मनोज शर्मा Language: Hindi 107 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read हंसी हंसी मानों होठों पर तैरती थी जैसे ही होठ हंसी से फैलते उसके कंधे उचकते और आंखे खिल जाती थी।कुछ साल पहले वो हर पल मुझे ढूंढतें थे स्वप्न में... Hindi · लेख 2 643 Share मनोज शर्मा 21 Nov 2020 · 1 min read सुबह का सूरज गांव में आज भी घर के आहते से ड्योढ़ी से या गली के दायिनी छोर से उसे साफ-साफ देखा जा सकता है। सुबह से शाम तक जाने कितनी मर्तवा उसे... Hindi · लेख 2 612 Share मनोज शर्मा 28 Oct 2020 · 1 min read अक्टूबर की सुबह अक्टूबर की सूबह! सुबह सात बज गये पर धूप कहीं नहीं यही आलम जून-जुलाई में हो तो बात ही कुछ और हो।नीले आकाश में ठहरे सफेद पुष्ट बादल मानो बड़ी... Hindi · कविता 1 332 Share मनोज शर्मा 26 Oct 2020 · 1 min read प्रेमचंद प्रेमचंद ने पात्रों की संकल्पना उनके चरित्र के अनुरूप की है यथा बुधिया,मुलिया,घीसू या गोबर ये सब दीन-हीन है जो भरसक प्रयास करने पर भी उन्नीस ही दिखते हैं पर... Hindi · लेख 1 571 Share मनोज शर्मा 11 Oct 2020 · 1 min read शाम शाम हो गयी बालकाॅनी से बाहर झांकर देखा।धूप अभी भी है पर जहां छांव है वहां मौसम उतना ऊष्म नहीं जितनी सफेद धूप को निहारने से लगता है।सामने दरीचे पर... Hindi · कहानी 2 562 Share मनोज शर्मा 9 Oct 2020 · 1 min read काला कऊआ उस रोज़ हम दो मैं और वो काला कऊआ उस टीले पर बैठे थे निरस्त से कहीं खोये खोये से अजनबी बन उसने मुझे देखा मैंने उसे वो गुमसुम था... Hindi · कविता 2 506 Share मनोज शर्मा 8 Oct 2020 · 1 min read रोशनी दरम्याना रोशनी में लगा कि कोई साया मुझे ताक रहा है!गहरी हंसी गूंज गयी और फिर लंबा अटहास देर तक दूर तक वहीं कहीं गूंजता रहा। बंद खिड़की के शीशों... Hindi · लेख 2 647 Share मनोज शर्मा 8 Oct 2020 · 1 min read अनुभव परिवर्तन जीवन का नियम है पर क्यों लगता है कि जीवन एक सांचे में ढल गया है।कुछ नया नहीं सब रोज़-सा।सामने वही एक-से थके चेहरे नेत्र अलसाये से!सब मिट्टी के... Hindi · लेख 444 Share मनोज शर्मा 5 Oct 2020 · 1 min read साया दरम्याना रोशनी में लगा कि कोई साया मुझे ताक रहा है!गहरी हंसी गूंज गयी और फिर लंबा अटहास देर तक दूर तक वहीं कहीं गूंजता रहा। बंद खिड़की के शीशों... Hindi · लेख 1 384 Share मनोज शर्मा 1 Oct 2020 · 1 min read सुबह सूर्य की पहली किरण और फैलता धूंधला मटियाला-सा रेत!नदी का गंधला बहता शीतल नीर और नीचे की उतरती सीढ़ियों में भीगते पांव जिनके भीगते ही सारे रोये मानो रोमांचित हो... Hindi · लेख 1 323 Share मनोज शर्मा 29 Sep 2020 · 1 min read बेवक्त पहले दिन भर और फिर देर रात तक इंतज़ार रहता है कि व्यस्तता टूटे पर व्यस्तता का अंत नहीं होता।सारे काम समय पर होते हैं खाना सोना ऊठना बग़ैरह पर... Hindi · लेख 2 339 Share मनोज शर्मा 29 Sep 2020 · 1 min read बूंद बालकाॅनी की परिधि में बादल घिरे हैं पर आसमां में अभी भी सफेदी है जाने कब बरस जाए? दूर कहीं बहता समीर पेड़ों की हरी परत को और गहरा करने... Hindi · लेख 1 582 Share मनोज शर्मा 28 Sep 2020 · 1 min read प्रकृति प्रकृति का क्रोध शांत कछारों को झकझोर देता है एक तेज आंधी!आवेग!या कहर जिससे फिर कोई अछूता नहीं रह पाता।गौधुली में वो शांत थी पर जाने क्यों उसने रोद्र रूप... Hindi · लेख 4 580 Share मनोज शर्मा 28 Sep 2020 · 1 min read पिता वो चुप सा आज खामोश क्यों है शांत चित बेजान सा क्यों है दूर क्षितिज को ताकती पथराई बंद आंखे गुमसुम धरा स्याह सन्नाटा चारो तरफ फैलता विषाद करूण सिसकिया... Hindi · कविता 3 324 Share मनोज शर्मा 27 Sep 2020 · 2 min read चेहरे एक ही शख्स जीवन में कई चेहरे लिए जीता है पर हर चेहरे से दूसरों को लालायित करने की कोशिश में वो स्वयं को मिटा देता है।वास्तव में चेहरा कोई... Hindi · लेख 1 542 Share मनोज शर्मा 26 Sep 2020 · 1 min read रेत सूखे रेत पर एक मर्तवा भी बारिश की बूंदे पड़ जाए तो बूंदों के निशां तब तक रहते है जबतक कि कोई वहां से गुज़र न जाए।वो पूछते हैं कि... Hindi · लेख 3 361 Share मनोज शर्मा 26 Sep 2020 · 1 min read लल्ली शीरू तुम तो कहते थे! मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं फिर इतनी छोटी सी ख्वाइश पूरी नहीं कर सकते?विड़ियो काॅलिंग पर बात करते हुए दोनों के चेहरे स्तब्ध... Hindi · लघु कथा 2 345 Share मनोज शर्मा 25 Sep 2020 · 1 min read लत कल रात टीवी पर एक ज्ञानवर्धक डाॅक्यूमैंटरी देखी पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ पर थोड़े अंतराल पर यथार्थ देखकर आंखे फटी रह गयी।आज हर जगह मोबाइल फोन्स का वर्चस्व... Hindi · लेख 1 2 351 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read मंटो उस रोज़ घर में घुसते ही सब कुछ अस्त व्यस्त मिला सारा सामान इधर उधर बिखरा था।दरवाजे पर मोंदा गिलास था कंघा कुर्सी के नीचे और बिस्तर पर गहरी सलवटे... Hindi · कहानी 3 481 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read Me! शीशे में स्वयं के अक्ष को देखते हुए मैंने बालों के गुच्छें सफेद बालों की एक छिपी क्यारी को पाया।मैं स्वयं को शीशे के करीब ले जाता गया और लगा... Hindi · लेख 2 392 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read वृक्ष वृक्ष का धर्म क्या है जहां कहीं खड़ा हो वहीं से शीतलता व उन्नत पुष्प तथा फल प्रदान करे वो कभी दूसरे की निंदा नहीं करते और ना ही ईष्या... Hindi · लेख 3 623 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read संबंध संबंध और संबंधों का निर्वाह महज इतना कि संबंध दिखाई दे शायद इससे अधिक कुछ नहीं।किसी को याद तब ही किया जाता है जब ज़रूरत है एक अंतराल के बाद... Hindi · लेख 1 717 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read कोविड में भीख रोटी खाओगे?वाक्य सुनते ही जैसे वो निढ़ाल हो गया।आंखे खिल गयी होठ फैलने लगे।आज तो पेट भर गया पर कल?ये सोचकर उसने अपना सिर पकड़ लिया।अब रोटी ऐसी बस्तु भी... Hindi · लेख 2 323 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read दोस्ती कभी-कभी ख़्याल आता है कि ज़िन्दगी इतनी छोटी कैसे हो सकती है ये इल्म कुछ वर्ष पहले ही हुआ जब किताबों से मित्रता हुई।हर तरफ बस किताबों के अंदर की... Hindi · लेख 3 383 Share मनोज शर्मा 24 Sep 2020 · 1 min read चांद आज फिर चांद बदल गया अभी शाम ही को देखा था धूल से भरा मटमैला रेंगता मेरे घर की ओर लगा यूं कि बड़ा खिन्न था बदरंग सा दिशाहीन हो... Hindi · कविता 2 546 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 1 min read बारिश एल ई डी लाइट्स की सफेद रोशनी बारिश की बूंदों को और दुधिया कर देती है जैसे अंधकार में टिमटिमाते छोटे जुगनु अपने अल्प समाज को चमकीला कर देते हैं।शाम... Hindi · लेख 1 1 332 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 1 min read शाम ज़िन्दगी जैसे थम गयी है घर के एक कोने में वहीं सुबह जगती है शाम तक आंखे जैसे दीवारें ताकती है।अजीब-सी व्यस्तता जो निरंतर कहीं मुझमें समाती जा रही है।सुबह-शाम... Hindi · लेख 2 401 Share मनोज शर्मा 23 Sep 2020 · 4 min read कोरोना!एक वैश्विक आपदा कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है जिसने संपूर्ण विश्व के लोगों को घरों में बंद कर दिया है।सारा मीडिया जगत ही नहीं बल्कि हर ज़ुबां पर एक ही नाम है कोरोना।कोरोना... Hindi · लेख 3 349 Share मनोज शर्मा 22 Sep 2020 · 2 min read शीरो अधखुले दरवाजे के पूरे पाट खुलते ही वो सड़क की ओर दौड़ पड़ा और खुले आकाश को देखने लगा जहां बादल दायें से बायें तीव्रता से एक दूसरे को रोंदते... Hindi · कहानी 1 1 572 Share मनोज शर्मा 22 Sep 2020 · 1 min read मौसम मौसम की भांति जीवन विविधताओं से परिपूर्ण है घर की डयोढ़ी रोज़ भीग जाती है सुबह की मंद मंद बूदों से पर कुछ देर में स्वच्छ दिखने लगती है उसी... Hindi · लेख 1 618 Share Previous Page 3 Next