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read दीदी छोड़ दिया लड़ना, मुॅह बिराना भी छोड़ दिया, भूल गयी कुलाचे मारना, मेरे घर की बछिया। छोड़ दिया बोलना जोर से, जोर से रोना भी छोड़ दिया, रोती तो अब... Poetry Writing Challenge-3 63 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read तुम और मैं पैसे से तुम मेरी रात खरीद सकते हो मजबूरी खरीद सकते हो मेरी जिस्म भी, लेकिन रूह कतई नहीं उसके लिए तो तुम्हें प्यार करना पड़ेगा... मुझसे| Poetry Writing Challenge-3 81 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read करते हैं कत्ल कुछ प्रश्न जो तैर रहे मस्तिश्क पटल पर। खड़े है कठघरो में, अपने ही लोग। उलझनें भी है कि साथ देकर प्रियतम का सहें जुल्मों सितम सारे। या कर दे... Poetry Writing Challenge-3 99 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read निर्णय चार अक्टूबर मेरा जन्मदिवस हर साल आता नये उमंग, नयी उम्मीद नया उत्साह साथ लेकर देते बधाईयाँ सभी स्वजन स्वयं मिल या अपने संदेषो से। लेकिन खड़ा पाता जब स्वयं... Poetry Writing Challenge-3 68 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read शुरूआत मैंने कहा बात करनी है उसने कहा मुझे नहीं करनी कुछ बात इसी तरह से एक दुख:द शुरूआत की सुखद अंत हुआ था| Poetry Writing Challenge-3 67 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read स्वप्न मेरे हाथो में आज रात मेरी लाश थी समझ ना पा रहा था रोऊँ अपनी मौत पर या मना लूं जश्न आज फंतासी दुनिया छोड़ने का मैं मर चुका था... Poetry Writing Challenge-3 62 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read इंतजार बच्चे खेल रहे थे दिन को ढलता जाता देख काप उठी थी फिर से मैं यह सोच सब छुट जायेगा पीछे समय की गहराईयों मे डूब मेरे ह्रदय के असीम... Poetry Writing Challenge-3 104 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read चलते-चलते चलते-चलते कभी पाव फिसल कर गिर जाने पर लोगो के चेहरे से हसी स्वत: ही फूट पड़ती उनकी हसी में हसी नहीं हसी रहती मेरी बावजूद इसके कभी ध्यान नहीं... Poetry Writing Challenge-3 58 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read क्या बात है!!! क्या बात है!!! कहते सभी उसकी हर बात पर इतनी प्यारी बात ही करती थी वो मिठास घुले हुए थे हर शब्द में हर कोई पीना चाहता था इस रस... Poetry Writing Challenge-3 44 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read एक उम्मीद छोटी सी... रुक गयी हसी, हसते चेहरे की लगाई डाँट जब, प्राणबल्लभ ने जा बैठा फिर अन्तःमन, सिमटकर एक कोने में, था विचरता जो कभी, स्वछन्द भाव से। सूख सी गयी गंगा,... Poetry Writing Challenge-3 44 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read मेरी स्मृति... आज वह मेरे साथ नहीं महसूस करता हूँ कि ताउम्र करती रही, तलाश वह अपने अस्तित्व की। मासूम सी वह छिपी बैठी रहती थी, अपने ही मन के अंधेरो में... Poetry Writing Challenge-3 41 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read निमन्त्रण पत्र कुछ दे रहें संज्ञा मौन का कुछ खामोशी इसे बता रहे जबकि है वास्तव में है यह.... मेरी शब्द-यात्रा शामिल होगें ना आप.... लेने को छलकियाँ सुनने को खामोशी इसकी... Poetry Writing Challenge-3 39 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read निशब्द आज तुम्हारे पास कई 'जबाब' है और मेरे पास कोई 'सवाल' नहीं है Poetry Writing Challenge-3 35 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read आखिरी ख़्वाहिश मैं तुमसे कुछ नहीं चाहता सच में कुछ नहीं चाहता लेकिन अगर जिद है तुम्हारी मुझे कुछ देने की तो सौप तो तुम मुझे मेरे हिस्से की नफ़रत जो तुम्हारे... Poetry Writing Challenge-3 65 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read प्रतिनिधित्व मैं करना चाहता हूं प्रतिनिधित्व उन सभी शब्दों का जिन्हे रख छोड़ दिये गया हैं अर्थहीन मान समय के हाशिये में। Poetry Writing Challenge-3 78 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read आज कहानी कुछ और होती... हिम्मत थोड़ी और दिखाई होती तो, आज कहानी कुछ और होती। नफरत करता रहा ताउम्र वो थोड़ा प्यार दिखा दिया होता तो, आज कहानी कुछ और होती लाख गलतिया कर... Poetry Writing Challenge-3 54 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read अधूरेपन का मसला तुम्हे देखता हूॅ, रोज मैं बनाते हुए एक सुन्दर तस्वीर। गौर कि मैने हमेशा, एक ही बात तुम रोज एक नयी तस्वीर बनाती, और उसे अधूरा छोड़ जाती। फिर अगले... Poetry Writing Challenge-3 50 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read प्रेम प्रस्ताव मुझे नहीं पता आज यह सुन इसे तुम नाचोगे झूम-झूम के या फिर हो जायेगा मोह भंग तुम्हारा, मुझसे। तुमसे आज यह नहीं कहूॅगा कि कर दूगॉ एक चॉद तारो... Poetry Writing Challenge-3 57 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read आखिर कैसे हो क्या तुम ... जान लेते कैसे अनकही बातो को। समझ नहीं आ रहा कहूॅ तुझे क्या मैं आवारा या पागल। आखिर कैसे सुलझा लेते हो तुम अनसुलझी यादों को। Poetry Writing Challenge-3 32 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read मैं जा रहा हूँ......... आज मैं जा रहा हूॅ कुछ तुम्हारी हसीं कुछ अपने आसूॅ समेटकर सागर से दूर । हैं आज भी प्यासे अधर गुजारे जबकि लम्हे बहुत, साथ तेरे और दिल से... Poetry Writing Challenge-3 69 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read उम्मीद मैं चला मिलने तुझसे ही पर मिल नहीं पाया लिफाफा था.. ये मालूम था मुझे पर मैं ये भूल गया मुझ पर किसी ने अपना पता नहीं लिखा था Poetry Writing Challenge-3 34 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read सम्बोधन काले घनघोर बादलो के नीचे निर्भीक खडे, पलाश को देख याद आया पहला प्यार यही पर आस्तित्व में आया ठीक अगले ही क्षण सभी ने संज्ञा दे दी 'अनस' को... Poetry Writing Challenge-3 33 Share NAVNEET SINGH 2 May 2024 · 1 min read कत्ल आईना सारे बहा दिया था उसने अपने आशूओं से, अपने मरने के पहले ही, अफसोस मैंने उसे मरते हुए तो जरुर देखा लेकिन उसे मारने वाले का नहीं। Poetry Writing Challenge-3 50 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read साल के पहले दिन इतंजार तो है हम जैसे को कब मिल रहें काटें घड़ी के बारह पर जाकर लोग कर के मौज-मस्ती दुबक जाए अपने-अपने घरों में जाके फिर निकलेगें हम ले बोरा... Poetry Writing Challenge 134 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read इन्तजार और संशय इन्तजार सा रहता था, डाकिये का, हर शाम को, देखने को चिट्ठिया, टिकट रंग-बिरंगे। सीखा था दौड़ना मैंने, उसके पीछे दौड़ते हुए। समझा था अक्षरो को, पढ़ चिट्ठिया अपनों की।... Poetry Writing Challenge 112 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read कुछ मुद्दे अपनी संसद में कहकर छोड़ मत दीजिए, विडम्बना, दुर्व्यवस्था को। आज अराजकता बढ़ रही हो रही हत्या मान के नाम पर। मुह चिढ़ा रही, झुग्गी झोपड़ी टूटे-फूटे थपुओं के बीच से हमारी व्यवस्था... Poetry Writing Challenge 151 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read ठीक सुना आपने हसो मत, मत हसो। मैं रो रहा, और तुम लोग हस रहे, शर्म नहीे आती, तुम लोगो को देखकर दशा उनकी, जो मेरी भूख हैं। मैं कभी मर नहीं पाता,... Poetry Writing Challenge 140 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read मेरे हिस्से की रोटी... मैं भूखा, थाली भी सूखी। कुछ देर इन्तजार के बाद गिरी अकस्मात्, पीछे से रोटी, अधजली, अधपकी सी। मैं उसे देखता रहा, बस देखता रहा। बोला तभी रोटी वाला, सोचता... Poetry Writing Challenge 136 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read नींद का राग घोंट दिया गला बचपन का, उसने जीने की खातिर। सोता जागता वह सीटी सुनकर खुले आसमान के नीचे, माटी के बिछौने पर, ओढ़ चद्दर हवाओ का। कभी-कभी वह सोता भी... Poetry Writing Challenge 141 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read जद्दोजहद तलाश खत्म हो गयी स्थान की रिक्तता ने स्थान से गठबंधन कर नई परिपाटी बना आक्रमण कर दिया है हशिये पर 'हाशिये का आस्तित्व अब खतरें में!!!' सुर्खिया आज हैं... Poetry Writing Challenge 214 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read राजाज्ञा राजा ने फरमान किया नगर के सारे चूहों को बन्द कर दिया जाये बेड़ियों में इसलिये नहीं कि उसे उसकी गंध से नफरत थी या चूहों ने कुतर दाले आज... Poetry Writing Challenge 299 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read हुनर गुणवत्ता के इस युग में स्वयं को कुसमायोजित होता देख उसने चरण-वन्दना के अति-प्राचीन कौशल का प्रयोग कर सारे फिज़ूल कार्य करने के अपने समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर ली। Poetry Writing Challenge 204 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read विकल्प की तलाश लगे आपको ठीक नहीं हो रहा कुछ भी उस आपके पास पहला विकल्प यह है कि तलाशिये नये प्रत्यावर्त को और फिर जब घुटन होने लगे फिर तलाशते हुये नव... Poetry Writing Challenge 220 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read शिखर शून्य से एक बनने के सफर में मैने यह पाया कि इन दोनो के बीच ढेरो दशमलवांक है जो नेपथ्य में रहते हुये भी इनका जुड़ाव सुनिश्चित करते हैं | Poetry Writing Challenge 231 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read कुछ लोग बडी आसानी से कह दिया कि गलती तुम्हारी थी हां गलती तो मेरी ही थी कुछ नहीं ढेर सारी जो चाहा था पाना तुमसे झूठ तुम्हारा, अफ़सोस तो इस बात... Poetry Writing Challenge 158 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read बारिश में बारिश में बारिश में दो लोग ही भीगते है पहला वो जिसे भीगना पसन्द है दूसरा वो जिसके पास और कोई रास्ता ना बचा अब सिवाय भीगने के। Poetry Writing Challenge 191 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read गाँव बनाम शहर मैने देखा है शहर को जब वो घाटे में होता है सबसे पहले बेचता है जमीन गांव की उस घाटे से उबरने के लिये यदि मुनाफ़े में आता है शहर... Poetry Writing Challenge 186 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read सोचना सोचना हमारी फितरत ही नहीं हमारी ताकत भी है. हमें सोचने का हक़ है और चाहियेभी सोचना, क्योंकि कुछ काम सोचने से ही पूरे होना प्रारंभ हो जाते है… सोच... Poetry Writing Challenge 93 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read क्या देखते हो... क्या देखते हो... खामोश दीवारों से इधर-उधर क्या देखते हो? अपने ख्वाबो में पल रहे खामोश लहरों को देख आगन में पसरी धूप के साये में मुरझाई तुलसी के पत्तों... Poetry Writing Challenge 71 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read उम्मीद उसने पूछा 'अनस' तुम्हारी आखों को सपने और इन सपनों को उम्मीद कहां से मिलती है मैंने उसे ले जा आईने के सामने खडा कर दिया| Poetry Writing Challenge 67 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read मांग पत्र काश तुम तब मिले होते बसता था प्यार जब दिल के किसी कोने में | शायर था दिल प्यासी थी अंखिया अक्स के दीदार को | टूट कर बिखर गया... Poetry Writing Challenge 101 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read अमानत आज भी रखा हूँ सहेज कर तेरी हर गाली थप्पड़ सारे और वो आशूँ भी जो गिरते थे तेरे आखो से मुझे रुलाने के बाद Poetry Writing Challenge 74 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read निर्णय बस आकर स्टाप पर रुकी कालेज के लड़के कुछ लड़किया भी रोज की तरह आज भी बस में चढ़े अगर कुछ नहीं था जो कल की तरह वो था मौसम... Poetry Writing Challenge 77 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read मैं विद्रोह करुँगा... ऊब गया हूँ, मैं एक ही लीक पर चलकर छोड़ना चाहता हूँ तोड़ना चाहता हूँ, इन्हे कि नियन्ता आज के अनुमति ना दे रहे डर है उन्हे कहीं टूट ना... Poetry Writing Challenge 220 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read चोर हूँ मैं... नहीं बदलना चाहता अर्थ, तुम्हारे शब्दो के, ना ही शब्द तुम्हारे। मैं आज भी वहीं हूँ जो कल तक था। हूँ चुराना चाहता सदा से ही तेरे माथे की शिकन... Poetry Writing Challenge 282 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read मेरा कमरा चार दीवार एक छत छत पर लटकता पंखा एक रोशनदान एक ही दरवाजा एक ही बल्ब है, जलता हैं जो कुछ देर बाद सूनी खूटियों पर टंगे हैं कुछ कपड़े... Poetry Writing Challenge 169 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read उलझनों की भूलभूलैया कई चित्र है कई दृश्य है एक दूसरे से उलझे हुए अपनी कथा के। छुड़ाऊ किसी एक को, सब साथ में और उलझ जाते हैं। भागूॅ छुड़ाकर पीछा किसी एक... Poetry Writing Challenge 81 Share NAVNEET SINGH 10 Jun 2023 · 1 min read हाशिया छूट जाते हैं कुछ लोग छोड़ भी दिये जाते हैं कभी-कभी जो साथ चल नहीं पाते या फिर रह जाते हैं दूर परिधि से। चलता रहा परिधि अपनी धुन में,... Poetry Writing Challenge 90 Share Page 1 Next