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10 Jun 2023 · 1 min read

कुछ मुद्दे अपनी संसद में

कहकर छोड़ मत दीजिए,
विडम्बना, दुर्व्यवस्था को।
आज अराजकता बढ़ रही
हो रही हत्या मान के नाम पर।
मुह चिढ़ा रही, झुग्गी झोपड़ी
टूटे-फूटे थपुओं के बीच से
हमारी व्यवस्था को।
बस गयी हैं फटे कपड़ो में
गरीबी, लाचारी, भूखमरी।
आस जोहते, हाथ फैलाए लोग
रोये इतना रात को, सोते हुए
अब उछाल रहे अष्क उनके
कीचड़, राहगीरो पर।
उड़ा दुपट्टा, उतर गयी साड़ी
दूधमुॅहे बच्चे की खातिर।
खूब मचा हो-हल्ला, इन मुद्दो पर
अपनी संसद में।
कार्यवाही स्थगित हुई
कुछ देर, कुछ समय तक,
फिर जीवन भर के लिए।

Language: Hindi
116 Views
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