Mahendra Narayan 118 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahendra Narayan 27 Nov 2024 · 1 min read कविता अकाल - टूटे पंखों से उड़ान भरते रहते उन शब्दों को श्रद्धांजलि दे दो वर्ना अर्थ की चाटुकारिता तुम्हें चाट जाएगी दीमक के समान तुम ढूँढते रह जाओगे खुशियों का... Hindi 1 18 Share Mahendra Narayan 23 Nov 2024 · 1 min read कविता - हादसे यूँ ही अब नही होते आपके जैसे सब नही होते ख़ुद से टकराके बिखर जाता हूँ. सामने आप जब नही होते आप और हम कही नही होते कुछ न... Hindi 2 23 Share Mahendra Narayan 4 Nov 2024 · 1 min read कविता ---- बहते जा कहीं न फूल कहीं न काँटें एक तरल पवन सा बहते जा आद्यन्त निरन्तर पथराही गिरकर भी स्वयं सँभलते जा मधुमय मधु विष रस भी होगा असीमाकृत प्रकृति है स्वप्न... Hindi 1 34 Share Mahendra Narayan 17 Sep 2024 · 1 min read ग़ज़ल ना फूल महकता है ना ख़ार महकता है इस दुनिया में सबका किरदार महकता है I माली बनकर सींचे परिवार की बगिया को उसके रिश्ते से ही घर द्वार महकता... Hindi 1 59 Share Mahendra Narayan 29 Aug 2024 · 1 min read गीत पत्थर पानी मिलकर गाते झरने बीन सुनाते नाच रही नागिन सी बूँदें ताली विटप बजाते दर्शक बनी लताएँ पौधें हर्षित मुख से झूमें। पवन झकोरों से हिलमिल कर इक दूजे... Hindi 1 70 Share Mahendra Narayan 20 Aug 2024 · 1 min read कविता - शैतान है वो जिस इंसा से डरते इंसां शख्स नहीं इंसान है वो इंसानों के भेष में आया जालिम एक शैतान है वो हिंसा कभी प्रेम नहीं होगी कभी कुशल क्षेम नहीं होगी... Hindi 1 55 Share Mahendra Narayan 30 Jul 2024 · 1 min read ग़ज़ल दर्द के किस्से सुनाता आदमी जा रहा है मुस्कुराता आदमी आँख से आँसू छलकते है भले होठ से पर गुनगुनाता आदमी साँस भी मजबूरियों की ले रहा ज़िन्दगी का ज़हर... Hindi 1 76 Share Mahendra Narayan 21 Jul 2024 · 1 min read ग़ज़ल अपना कहीं पराया लगता है कोई सामने होके साया लगता है कोई अपने चेहरे रोज़ बदलता है कोई गिरगिट जैसी काया लगता है कोई पैसों में बातें करता है जीवन... Hindi 1 85 Share Mahendra Narayan 6 Jul 2024 · 1 min read दोहा ग़ज़ल एक नई विधा में आज - पत्थर बने शरीर में, आशाओं के पाँव । चलते चलते थक गये, शहरों में अब गाँव ।। छूट गयी पीछे बहुत,अब महुआ की गन्ध... Hindi 2 67 Share Mahendra Narayan 3 Jul 2024 · 1 min read कविता छाँव पर धूप अगर भारी है समझ लो आ रही बीमारी है कोढ़ में ख़ाज की तरह वारिश हो गयी ग़र तो कहर जारी है तमीज़ देखते रहे जिसकी उसी... Hindi 1 94 Share Mahendra Narayan 22 Jun 2024 · 1 min read ग़ज़ल ग़म गीत ग़ज़ल और क़ायनात लिख रहा हूँ इस तरह नज़रों को सारी रात लिख रहा हूँ कोई पूछता कि कशमकश को क्यों चबा रहे कह देता हूँ कि दर्दे... Hindi 3 71 Share Mahendra Narayan 26 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल ये कौन छेड़ा तितलियों को खिल न पाये गुल छिप गये हैं पत्तों में नहीं हाथ आये गुल हैं अजीब उसकी क्यों मंज़र निगाहों में देखे मुझे जब भी लगे... Hindi 2 111 Share Mahendra Narayan 12 May 2024 · 1 min read जा रहा है दिन का चेहरा लाल हुए जा रहा है सूर्य क्या कमाल हुए जा रहा है पशु पक्षी तरू लता नर हैं विकल सकल जन बेहाल हुए जा रहा है तप... Hindi 2 96 Share Mahendra Narayan 1 May 2024 · 1 min read नवगीत - बुधनी नागफनी सी पाँव में उसके फटी बिवाई। नंगे पैरों से ही सिर पर , बोझा लेकर चलती। माथे पर है टिकुली लटकी, रही पसीना मलती। पेट की रोगी, कर नही... Hindi 1 99 Share Mahendra Narayan 29 Apr 2024 · 1 min read गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14 ऊहापोह लिए मन मेरा शेयर का बाजार लगे उठापटक करती रहती हैं, . इच्छाएँ पलकों जैसी। आशंकाएँ घेरे रहती , सिर मेरा अलकों जैसी। कुछ ज्यादा करना चाहूँ तो, मंदी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 110 Share Mahendra Narayan 28 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल अब दे नही सकेगा कोई भी दगा मुझे सबने बनाके रख दिया है आईना मुझे नज़रों को लग गयी है नज़र उनकी अदा से नज़रों ने किया उन पे इस... Hindi 1 91 Share Mahendra Narayan 1 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल रस्ता, मंजिल बातें हुईं पुरानी अब, नये शब्द में लिक्खें नई कहानी अब । बीमारी से आज की पीढ़ी लड़ती है, खाद केमिकल खाकर पले जवानी अब । प्यास तिज़ारत... Hindi 2 95 Share Mahendra Narayan 4 Mar 2024 · 1 min read ग़ज़ल टीस मन से हमारे निकल जायेगी रंग मसले का फिर ये बदल जायेगी पेड़ पर जैसे पत्ते नये आतें हैं होके पतझड़ बहारों में ढ़ल जायेगी लोग कहतें हैं मुझमें... Hindi 1 141 Share Mahendra Narayan 17 Feb 2024 · 1 min read चला गया दुःख की वह प्रस्तावना लिखकर चला गया शैली निगमन भावना लिखकर चला गया क्या लिखूँ क्षणों को जिसमें मैं स्वयं नही मैं इक अबूझ कामना लिखकर चला गया टकरा के... Hindi 1 155 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read पत्थर - पत्थर सींचते , पत्थर - पत्थर सींचते , उगते प्रेम -प्रसून। सौरभ का विश्वास बन, लगे हृदय का खून ॥ Quote Writer 1 210 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल प्यार का हर इक पन्ना प्यारा होता है लिखा हुआ दिल का गलियारा होता है आँखों ने जो लिखा अश्क की पानी से पढ़ने वाला आँख का तारा होता है... Hindi 2 2 164 Share Mahendra Narayan 4 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल चाहत सी हो गयी है तेरे यूँ ख़ुमार की । पैमाना बन गया हूँ तेरे ऐतबार की। लगने लगा है घर तेरा मैख़ाने की तरह I रहती है तलब अब... Hindi 2 1 207 Share Mahendra Narayan 19 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल गुलों में खुशबू हूँ भरने दे मुझे टूटकर अब तो विखरने दे मुझे फिज़ां में सख़्त सियासत है अभी सुकूँन में हवा से गुज़रने दे मुझे दूर बैठा मज़लूम बहुत... Hindi 2 169 Share Mahendra Narayan 16 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल बात निकली है खिड़कियों से कहीं खुला पर्दा है आँधियों से कहीं रोशनी छिप गयी है बादल में चाँद को देख कनखियों से कहीं वो ख़फा होके हँस रहा होगा... Hindi 1 158 Share Mahendra Narayan 12 Jan 2024 · 1 min read सज़ल शीत में वातावरण यूँ गल रहा है। लुकाछिपी करके सूरज छल रहा है। हो गयी है रात लम्बी इस तरह कि । शाम में ढ़लने को दिन मचल रहा है।... Hindi 1 141 Share Mahendra Narayan 6 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल वो वफाओं का आईना होगा प्यार से हमको देखता होगा इम्तहाँ लेगा वो टकरा हमसे कही पत्थर कहीं शीशा होगा छिप न पायेगा शरम नजरों में जब भी खोलेगा सामना... Hindi 1 173 Share Mahendra Narayan 2 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल नही होता है गुनाहों से वफा का रिश्ता । दर्द देता ही है जो रखता सजा का रिश्ता । ख़ूबसूरत वो वफाई में उतना लगता है । जितना रखता है... Hindi 1 163 Share Mahendra Narayan 18 Dec 2023 · 1 min read ग़ज़ल आज ग़ज़ल से बात हुई अनजाने में । गाने लगा हूँ उसको मैं अफसाने में । अपने ग़म को ओढ़ काफिया रहती है। और रदीफ़ लगा है खुशी निभाने में... Hindi 1 247 Share Mahendra Narayan 30 Nov 2023 · 1 min read ग़ज़ल चर्चा जो चली है तो कोई बात हुई होगी ख़त कोई मिला होगा मुलाकात हुई होगी ग़र राज़ धुआँ होगा सुलगा जरूर होगा छिपता ही गया होगा जब रात हुई... Hindi 2 224 Share Mahendra Narayan 28 Nov 2023 · 1 min read आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि- आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि- आदमियत की जैसे बाजार लगने लगी है प्रेम व्यवहार में मिलावट ऐसे हो रहा है प्यार और दोस्ती बेकार लगने लगी है... Quote Writer 1 279 Share Mahendra Narayan 22 Nov 2023 · 1 min read ग़ज़ल फूलों सी मुस्कान तुम्हारे अधरों की कालियाँ हैं पहचान तुम्हारे अधरों की बोल घोल दो मिस्री सारे आलम में बातें लगती गान तुम्हारे अधरों की रंग लाल बन जाते सारे... Hindi 1 1 231 Share Mahendra Narayan 11 Sep 2023 · 1 min read दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में दरक जाती हैं दीवारें यकीं ग़र हो न रिश्तों में लगे ये उम्र कटती है ज़िन्दगी के ही किश्तों में सही रिश्ते निभाता है यहाँ पर जो हक़ीक़त में उसी... Quote Writer 2 335 Share Mahendra Narayan 7 Sep 2023 · 1 min read ग़ज़ल गिरगिट की तरह रंग बदलतें हैं लोग क्यों चेहरे से अपने रोज उतरतें हैं लोग क्यों यह जानते हुए कि हस्र ज़िन्दगी का क्या जी करके भी बेमौत यूँ मरतें... Hindi 4 195 Share Mahendra Narayan 30 Aug 2023 · 1 min read डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास । डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास । भाई से करती बहन ,जब रक्षा की आस ॥ जब रक्षा की आस ,करे बस स्नेही आशा । है राखी की... Quote Writer 262 Share Mahendra Narayan 25 Aug 2023 · 1 min read हरियाली के बीच में , माँ का पकड़े हाथ । हरियाली के बीच में , माँ का पकड़े हाथ । नन्हा पौधा पल्लवित, जैसे धरती साथ ॥ जैसे धरती साथ, ज्ञान के पथ पर चलता । पहला दिन है आज,... Quote Writer 1 262 Share Mahendra Narayan 4 Aug 2023 · 1 min read जिस बस्ती मेंआग लगी है जिस बस्ती मेंआग लगी है पानी पानी है प्रेमनगर में बस नफरत है और बेईमानी है भीड़ तो है हर एक घर में कौन कहानी कहता है मरघट सा सन्नाटा... Hindi 1 1k Share Mahendra Narayan 29 Jul 2023 · 1 min read कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है कोई भी नही भूख का मज़हब यहाँ होता है खाना ही इक भूखे का महज़ रब यहाँ होता है करले सियासत चाहे ये कितना भी ज़माना मजलूम कोई इंसा यहाँ... Quote Writer 1 289 Share Mahendra Narayan 23 Jul 2023 · 1 min read रक़्श करतें हैं ख़यालात मेरे जब भी कभी.. रक़्श करतें हैं ख़यालात मेरे जब भी कभी.. ज़िन्दगी मुझको ग़ज़ल की तरह से लिखती है.. Quote Writer 1 443 Share Mahendra Narayan 15 Jul 2023 · 1 min read फितरत की बातें हिम्मत से हिम्मत की बातें करता हूँ जब भी मैं किस्मत की बातें करता हूँ कहतें सब मिल जाता मुझको बिन माँगे मैं नही अब चाहत की बातें करता हूँ... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता 5 243 Share Mahendra Narayan 13 Jul 2023 · 1 min read बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ कोई बेचता खरीदता है भूख भी यहाँ । -महेन्द्र नारायण Quote Writer 2 4 286 Share Mahendra Narayan 9 Jul 2023 · 1 min read ख़ुद को हमने निकाल रखा है ख़ुद को हमने निकाल रखा है बन्द नज़रों में डाल रखा है Quote Writer 1 308 Share Mahendra Narayan 6 Jul 2023 · 1 min read पावस में करती प्रकृति, पावस में करती प्रकृति, हरा भरा स्नान । दृग कराती शीतलता , दुख में सुख का भान ।। Quote Writer 1 266 Share Mahendra Narayan 2 Jul 2023 · 1 min read अरमानों की भीड़ में, अरमानों की भीड़ में, खोया है इंसान । सकूं सभी में ठूँढता, ख़ुद से हो अंजान ॥ Quote Writer 165 Share Mahendra Narayan 1 Jul 2023 · 1 min read कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप। कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप। स्वप्न -सृष्टि -संवेदना अद्भुत अगम अनूप । -महेन्द्र नारायण Quote Writer 2 1 222 Share Mahendra Narayan 27 Jun 2023 · 1 min read वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो वो आशिकी ही क्या जिसमें जुनूं न हो दौलत शोहरत मुहब्बत सब कुछ हो वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमें सकूं न हो Quote Writer 5 4 185 Share Mahendra Narayan 19 Jun 2023 · 1 min read बादल आओ बादल आओ सूखे फटे होठों में नमी दे जाओ Quote Writer 220 Share Mahendra Narayan 19 Jun 2023 · 1 min read फूलों की है टोकरी, फूलों की है टोकरी, ढूँढें सभी गुलाब । रिश्तों में हर आदमी, चाहे बनें नवाब ॥ Quote Writer 3 466 Share Mahendra Narayan 18 Jun 2023 · 1 min read आदमी में भी राज़ गहरे नजर आतें हैं आदमी में भी राज़ गहरे नजर आतें हैं एक चेहरे में कई चेहरे नजर आतें हैं - महेन्द्र नारायण Quote Writer 224 Share Mahendra Narayan 17 Jun 2023 · 1 min read हरकतें जब हरकतें जब जवान होती हैं कोशिशें असमान होती हैं महेन्द्र नारायण Quote Writer 84 Share Mahendra Narayan 16 Jun 2023 · 1 min read हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ, हँसाती है किसी को और रूलाती है रोटियाँ, करतब बड़े से बड़े से दिखाती है रोटियाँ। रहतीं हैं ज़िन्दगी के साथ रूह की तरह , जीना भी ज़िन्दगी को सिखाती... 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